कुशवाहा, महागठबंधन के नेताओं ओर आम आदम पार्टी के भारद्वाज द्वारा नतीजे अनुरूप न आने पर गृह युद्ध छिड़ने की धमकी दिये जाने पर, गृह मंत्रालय ने अनुकूल नतीजे न मिलने पर हिंसा भड़काने को आतुर दलों का नाम लिए बिना एक अलर्ट जारी किया है। मंत्रालय का कहना है कि कुछ पक्षों द्वारा किए गए हिंसा भड़काने के आह्वान को देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए मतगणना से एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिंसा की आशंका के मद्देनजर बुधवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलर्ट कर दिया. मंत्रालय का कहना है कि कुछ पक्षों द्वारा किए गए हिंसा भड़काने के आह्वान को देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
मंत्रालय ने एक बयान में यह भी कहा कि उसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कानून एवं व्यवस्था तथा शांति बनाये रखने के लिए कहा है.
बयान में कहा गया है,‘गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को कल मतगणना के सिलसिले में देश के अलग..अलग हिस्सों में हिंसा भड़कने की आशंका के संबंध में अलर्ट किया है.’ मंत्रालय ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को साथ ही यह भी कहा गया है कि वे स्ट्रांग रुम और मतगणना स्थलों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठायें.
इसमें कहा गया है,‘यह विभिन्न पक्षों की ओर से मतगणना वाले दिन हिंसा भड़काने और बाधा उत्पन्न करने के लिए किए गए आह्वान और दिये गए बयानों के संबंध में किया गया है.’’
एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को सूचना मिली है कि कुछ संगठन और व्यक्तियों ने, विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा में, कुछ बयान दिये हैं जिससे हिंसा उत्पन्न होने की आशंका है और इससे मतगणना प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है.’’
लोकसभा चुनाव सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई तक हुए थे. मतगणना गुरुवार को होगी.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/05/35899-bengal-panchayat-polls-pti.jpg477850Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-22 17:58:082019-05-22 18:11:11गृह मंत्रालय की केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों को चौकन्ना रहने के आदेश
लोकसभा चुनाव 2019 के सातवें और अंतिम चरण का मतदान प.बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ता पर धारदार हथियार से हमला, TMC पर आरोप
पीएम मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में भी इसी चरण में वोटिंग है. बिहार में पटना साहिब लोकसभा सीट पर भी सभी की नजरें होंगी. इस सीट पर बीजेपी के बागी शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. दोपहर 3:00 बजे तक मतदान का प्रतिशत कुछ इस प्रकार है
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के सातवें और अंतिम चरण का मतदान आज हो रहा है. इसके तहत लोकसभा की 59 सीटों पर आज वोट डाले जा रहे हैं. 8 राज्यों के करीब 10.17 करोड़ मतदाता इस चरण मेें 918 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे.
पश्चिम बंगाल में सातवें चरण के मतदान के दौरान हंगामा देखने को मिला है. पश्चिम बंगाल के देगंगा नूरनगर पंचायत के नूरनगर के 90 और 91 नंबर पोलिंग बूथ में बीजेपी कार्यकर्ता शिबू घोष के सिर पर धारदार हथियार से हमला किया गया है. बीजेपी ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हमले का आरोप लगाया है. घोष को लहूलुहान हालत में बारासात ले जाया गया.
बीजेपी
प्रत्याशी अनुपमा हजरा ने जादवपुर के पोलिंग बूथ संख्या 150/137 पर फर्जी वोटिंग का आरोप लगाया
है. उनका कहना है कि टीएमसी की महिला कार्यकर्ता यहां मुंह ढक कर फर्जी वोट डाल
रही हैं. उनकी पहचान करना मुश्किल है. जब हमने विरोध किया तो उन्होंने हंगामा
किया है. पश्चिम बंगाल के बशीरहाट में मतदान करने पहुंचे मतदाताओं ने सड़क पर धरना प्रदर्शन
किया. उनका आरोप है कि यहां तूणमूल कांग्रेस के वर्कर उन्हें मतदान करने से रोक
रहे हैं. बशीरहाट से बीजेपी प्रत्याशी ने कहा कि टीएमसी के वर्करों ने 100 लोगों को मतदान से रोका. हम इन
लोगों को मतदान के लिए जाएंगे.
जालंधर में कांग्रेस और अकाली दल के कार्यकर्ता आपस में भिड़े
हैं. दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई है. वहीं यूपी के चंदौली में भी सपा और
बीजेपी के कार्यकर्ताओं में मतदान के दौरान मारपीट हुई है. पश्चिम बंगाल के डायमंड
हार्बर में भी मतदान के दौरान धांधली के आरोप सामने आ रहे हैं.
सुबह 9 बजे तक 8 राज्यों की 59 लोकसभा सीटों पर 7.45 फीसदी मतदान हुआ है. बिहार में 10.65%, हिमाचल प्रदेश में 0.91%, मध्य प्रदेश में 7.55%, पंजाब में 4.80%, उत्तर प्रदेश में 10.06%, पश्चिम बंगाल में 10.57%, झारखंड में 13.19% और चंडीगढ़ में 10.40% मतदान हुआ है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में मतदान किया. इसके बाद उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर पूरे देश में उत्साह है. सहयोगियों के साथ 400 से अधिक सीटों का हमारा लक्ष्य है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मतदाताओं से अधिक से अधिक मतदान करने की अपील की.
बिहार के
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने पटना में मतदान किया.
मतदान के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि चुनाव लंबे समय तक नहीं होने चाहिए. उन्होंने
पीएम मोदी की की केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा पर कहा कि आस्था पर कभी राजनीति
नहीं होनी चाहिए. बीजेपी नेता और पटना साहिब से प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद ने पटना
में वोट डाला. कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में मतदान किया.
क्रिकेटर
हरभजन सिंह ने जालंधर के गढ़ी गांव के मतदान केंद्र में वोटिंग की. मतदान के बाद
उन्होंने कहा कि मेरे मुद्दे सफाई, बच्चों के लिए पढ़ाई, स्पोर्ट्स में अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर
है. आप लोग प्लीज वोट कीजिये. इसकी गंभीरता को समझिए.
रविवार को
जिन राज्यों में मतदान हो रहा है, उनमें पंजाब(13), उत्तरप्रदेश (13), पश्चिम बंगाल(9), बिहार (8), मध्यप्रदेश (8), हिमाचल प्रदेश (4), झारखंड (4), चंडीगढ़ (1) शामिल हैं. शाम 6 बजे वोटिंग खत्म होते ही महा
एग्जिट पोल आएगा. शाम 5 बजे से
इसे ZEE News पर देखा जा सकेगा.
बीजेपी ने 2014 में इस अंतिम चरण की 59 सीटों में से 30 पर विजय हासिल की थी. इस चरण में
पंजाब की सभी 13 सीटों पर
वोटिंग होगी. इसके अलावा हिमाचल की सभी 4 सीटों पर भी इसी आखिरी चरण में
वोटिंग होगी. पीएम मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में भी इसी चरण में वोटिंग है.
वहीं बिहार में पटना साहिब लोकसभा सीट पर भी सभी की नजरें होंगी. इस सीट पर बीजेपी
के बागी शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उनके सामने
बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतारा है.
उत्तर प्रदेश की 13 सीट
महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, रॉबर्ट्सगंज
मध्य प्रदेश में 8 सीटों पर मतदान
मध्य प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों के 1.49 करोड़ से अधिक मतदाता चुनाव में 82 उम्मीदवारों के भविष्य का फैसला करेंगे. मध्य
प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वीएल कांता राव ने बताया, ‘इसमें एक करोड़ 49 लाख से अधिक
मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करके 82 उम्मीदवारों के
भाग्य का फैसला करेंगे.’
तमिलनाडु की 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव
तमिलनाडु
की चार विधानसभा सीटों पर रविवार को उपचुनाव हो रहे हैं. राज्य की 18 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव और सभी
लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल को
मतदान हो चुका है. चार विधानसभा सीटों सुलुर, अरवाकुरिची, ओट्टापिदारम (आरक्षित) और
तिरुपुराकुंदरम सीट के लिये रविवार को मतदान होना है.
सुलुर सीट
अन्नाद्रमुक के विधायक आर कनकराज के निधन के बाद खाली हुई थी. ओट्टापिदारम
(आरक्षित) सीट का प्रतिनिधित्व अन्नाद्रमुक के अयोग्य करार दिये गए विधायक
सुंदरराज कर रहे थे जबकि तिरुपुरानकुंदरम सीट भी पिछले साल अन्नाद्रमुक के विधायक
ए के बोस के निधन के बाद खाली हुई थी. अरवाकुरिची से अन्नाद्रमुक के अयोग्य विधायक
सेन्थिल बालाजी द्रमुक में शामिल हो गए थे.
बिहार की 8 सीटों पर मतदान
बिहार के
आठ लोकसभा क्षेत्रों नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट और जहानाबाद के साथ-साथ
डेहरी विधानसभा क्षेत्र में मतदान हो रहा है. अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजय
कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस बल, अर्द्ध सैनिक बल, जिला पुलिस के अतिरिक्त 12 कंपनियों की भी तैनाती रहेगी.
सुरक्षा की दृष्टि से एहतियातन 20 मई तक पटना एयरपोर्ट पर एयरफोर्स का एक हेलीकॉप्टर और एक एयर
एम्बुलेंस की भी तैनाती रहेगी.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/05/mamata.png385696Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-19 09:44:202019-05-19 09:44:23लोकसभा चुनाव 2019 के सातवें और अंतिम चरण का मतदान आज
वैशाख मास को बहुत ही पवित्र माह माना जाता है
इस माह में आने वाले त्यौहार भी इस मायने में खास हैं। वैशाख मास की एकादशियां हों
या अमावस्या सभी तिथियां पावन हैं लेकिन वैशाख पूर्णिमा का अपना महत्व माना जाता
है। वैशाख पूर्णिमा को महात्मा बुद्ध की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
वैशाख पूर्णिमा का महत्व
वैशाख पूर्णिमा का हिंदू एवं बौद्ध धर्म के
अनुयायियों के लिये विशेष महत्व है। महात्मा बुद्ध की जयंती इस दिन मनाई जाती है
इस कारण बुद्ध के अनुयायियों के लिये तो यह दिन खास है ही लेकिन महात्मा बुद्ध को
भगवान विष्णु का नौवां अवतार भी बताया जाता है जिस कारण यह हिंदू धर्म के
अनुयायियों के लिये भी बहुत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
वैशाख पूर्णिमा पर रखें सत्य विनायक व्रत
वैशाख पूर्णिमा पर सत्य विनायक व्रत रखने का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन सत्य विनायक व्रत रखने से व्रती की सारी दरिद्रता दूर हो जाती है। मान्यता है कि अपने पास मदद के लिये आये भगवान श्री कृष्ण ने अपने यार सुदामा (ब्राह्मण सुदामा) को भी इसी व्रत का विधान बताया था जिसके पश्चात उनकी गरीबी दूर हुई। वैशाख पूर्णिमा को धर्मराज की पूजा करने का विधान है मान्यता है कि धर्मराज सत्यविनायक व्रत से प्रसन्न होते हैं। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्रती को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता ऐसी मान्यता है।
वैशाख पूर्णिमा व्रत व पूजा विधि
वैशाख पूर्णिमा पर तीर्थ स्थलों पर स्नान का तो महत्व है ही साथ ही इस दिन सत्यविनायक का व्रत भी रखा जाता है जिससे धर्मराज प्रसन्न होते हैं। इस दिन व्रती को जल से भरे घड़े सहित पकवान आदि भी किसी जरूरतमंद को दान करने चाहिये। स्वर्णदान का भी इस दिन काफी महत्व माना जाता है। व्रती को पूर्णिमा के दिन प्रात:काल उठकर स्नानादि से निवृत हो स्वच्छ होना चाहिये। तत्पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिये। रात्रि के समय दीप, धूप, पुष्प, अन्न, गुड़ आदि से पूर्ण चंद्रमा की पूजा करनी चाहिये और जल अर्पित करना चाहिये। तत्पश्चात किसी योग्य ब्राह्मण को जल से भरा घड़ा दान करना चाहिये। ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन करवाने के पश्चात ही स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिये। सामर्थ्य हो तो स्वर्णदान भी इस दिन करना चाहिये।
वैशाख पूर्णिमा 2019 तिथि व मुहूर्त
वर्ष 2019 में वैशाख पूर्णिमा 18 मई को है। इस दिन पूर्णिमा उपवास रखा जायेगा।
वैशाख पूर्णिमा तिथि – 18 मई 2019 पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 04:10 बजे (18 मई 2019) पूर्णिमा तिथि समाप्ति – 02:41 बजे (19 मई 2019)
502 साल बाद मंगल-राहु और शनि-केतु के दुर्लभ योग में मनेगा भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव
शनिवार, 18 मई 2019 को बुद्ध पूर्णिमा है। हिन्दी पंचांग के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा पर भगवान गौतम बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस साल बुद्ध पूर्णिमा पर मंगल-राहु मिथुन राशि में रहेंगे और उनके ठीक सामने शनि-केतु धनु राशि में स्थित हैं, ये एक दुर्लभ योग है। सूर्य और गुरु भी एक-दूसरे पर दृष्टि रखेंगे। जानिए बुद्ध पूर्णिमा पर कौन-कौन से योग बन रहे हैं…
* बुद्ध पूर्णिमा पर ऐसा दुर्लभ योग 502 साल पहले 16 मई 1517 में बना था। उस समय भी मंगल-राहु की युति मिथुन में थी और शनि-केतु की युति धनु राशि में थी। इस संयोग में ही बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया गया था। आगे ऐसा संयोग 205 वर्ष बाद 2 जून 2224 को बनेगा।
ग्रहों के दुर्लभ संयोग का ऐसा होगा असर
बुद्ध पूर्णिमा पर बन रहे दुर्लभ योगों के असर की वजह से मंहगाई में बढ़ोतरी होगी। पूर्णिमा पर विशाखा नक्षत्र रहेगा, इसका स्वामी गुरु है। नवांश में भी शनि की दृष्टि सूर्य पर होगी, इससे विश्व के किसी हिस्से में भूकंपन के योग भी बन रहे हैं। अन्य प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं।
इस दिन क्या-क्या कर सकते हैं
पूर्णिमा तिथि का 18 मई की सुबह 4.10 बजे से शुरू हो रही है। ये तिथि रात को 2.41 बजे तक रहेगी। इस पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा भी कहा जाता है। प्राचीन समय में भगवान बुद्ध का जन्म इसी तिथि पर हुआ था। इसीलिए इसे बुद्ध पूर्णीमा कहते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण किया था। वैशाख मास के स्नान भी इसी दिन से समाप्त हो जाएंगे। पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद गरीबों को धन का दान करें। व्रत करें। इस तिथि पर भगवान सत्यनारायण की कथा भी करनी चाहिए। शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं, चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
बुद्ध पूर्णिमा के समारोह व पूजा विधि
बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा सबसे बड़ा त्योहार का दिन होता है। इस दिन अनेक प्रकार के समारोह आयोजित किए गए हैं। अलग-अलग देशों में वहाँ के रीति- रिवाजों और संस्कृति के अनुसार समारोह आयोजित होते हैं।
– श्रीलंकाई इस दिन को ‘वेसाक’ उत्सव के रूप में मनाते हैं जो ‘वैशाख’ शब्द का अपभ्रंश है। – इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है। – दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएँ करते हैं। – बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है। – मंदिरों व घरों में अगरबत्ती लगाई जाती है। मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाए जाते हैं और दीपक जलाकर पूजा की जाती है। – बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएँ सजाई जाती हैं। जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं। – इस दिन मांसाहार का परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे। – इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। – पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर खुले आकाश में छोड़ा जाता है। – गरीबों को भोजन व वस्त्र दिए जाते हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/05/a101.jpg542800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-18 05:17:002019-05-18 05:19:47कूर्मावतार के पश्चात बुद्ध के जन्म, ज्ञान और निर्वाण की साक्षी है ‘बुद्ध पूर्णिमा’
मोदी को गालियां बकते बकते वह कब पंजाब के मुख्यमंत्री को भी अपने शब्द बाणों से घायल कर गए यह बहुत बोलने वाले मियां बीवी को पता ही नहीं चला। कांग्रेस के स्टार प्रचारक नवजोत सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने कहा है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को प्रदेश की सभी 13 सीट पर जीत का विश्वास है फिर प्रदेश में सिद्धू के चुनाव प्रचार की क्या जरूरत है। डॉ. सिद्धू शनिवार को पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार गुरजीत सिंह औजला के चुनाव प्रचार के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहीं थीं। अब हालात यह हैं की उन्हे अपने ध्वनि यंत्र अथवा वोकल कॉर्ड वजह से छुट्टी लेनी पड़ रही है। वैसे भी सभी ने सुनील जाखड़ को भविष्य का मुख्य मंत्री मान लिया है ऐसे में सिद्धू की वाणी को विराम लगना बनता है।
लोकसभा चुनाव 2019 के 6 चरणों का मतदान हो चुका है. 19 मई को सातवें चरण का मतदान होना बाकी है. इसी बीच कांग्रेस को एक झटका लगा है. कांग्रेस नेता और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का गला खराब हो गया है. लोकसभा चुनाव के दौरान सिद्धू अपने विवादास्पद बयानों, तुकबंदी और जुमलों से चुनाव माहौल को गरम बनाए हुए थे. अचानक गला खराब हो जाने से कांग्रेस और सिद्धू दोनों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. 19 मई को पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर भी वोटिंग होनी है. पंजाब में जीत के लिए सभी राजनैतिक पार्टियां इन दिनों जमकर प्रचार कर रही हैं.
Navjot Singh Sidhu’s office: Navjot Singh Sidhu put on steroid medication and injections due to continuous speech damaging his vocal cords. At the moment Mr. Sidhu is under the medication & in process of a quick recovery to return-back to campaigning at the earliest. (file pic)3872:32 PM – May 13, 2019513 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy
कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) भी अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए ताबड़तोड़ प्रचार कर रहे थे. अचानक नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को लेकर अब एक खबर आ रही है कि रैलियों में भाषण दे देकर उनका गला खराब हो गया है और वो इसका इलाज करा रहे हैं.नवजोत सिंह सिद्धू के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि, लगातार प्रचार की वजह से सिद्धू का गला खराब हो गया है. जिसके बाद डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं. जारी बयान में कहा गया है कि ‘वह जल्द ही चुनाव प्रचार के लिए वापस आएंगे.
अमर सिंह की नवजोत को नसीहत: पीएम नरेंद्र मोदी(PM Modi) पर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू(Navjot Singh Sidhu) के लगातार तीखे हमलों ने राज्यसभा सांसद अमर सिंह(Amar Singh) को बेचैन कर दिया है.उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू पर करारा हमला बोला है. नरेंद्र मोदी पर तीखे बयानों को लेकर सिद्ध को संबोधित करते हुए अमर सिंह ने कहा है कि अगर आसमान पर थूकोगे तो थूक चेहरे पर ही गिरेगा. देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री को अपशब्द बोलना शोभा नहीं देता. अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट किए वीडियो में अमर सिंह ने कहा है कि राजनीति में विवाद स्वाभाविक है. नरेंद्र मोदी का भी गुजरात में शंकर सिंह बाघेला और केशुभाई पटेल से विवाद हो चुका, मगर उन नेताओं के बारे में नरेंद्र मोदी ने कभी गलत बातें नहीं कहीं. खुद का केस बताते हुए अमर सिंह ने कहा कि उन्हें समाजवादी पार्टी से दो-दो बार निकाला गया, मगर आपको तो नहीं निकाला गया. सिर्फ बीजेपी ने अरुण जेटली के लिए टिकट काटा. बावजूद इसके आपकी पीड़ा को समझते हुए बीजेपी ने राज्यसभा भेजा. आपने इसे स्वीकार भी किया. फिर कांग्रेस में जाने के लिए आपने राज्यसभा से इस्तीफा भी दे दिया.यह आपका अधिकार भी है. मैं आपको जेंटलमैन समझता रहा. मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं हैं.
एक खबर के मुताबिक कांग्रेस के स्टार प्रचारक माने जाने वाले सिद्धू ने लोकसभा चुनाव के दौरान 28 दिनों में 80 राजनैतिक रैलियों को संबोधित किया है. लगातार रैलियों में बोलने की वजह से उनका गला खराब हो गया . जिसके बाद डॉक्टर उन्हें स्टेरॉयड की दवा और इंजेक्शन दे रहे हैं.
सिद्धू को 14 मई को बिहार और 15 मई को बिलासपुर में रैली करनी थी. जो अब शायद स्थगित करनी करनी पड़े. 16 मई और 17 मई को वह एमपी में भी रैली करने वाले थे. गला खराब होने के बाद सिद्धू और कांग्रेस के लिए यह झटके के रूप में देखा जा रहा है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/732956-navjot-singh-sidhu1.jpg7201280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-13 14:55:362019-05-13 14:55:38सिद्धू की वाणी को जबरन विराम मिला
वैशाख मास के शुक्ल
पक्ष की नवमी को सीता नवमी या जानकी नवमी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार
इसी दिन सीता जी का प्राकट्य हुआ था इसीलिए यह पर्व माँ सीता के जन्म दिवस
के रुप में मनाया जाता है। भगवान श्रीराम की अर्द्धांगिनी देवी सीता जी का जन्मदिवस
फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को तो मनाया जाता ही है परंतु वैशाख मास
के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को भी जानकी-जयंती के रूप में मनाया जाता है क्योंकि
रामायण के अनुसार वे वैशाख में अवतरित हुईं थीं, किन्तु ‘निर्णयसिन्धु’ के ‘कल्पतरु’ ग्रंथानुसार
फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष के दिन सीता जी का जन्म हुआ था इसीलिए इस तिथि को
सीताष्टमी के नाम से भी संबोद्धित किया गया है अत: दोनों ही
तिथियाँ उनकी जयंती हेतु मान्य हैं तथा दोनों ही तिथियां हिंदू धर्म में बहुत
पवित्र मानी गई हैं। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के भक्त माता सीता के निमित्त व्रत
रखते हैं और पूजन करते हैं। मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता व श्रीराम सहित
सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल, सोलह महान दानों का
फल तथा सभी तीर्थों के दर्शन का फल अपने आप मिल जाता है। अत: इस दिन व्रत करने का
विशेष महत्त्व है।
शास्त्रों के
अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुष्य नक्षत्र में जब महाराजा जनक
संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय पृथ्वी से
एक बालिका का प्राकट्य हुआ। जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को भी ‘सीता’ कहा जाता है, इसलिए बालिका का
नाम ‘सीता’ रखा गया।
सीता जन्म कथा सीता
के विषय में रामायण और अन्य ग्रंथों में जो उल्लेख मिलता है, उसके अनुसार मिथिला
के राजा जनक के राज में कई वर्षों से वर्षा नहीं हो रही थी। इससे चिंतित होकर जनक
ने जब ऋषियों से विचार किया,
तब ऋषियों ने सलाह दी कि महाराज स्वयं
खेत में हल चलाएँ तो इन्द्र की कृपा हो सकती है। मान्यता है कि बिहार स्थित
सीममढ़ी का पुनौरा नामक गाँव ही वह स्थान है, जहाँ राजा जनक ने हल चलाया था। हल
चलाते समय हल एक धातु से टकराकर अटक गया। जनक ने उस स्थान की खुदाई करने का आदेश
दिया। इस स्थान से एक कलश निकला,
जिसमें एक सुंदर कन्या थी। राजा जनक
निःसंतान थे। इन्होंने कन्या को ईश्वर की कृपा मानकर पुत्री बना लिया। हल का फल
जिसे ‘सीत’ कहते हैं, उससे टकराने के कारण कालश से कन्या बाहर आयी थी, इसलिए कन्या का नाम
‘सीता’रखा गया था। ‘वाल्मीकि रामायण’
के अनुसार श्रीराम के जन्म के सात
वर्ष, एक माह बाद वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को जनक द्वारा खेत में
हल की नोक (सीत) के स्पर्श से एक कन्या मिली, जिसे उन्होंने सीता नाम दिया। जनक
दुलारी होने से ‘जानकी’, मिथिलावासी होने से ‘मिथिलेश’ कुमारी नाम भी
उन्हें मिले। वर्तमान में मिथिला नेपाल का हिस्सा हैं अतः नेपाल में इस दिन
को बहुत उत्साह से मनाते हैं . वास्तव में सीता,
भूमिजा कहलाई क्यूंकि राजा जनक ने उन्हें
भूमि से प्राप्त किया था ।
वेदों, उपनिषदों तथा अन्य
कई वैदिक वाङ्मय में उनकी अलौकिकता व महिमा का उल्लेख एवं उनके स्वरूप का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है जहाँ ऋग्वेद में
एक स्तुति के अनुसार कहा गया है कि असुरों का नाश करने वाली सीता जी आप हमारा कल्याण करें
एवं इसी प्रकार सीता उपनिषद जो कि अथर्ववेदीय शाखा से संबंधित उपनिषद है जिसमें
सीता जी की महिमा एवं उनके स्वरूप को व्यक्त किया गया है. इसमें सीता को शाश्वत
शक्ति का आधार बताया गया है तथा उन्हें ही प्रकृति में परिलक्षित होते हुए देखा
गया है. सीता जी को प्रकृति का स्वरूप कहा गया है तथा योगमाया रूप में स्थापित
किया गया है.
सीता जी ही प्रकृति
हैं वही प्रणव और उसका कारक भी हैं. शब्द का अर्थ अक्षरब्रह्म की शक्ति के रूप में
हुआ है यह नाम साक्षात ‘योगमाया’ का है. देवी सीता जी को भगवान श्रीराम का साथ प्राप्त है, जिस कारण वह
विश्वकल्याणकारी हैं. सीता जी जग माता हैं और श्री राम को जगत-पिता बताया गया है
एकमात्र सत्य यही है कि श्रीराम ही बहुरूपिणीमाया को स्वीकार कर विश्वरूप में
भासित हो रहे हैं और सीता जी ही वही योगमाया है.इस तथ्य का उदघाटन निर्णयसिंधु से
भी प्राप्त होता है जिसके अनुसार सीता शक्ति, इच्छा-शक्ति तथा ज्ञान-शक्ति तीनों
रूपों में प्रकट होती हैं वह परमात्मा की शक्ति स्वरूपा हैं.
इस प्रकार सीता
माता के चरित्र का वर्णन सभी वेदों में बहुत सुंदर शब्दों में किया गया हैं । ऋग्वेद में वे असुर संहारिणी, कल्याणकारी, सीतोपनिषद में मूल
प्रकृति, विष्णु सान्निध्या, रामतापनीयोपनिषद में आनन्द दायिनी, आदिशक्ति, स्थिति, उत्पत्ति, संहारकारिणी, आर्ष ग्रंथों में
सर्ववेदमयी, देवमयी, लोकमयी तथा इच्छा,
क्रिया, ज्ञान की संगमन हैं। गोस्वामी
तुलसीदास ने उन्हें सर्वक्लेशहारिणी, उद्भव, स्थिति, संहारकारिणी, राम वल्लभा कहा है।
‘पद्मपुराण’ उन्हें जगतमाता,
अध्यात्म रामायण एकमात्र सत्य, योगमाया का
साक्षात् स्वरूप और महारामायण समस्त शक्तियों की स्रोत तथा मुक्तिदायिनी कह उनकी
आराधना करता है। ‘रामतापनीयोपनिषद’
में सीता को जगद की आनन्द दायिनी, सृष्टि, के उत्पत्ति, स्थिति तथा संहार
की अधिष्ठात्री कहा गया है-
श्रीराम सांनिध्यवशां-ज्जगदानन्ददायिनी। उत्पत्ति स्थिति संहारकारिणीं सर्वदेहिनम्॥
वाल्मीकि रामायण
में भी देवी सीता को शक्ति स्वरूपा, ममतामयी, राक्षस नाशिनी, पति व्रता आदि कई
गुणों से सज्जित बताया गया है । वाल्मीकि रामायण’
के अनुसार सीता राम से सात वर्ष छोटी
थीं। ‘रामायण’ तथा ‘रामचरितमानस’
के बालकाण्ड में सीता के उद्भवकारिणी
रूप का दर्शन होता है एवं उनके विवाह तक सम्पूर्ण आकर्षण सीता में समाहित हैं, जहाँ सम्पूर्ण
क्रिया उनके ऐश्वर्य को रूपायित करती है। अयोध्याकाण्ड से अरण्यकाण्ड तक वह
स्थितिकारिणी हैं, जिसमें वह करुणा-क्षमा की मूर्ति हैं।
वह कालरात्रि बन
निशाचर कुल में प्रविष्ट हो उनके विनाश का मूल बनती हैं। यद्यपि तुलसीदास ने
सीताजी के मात्र कन्या तथा पत्नी रूपों को दर्शाया है, तथापि वाल्मीकि ने
उनके मातृस्वरूप को भी प्रदर्शित कर उनमें वात्सल्य एवं स्नेह को भी दिखलाया है।
इसलिए सीताजी का जीवन एक पुत्री, पुत्रवधू, पत्नी और मां के रूप में उनका आदर्श रूप सभी के लिए पूजनीय रहा
है ।
मर्यादापुरुषोत्तम
श्रीराम तथा माता जानकी के अनन्य भक्त गोस्वामी तुलसीदास जी ‘रामचरितमानस’ के बालकांड के
प्रारंभिक श्लोक में सीता जी को ब्रह्म की तीन क्रियाओं उद्भव, स्थिति, संहार, की संचालिका तथा आद्याशक्ति कहते हुए नमस्कार
करते हैं-
उद्भव स्थिति संहारकारिणीं हारिणीम्। सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामबल्लभाम्॥
अद्भुत रामायण का
उल्लेख श्रीराम तथा सीता इस घटना से ज्ञात होता है कि सीता राजा जनक की अपनी
पुत्री नहीं थीं। धरती के अंदर छुपे कलश से प्राप्त होने के कारण सीता खुद को
पृथ्वी की पुत्री मानती थीं। लेकिन वास्तव में सीता के पिता कौन थे और कलश में
सीता कैसे आयीं, इसका उल्लेख अलग-अलग भाषाओं में लिखे गये रामायण और कथाओं से
प्राप्त होता है। ‘अद्भुत रामायण’
में उल्लेख है कि रावण कहता है कि-
“जब मैं भूलवश अपनी पुत्री से प्रणय की इच्छा करूँ, तब वही मेरी मृत्यु
का कारण बने।” रावण के इस कथन से ज्ञात होता है कि सीता रावण की पुत्री थीं। ‘अद्भुत रामायण’ में उल्लेख है कि
गृत्स्मद नामक ब्राह्मण लक्ष्मी को पुत्री रूप में पाने की कामना से प्रतिदिन एक
कलश में कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूंदें डालता था। एक दिन
जब ब्राह्मण कहीं बाहर गया था,
तब रावण इनकी कुटिया में आया और यहाँ
मौजूद ऋषियों को मारकर उनका रक्त कलश में भर लिया। यह कलश लाकर रावण ने मंदोदरी को
सौंप दिया। रावण ने कहा कि यह तेज विष है। इसे छुपाकर रख दो। मंदोदरी रावण की
उपेक्षा से दुःखी थी। एक दिन जब रावण बाहर गया था, तब मौका देखकर मंदोदरी ने कलश में रखा
रक्त पी लिया। इसके पीने से मंदोदरी गर्भवती हो गयी। कुछ समय बाद रावण को मंदोदरी
से एक पुत्री प्राप्त हुई जिसे उसने जन्म लेते ही सागर में फेंक दिया। सागर में डूबती वह कन्या सागर की देवी वरुणी को मिली और वरुणी ने उसे धरती
की देवी पृथ्वी को सौंप दिया और देवी पृथ्वी ने उस कन्या को राजा जनक और माता
सुनैना को सौंप दिया,जिसके बाद वह कन्या सीता के रूप में जानी गई और बाद में इसी सीता
के अपहरण के कारण भगवान राम ने रावण का वध किया .
वास्तव में सीता रावण और मंदोदरी की बेटी थी इसके पीछे बहुत बड़ा कारण थी वेदवती । सीता वेदवती का पुनर्जन्म थी । वेदवती एक बहुत सुंदर, सुशिल धार्मिक कन्या थी जो कि भगवान विष्णु की उपासक थी और उन्ही से विवाह करना चाहती थी। अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए वेदवती ने कठिन तपस्या की । उसने सांसारिक जीवन छोड़ स्वयं को तपस्या में लीन कर दिया था। वेदवती उपवन में कुटिया बनाकर रहने लगी .
एक दिन वेदवती उपवन में तपस्या कर रही थी. तब ही रावण वहां से निकला और वेदवती के स्वरूप को देख उस पर मोहित हो गया और उसने वेदवती के साथ दुर्व्यवहार करना चाहा, जिस कारण वेदवती ने हवन कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया और वेदवती ने ही मरने से पूर्व रावण को श्राप दिया कि वो खुद रावण की पुत्री के रूप में जन्म लेगी और रावण की मृत्यु का कारण बनेगी।
सीता नवमी ( जानकी जयंती ) महात्म्य कथा
सीता नवमी की
पौराणिक कथा के अनुसार मारवाड़ क्षेत्र में एक वेदवादी श्रेष्ठ धर्मधुरीण ब्राह्मण
निवास करते थे। उनका नाम देवदत्त था। उन ब्राह्मण की बड़ी सुंदर रूपगर्विता पत्नी
थी, उसका नाम शोभना था। ब्राह्मण देवता जीविका के लिए अपने ग्राम से
अन्य किसी ग्राम में भिक्षाटन के लिए गए हुए थे। इधर ब्राह्मणी कुसंगत में फंसकर
व्यभिचार में प्रवृत्त हो गई।
अब तो पूरे गांव
में उसके इस निंदित कर्म की चर्चाएं होने लगीं। परंतु उस दुष्टा ने गांव ही जलवा
दिया। दुष्कर्मों में रत रहने वाली वह दुर्बुद्धि मरी तो उसका अगला जन्म चांडाल के
घर में हुआ। पति का त्याग करने से वह चांडालिनी बनी, ग्राम जलाने से उसे भीषण कुष्ठ हो गया
तथा व्यभिचार-कर्म के कारण वह अंधी भी हो गई। अपने कर्म का फल उसे भोगना ही था।
इस प्रकार वह अपने
कर्म के योग से दिनों दिन दारुण दुख प्राप्त करती हुई देश-देशांतर में भटकने लगी।
एक बार दैवयोग से वह भटकती हुई कौशलपुरी पहुंच गई। संयोगवश उस दिन वैशाख मास, शुक्ल पक्ष की नवमी
तिथि थी, जो समस्त पापों का नाश करने में समर्थ है।
सीता (जानकी) नवमी
के पावन उत्सव पर भूख-प्यास से व्याकुल वह दुखियारी इस प्रकार प्रार्थना करने लगी-
हे सज्जनों! मुझ पर कृपा कर कुछ भोजन सामग्री प्रदान करो। मैं भूख से मर रही हूं-
ऐसा कहती हुई वह स्त्री श्री कनक भवन के सामने बने एक हजार पुष्प मंडित स्तंभों से
गुजरती हुई उसमें प्रविष्ट हुई। उसने पुनः पुकार लगाई- भैया! कोई तो मेरी मदद करो-
कुछ भोजन दे दो।
इतने में एक भक्त
ने उससे कहा- देवी! आज तो सीता नवमी है, भोजन में अन्न देने वाले को पाप लगता
है, इसीलिए आज तो अन्न नहीं मिलेगा। कल पारणा करने के समय आना, ठाकुर जी का प्रसाद
भरपेट मिलेगा, किंतु वह नहीं मानी। अधिक कहने पर भक्त ने उसे तुलसी एवं जल प्रदान
किया। वह पापिनी भूख से मर गई। किंतु इसी बहाने अनजाने में उससे सीता नवमी का व्रत
पूरा हो गया।
अब तो परम कृपालिनी
ने उसे समस्त पापों से मुक्त कर दिया। इस व्रत के प्रभाव से वह पापिनी निर्मल होकर
स्वर्ग में आनंदपूर्वक अनंत वर्षों तक रही। तत्पश्चात् वह कामरूप देश के महाराज
जयसिंह की महारानी काम कला के नाम से विख्यात हुई। उसने अपने राज्य में अनेक
देवालय बनवाए, जिनमें जानकी-रघुनाथ की प्रतिष्ठा करवाई।
अत: सीता नवमी पर जो श्रद्धालु माता जानकी का पूजन-अर्चन करते है, उन्हें सभी प्रकार के सुख-सौभाग्य प्राप्त होते हैं। श्रीजानकी नवमी पर श्रीजानकी जी की पूजा, व्रत, उत्सव, कीर्तन करने से उन परम दयामयी श्रीमती सीता जी की कृपा हमें अवश्य प्राप्त होती है तथा इस दिन जानकी स्तोत्र, रामचंद्रष्टाकम्, रामचरित मानस आदि का पाठ करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
पूजन विधि
जिस प्रकार हिन्दू
धर्म में ‘राम नवमी’ का महात्म्य है,
उतना ही महत्व ‘जानकी जयंती’ या ‘सीता नवमी’ का भी है । सीता जयंती के
उपलक्ष्य पर भक्तगण माता सीता की उपासना करते हैं। परम्परागत ढंग से श्रद्धा पूर्वक पूजन
अर्चन किया जाता है तथा सीता जी की विधि-विधान पूर्वक आराधना की जाती है। इस दिन व्रत का भी
नियम बताया गया है जिसे करने हेतु व्रतधारी को व्रत से जुडे सभी नियमों का पालन
करना चाहिए। इस पावन पर्व पर जो व्रत रखता है तथा भगवान रामचन्द्र जी सहित भगवती
सीता का अपनी शक्ति के अनुसार भक्तिभाव पूर्वक विधि-विधान से सोत्साह पूजन वन्दन
करता है, उसे पृथ्वी दान का फल, महाषोडश दान (16 महान दानों ) का फल, अखिल तीर्थ भ्रमण
का फल और सर्वभूत दया का फल स्वतः ही प्राप्त हो जाता है।
‘सीता नवमी’ पर व्रत एवं पूजन
हेतु अष्टमी तिथि को ही स्वच्छ होकर शुद्ध भूमि पर सुन्दर मण्डप बनायें। यह मण्डप
सौलह, आठ अथवा चार स्तम्भों का होना चाहिए। मण्डप के मध्य में सुन्दर आसन
रखकर भगवती सीता एवं भगवान श्रीराम की स्थापना करें। पूजन के लिए स्वर्ण, रजत, ताम्र, पीतल, काठ एवं मिट्टी
इनमें से सामर्थ्य अनुसार किसी एक वस्तु से बनी हुई प्रतिमा की स्थापना की जा सकती
है। मूर्ति के अभाव में चित्र द्वारा भी पूजन किया जा सकता है। नवमी के दिन स्नान
आदि के पश्चात् जानकी-राम का श्रद्धापूर्वक पूजन करना चाहिए। पूजन में चावल, जौ, तिल आदि का प्रयोग
करना चाहिए। ‘श्री रामाय नमः’
तथा ‘श्री सीतायै नमः’ मूल मंत्र से
प्राणायाम करना चाहिए। ‘श्री जानकी रामाभ्यां नमः’ मंत्र द्वारा आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, पंचामृत स्नान, वस्त्र, आभूषण, गन्ध, सिन्दूर तथा
धूप-दीप एवं नैवेद्य आदि उपचारों द्वारा श्रीराम-जानकी का पूजन व आरती करनी
चाहिए।इसके साथ रामचरित मानस से देवी सीता के प्राकट्य अथवा राम-जानकी विवाह
प्रसंग का पाठ करना भी उत्तम है । दशमी के दिन फिर
विधिपूर्वक भगवती सीता-राम की पूजा-अर्चना के बाद मण्डप का विसर्जन कर देना चाहिए।
इस प्रकार श्रद्धा व भक्ति से पूजन करने वाले पर भगवती सीता व भगवान राम की कृपा
प्राप्ति होती है।
इस दिन आठ
सौभाग्यशाली महिलाओं को सौभाग्य की वस्तुएं भेंट करें। लाल वस्त्र का दान जानकी
जयंती को किया जाए तो यह अतिशुभ होता है। अगर प्रतिमा निर्माण कर पूजन करें तो
दूसरे दिन पवित्र जल में उसका विसर्जन कर देना चाहिए। चढ़ाए गए पुष्प आदि भी साथ
ही विसर्जित करने चाहिए। इससे मां सीता जीवन के पाप-संताप और दुखों का निवारण कर
सौभाग्य का वरदान देती हैं।
इस व्रत को करने से
सौभाग्य सुख व संतान की प्राप्त होती है, माँ सीता लक्ष्मी का हैं इसकारण इनके
निमित्त किया गया व्रत परिवर में सुख-समृ्द्धि और धन कि वृद्धि करने वाला होता है.
एक अन्य मत के अनुसार माता का जन्म क्योंकि भूमि से हुआ था, इसलिए वे
अन्नपूर्णा कहलाती है. माता जानकी का व्रत करने से उपावसक में त्याग, शील, ममता और समर्पण
जैसे गुण आते है ।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/05/sita.jpg200200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-13 01:14:302019-05-13 01:14:33भगवती माँ जानकी सीता नवमी
जहां सभी राज्यों का मिला कर 50.87% रहा वहीं हरियाणा में 4 बजे तक 51.97 प्रतिशत मतदान हुआ
हिसार संसदीय क्षेत्र में 55.50
अम्बाला में 51.26%
कुरुक्षेत्र में 56.99
सिरसा 54.00
करनाल 47.31
सोनीपत में 52.59
रोहतक 52.74
भिवानी-महेंडरगढ़ 54.32
गुड़गांव 49.53
फ़रीदाबाद में 50.81 प्रतिशत मतदान हुआ ।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/05/2nd-phase-of-the-lok-sabha-electtions_b2dd897e-61e8-11e9-b92f-deef78e36bd1-1.jpg540960Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-12 11:26:372019-05-12 11:26:41हरियाणा में 4 बजे तक हुआ 51.97% मतदान
लोकसभा चुनाव के छठे चरण में सात राज्यों की 59 सीटों पर मतदान डाले जा रहे हैं. इस चरण में उत्तर प्रदेश की 14, हरियाणा की 10, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और बिहार की आठ-आठ, दिल्ली की सात और झारखंड की चार सीटों पर मतदान हो रहा है.
हरियाणा की 10 सीटों पर मतदान सुबह 7 बजे से भी पहले शुरू हो गया था चंडीगढ़ में सयुंक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉक्टर इंद्रजीत सिंह जानकारी देते हुए बताया कि सुबह 11 बजते बजते मतदान ने गति पकड़ी। तब तक 22.40 प्रतिशत मतदान हुआ , सबसे ज्यादा हिसार संसदीय क्षेत्र में 27.17 , सबसे कम अम्बाला में 18.22 और कुरुक्षेत्र में 23.81, सिरसा 22.71, करनाल 20.91 , सोनीपत में 22.76, रोहतक 19.21 , भिवानी-महेंडरगढ़ 25.24 , गुड़गांव 22.80 , फ़रीदाबाद में 22.09 प्रतिशत मतदान हुआ ।
मतदान सुचारु रूप से और शांतिपूर्ण चल रहा है। इक्का दुक्का EVM की शिकायत मिलने पर उसे त्वरित ठीक कर लिया गया।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/07/LOK_Assembly_Election-768x402.jpg402768Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-12 10:39:582019-05-12 10:40:01लोक सभा चुनाव- 6ठे चरण के मतदान
चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री हमें कहते हैं कि अगर संविधान नहीं होता तो हम कहीं भैंस चरा रहे होते
चंदौली:लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारक अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. इन सबके बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बुधवार को सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी संजय चौहान के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित करने चंदौली पहुंचे. इस दौरान अखिलेश यादव ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को आड़े हाथों लिया. यही नहीं अखिलेश यादव ने वरुण गांधी को गोबर गांधी तक कह डाला.
चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री हमें कहते हैं कि अगर संविधान नहीं होता तो हम कहीं भैंस चरा रहे होते. वहीं, एक हैं गोबर गांधी वह भी गोबर की बातें कर रहे हैं. ऐसे लोगों की सोच उनकी मानसिकता क्या हैं. अगर यह हमें कह सकते हैं कि गाय और भैंस चराएं तो सोचिए समाज में और लोगों के बारे में यह लोग क्या सोचते होंगे. वहीं उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी के लोग एक फौजी से डर गए थे.
उन्होंने सीएम योगी पर तंज कसते हुए कहा कि चलो हम तो यहां आ गए अगर संविधान नहीं होता तो आप क्या कर रहे होते. अगर संविधान नहीं होता तो आप अपने मठ में जाकर के घंटा बजा रहे होते. उन्होंने कहा कि आप लोगों का उत्साह हमें भरोसा दिला रहा है कि जिन्होंने 5 साल झूठ बोला है उनका अब सफाया होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने नोटबंदी से भ्रष्टाचार खत्म होने और काला धन वापस आने की बात कही. लेकिन नोटबंदी के बाद कितना काला धन आया. जिन्होंने काला धन इकट्ठा किया था, वह सब कुछ लेकर देश छोड़ कर बाहर चले गए.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/05/varun-gandhi.png350650Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-09 16:09:232019-05-09 16:10:35वरुण गांधी को अखिलेश ने गोबर गांधी कहा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आदिवासियों के कानून पर दिए बयान को लेकर चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है. इस नोटिस में राहुल गांधी से 48 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा गया है.
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आदिवासियों के कानून पर दिए बयान को लेकर चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है. इस नोटिस में राहुल गांधी से 48 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा गया है. राहुल ने कहा था, “कानून में आदिवासियों को गोली से मारने की बात है. आदिवासियों को गोली से मारा जा सकेगा.” कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 23 अप्रैल को शहडोल की रैली में ये बयान दिया था.
राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा था, “अब नरेंद्र मोदी ने नया कानून बनाया है. आदिवासियों के लिए नया कानून बनाया है. उसमें एक लाइन लिखी है कि आदिवासियों को गोली से मारा जा सकेगा. कानून में लिखा है कि आदिवासियों पर आक्रमण होगा, आपकी जमीन छीनते हैं, जंगल लेते हैं, जल लेते हैं और फिर कहते हैं कि आदिवासियों को गोली मारी जा सकेगी.”
आयोग ने गांधी को नोटिस का जवाब देने के लिए 48 घंटे का वक्त दिया है. इस अवधि में जवाब नहीं देने की सूरत में आयोग अपनी तरफ से कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगा. एक विशेष संदेशवाहक के जरिए उन्हें नोटिस दिया गया है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/03/Rahul-Gandhi-Minimum-Income-Guarantee-Scheme-Nyay-644x362.jpg362644Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-02 01:29:312019-05-02 01:31:10ईसी ने राहुल को नोटिस दिया, 48 घंटे में देना होगा जवाब
गढ़चिरौली : महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एक बड़ा नक्सली हमला हुआ है. इस हमले में सीआरपीएफ के 15 जवान शहीद हो गए हैं. सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही गाड़ी का ड्राइवर भी मारा गया है. नक्सलियों ने आईडी ब्लास्ट कर पेट्रोलिंग के लिए जा रही गाड़ी को उड़ा दिया है. ये सभी जवान नक्सल विरोधी सी-60 ग्रुप के सदस्य थे.
घटनास्थल पर सुरक्षाबलों और नक्सलियों के भी गोलीबारी भी हुई. पुलिस के जवानों ने भी नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया. ज्ञात हो कि गाड़ी में 16 जवान सवार थे. आईजी शेलार शरद ने जवानों के शहीद होने के खबर की पुष्टि की है. आईडी ब्लास्ट काफी जोरदार था. इस ब्लास्ट में गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए. 24 घंटे के अंदर यह दूसरा नक्सली हमला है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नक्सली हमले की निंदा की है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. शहीद जवानों के परिजनों के साथ मेरी संवेदना है. मैं बहादुर जवानों को सलाम करता हूं.
Strongly condemn the despicable attack on our security personnel in Gadchiroli, Maharashtra. I salute all the brave personnel. Their sacrifices will never be forgotten. My thoughts & solidarity are with the bereaved families. The perpetrators of such violence will not be spared.5,7872:32 PM – May 1, 2019
रामदास आठवले ने नक्सली हमले की निंदा करते हुए कहा कि नक्सलियों को खत्म करने की आवश्यक्ता है. नक्सलवादी लोगों की मांग से तो हम सहमत हैं, लेकिन उन्होंने जो मार्ग अपनाया है उससे किसी का भला होने वाला नहीं है.
घटनास्थल पर सीआरपीएफ और पुलिस की टीम पहुंच चुकी है. ज्ञात हो कि आज महाराष्ट्र अपना स्थापना दिवस मना रहा है. इस दिन नक्सली हिंसी की दूसरी घटना है. बीती रात नक्सलियों ने 50 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. सड़क निर्माण में जुटी कंपनी के लगभग 50 वाहनों को निशाना बनाया गया.
नक्सलियों ने यहां कुरखेडा तालुका के दानापुर इलाके में इस वारदात को अंदाज दिया था. बताया जा रहा है कि रात के 11 से 3 बजे के बीच नक्सलियों ने यह अग्निकांड किया था. दरअसल इस इलाके में रास्तों की मरम्मत और नए रास्ते बनाने का काम चल रहा था. जिसके लिए जेसीबी और सीमेंट से लदे ट्रक रास्ते पर खड़े थे. स्थानीय पुलिस ने बताया था कि यह नक्सली प्रभावित इलाका है. जब काम शुरू हुआ तब कोई भी विरोध नही हुआ था. अचानक बीती रात नक्सलियों नें एक-एक कर 50 से भी ज़्यादा गाड़ियां फूंक दी.
महाराष्ट्र पुलिस के नक्सलरोधी अभियान के आईजी शरद शेलार ने कहा कि नक्सलियों ने क्यूआरटी कमांडो को ले जा रहे वाहन को निशाना बनाया। घटनास्थल पर सुरक्षा बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां रवाना की गई हैं।
क्या है सी 60 कमांडो
नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए 1992 में सी-60 फोर्स तैयार की गई थी। इसमें पुलिस फोर्स के 60 जवान शामिल होते हैं। यह काम गढ़चिरौली के तब के एसपी केपी रघुवंशी ने किया था। सी-60 में शामिल पुलिस के जवानों को गोरिल्ला युद्ध के लिए तैयार किया जाता है। इनकी ट्रेनिंग हैदराबाद, बिहार और नागपुर में होती है।
अभी गढ़चिरोली के धमाके की गूंज भी शांत नहीं हुई की राजनीति शुरू हो गयी है.
R भारत के प्रवक्ता आलोक वर्मा से छत्तीस गढ़ में नक्सलियों के छूट जाने और चार्जशीट न होने या फिर ढुलमुल चार्जशीट दायर करने से उनके छूटने की वजह पूछने पर कांग्रेस प्रवक्ता रमेश वर्लीयान ने कहा कि नक्सली कोई देश के दुश्मन नहीं हैं, उन्हे ठीक से डील (deal) नहीं किया गया इसीलिए वह हिंसा का रास्ता अपनाते हैं। उन्होने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी ने इतने साल क्या किया?
जबकि नकसलवाद 1969 में आज़ादी के मात्र 22 वर्ष बाद उभरा था और यह ततकालीन सरकार की कुनीतियों के कारण शोषित वर्ग का दंश था।
भारत में नक्सलवाद की बड़ी घटनाएं
2007 छत्तीसगढ़ के बस्तर में 300 से ज्यादा विद्रोहियों ने 55 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट पर उतार दिया था।
2008 ओडिसा के नयागढ़ में नक्सलवादियों ने 14 पुलिसकर्मियों और एक नागरिक की हत्या कर दी।
2009 महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में हुए एक बड़े नक्सली हमले में 15 सीआरपीएफ जवानों की मौत हो गयी।
2010 नक्सलवादियों ने कोलकाता-मुंबई ट्रेन में 150 यात्रियों की हत्या कर दी।
2010 पश्चिम बंगाल के सिल्दा केंप में घुसकर नक्सलियों ने 24 अर्द्धसैनिक बलों को मार गिराया।
2011 छत्तीसगढ के दंतेवाड़ा में हुए एक बड़े नक्सलवादी हमले में कुल 76 जवानों की हत्या कर दी जिसमें सीआरपीएफ के जवान समेत पुलिसकर्मी भी शामिल थे।
2012 झारखंड के गढ़वा जिले के पास बरिगंवा जंगल में 13 पुलिसकर्मीयों को मार गिराया।
2013 छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों ने कांग्रेस के नेता समेत 27 व्यक्तियों को मार गिराया।
नकसलवाद पर पहले भी कांग्रेस ए बयान आते रहे हैं राज बब्बर नक्सलवादियों को क्रांतिकारी कहते हैं। मतलब भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ने का उन्हे अधिकार है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/05/Maoist-1-1.jpg450800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-01 10:37:112019-05-01 10:37:14गढ़चिरौली पर नक्सली हमला 15 शहीद
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