जस्टिस राकेश कुमार: मैं अपने फैसले पर अडिग, वही किया जो सही लगा

Justice Rakesh kumar: पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस राकेश कुमार ने बुधवार को अपने सीनियर और मातहतों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए थे.

  1. मैं अपने फैसले पर अडिग: जस्टिस राकेश कुमार
  2. वही किया जो सही लगा: जस्टिस राकेश कुमार
  3. राकेश कुमार ने कार्यप्रणाली पर उठाए थे गंभीर सवाल

बिहार: 

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के जज जस्टिस राकेश कुमार (Justice Rakesh kumar) ने बुधवार को अपने सीनियर और मातहतों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए थे, जिसके बाद गुरुवार को कोर्ट के 11 सदस्यों की बेंच ने जस्टिस राकेश कुमार के फैसले को ख़ारिज कर दिया. इस मामले पर जस्टिस राकेश कुमार ने कहा, ‘मैं अपने फैसले पर अडिग हूं और मैंने वही किया जो मुझे सही लगा. अगर चीफ जस्टिस न्यायिक कार्य से मुझे हटाकर खुश हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है.’

वहीं कोर्ट के 11 सदस्यों की बेंच ने कहा, ‘पूरा फैसला जज की सोच के धर्मयुद्ध के नाम पर नेचुरल जस्टिस, न्यायिक अनुपयुक्तता,दुर्भावनापूर्ण निंदा के सिद्धान्तों का उल्लंघन है.’ बेंच ने कहा, ‘जज ने खुद को अपने अनुभवों का अकेला सलाहकार ठहरा दिया और बाकी जजों की राय भी नहीं जानी. जो सोच फैलाई गई, वह कुछ इस तरह है, जैसे जज ने जो कहा है..केवल वही सच है और बाकी की दुनिया समाज की कुरीतियों से बेखबर है.’ 

बता दें पटना हाईकोर्ट की बेंच ने अखबारों में प्रकाशित रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान में लेते हुए जस्टिस राकेश कुमार के फैसले को खारिज कर दिया था. जजों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि जस्टिस राकेश कुमार ने अपने न्यायिक अधिकार क्षेत्र को पार कर दिया है और उनकी अधिकांश टिप्पणियां अनचाही और अनुचित थीं.

कोर्ट के 11 सदस्यों की बेंच का फैसला

हाईकोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज राकेश कुमार ने कहा था, ‘लगता है कि हाईकोर्ट प्रशासन ही भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है.’ उन्होंने ये सख़्त टिप्पणी पूर्व IPS अधिकारी रमैया के मामले की सुनवाई के दौरान की. इस दौरान उन्होंने ये सवाल भी उठाए कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से ज़मानत ख़ारिज होने के बाद निचली अदालत ने रमैया को बेल कैसे दे दी.

जज राकेश कुमार ने कहा था कि रमैया की अग्रिम जमानत की याचिका उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ख़ारिज कर दी गई थी, इन्होनें निचली अदालत से अपनी जमानत मैनेज की वो भी तब जब निगरानी विभाग के नियमित जज छुट्टी पर थे, उनके बदले जो जज प्रभार में थे उनसे जमानत ली गई. जस्टिस राकेश कुमार ने ये भी कहा कि जिस न्यायिक अधिकारी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो चुका है उसे भी बर्खास्त करने के बजाय मामूली सज़ा देकर छोड़ दिया जाता है. स्टिंग में कोर्ट कर्मचारी घूस लेते पकड़े जाते हैं फिर भी उनपर कार्रवाई नहीं की जाती.

जस्टिस कुमार ने स्टिंग मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की जांच CBI को सौंप दी थी. इस दौरान उन्होंने सरकारी बंगलों में हो रहे फ़िजूलखर्च का भी ज़िक्र किया था. उन्होंने कहा था कि जजों के सरकारी बंगलों में करदाताओं के करोड़ों रुपये साज-सज्जा पर खर्च कर दिए जाते हैं. जस्टिस राकेश कुमार ने अपने आदेश की प्रति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, पीएमओ, कानून मंत्रालय और CBI निदेशक को भी भेजने का आदेश कोर्ट में दिया था. बता दें कि जस्टिस राकेश चारा घोटाला केस में सीबीआई के वकील भी रह चुके हैं. 

कठघरे में न्यायपालिके: जस्टिस कुमार की सुनवाई पर 11 जजों ने लगाई रोक

  • पटना हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार ने अपने सीनियरों और मातहतों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए
  • कहा- भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों के खिलाफ आज तक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई

पटना/दिल्ली:

पटना हाईकोर्ट के सीनिय जज जस्टिस राकेश कुमार के एक फैसले को गुरुवार को 11 जजों की फुल बेंच ने सस्पेंड कर दिया। जस्टिस कुमार ने एक फैसले में लिखा था- लगता है हाईकोर्ट प्रशासन ही भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है। चीफ जस्टिस एपी शाही की 11 सदस्यीय फुल बेंच ने कहा कि इस आदेश से न्यायपालिका की गरिमा और प्रतिष्ठा गिरी है। संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा नहीं होती है।

जस्टिस कुमार बुधवार को पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया के मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान अपने आदेश में सख्त टिप्पणियां करते हुए उन्होंने लिखा- पटना के जिस एडीजे के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ, उन्हें बर्खास्त करने की बजाय मामूली सजा दी गई, क्यों? हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस और अन्य जजों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरे विरोध को दरकिनार किया।

चीफ जस्टिस ने सुनवाई पर रोक लगाई

जस्टिस कुमार ने निचली अदालत में हुए स्टिंग ऑपरेशन मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी। इसके बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एपी शाही ने जस्टिस राकेश कुमार की सिंगल बेंच की सभी केसों की सुनवाई पर रोक लगा दी। अगले आदेश तक जस्टिस कुमार सिंगल बेंच केसों की सुनवाई नहीं कर सकेंगे। हालांकि, डबल बेंच के जिन केसों में वे शामिल हैं, उसकी सुनवाई कर सकेंगे। चीफ जस्टिस ने उन्हें नोटिस भी जारी किया है।

जस्टिस कुमार ने अपने फैसले में 4 सवाल उठाए थे

1. सवाल : हाईकाेर्ट से जमानत अर्जी खारिज हाेने के बाद निचली अदालत ने रमैया काे बेल कैसे दे दी?

जस्टिस राकेश कुमार ने रमैया की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज की थी। उन्होंने आश्चर्य जताया कि हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने और सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलने के बावजूद वे खुलेआम घूमते रहे। इतना ही नहीं वे निचली अदालत से नियमित जमानत लेने में भी कामयाब रहे। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच करने का निर्देश पटना के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को दिया है। जस्टिस कुमार ने अपने आदेश में कहा कि जब हाईकोर्ट ने रमैया की अग्रिम जमानत खारिज कर दी, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली, तो उन्हें निचली अदालत से बेल कैसे मिल गई? 

2. सवाल : भ्रष्टाचार का केस साबित होने पर भी पटना के एडीजे की बर्खास्तगी क्यों नहीं?

जस्टिस कुमार ने अपने लंबे-चौड़े आदेश में सूबे की निचली अदालतों और हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को मिल रहे संरक्षण पर कहा कि अनुशासनात्मक कार्यवाही में जिस न्यायिक अधिकारी के खिलाफ आरोप साबित हो जाता है, उसे मेरी अनुपस्थिति में फुलकोर्ट की मीटिंग में बर्खास्त करने की बजाय मामूली सजा देकर छोड़ दिया जाता है। मैंने विरोध किया तो उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया। लगता है कि भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देने की परिपाटी हाईकोर्ट की बनती जा रही है। यही कारण है कि निचली अदालत के न्यायिक अधिकारी रमैया जैसे भ्रष्ट अफसर को जमानत देने की धृष्टता करते हैं।

3. सवाल : सरकारी बंगलों के रखरखाव पर फिजूलखर्ची क्यों 

जस्टिस कुमार ने आदेश की प्रति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम, पीएमओ, कानून मंत्रालय और सीबीआई निदेशक को भी भेजने का निर्देश दिया। उन्होंने जजों के सरकारी बंगले के रखरखाव पर होने वाले खर्च पर भी सवाल खड़े किए। कहा- टैक्स पेयर के करोड़ों रुपए साज-सज्जा पर खर्च किए जा रहे हैं।

4. सवाल : स्टिंग में कोर्टकर्मी घूस लेते पकड़े गए, अब तक केस दर्ज क्यों नहीं?

जस्टिस कुमार ने कहा कि पटना सिविल कोर्ट में हुए स्टिंग ऑपरेशन के दौरान सरेआम घूस मांगते कोर्ट कर्मचारियों को पूरे देश ने देखा। लेकिन ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों के खिलाफ आजतक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई, जबकि हाईकोर्ट के ही एक वकील पीआईएल दायर कर पिछले डेढ़ साल से एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगा रहे हैं। जस्टिस कुमार ने स्टिंग ऑपरेशन मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए पूरे प्रकरण की जांच करने का निर्देश सीबीआई को दिया।

चारा घोटाले में सीबीआई के वकील थे जस्टिस कुमार

जस्टिस राकेश कुमार ने 26 साल हाईकोर्ट में वकालत की। बिहार सरकार और केंद्र सरकार के वकील रहे। चारा घोटाले में सीबीआई के वकील थे। 25 दिसम्बर 2009 को हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने। 24अक्टूबर 2011 को स्थायी जज बने। वे 31 दिसंबर 2020 को रिटायर होंगे।

Swamy On Pakistan’s Airspace Closure Threat: ‘India Should Close Karachi Port By Blocking Arabian Sea Ships’

Senior BJP leader Subramanian Swamy on Wednesday (28 August) demanded that India needs to step up its aggression against Pakistan if the latter decides to close its airspace for India’s civil and commercial aircraft.

In a tweet, Swamy advised the Narendra Modi-led central government that if Pakistan closes its airspace for Indian aircraft, India should respond by closing the Karachi port. This, he said, can be achieved by placing a naval blockade on the ships passing through the Arabian sea.

In the tweet, Swami also asserted that the Arabian Sea needs to be renamed.

This statement by Swamy comes in the light of Pakistan’s threat of airspace closure and a complete ban on land routes for India-Afghanistan trade. Pakistani Minister Fawad Hussain who made this statement claimed that this proposal is being considered by the Imran Khan led cabinet.

23 और 24 अगस्त को दो दिन मनाई जाएगी ‘जन्माष्टमी’

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी में इस बार 23 और 24 अगस्त को दो दिन मनाई जाएगी। जन्माष्टमी का पर्व हिन्दु पंचाग के अनुसार, भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार यह अष्टमी 23 और 24 तारीख दो दिन है। विशेष उपासक 23 को जन्माष्टमी मनाएंगे जबिक आम लोग 24 अगस्त को जन्माष्टमी मना सकते हैं। क्योंकि उदया तिथि अष्टमी की बात करें तो यह 24 अगस्त को है। हालांकि भगवान कृष्ण के जन्म के वक्त आधी रात को अष्टमी तिथि को देखें तो 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था। भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना शुभ माना गया है। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि के साथ सूर्य और चन्द्रमा ग्रह भी उच्च राशि में है। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी के साथ सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में होगा। द्वापर काल के अद्भुत संयोग में इस बार कान्हा जन्म लेंगे। घर-घर उत्सव होगा। लड्डू गोपाल की छठी तक धूम रहेगी। इस योग पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। 


अष्टमी तिथि : 
अष्टमी 23 अगस्त 2019 शुक्रवार को सुबह 8:09 बजे लगेगी।

अगस्त 24, 2019 को 08:32 बजे अष्टमी समाप्त होगी। जन्मोत्सव तीसरे दिन तक मनाया जाएगा।

रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त 2019 को दोपहर  12:55 बजे लगेगा। 
रोहिणी नक्षत्र 25 अगस्त 2019 को रात 12:17 बजे तक रहेगा।


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महत्व –
मान्यता है कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। क्योंकि भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। इसके अलावा भगवान कृष्ण का ध्यान, व्रत और पूजा  करने से भक्तों को उनकी विशेष कृपा प्राप्ति होती है। भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम या बलदाऊ जी का पालन पोषण भी नंदबाबा के घर में हुआ। वासुदेव जी की एक पत्नी थीं रोहिणी जिनके पुत्र बलदाऊ जी महाराज थे। कंस ने देवकी को वासुदेव के साथ जेल में डाला तो रोहिणी को नंद बाबा के यहां भेज दिया गया। वैष्णव पंथ को मानने वाले हिन्दु धर्म के उपासक भगवान कृष्ण को अपना आराध्य मानते हैं ऐसे में आराध्य को याद करने लिए भी प्रित वर्ष लोग उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।

भोग में चढ़ाएं दूध-धी और मेवा-
त्व देवां वस्तु गोविंद तुभ्यमेव समर्पयेति!! मंत्र के साथ भगवान कृष्ण का भोग लगाना चाहिए। भोग के लिए माखन मिश्री, दूध, घी, दही और मेवा काफी महत्व पूर्ण माना गया है। पूजा में पांच फलों का भी भोग लगा सकते हैं। चूंकि भगवान कृष्ण को दूध-दही बहुत पसंद था ऐसे में उनके भोग में दूध, दही और माखन जरूर सम्मिलित करना चाहिए।

पूजन विधान-
जन्माष्टमी के दिन व्रती सुबह में स्नानादि कर ब्रह्मा आदि पंच देवों को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर मुख होकर आसन ग्रहण करें। हाथ में जल, गंध, पुष्प लेकर व्रत का संकल्प इस मंत्र का उच्चारण करते हुए लें- ‘मम अखिल पापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत करिष्ये।’ इसके बाद बाल रूप श्रीकृष्ण की पूजा करें। गृहस्थों को श्रीकृष्ण का शृंगार कर विधिवत पूजा करनी चाहिए। बाल गोपाल को झूले में झुलाएं। प्रात: पूजन के बाद दोपहर को राहु, केतु, क्रूर ग्रहों की शांति के लिए काले तिल मिश्रित जल से स्नान करें। इससे उनका कुप्रभाव कम होता है।

इस मंत्र का करें जाप-
सायंकाल भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें-
‘धर्माय धर्मपतये धर्मेश्वराय धर्मसम्भवाय श्री गोविन्दाय नमो नम:।’
इसके बाद चंद्रमा के उदय होने पर दूध मिश्रित जल से चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘ज्योत्सनापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषामपते:! नमस्ते रोहिणिकांतं अघ्र्यं मे प्रतिग्रह्यताम!’ रात्रि में कृष्ण जन्म से पूर्व कृष्ण स्तोत्र, भजन, मंत्र- ‘ऊं क्रीं कृष्णाय नम:’ का जप आदि कर प्रसन्नतापूर्वक आरती करें। 

अब मिनिमम नहीं मैक्सिमम कॉमन प्रोग्राम के तहत सरकार चल रही है : आर॰सी॰पी॰ सिंह

केंद्र में भाजपा को अकेले ही पूर्ण बहुमत प्राप्त है. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तब बनता था, जब किसी दल को बहुमत प्राप्त नहीं था

पटनाः भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए में अब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की जरूरत नहीं है. यह कहना है एनडीए के प्रमुख सहयोगी दल जदयू का, जो तीन तलाक, धारा 370 और 35 ए का विरोध कर रही थी, लेकिन उसके विरोध के बाद भी यह चीजें लोकसभा और राज्यसभा से पास हुई. अब जदयू के नेता इन्हें हकीकत बता कर स्वीकार करने की बात कह रहे हैं. राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता और पार्टी महासचिव आरसीपी सिंह का कहना है कि कानून का सभी को सम्मान करना चाहिए.

जदयू के बदले हुए रुख को लेकर जब आरसीपी सिंह से कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की बात की गयी, तो उन्होंने कहा कि अब इसकी कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि, केंद्र में भाजपा को अकेले ही पूर्ण बहुमत प्राप्त है. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तब बनता था, जब किसी दल को बहुमत प्राप्त नहीं था. 1996 में जब केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार आयी थी, तब से समता पार्टी और जनता दल यू के रूप में पहले जार्ज फर्नांडिस और फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली पार्टी शामिल है. तब से ही विवादित मुद्दों को लेकर जदयू एक दूरी भाजपा से बनाये हुये है. 

आरसीपी सिंह का कहना है कि चूंकि हमारे नेता जार्ज फर्नांडिस ने इस मुद्दों पर एक नीति तय की थी, इसलिए हम इनके विरोध में थे. क्योंकि हम उनकी आत्मा को दुख नहीं पहुंचाना चाहते थे. आरसीपी सिंह ने आगे कहा कि धारा 370 और 35 ए अब नहीं हैं, इस सच्चाई को हमको स्वीकार करना पड़ेगा. बदली हुई परिस्थिति पर हमें बात करनी होगी.

उन्होंने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के उस बयान की कड़ी निंदा की, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत दोभाल के कश्मीर के शोपियां में लोगों के साथ बात करने पर सवाल किये थे और पैसे के बल पर प्रायोजित बताया था. आरसीपी सिंह ने कहा कि अजीत डोभाल जिम्मेदार पद हैं और वरिष्ठ अधिकारी हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस जब सत्ता में थी, तब भी अजीत डोभाल अधिकारी के रूप में काम कर रहे थे.

जदयू महासचिव ने कहा कि हकीकत को हम सबको स्वीकार करना चाहिये. केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में सरकार चल रही है, जिसने कई संकल्प तय कर रखे हैं, जिसमें 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने जैसा संकल्प शामिल है. उन्होंने कहा कि बिहार में भी सरकार चलाने के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की जगह पर विकास को आधार बनाया गया है. जदयू के बदले रुख पर राजद सवाल खड़े कर रहा है. राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का कहना है कि जब भाजपा अपना एजेंडा सेट कर रही है, तो जदयू उसके साथ क्यों गयी. क्या जदयू ने अपने सिद्धांतों को तिलांजलि दे दी है?

राजद की ओर से दी गयी प्रतिक्रिया का भाजपा नेता नवल किशोर यादव ने कड़ा प्रतिवाद किया और कहा कि राजद के लोगों का दिमाग खत्म हो गया है. ये भाई-बहन, बेटा-बेटी और चमचों का दल रह गया है. देश अब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं मैक्सिमम प्रोग्राम पर काम कर रहा है. 

भाजपा नेता ने राजद पर समाज में भय पैदा करने का आरोप लगाया और कहा कि जब किसी ने वोट नहीं दिया, तो राजद के नेता प्रोपेगेंडा का सहारा ले रहे हैं. वहीं, जदयू नेता राजीव रंजन ने कहा कि जब कोई कानून संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है, तो उसके बारे में क्या कहेंगे. राजद के नेताओं को सवाल खड़े करने का कोई नैतिक आधार नहीं है. 

1996 में बना था कॉमन मिनिमम प्रोग्राम
1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जब एनडीए की केंद्र में सरकार बनी थी, तब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बना था, जिसमें सभी विवादत मुद्दों को अलग रखा गया था. तब समता पार्टी थी और वो भी धारा 370, राम मंदिर जैसे मुद्दों पर भाजपा से अलग राय रखती थी. इसके बाद 1999 में जब सरकार बनी थी, तब भी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर सरकार चली थी और इस सरकार ने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया था. हालांकि, 2014 में भाजपा को बहुमत से ज्यादा सीटें मिली थीं, लेकिन तब भी पार्टी ने एनडीए में शामिल दलों को प्रतिनिधित्व दिया था. 

क्या होता है कॉमन मिनिमम प्रोग्राम
जब कोई गठबंधन की सरकार बनती थी, जिसमें कई दल शामिल होते हैं, तो सरकार चलाने के लिए एक एजेंडा तैयार किया जाता है, जिसे कॉमन मिनिमम प्रोग्राम कहा जाता है. इसमें वैसे ही मुद्दों को शामिल किया जाता है. जिन पर सरकार में शामिल सभी दलों की सहमति होती है. लेकिन किसी दल को अगर पूर्ण बहुमत मिल जाता है, तो इस तरह के कार्यक्रम के कोई मायने नहीं रह जाते हैं.

3 तलाक: राज्य सभा में, भाजपा ने जारी किया व्हिप

तलाक – ए- बिद्दत आज कि मौजूदा सरकार के लिए एक बड़ा सवाल है। लोक सभा के पश्चात जहां भाजपा के सहयोगी दल भी इससे किनारा कर चुके हैं वहीं राज्यसभा में इसे पास करवाना भाजपा के लिए जंजाल बन चुका है। बीजेपी की तरफ से जारी व्हिप में कहा गया है कि, मंगलवार को दोनों सदनों के सदस्य मौजूद रहेंगे और सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयकों का समर्थन करेंगे.

नई दिल्ली: मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गए ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’को सरकार मंगलवार को राज्यसभा में पेश करेगी. तीन तलाक बिल को लोकसभा में पहले से मंजूरी मिल गई है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बिल को लेकर सभी सांसदों को मंगलवार को सदन में पूरे समय मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए बीजेपी ने सोमवार को एक 3 लाईन का व्हिप जारी किया है. जारी व्हिप में कहा गया है कि, मंगलवार को दोनों सदनों के सदस्य मौजूद रहेंगे और सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयकों का समर्थन करेंगे.

राज्यसभा में बिल रोकना चाहती है सपा

वहीं राज्यसभा में समाजवादी पार्टी इस बिल का विरोध करने के लिए पहले से ही अपने सभी सांसदों को सदन में पूरे समय मौजूद रहने के निर्देश दिए है. इसके लिए सपा ने शुक्रवार को 3 लाईन का व्हिप जारी किया था. राज्यसभा में सपा के चीफ़ व्हिप रवि वर्मा ने सभी सांसदों को कहा था कि, अगले हफ्ते कई महत्वपूर्ण बिल राज्यसभा में आने वाले हैं, इसलिए सभी सांसदों की मौजूदगी अनिवार्य है. इस समय राज्यसभा में सपा के 12 सांसद हैं.

सपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी ट्रिपल तलाक बिल को राज्यसभा में रोकना चाहती है. इसीलिए ये व्हिप सपा ने जारी किया है. गुरूवार को लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल पास हो गया है, जिसे कानूनी मान्यता के लिए राज्यसभा से पास होना अनिवार्य है. लेकिन राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं होने के कारण यह बिल अटक सकता है. हालांकि बीजेपी की कोशिश है कि फ्लोर मैनेजमेंट के माध्यम से इस बार ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा से पास कराया जाए.

कई दल कर चुके हैं वॉकआउट

आपको बता दें कि कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, सपा और बसपा जैसी प्रमुख पार्टियां ट्रिपल तलाक बिल के ख़िलाफ़ हैं. वहीं बीजेपी की सहयोगी जेडीयू भी ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर लोकसभा से वॉकआउट कर चुका है. ऐसी स्थिति में राज्यसभा में विपक्षी एकता कितनी कारगर साबित होती है, ये तो ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पेश होने के बाद ही पता चल पाएगा.

बिल पर पूरे देश की है निगाहें

जब यूएपीए बिल और ट्रिपल तलाक बिल पर पूरे देश की निगाहें हैं. इस दौरान देखने वाली बात यह होगी कि केंद्र सरकार इसे राज्यसभा में पास कराने में सफल हो पाएगी या नहीं.

सड़क पर कोई नमाज़ नहीं पढ़ेगा: उलेमा देवबंद

देवबन्द के उलेमाओं ने सरकार के उस आदेश का स्वागत किया है जिसमें सड़क पर नमाज ना पढ़ने के लिए कहा गया है. उलेमाओं का कहना है कि ये सरकार का एक अच्छा कदम है इसका स्वागत होना चाहिए. चाहे हिंदू हो या मुसलमान दोनों को ही सड़क पर कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं करना चाहिए.

उलेमाओं ने कहा कि कुछ मुट्ठी भर लोग देश का माहौल खराब करना चाहते थे लेकिन उप जिलाधिकारी के आदेश के बाद अब ये नहीं होगा. हालांकि उलेमा ने इसपर सफाई भी दी. उन्होंने कहा कि डीएम अलीगढ़ ने जो अपना बयान जारी किया है उसमें कहा कि सड़क पर कोई भी धार्मिक काम नहीं होगा, जैसे नमाज पढ़ी जाती है, या हमारे हिंदू भाई कोई और प्रोग्राम करते हैं. तो हम डीएम साहब के इस आदेश का समर्थन करते हैं.

इत्तेहाद उलेमा ए हिन्द के उलेमा मुफ्ती असद ने आगे कहा कि  इस वक्त में मुल्क के हालात ऐसे हैं कि कुछ फिरका परस्त लोग देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश में लगे हैं. सड़क पर कोई भी धार्मिक काम या कोई हमारे हिंदू भाई प्रोग्राम करते हैं और फिरका परस्त उसको बिगाड़ने का काम करते हैं. तो उससे मुल्क का माहौल खराब होता है. तो डीएम साहब ने जो आदेश जारी किया है हम इसका समर्थन करते हैं

श्रीलंका में रामायण के प्रमाण

रावण जब माता सीता का अपहरण कर श्रीलंका पहुंचा तो सबसे पहले सीता जी को इसी जगह रखा था। इस गुफा का सिर कोबरा सांप की तरह फैला हुआ है। गुफा के आसपास की नक्‍काशी इस बात का प्रमाण है। इसके बाद जब माता सीता ने महल मे रहने से इंकार कर दिया तब उन्‍हें अशोक वाटिका में रखा गया। सीता अशोक के जिस वृक्ष के नीचे बैठती थी वो जगह सीता एल्‍या के नाम से प्रसिद्ध है। 2007 में श्रीलंका सरकार एक रिसर्च कमेटी ने भी पुष्‍टि की, कि सीता एल्‍या ही अशोक वाटिका है। बाद में हनुमान जी के लंका जलाने से भयभीत रावण ने सीता जी को अशोक वाटिका से हटा कर कोंडा कट्टू गाला में रखा था। पुरातत्व विभाग को यहां कई ऐसी गुफाएं मिली है जो रावण के महल तक जाती थी।

हनुमान जी के पद चिन्ह

रामायण मे वर्णन है जब हनुमान जी ने सीता जी को खोजने के लिए समुद्र पार किया था तब उन्होंने विशाल रूप धारण किया था। जिसके चलते जब वो श्रीलंका पहुंचे तो उनके पैर के निशान वहां बन गए। जो आज भी मौजूद हैं।

यह भी पढ़ें : पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण

श्रीलंका में हिमालय की जड़ी-बूटी

श्रीलंका मे उस स्थान पर जहां लक्ष्मण मूर्छित होकर गिरे थे और उन्‍हे संजीवनी दी गई थी वहां हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिले हैं। दावा है कि इन  जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना रामायण काल की वास्‍तविकता को प्रमाणित करता है।

विशालकाय हाथी

रामायण के सुंदर कांड अध्‍याय में लिखा है लंका की रखवाली के लिए विशालकाय हाथी करता था। जिन्हें हनुमान जी ने अपने एक प्रहार से धराशाही किया था।  पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में ऐसे ही हाथियों के अवशेष मिले हैं जिनका आकार वर्तमान हाथियों से बहुत ज्‍यादा है। 

रावण का महल

पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक महल मिला है जिसे रामायण काल का बताया जाता है। रामायण लंका दहन का वर्णन है जब हनुमान जी ने पूरी लंका मे अपनी पूंछ से आग लगा दी थी। जलने के बाद उस जगह की की मिट्टी काली हो गई थी, इस बात के प्रमाण भी यहां से मिलते हैं। यहीं से थोड़ी दूर पर रावण एल्ला नाम से एक झरना है, जो 82 फीट की ऊंचाई से गिरता है। राम द्वारा रावण का वध करने के पश्‍चात विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था। विभीषण ने अपना महल कालानियां में बनाया था। यह कैलानी नदी के किनारे स्थित था। नदी के किनारे पुरातत्व विभाग को उस महल के अवशेष मिले हैं।

टीएमसी सांसदों को वाराणसी एयर पोर्ट पर रोका गया

टीएमसी सांसद आज योगी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्हे न तो सोनभद्र के घायलों से मिलने दिया जा रहा है, न ही सोनभद्र जाने दिया जा रहा है। आज टीएमसी सांसद अचानक ही वाराणसी एयरपोर्ट पर आ पहुंचे, राजनैतिक पर्यटन को रोकने के लिए चाक चोबन्द पुलिस ने उन्हे वहीं पर रोक लिया जिसके लिए उन्होने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। सनद रहे टीएमसी ने चुनावों के दौरान योगी के हेलिकॉप्टर बंगाल में उतरने नहीं दिये थे।

नई दिल्‍ली : सोनभद्र में हुए 10 लोगों के नरसंहार के बाद वहां पीड़ित परिवारों और घायलों से मुलाकात के लिए नेताओं का पहुंचना जारी है. शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी को सोनभद्र जाने से पुलिस ने रोक दिया. शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 3 नेता भी सोनभद्र घटना के घायलों और पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए जा रहे थे. लेकिन उन्‍हें वाराणसी एयरपोर्ट पर ही पुलिस ने रोक लिया. उनका दावा है कि पुलिस ने उन्‍हें हिरासत में लिया है. तीनों नेताओं ने इस घटना की जानकारी ट्विटर पर डाले एक वीडियो में दी है.

टीएमसी के इस तीन सदस्‍यीय प्रतिनिधिमंडल का आरोप है कि उन्‍हें पुलिस ने बिना कोई कारण बताए वाराणसी एयरपोर्ट पर सुबह 9:45 बजे से रोका हुआ है. अब वे वहीं पर धरने पर बैठ गए हैं. उन्‍हें बीएचयू ट्रामा सेंटर और सोनभद्र जाने से रोका जा रहा है. 

बता दें कि सोनभद्र में जमीन विवाद में हुए 10 लोगों के नरसंहार के बाद से ही राजनैतिक स्‍तर पर बवाल मचा है. सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने इस घटना के लिए कांग्रेस को जिम्‍मेदार बताया. साथ ही उन्‍होंने इस घटना की जांच के लिए एक कमेटी भी गठित की है. यह कमेटी 10 दिन में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी.

दूसरी ओर प्रशासन की ओर से सोनभद्र में 2 महीने के लिए धारा 144 लगा दी गई है. जिले में धारा 144 11 जुलाई से 12 सितंबर तक प्रभावी रहेगी. प्रशासन का कहना है कि बिना उसकी अनुमति के कोई भी सोनभद्र नहीं जा सकेगा. 

शुक्रवार को प्रियंका गांधी भी सोनभद्र में पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए जा रही थीं. उन्‍होंने पहले वाराणसी के बीएचयू ट्रामा सेंटर में भर्ती घायलों से मुलाकात की थी. इसके बाद वह सोनभद्र जा रही थीं. लेकिन पुलिस ने उन्‍हें नारायणपुर में ही रोक दिया था. वह इसके बाद वहां धरने पर बैठ गई थीं. पुलिस इसके बाद उन्‍हें चुनार गेस्‍ट हाउस ले गई थी. जहां रात भर प्रियंका गांधी और अन्‍य कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने धरना दिया.

प्रियंका गांधी का कहना है कि वह सोनभद्र घटना के पीड़ित परिवारों से मिले बिना वापस नहीं जाएंगी. इसके बाद प्रशासन ने उन्‍हें पीड़ित परिवारों से मिलवा दिया है.

प्रियंका का साथ देने को बिहार के मुख्य मंत्री भी सोनभद्र पहुंचेंगे

सोनभद्र के मामले ने राजनैतिक पर्यटन के द्वार खोल दिये हैं। हाशिये पर आ चुकी कोंग्रेस को पुनर्जीवित करने और प्रियंका को एक सक्षम नेतृत्व साबित करने लिए देश भर से कोङ्ग्रेस्सी नेता सोनभद्र में प्रियंका के हुज़ूर में हाजरी देने को आतुर हैं। उन्हे लगता है की उनके इस प्रयास से जनता कर्नाटका में कोंग्रेस-जेडीएस के नाटक को विस्मृत कर देगी। इधर प्रियंका ने कहा कि वह तब तक धरने पर बैठी रहेंगी जब तक उन्हें सोनभद्र फायरिंग केस के पीड़ितों से नहीं मिलने दिया जाएगा. सनद रहे सोनभद्र जमीन हड़पने आ मामला तो 1955 का है जिसे अब तक की सभी सरकारों ने नज़रअंदाज़ किया, चाहे सोनभद्र का मामला हो या फिर आजम खान के ज़मीन हड़पने का। योगी राज में न्याय मिलने की उम्मीद नरसंहार से तोड़ी जा रही है,

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रायपुरः सोनभद्र में एक जमीनी विवाद के चलते हुई फायरिंग में 10 लोगों की हत्या के बाद सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका शुक्रवार को यहां मृतकों के परिजनों से मिलने पहुंची थीं, जहां उत्तर प्रदेश प्रशासन ने उन्हें मृतकों के परिवार से मिलने से रोक दिया. ऐसे में प्रियंका गांधी ने मिर्जापुर में ही धरने पर बैठने का ऐलान कर दिया. प्रियंका ने कहा कि वह तब तक धरने पर बैठी रहेंगी जब तक उन्हें सोनभद्र फायरिंग केस के पीड़ितों से नहीं मिलने दिया जाएगा.

ऐसे में अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं और वह आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का समर्थन करने रायपुर से वाराणसी के लिए रवाना होंगे. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोनभद्र मामले में राज्यपाल से भी मुलाकात करेंगे. वहीं पीएल पुनिया पहले से ही सोनभद्र में मौजूद हैं, जहां अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी पहुंचने वाले हैं.

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बता दें इससे पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) का चार सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल सोनभद्र के लिए रवाना हुआ था, जिन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन ने वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रोक लिया गया था. टीएमसी का यह प्रतिनिधि मंडल डेरेन ओ ब्रायन के नेतृत्व में वाराणसी पहुंचा था, जिन्हें फिलहाल उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन ने रोक कर रखा है.

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प्रियंका वाड्रा के साथ कई दूसरे कांग्रेसी कार्यकर्ता भी धरने पर बैठे हैं और पीड़ितों से मिलने की मांग कर रहे हैं. बता दें सोनभद्र जाने के लिए रवाना हुई प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश प्रशा बीच रास्ते में ही रोक लिया गया, जहां उन्हें मिर्जापुर जिले के चुनार गेस्टहाउस में ठहराया गया है. जहां शनिवार को उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्हें पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया जा रहा है.