मजीठिया के साथ मंच सांझा करने वाले सिद्धू कि प्रशांत किशोर के साथ गलबहियां, क्या माजरा है???

नयी दिल्ली में जहां चुनावों के पश्चात आआपा के हौसले बुलंद हैं और वह अब अपने प्रसार कि सोच रहे हैं. निकटवर्ती चुनाव पंजाब, बिहार और बंगाल के हैं. बिहार में वह चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि सर जी लालू यादव के साथ कई बार मंच सांझा कर चुके हैं बंगाल में ममता दीदी के खिलाफ वह नहीं जा सकते ममता दीदी ने आआपा को प्रशांत किशोर बतौर तोहफे में भेजा जिसकी रणनीति के कारण दिल्ली में आआपा को बम्पर जीत मिली. तो विकल्प बचता है पंजाब. पर पंजाब में पार्टी का एकमात्र चेहरा भगवंत मान है जो खुद प्रत्यक्ष विवादों में घिरा है. पंजाब में आआपा कि एक मात्र उम्मीद अब नवजोत सिंह सिद्धू ही है. प्रशांत किशोर आआपा और सिद्धू के बीच एक सूत्र हैं और शायद तभी स्टार प्रचारक होने के बावजूद सिद्धू ने दिल्ली में आआपा के खिलाफ कोई रैली नहीं की. लेकिन इधर सिद्धू ने शायद अपना दम ख़म दिखने के लिए अमृतसर में हुए एक धार्मिक कार्यक्रम में शिरोमणि अकाली दल के मजीठिया के साथ मंच सांझा किया जिससे आआपा को सन्देश जाए कि वह राजनीति में वही पुराना दमखम रखते हैं.

चंडीगढ़:

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 नतीजों के बाद पंजाब की राजनीति में हलचल शुरू हो गए हैं. लंबे समय से खामोश बैठे हुए नवजोत सिंह सिद्धू और आप के बीच संपर्क होने की चर्चाएं कांग्रेस में हो रही है. 

सूत्रों का कहना है कि सिद्धू ने दोबारा अमरिंदर सरकार में आने की किसी भी संभावना से इनकार कर दिया है और आप अब उन्हें दोबारा अपने पाले में लाने की कोशिश में लग गई है. पार्टी के स्टार प्रचारक होने के बाद भी सिद्धू दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस के लिए प्रचार करने नहीं गए थे.

सूत्रों का कहना है कि अगर सिद्धू दिल्ली में प्रचार करने जाते तो उन्हें आप सरकार के खिलाफ बोलना पड़ता और कांग्रेस में अलग-थलग पड़े सिद्धू ऐसा नहीं करना चाहते थे. गौरतलब है कि बीजेपी छोड़ने के बाद आम आदमी पार्टी ने उनसे संपर्क साधा लेकिन तब बात बन नहीं सकी थी लेकिन अब हालात काफी बदल चुके हैं. 

दिल्ली में एतिहासिक कामयाबी के बाद आप अब पंजाब में फिर सक्रिय होना चाहती है. हालांकि  पंजाब में आप काफी परेशानियों का सामना कर रही है. पार्टी के अंदर कई धड़े सक्रिय हैं और भगवंत मान को छोड़ उनके पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है. आप चाहती है कि जैसे दिल्ली में उसके पास केजरीवाल जैसा बड़ा चेहरा था ऐसा ही बड़ा नाम उसके पास पंजाब में भी हो. पार्टी लंबे समय से किसी बड़े जाट चेहरे की तलाश में है और सिद्धू के साथ उसकी यह तलाश पूरी हो सकती है. 

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि दिल्ली में आप की चुनावी रणनीति बना रहे प्रशांत किशोर सिद्धू और आप के बीच एक पुल का काम कर रहे हैं.

क्या बंगाल बिहार में भी होगा शाहीन बाग वाला प्रयोग?

चुनाव परिणाम आते ही दिल्ली में शाहीन बाग की राजनीति का पटाक्षेप हो गया। धरना उठा लिया गया। शाहीन बाग भाजपा के विपक्षी दलों द्वारा प्रायोजित था। अब चूंकि यह प्रयोग सफल रहा विपक्षी दल इसे अपने अपने क्षेत्र में चुनावों के दौरान आजमाएंगे। और ध्रुवीकरण में सफल भी होंगे। अब भाजपा को इस नए अस्त्र की काट तालाशनी होगी, जो फिलवक्त भाजपा के चाणक्यों के पास नहीं है। अब इसी अस्त्र का किस प्रकार और कहाँ प्रयोग होगा यह तो समय ही बताएगा परंतु यह तय है की इसका प्रयोग होगा ज़रूर।

इस समय राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है और उनके खिलाफ मुकाबले के लिए विपक्ष के पास कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है. विपक्ष में एक तरफ शरद पवार, ममता बनर्जी, एम के स्टालिन और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता हैं तो दूसरी ओर राहुल गांधी और सोनिया गांधी जिनका महत्व लगातार कम हो रहा है. ऐसी स्थिति में अरविंद केजरीवाल विपक्ष के पोस्टर ब्वॉय बनने का दावा कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल ये कह सकते हैं कि देश की राजनीति में मोदी का विजय रथ रोकने की क्षमता उन्हीं में है. उन्होंने दिल्ली की लड़ाई में मोदी को लगातार दो बार हराया है.

Ravirendra-Vashisht
राजविरेन्द्र वशिष्ठ, संपादक
demoraticfront.com

देश में फिर से ‘मोदी बनाम ऑल’ की जंग शुरू हो गई है. विपक्ष आम आदमी पार्टी (AAP) की जीत में अपनी जीत देख रहा है. विपक्ष को मोदी का विकल्प केजरीवाल में दिख रहा है. दिल्ली में AAP की जीत पर शिवसेना बीजेपी पर निशाना साधा है. सामना में लिखा है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की हवाबाज नीति नाकाम हो गई. दिल्ली-मुंबई में AAP-शिवसेना का सीएम होना बीजेपी के लिए कलेजा चीरने वाला है. वहीं कांग्रेस के नेता कुछ इस अंदाज में बधाई दे रहे है जैसे कि आम आदमी पार्टी नहीं कांग्रेस जीती हो. मोदी के खिलाफ विपक्ष  ‘हसीन सपने’ देख रहा है. 

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, “दिल्ली में पूरा देश बसा है. अब उनको परिवर्तन के लिए एक नया कोई रास्ता चाहिए ये बात देश के सामने उन्होंने दिखाया है. ये जो नतीजे हैं इससे देश में आगे जब चुनाव आएगा, तब क्या होगा इसकी एक झलक इससे साफ हो रही है.” नेता कांग्रेस पीएल पुनिया ने कहा, “बीजेपी और उनकी राजनीति को हराया जा सकता है. अच्छी तरह से ये एक संकेत है.” 

इस समय राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है और उनके खिलाफ मुकाबले के लिए विपक्ष के पास कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है. विपक्ष में एक तरफ शरद पवार, ममता बनर्जी, एम के स्टालिन और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता हैं तो दूसरी ओर राहुल गांधी और सोनिया गांधी जिनका महत्व लगातार कम हो रहा है. ऐसी स्थिति में अरविंद केजरीवाल विपक्ष के पोस्टर ब्वॉय बनने का दावा कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल ये कह सकते हैं कि देश की राजनीति में बीजेपी का विजय रथ रोकने की क्षमता उन्हीं में है. उन्होंने दिल्ली की लड़ाई में बीजेपी को दो बार हराया है. आने वाले समय में हो सकता है कि अरविंद केजरीवाल खुद को एक राष्ट्रीय नेता और आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बताकर दूसरे राज्यों में भी प्रचार करें. अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प बनना है तो उन्हें राष्ट्रवाद और हिंदुत्व अपनाना ही होगा. 

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के चुनाव में सॉफ्ट हिंदुत्व का भी सहारा लिया. चुनाव-प्रचार के दौरान उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया था तो आज जीत के बाद उन्होंने मंदिर जाकर हनुमान जी के दर्शन किए. इसके जरिए उन्होंने ये जताने की कोशिश की है कि वो सॉफ्ट हिंदुत्व का एक मजबूत चेहरा भी बन सकते हैं. यानी अरविंद केजरीवाल अपनी ऐसी छवि बनाने की कोशिश में हैं जिसमें विकास, राष्ट्रवाद और सॉफ्ट हिंदुत्व तीनों हो.

आआपा की जीत के साथ भाजपा ने खोया एक और राज्य

हार हार होती है, हार को स्वीकार करना आपकी मजबूरी है आपकी रणनीति का आपकी क्षमताओं की विफलता का लौह स्तंभ है उसे आप कैसे भी शब्दों का मुल्ल्म्मा चढ़ा लें दिल्ली से भाजपा आने वाले 5 सालों के लिए बाहर है। जिस मक़ाम के लिए भाजपा पिछले 22 सालों से प्रयासरत है उसे आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी बार जीती, अरविंद केरिवल तीसरी बार लगातार मुख्यमन्त्री बने लगातार तीसरी बार आम आदमी पार्टी की रणनीति वही थी देश के बांटने वालों का, टुकड़े – टुकड़े गैंग का रक्षण और शाहीन बाग का प्रायोजित कार्यक्रम। जिसे दिल्ली का उप मुख्यमंत्री खुद कहता है की वह शाहीन बाग में बैठे लोगों का समर्थन करता है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत के कारणों का विश्लेषण हो रहा है मीडिया का 1 वर्ग दावा कर रहा है कि केजरीवाल को उसके कामों की कारण सफलता मिली है लेकिन सच्चाई यह है कि केजरीवाल की सांप्रदायिक राजनीति की जीत है। ऐसा कहने के पीछे कुछ ठोस कारण भी हैं। दरअसल पिछले 5 साल में केजरीवाल ने जो राजनीति की उसमें हिंदुओं को मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी मिला लेकिन दूसरी तरफ मुसलमानों को वह मिला जो वह चाहते रहे यही कारण है कि एक बार इस बार मुस्लिम इलाकों में आम आदमी पार्टी को लगभग 100 फ़ीसदी वोट मिले हैं। यह तो साफ था के बीजेपी को मुस्लिम वोट नहीं मिलने वाले लेकिन उन्होंने कांग्रेस को भी झटका दे दिया और लगभग सारे वोट आम आदमी पार्टी के खाते में गए इसका कारण समझने के लिए पिछले 5 साल के केजरीवाल के कामों पर नजर डालनी होगी।

मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति

अरविंद केजरीवाल की यह नीति पहली बार तब खुलकर सामने आई थी जब मार्च 2016 में दिल्ली के विकासपुरी इलाके में डेंटिस्ट डॉक्टर पंकज नारंग कि उनके घर में घुसकर परिवार के सामने हत्या कर दी गई हत्या रे पड़ोस की झुग्गी बस्ती में रहने वाले बंगलादेशी मुसलमान थे। लिहाजा अरविंद केजरीवाल ने उनके परिवार से मिलना तो दूर इस हत्याकांड के विरोध में एक औपचारिक बयान देना तक जरूरी नहीं समझा ऐसा करके उसने दिल्ली में जगह-जगह पहले बंगलादेशी मुसलमानों और उनकी सरपरस्ती कर रहे कट्टरपंथियों को एक संदेश दे दिया इसके बाद ऐसे मुद्दों पर उनका यह रवैया लगभग हर समय बना रहा केजरीवाल ने मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए जो दूसरा सबसे बड़ा दांव खेला था मस्जिद को उठाना हर महीने की सैलरी इमाम ही नहीं मस्जिद के अन्य कर्मचारी के वेतन का भी ऐलान किया गया। इसके अलावा नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक पर भी केजरीवाल कहीं ना कहीं मुस्लिम समुदाय और पाकिस्तान परस्ती वाला रहा दूसरी और हिंदू समुदाय इसी बात से खुश होता रहा क बिजली का बिल आधा हो गया और पानी मुफ्त।

हिंदू मुफ्त खोरी के चक्कर में भ्रमित रहा

केजरीवाल ने वोटिंग से ठीक पहले हनुमान मंदिर जाकर दर्शन किए उसे पता था कि हिंदुओं को भ्रमित करने के लिए उसका यह दाव काफी था इतने भर से कई लोगों को यकीन हो गया कि वह हिंदू विरोधी एजेंडे पर काम नहीं करेगा और इसीलिए शाहीन बाग और बाकी गलत काम भुला दिया गए। इसके अलावा केजरीवाल ने दिल्ली में अपना इकोसिस्टम बनाने में भी जोरदार कामयाबी हासिल की जानते हैं। ऐसे कुछ और कारण:

  • केजरीवाल ने दिल्ली में सबसे कम समय में अपना इकोसिस्टम बनाया
  • अपने लोगों को हर जगह बिठाया
  • सरकारी सिस्टम से लेकर मीडिया तक में हर चैनल और अखबार में
  • एलपी कवर करने वाले उनका कार्य करता ही है।
  • एलपी कवर करने वाले रिपोर्टरों को मालामाल किया गाड़ी फ्लाइट सब कुछ दिया
  • एपीके लोग दिल्ली में कॉलेजों स्कूलों अस्पतालों में की कमेटी में बिठाए गए
  • फुल पेज विज्ञापनों से पूरे 5 साल मीडिया का मुँह बंद किया।
  • इसमें वह भी शामिल हैं जिन्हें हम राष्ट्रवादी चैनल या अखबार समझते हैं।
  • जिन रिपोर्टरों ने एपी के खिलाफ कुछ किया उन्हें नौकरी से निकलवा या
  • गंदे पानी का मामला सामने आया तो चैनलों ने केजरीवाल को क्लीन चिट भी
  • एलजी और केंद्र के झगड़ों में भी केजरीवाल को पीड़ित के तौर पर दिखाया गया
  • विपक्षी होने के बावजूद मीडिया ने बीजेपी के खिलाफ दुष्प्रचार किया।
  • कल चल एकेडमी और इवेंट के नाम पर कलाकारों की ब्रिगेड तैयार की गई
  • ट्रैफिक और डीटीसी मार्शल जैसे काम देकर कार्यकर्ताओं को उपकृत किया गया
  • जनता को मुफ्त बिजली पानी और इलाज के नाम पर खरीद लिया गया।
  • व्यापारियों से 200000 का चंदा लेकर टैक्स चोरी की खुली छूट प्रदान की गई
  • आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों को भी अलग-अलग तरीके से उपकृत किया गया।

44वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले के दौरान विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं को ‘हनुमान चालीसा’ बांटने से रोका गया

ममता बनर्जी शासित पश्चिम बंगाल में किस तरह से हिंदुओं और संविधान की धज्जियां उड़ाई जाती हैं उसका एक और नमूना कल यानि रविवार को देखने को मिला, जब 44वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले के दौरान विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं को ‘हनुमान चालीसा’ बांटने से रोका गया।

नयी दिल्ली(ब्यूरो)

कहने को तो ममता बनर्जी रोज ही सेकुलरिजम और संविधान का रोना रोती रहती हैं लेकिन संविधान की धज्जियां उन्हीं की देख रेख में उड़ाई जाती है।

दरअसल, रविवारको 44वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले के दौरान पुलिस ने विहिप के कार्यकर्ताओं को हनुमान चालीसा बांटने से रोका, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद हो गया। बता दें कि रविवार को कोलकाता पुस्तक मेले का अंतिम दिन था। पुलिस ने अपने इस कार्रवाई पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने धार्मिक किताब बांटने पर इसलिए ऐतराज जताया कि इससे आगुंतक भावावेश में आ सकते हैं जिससे कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में समस्या उत्पन्न हो सकती है। 

ये क्या बात हुई? हनुमान चालीसा बांटने से कानून एवं व्यवस्था को समस्या कैसे हो सकती है? ये तानाशाही सिर्फ ममता बनर्जी के इशारों पर काम करने वाली पश्चिम बंगाल की पुलिस ही कर सकती है। पुलिस के इस रुख से मामला बढ़ गया और विहिप के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करना शूरू कर दिया जिसके बाद पुलिस थोड़ी नरम हुई और फिर से हनुमान चालिसा बांटने दिया गया। 

विहिप सदस्य स्वरूप चटर्जी ने पीटीआई से कहा कि, “शुरू में तनाव था, लेकिन जब हमने जानना चाहा कि हनुमान चालीसा क्यों नहीं वितरित की जा सकती है, जबकि अन्य संग‍ठन कुरान और बाइबिल बांट सकते हैं। इसके बाद पुलिस ने अपना रुख नरम किया और हमने पुस्तक बांटना जारी किया।”  

हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब ममता बनर्जी  के कार्यकाल में इस तरह से हिंदुओं के बर्ताव किया गया हो। जब से ममता बनर्जी सत्ता में आईं हैं तब से ही वे मुस्लिम तुष्टीकरण में लगी हुई हैं। वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल में हुए धूलागढ़ के दंगों के बाद से हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ते चले गए। हद तो तब हो गयी जब ममता बनर्जी ने इस दंगे के लिए आरएसएस और भाजपा पर ही आरोप मढ़ना शुरू कर दिया था। रही सही कसर बसीरहट में हुए दंगों ने पूरी कर दी। 

ये वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने पिछले साल जब दुर्गा मूर्ति विसर्जन और मुहर्रम एक ही दिन पड़े थे तब दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी थीं। ऐसा करके उन्होंने हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किया था। ममता ने अपने फैसले के पीछे बेतुका कारण दिया और कहा था, “दोनों पर्व के चलते दो समुदायों में विवाद या झगड़ा न हो इसलिए ये फैसला लिया है।” इसी ममता सरकार ने हिन्दू जागरण मंच को हनुमान जयंती पर जुलूस निकालने पर भी रोक लगा दी थीं और जब 11 अप्रैल, 2017 को पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के सिवड़ी में हनुमान जयंती पर जुलूस निकाला गया तो पुलिस द्वारा उन पर लाठीचार्ज करवाया गया था। 

उसके बाद 2018 में रामनवमी के उत्सव पर खलल डालकर जिस तरह ममता सरकार ने अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के लिए बेतुका प्रयास किया वह किसी से छुपा नहीं है। ये वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने तारकेश्वर विकास बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में एक मुस्लिम को बैठा चुकी हैं।

अब इस तरह से हनुमान चालीसा के वितरण पर रोक लगाकर ममता बनर्जी ने जाहिर कर दिया है कि वह किस तरह की राजनीति करती हैं। सच कहें तो ममता बनर्जी के अंदर हिंदुओं के लिए सिर्फ नफरत रही है और समय समय पर उनकी राजनीति से ये नफरत सामने भी आई है। 

आज का पंचांग

विक्रमी संवत्ः 2076, 

शक संवत्ः 1941, 

मासः माघ़, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः नवमी रात्रि 09.20 तक है, 

वारः सोमवार, 

नक्षत्रः कृतिका रात्रि 12.52 तक, 

योगः ब्रह्म अरूणोदयकाल 06.16 तक, 

करणः बालव, 

सूर्य राशिः मकर, 

चंद्र राशिः वृष, 

राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 07.12, 

सूर्यास्तः 05.57 बजे।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

सनातन धर्म मौली जागरण में राम कथा का आयोजन

राज राणा, चंडीगढ़ 31 जनवरी:

समस्त अहेरिया समाज सेवा समिति की तरफ से  राम कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसमें  सनातन धर्म मंदिर मौली जागरां कंपलेक्स चंडीगढ़ की ओर से एक विशाल कलर्स शोभायात्रा का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया गया जिसमें 151 महिलाओं ने कलर्स को अपने सिर पर रखकर कलश यात्रा निकाली।

समस्त अहेरिया समाज सेवा समिति के आयोजक प्रधान लेखपाल मुकेश सिरसवाल जी , रोशन लाल ,  इंद्रपाल ,  सतीश  नेतराम राणा,  पप्पू   बुध पाल , महेंद्र ,  करण सिंह ,  कृष्ण ,  गोपाल जी,  लाखन ,  लाल सिंह ,  चंगू राम , नत्थू लाल जी सुखबीर जी, लक्ष्मीनारायण जी,  पन्नालाल ,  बीरबल जी, व समस्त महिलाओं ने शोभायात्रा में बढ़ चढ़कर भाग लिया

पूर्वाञ्चल के भाइयों ने गुरुओं धरती पर मनाई बसंत पंचमी: शशि शंकर

राज राणा, चंडीगढ़ 31 जनवरी:

वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर माँ सरस्वती पूजन  समारोह मे ग्राम दरिया, बहलाना , जीरकपुर , डेराबस्सी , लाडलू , लेहली इत्यादि जगहो पर जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । एवम माता रानी के चरणों मे आशीर्वाद लेने का अवसर प्राप्त हुआ पूर्वांचल क़े भाईयो ने हर एक जगह मान सम्मान दिया । उसके लिए दिल की गहराईयो से धन्यावाद । औऱ इस मौके पर पूर्वांचल क़े भाईयों को संदेश देते हुए शशि शंकर तिवारी ने कहाँ की , घर से हज़ारो किलोमीटर दूर आकर पंजाब मे गुरुओं की धरती पर अपने धर्म एवम संस्कृति को जिंदा रखा है, यह काबिले तारीफ है ।

जानिए भारत को तोड़ने का ब्यान देने वाले शरजील को

भड़काऊ भाषण देने के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम के खिलाफ छह राज्यों में केस दर्ज किए गए हैं. कहा जा रहा है कि शरजील इमाम (Sharjeel Imam) शाहीन बाग में हो रहे धरना प्रदर्शन का मुख्य आयोजक था. वो सोशल मीडिया पर लोगों को लगातार इस धरने में शामिल होने की अपील करता था.

नई दिल्ली: 

आजकल अफजल प्रेमी गैंग  के नए-नए अवतार में सामने आ रहा है. नए-नए POSTER BOY और POSTER GIRL बड़ी शान से देश के टुकड़े-टुकड़े करने की कसमें खा रहे हैं. दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने तो कई मौकों पर ये साबित कर दिया है कि जिन्ना वहां के कुछ छात्रों के आदर्श हैं. कुछ दिनों पहले JNU के छात्र और टुकड़े-टुकड़े गैंग के नए सदस्य शरजील इमाम ने भी देश को तोड़ने वाले बयान दिए थे. जिसके बाद दिल्ली के शाहीनबाग में भड़काऊ भाषण देने के मामले में शरजील इमाम को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

क्राइम ब्रांच ने शरजील इमाम को जहानबाद के काको थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है. शरजील इमाम के ऊपर देशद्रोह और दंगा भड़काने का आरोप लगा है. वहीं, दिल्ली में भी यूपी पुलिस ने शरजील की तलाश में कई जगह छापेमारी की थी. उसके ऊपर असम, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में उनके खिलाफ मामले दर्ज हैं.

बिहार के जहानाबाद जिले का रहने वाला है शरजील इमाम

शरजील इमाम मूल रूप से बिहार के जहानाबाद का रहनेवाला है. उसपर भड़काऊ भाषण के लिए देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है. जानकारी के मुताबिक, आइआइटी बॉम्बे (IIT Bombay) से कंप्यूटर साइंस (Computer science) में एमटेक (M Tech)की डिग्री हासिल करने के बाद शरजील भारत से विदेश चला गया था. वहां नौकरी करने के बाद फिर वापस भारत लौट आया. यहां उसने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में पीएचडी करने के लिए दाखिला ले लिया.

शरजील शाहीन बाग में हो रहे धरना प्रदर्शन का मुख्य आयोजक

कहा जा रहा है कि शरजील शाहीन बाग में हो रहे धरना प्रदर्शन का मुख्य आयोजक था. वो सोशल मीडिया पर लोगों को लगातार इस धरने में शामिल होने की अपील करता था. एक फेसबुक पोस्ट में शरजील ने लिखा है, ‘शाहीन बाग का मॉडल चक्का जाम का है, बाक़ी सब सेकेंडरी हैं, चक्का जाम और धरने में फ़र्क समझिए, हर शहर में धरने कीजिए, उसमे लोगों को चक्का जाम के बारे में बताइए, और फिर तैयारी करके हाईवेज पर बैठ जाइए.’

शरजील इमाम नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन के कारण अचानक चर्चा में आए. सोशल मीडिया पर जारी उनके वीडियो में कथित तौर पर देशविरोधी भड़काऊ बयान देने का आरोप लगा था. जिसमें उन्हें पूर्वोत्तर राज्यों खासकर असम को शेष भारत से अलग (कम से कम एक महीने के लिए)करने की बात करते हुए सुना जा सकता है.

Sharjeel Imam has been arrested from Jahanabad

JNU Student Sharjeel Imam has been arrested from Jahanabad, Bihar by Delhi Police. Imam had been booked for sedition by Police. More details awaited.

शरजील के खिलाफ गुवाहाटी क्राइम ब्रांच पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, अलीगढ़ से गिरफ्तारी के लिए पुलिस पार्टी रवाना

“हमें हिन्दुओं का साथ नहीं चाहिए, सिर्फ़ मुस्लिम बिना हिन्दुओं की अनुमति के सब कुछ कर सकते हैं। 70 साल का इतिहास याद करो, संविधान फासिस्ट है। बार-बार मुस्लिमों को फेल करने वाला संविधान कभी भी मुसलमानों की आख़िरी उम्मीद नहीं हो सकता।” शरजील इमाम मुस्लिमों के भारत में रहने को मज़बूरी बताता है। क्यों? क्योंकि यहाँ मुस्लिमों का पूर्ण प्रभुत्व नहीं है, ऐसा उसे लगता है। तभी तो वो फेसबुक पर लिखता है कि मुस्लमान इस मज़बूरी में भारत में रह गया क्योंकि जामा मस्जिद और अजमेर शरीफ को झोले में पैक कर के पाकिस्तान नहीं ले जा सका। वो मानता है कि मुसलमानों ने भारत को नहीं चुना है क्योंकि उन्हें विकल्प ही नहीं दिए गए थे। बकौल शरजील, मुस्लिम अपनी ज़मीन-जायदाद के कारण पाकिस्तान नहीं गए वरना पूरे हैदराबाद को ले जाकर लाहौर के बगल में रख देते। उसका स्पष्ट मानना है कि मुस्लिम ‘देश से मोहब्बत’ के कारण भारत में नहीं रुके, वो दूसरे वजहों से रुके।

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी (NRC) के खिलाफ देशभर में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच एक बेहद आपत्तिजनक भाषण देकर जेएनयू (JNU) का छात्र शरजील इमाम बुरी तरह फंस चुका है. भड़काऊ बयान के मामले में शरजील के खिलाफ गुवाहाटी क्राइम ब्रांच पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.

असम सरकार के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने संकेत देते हुए कहा था, ”दिल्ली में शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन के मुख्य आयोजक शरजील ने कहा है कि असम को शेष भारत से काट दिया जाना चाहिए. असम सरकार ने इस देशद्रोही बयान का संज्ञान लिया है और उसके खिलाफ मामला दर्ज करने का फैसला किया है.”  

उधर, एक वकील और आरटीआई कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने शरजील इमाम के खिलाफ आईपीसी और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए शिकायत दर्ज की है.  

उन्हें हमदर्द नहीं मान सकते

एक वायरल वीडियो में शरजील इमाम कहते हैं, ‘हम गैर-मुस्लिमों से बोले की अगर हमदर्द हो तो हमारी शर्तों पर आकर खड़े हों, अगर हमारी शर्तों पर आकर नहीं खड़े हो सकते तो उन्हें हमदर्द नहीं मान सकते.’

असम को काटना हमारी जिम्मेदारी

वीडियो में इमाम कहता है, ”मैंने बिहार में देखा, बिहार में बहुत सारी रैलियां हो चुकी हैं, हर रोज एक दो बड़ी रैली होती हैं, कन्हैया वाली रैली देख लीजिए 5 लाख लोग थे उसमें…अगर पांच लाख लोग हमारे पास ऑर्गेनाइज्ड हो तो हम हिंदुस्तान और नॉर्थ ईस्ट को परमानेंटली कट कर सकते हैं. परमानेंटली नहीं तो कम से कम एक महीने के लिए तो अलग कर ही सकते हैं. मतलब इतना मवाद डालो पटरियों पर कि उनको हटाने में एक महीना लग जाए.’ असम को काटना हमारी जिम्मेदारी है, असम और इंडिया कट कर अलग हो जाए तभी यह हमारी बात सुनेंगे.”

गिरिराज सिंह ने कहा गद्दार

जेएनयू छात्र के विवाद में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने लिखा है, ”यह कहते हैं सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में..किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है. इन गद्दारों की बात सुनकर कैसे मान लूं कि इनका खून शामिल है, यहाँ की मिट्टी में? कह रहा है असम को काट कर हिंदुस्तान से अलग कर देंगे.”   

इससे पहले संबित पात्रा ने शरजिल इमाम का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, दोस्तों शाहीन बाग  (shaheen bagh) की असलियत देखें. पात्रा ने यह सवाल किया है कि क्या यह देशद्रोह नहीं है.

बाद में पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शाहीन बाग की साजिश पूरे विश्व के सामने आ गया है. शाहीन बाघ को तौहीन बाग कहना चाहिए. शाहीन बाग में एंटी नेशनल बातें की गई. असम को भारत से आज़ाद करने की बात कही गई हैं. हालांकि demokraticfront.com इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.