राहुल गांधी पर जयशंकर का पलटवार

           कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान के पर तंज कसते हुए विदेश मंत्री एस ने कहा, “भारतीय सेना राहुल गांधी के आदेश पर एलएसी पर नहीं है। भारत ने चीनी तैनाती का मुकाबला करने के लिए एलएसी पर अब तक की सबसे बड़ी तैनाती की है।” अनुराग ठाकुर ने भी कहा, “जब भारतीय सेना डोकलाम में चीनी सैनिकों के साथ लड़ रही थी, तब वह क्या राहुल गांधी चीनी अधिकारियों के साथ थे।”

चीन की तैयारी युद्ध की, विदेश मंत्री समझ गहरी करें', राहुल गांधी का जयशंकर  पर हमला - On issue of China Rahul Gandhi attacked S Jaishankar and said  China is preparing for

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

            अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प पर सियासत जारी है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर चीन को कम करके आंकने का आरोप लगाया है। अब जयशंकर ने राहुल गांधी पर पलटवार किया है।

            जयशंकर ने कहा, “LAC पर चीन को जवाब देने के लिए भारतीय सेना की ओर से अब तक की सबसे बड़ी तैनाती की गई है।” भारतीय विदेश मंत्री ने एक मीडिया कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए ये बात कहीं. जयशंकर ने पत्रकारों को बताया कि 2020 के बाद से LAC पर चीनी सैनिकों की संख्या बढ़ी है, इसलिए भारतीय सेना ने भी सैनिकों की बड़े स्तर पर तैनाती की है। 

            उन्होंने कहा, चीन की तरफ से किसी भी एकतरफा बदलाव की कोशिश का मुकाबला करने के लिए हमारी सेना तैनात है. यह भारतीय सेना की प्रतिबद्धता है।” उन्होंने कहा, “अगर हम इस विषय पर गंभीर नहीं होते तो वहां सेना तैनात नहीं की जाती।” राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए जयशंकर ने कहा, “एलएसी पर भारतीय सेना के जवान राहुल गांधी के आदेश पर नहीं गए थे, बल्कि हमारे प्रधानमंत्री के आदेश पर गए हैं।”हमने

            विदेश मंत्री ने कहा, चीन मुद्द को लेकर भारत सरकार गंभीर है और राहुल गांधी का दावा विश्वसनीय नहीं है। दरअसल, हाल ही में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत-चीन सीमा पर मौजूदा हालात बहुत गंभीर हैं। हाल में जो हुआ, वह एक सिर्फ झड़प नहीं थी, बल्कि चीन पूर्ण युद्ध की तैयारी कर रहा है। उन्होंने केंद्र सरकारा पर इस खतरे को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था। कहा था कि सरकार हमसे तथ्यों को छिपाने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह लंबे समय तक चल नहीं पाएगा। 


Union minister Anurag Thakur s retort to Pakistan foreign minister Bilawal  Bhutto says Still in pain about 1971 defeat - India Hindi News - 1971 की  हार को लेकर अब भी दर्द...


अनुराग ठाकुर ने भी किया था पलटवार


            इससे पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी राहुल गांधी पर पलटवार किया था। उन्होंने सोमवार को कहा था कि तवांग मसले पर हमसे सवाल करने से पहले राहुल गांधी को राजीव गांधी फाउंडेशन के बारे में जवाब देना चाहिए। ठाकुर ने सवाल किया कि क्या राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलती है। ठाकुर यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा, जब भारतीय सेना डोकलाम में चीनी सैनिकों के साथ लड़ रही थी, तब वह क्या राहुल गांधी चीनी अधिकारियों के साथ थे।


 नॉर्थ ईस्ट की

तवांग पर कब्जे की मंशा के पीछे ड्रैगन की है ये रणनीति

            अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ-साथ यांगत्से के आसपास के इलाकों में भारत पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने में जुटा है। सरकार के अधिकारियों ने पत्रकारों यह जानकारी देते हुए कहा कि चीन इसे लेकर काफी दबाव में है और 9 दिंसबर को हुई झड़प का एक कारण ये भी हो सकता है।

अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास किबिथू में सैन्य अभ्यास करते भारतीय सेना के जवानों की फाइल फोटो (PTI)
अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास किबिथू में सैन्य अभ्यास करते भारतीय सेना के जवानों की फाइल फोटो

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

            अरुणाचल प्रदेश के तवांग पर चीन की नजरें लंबे समय से गढ़ी हुई थीं, यहां लगातार उसके सैनिकों का जमावड़ा हो रहा था और 9 दिसंबर को उसने अंदर घुसने की हिमाकत की जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। तवांग एक बेहद खूबसूरत जगह है जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ धार्मिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। चीन की नई हरकत से सवाल उठता है कि उसकी इस इलाके पर नजर क्यों है, साथ ही ये भारत के लिए खास महत्व का क्यों है। 

            अरुणाचल प्रदेश का तवांग करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ये जगह सेना के लिए रणनीतिक रूप से खास महत्व की है। दोनों देशों के लिए ये जगह इसलिए भी खास है क्योंकि ये 1962 के भारत-चीन से जुड़ी हुई है। इस युद्ध में तवांग पर कब्जे के बाद चीन ने इसे खाली कर दिया था क्योंकि यह मैकमोहन लाइन के अंदर पड़ता है। लेकिन बाद में चीन की नीयत बदल गई और उसने मैकमोहन लाइन को मानने से इनकार कर दिया। 

            इसके बाद से ही चीन की तवांग पर बुरी निगाह बन गई, हालांकि उसके लिए दोबारा यहां पहुंचना आसान नहीं रह गया था। अब वह पुरानी रणनीति के तहत यहां तक पहुंचना चाहता है और इसी के तहत उसके करीब 600 सैनिकों ने यहां जमावड़ा लगाते हुए दबाव बनाने की कोशिश की। 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों ने एक कदम आगे बढ़ते हुए घुसपैठ का दुस्साहस किया जिसका भारतीय सैनिकों ने करारा जवाब दिया। 

            दरअसल, तवांग पर कब्जे की मंशा के पीछे चीन की एक खास रणनीति है। इस पोस्ट पर काबिज होने के बाद वह तिब्बत के साथ-साथ एलएसी की निगरानी भी करना चाहता है। इसी रणनीति के तहत वह बार-बार इसके करीब पहुंचने की कोशिश करता है। बता दें कि तिब्बती धर्मगुरु का तवांग से खास रिश्ता है। 1959 में तिब्बत से निकलने के बाद मौजूदा दलाई लामा ने यहां कुछ दिन बिताए थे। यह बात भी चीन को चुभती है क्योंकि उसकी आंखों में दलाई लामा खटकते रहे हैं। 


            अगर तवांग पर चीन का कब्जा हो जाए तो यह भारत के लिए किस तरह खतरा बना सकता है, समझने की कोशिश करते हैं। चीन की तरफ से एलएसी पर भारत के लिए दो प्वाइंट सबसे अहम हैं। पहला है तवांग और दूसरा है चंबा घाटी। चंबा घाटी नेपाल-तिब्बत सीमा पर मौजूद है, वहीं तवांग चीन-भूटान जंक्शन पर मौजूद है। अगर चीन तवांग पर कब्जा कर लेता है तो अरुणाचल प्रदेश पर दावा ठोक सकता है जिसे वह अपना हिस्सा मानता है। 

            यही वजह है कि भारत इसे लेकर बेहद सतर्क रहता है। 1962 युपद्ध के घाव अभी भी ताजा हैं और भारत दोबारा उसे दोहराता हुआ नहीं देखना चाहेगा। भारत बिल्कुल भी नहीं चाहेगा की सामरिक महत्व की ये जगह उसके हाथ से निकल जाए। इसी को देखते हुए भारत ने पिछले कुछ वर्षों में इस पर खास ध्यान देते हुए निर्माण कार्य तेज किए हैं। इसके अलावा यहां सैनिकों की संख्या बढ़ाते हुए निगरानी भी तेज कर दी है। नए घटनाक्रम ने भारत की आशंका को सही साबित कर दिया है कि चीन पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता है। गलवान घाटी के बाद अब तवांग की घटना ने भारत को बेहद सतर्क कर दिया है। 

            भारतीय सेना ने सोमवार को जानकारी दी कि 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में LAC पर भारत और चीन के सैनिक आपस में भिड़ गए थे और आमने-सामने की इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें भी आई थीं।

            रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद को बताया कि इस झड़प में न किसी भारतीय सैनिक की मृत्यु हुई है और न ही किसी को गंभीर चोट आई है। उन्होंने लोकसभा में कहा, “इस आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को चोटें आईं। मैं इस सदन को बताना चाहता हूं कि हमारे किसी भी सैनिक की मौत नहीं हुई है और न ही कोई गंभीर चोट आई है। भारतीय सैन्य कमांडरों के समय पर हस्तक्षेप के कारण, पीएलए सैनिक अपने स्थानों पर पीछे हट गए हैं।

चीन – भारत विवाद: हमारी सेवाएं अखंडता के लिए प्रतिबद्ध किसी भी प्रयास को विफल करती रहेगी : राजनाथ सिंह

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो,12 दिसम्बर :

            रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि 13 दिसंबर, 2022 को संसद के दोनों सदनों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का  निम्नलिखित है।

            “माननीय अध्यक्ष/सभापति मैं इस सम्मानित सदन को 9 दिसंबर, 2022 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हमारी सीमा पर हुई एक घटना के बारे में जानकारी देना चाहूंगा।9 दिसंबर, 2022 को पीएलए सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा का अतिक्रमण करने और एकतरफा तरीके से यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया। हमारे सैनिकों ने दृढ़ता और संकल्प के साथ चीन के प्रयास का विरोध किया। फलस्वरूप आमने-सामने की हाथापाई हुई जिसमें भारतीय सेना ने बहादुरी से हमारे क्षेत्र में उन्हें अतिक्रमण करने से रोका और अपनी चौकियों पर लौटने के लिए बाध्य किया। इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आई हैं। मैं इस सदन के साथ यह साझा करना चाहता हूं कि हमारी ओर से कोई हताहत या गंभीर रूप से हताहत नहीं हुआ है।भारतीय सैन्य कमांडरों के समय से हस्तक्षेप के कारण पीएलए सैनिक अपने ठिकानों पर वापस चले गए। घटना की फोलोअप कार्रवाई के रूप में क्षेत्र में स्थानीय कमांडर ने अपने समकक्ष के साथ इस विषय पर स्थापित व्यवस्था के अनुसार चर्चा करने के लिए 11 दिसंबर, 2022 को फ्लैग मीटिंग की। चीनी पक्ष से इस तरह की हरकतों से बाज आने तथा सीमा पर शांति बनाए रखने को कहा गया। राजनयिक माध्यमों से भी इस विषय को चीनी पक्ष के साथ उठाया गया है।”

            “मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं हमारी क्षेत्रीय अखंडता के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस तरह के किसी भी प्रयास को विफल करती रहेंगी। मुझे विश्वास है कि पूरा सदन हमारे सैनिकों के साहसिक प्रयासों का समर्थन करने के लिए एकजुट होकर खड़ा होगा।”

एक श्वान के कारण केंद्र सरकार ने ‘कपल आईएएस’ की भारत के पूर्व – पश्चिम में ट्रांसफर

कुत्ता टहलाने के लिए स्टेडियम को खाली कराने का मामला सामने आने के बाद दोनों का ट्रांसफर दिल्ली से सैकड़ों किलोमीटर दूर कर दिया गया है।  आईएएस अधिकारी संजीव खिरवार का ट्रांसफर लद्दाख तो उनकी पत्नी रिंकू डुग्गा को अरुणाचल प्रदेश भेज दिया गया है। आईएएस दंपती का तबादला उन खबरों के सामने आने के बाद किया गया है जिनमें कहा गया था कि खिरवार त्यागराज स्टेडियम में शाम के समय अपने कुत्ते के साथ वॉक पर जाते हैं। इस दौरान खिलाड़ियों और कोच को स्टेडियम छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। तबादले से पहले तक खिरवार दिल्ली के प्रधान सचिव (Revenue) थे। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहर में सभी सरकारी खेल केंद्रों को रात 10 बजे तक खुला रखने का निर्देश दिया हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी। 

नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

 त्यागराज स्टेडियम में बीते गुरुवार को आईएएस दंपति द्वारा सुविधाओं का दुरुपयोग करते पाए जाने के बाद नई दिल्ली से उनका ट्रांसफर कर दिया गया है। आईएएस संजीव खिरवार को लद्दाख भेजा गया है, जबकि उनकी पत्नी रिंकू धुग्गा को अरुणाचल प्रदेश भेजा गया है। IAS दंपति स्टेडियम में कुत्ता घुमाने को लेकर विवादों में घिर गए थे। वहीं दोनों का ट्रांसफर होने के बाद सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह के सवाल पूछ रहे हैं। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर #DogWalkingIAS भी ट्रेंड कर रहा है। इस दौरान कुछ यूजर्स ने फिल्म बागबान का गाना- मैं यहां, तू वहां.. गाने का मीम शेयर किया है।

दरअसल, दैनिक समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि आईएएस संजीव खिरवार और उनकी पत्नी रिंकू धुग्गा अपने कुत्ते को त्यागराज स्टेडियम में टहलाने के लिए ले जाते थे। दंपति द्वारा कुत्ते को टहलाने के लिए स्टेडियम में प्रमुख एथलीट और कोच को ट्रेनिंग को समय से पहले खत्म करने को कहा जाता था। इसके बाद मजबूरीवश आईएएस दंपति के खिलाफ शिकायत की गई। वहीं इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई है।

संजीव 1994 बैच के IAS अधिकारी हैं, जो फिलहाल दिल्ली में रेवेन्यू कमिश्नर के पद पर तैनात थे। मामला सामने आने के बाद दिल्ली और केंद्र सरकार की काफी किरकिरी हो रही थी, जिसके बाद देर रात IAS दंपत्ति पर एक्शन लिया गया।

आईएएस दंपती का तबादला उन खबरों के सामने आने के बाद किया गया है जिनमें कहा गया था कि खिरवार त्यागराज स्टेडियम में शाम के समय अपने कुत्ते के साथ वॉक पर जाते हैं। इस दौरान खिलाड़ियों और कोच को स्टेडियम छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। तबादले से पहले तक खिरवार दिल्ली के प्रधान सचिव (राजस्व) थे।

ट्रांसफर ऑर्डर के बाद कुछ यूजर्स गृह मंत्रालय की कार्रवाई से खुश हैं और आदेश की सराहना कर रहे हैं।

ट्विटर पर नावीद नाम के एक यूजर मीम के जवाब में कहते हैं, “पति-पत्नी कहीं भी रहे, कुत्ता तो दिल्ली में ही रहेगा।” इस पर एक अन्य यूजर कहता है, “कुत्ता एक दिन पत्नी के पास रहेगा, एक दिन पति के पास।”

गौरतलब है कि त्यागराज स्टेडियम दिल्ली सरकार के अधीन आता है। 2010 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान यह स्टेडियम बना था। यहाँ राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय एथलीटों के साथ ही फुटबॉल खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं। लेकिन, गुरुवार (25 मई 2022) को मीडिया में यह खबर सामने आई थी कि पिछले कुछ समय से एथलीट और कोच परेशान हैं। दैनिक समाचार पत्र को एक कोच ने बताया था, “हम पहले यहाँ 8-8:30 बजे तक ट्रेनिंग कराते थे। लेकिन अब हमें शाम के 7 बजते ही स्टेडियम छोड़ने के लिए कहा जाता है ताकि अधिकारी अपने कुत्ते को टहला सकें। इस वजह से हमारी ट्रेनिंग और प्रैक्टिस पर असर पड़ रहा है।”

वहीं, 1994 बैच के आईएएस अधिकारी खिरवार ने इन आरोपों को सरासर गलत बताया था। उन्होंने ये माना था कि वह ‘कभी-कभी’ अपने पालतू कुत्ते को स्टेडियम में टहलाने के लिए ले जाते हैं। लेकिन इस बात से इनकार किया था कि इससे एथलीटों के प्रैक्टिस पर कोई असर पड़ता है।

इसके उलट कोच और एथलीटों का दावा था ,“पहले, हमने रात 8:30 बजे तक और कभी-कभी रात 9 बजे तक भी यहाँ ट्रेनिंग की। लेकिन अब हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।” कई एथलीटों ने बताया कि उन्होंने अपनी ट्रेनिंग भारतीय खेल प्राधिकरण के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (JLN) में ट्रांसफर कर ली है। वहाँ शाम 7:30 बजे के बाद फ्लडलाइट्स चालू हो जाती है।

बता दें कि मामला के तूल पकड़ने के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि सरकार ने खिलाड़ियों को रात के 10 बजे तक सुविधाएँ मुहैया कराने के निर्देश सभी स्पोर्ट्स सेंटर्स को दिए हैं।

कपिल सिब्बल हाथ छोड़ कर हुए साइकल सवार, अब रजाया सभा जाने की तैयारी

बॉर्डर से सेना हटाओ, तभी आगे बढ़ेगी बात : चीनी विदेश मंत्री से बोले अजीत डोभाल

भारत ने शांति की बहाली के लिए राजनयिक, सैन्य स्तर पर सकारात्मक बातचीत जारी रखने की जरूरत पर जोर दिया है। अजीत डोभाल ने वांग यी से कहा है कि सुनिश्चित किया जाए कि कार्रवाई समान और परस्पर सुरक्षा की भावना का उल्लंघन नहीं करती है। एक ही दिशा में काम करें और बकाया मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाएं। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल  ने चीन के विदेश मंत्री को साफ लहजे में कह दिया है कि जब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control -LAC) से चीनी सेना नहीं हटाई जाएगी, तब तक दोनों देशों के बीच कोई बात नहीं हो सकती।

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट:

चीनी विदेश मंत्री वांग यी आज से भारत दौरे पर हैं। इस दौरान भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री को साफ लहजे में कह दिया है कि जब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से चीनी सेना नहीं हटाई जाएगी, तब तक दोनों देशों के बीच कोई बात नहीं हो सकती। डेढ़ घंटे तक चली इस बातचीत के दौरान भारत ने कहा है बॉर्डर क्षेत्र के बचे हुए इलाके में जल्द और पूरी तरह से सेना को हटाए जाने की जरूरत है, ताकि द्विपक्षीय संबंध स्वाभाविक रास्ते पर आ सकें।

निर्वासित तिब्बती सांसद थुबटेन ग्यात्सो ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा है कि मैं सरकार से चीनी विदेश मंत्री के साथ बैठक के दौरान तिब्बती मुद्दे को उठाने और चीन से दलाई लामा के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की अपील करता हूं। एक और निर्वासित तिब्बती सांसद चोदक ग्यामत्सो ने कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि तिब्बती मुद्दे को दोनों पक्षों द्वारा उठाया जाए। चीनी विदेश मंत्री की इस तरह की यात्रा एक अच्छा संकेत है। दो बड़े एशियाई देशों के लिए सकारात्मक संबंध बनाए रखना आवश्यक है।

तिब्बती यूथ कांग्रेस ने जानकारी दी है कि संगठन वांग यी की भारत यात्रा को लेकर दोपहर दो बजे करीब हैदराबाद हाउस के सामने विरोध-प्रदर्शन करेगी। तिब्बती कार्यकर्ता तेंजिन तुसुंदे ने एक ट्वीट में कहा. “वांग यी के भारत आने से पहले दिल्ली हवाई अड्डे पर एक फ्री तिब्बत प्रदर्शनकारी छात्र पहले से ही मौजूद थे। गलवान के बाद भी कोई भारतीय प्रदर्शनकारी नहीं दिखा।”

चीनी विदेश मंत्री वांग यी 24 मार्च की शाम दिल्ली पहुंचे थे। 2020 में लद्दाख संघर्ष के बाद से यह उनकी पहली भारत यात्रा है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के साथ गतिरोध और जून 2020 में गालवान घाटी में एक हिंसक संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों और कई चीनी सैनिकों की मौत हो गई थी।

अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर भारतीय सेना का तोप खाना तैनात

भारत ने अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पास बोफोर्स तोपें तैनात कर दी हैं। भारत ने अरुणाचल के सीमावर्ती इलाकों में बोफोर्स तोप को तैनात करने का यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब पूर्वी लद्दाख के इलाके में चीन के साथ पिछले कई महीनों से गतिरोध जारी है। बताया जा रहा है कि यह बोफोर्स तोप अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगे अग्रिम चौकियों पर तैनात किये गये हैं। 

नयी दिल्ली:

भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के पास चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा के अग्रिम इलाकों में बोफोर्स तोपों की तैनाती की है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ चल रहे विवाद के बीच इसे भारत की तरफ से बड़ा कदम माना जा रहा है। इसकी जानकारी समाचार एजेंसी ANI ने दी है।

दरअसल हाल ही में चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने अरुणाचल को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि चीन अवैध रूप से बने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देता है और भारत के उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के इस क्षेत्र में किए गए दौरे का विरोध करता है। इस पर भारत की तरफ से भी चीन को बेहद सख्त शब्दों में जवाब दिया गया था।

इससे पहले मंगलवार को खबर आई थी कि अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना ने अपनी पहली एविएशन ब्रिगेड स्थापित कर दी है। इस एविएशन ब्रिगेड का काम सिर्फ फारवर्ड बेस पर सैन्य साजोसामान पहुंचाना और बचाव कार्यों तक ही सीमित नहीं है बल्कि ये ब्रिगेड वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के एयर स्पेस की निगरानी भी करती है. साथ ही ये चीन के एयरस्पेस पर भी पैनी नजर रखती है।

चीन के एयरस्पेस उल्लंघन पर निगाहें
चीन के हेलीकॉप्टरों के लगातार भारतीय एयर स्पेस वायलेशन की खबरें आती रहती हैं। किसी भी तरह के वायलेशन को रोकने का जिम्मा भी अब एविएशन ब्रिगेड के पास है। अरुणाचल के रूपा में इसी काम के लिए एक एयर-स्पेस कंट्रोल सेंटर बनाया गया है।

LAC पर होवित्ज़र तोपों की हुई है तैनाती
हाल ही में अमेरिका से ली गई अल्ट्रा लाइट हॉवित्ज़र तोप M-777 की तैनाती एलएसी के कई इलाकों में की गई है। ये तोप वजन में हल्की होने के कारण ली गई थी जिससे हेलिकॉप्टर के जरिए इन्हें ऊंचे इलाकों में आसानी से कम समय में पहुंचाया जा सके। भारत ने अमेरिका से कुल 145 तोप का सौदा किया जिनमें में पचास फीसदी तोप भारत को मिल चुकी हैं।

आर्टिलरी को लेकर बड़ी तैयारी कर रही है सेना
भारतीय सेना हर तरह की तोप का एक पूरा बुके तैयार कर रही है जिससे हर मैदान में उनका इस्तेमाल किया जा सके. भारतीय सेना ने आर्टिलरी के आधुनिकीकरण के लिए जो प्लान बनाया है उसके मुताबिक 2025 से 2027 तक 3000 से 3600 तोपों को रेजिमेंट में शामिल करना है.

भाजपा ने 8125 कुल सीटों में से 6458 को जीत कर इतिहास रच दिया

अरुणाचल प्रदेश में हुए इस चुनाव की बात करें तो 242 जिला परिषद सीटों और 8,175 ग्राम पंचायत सीटों के लिए 22 दिसंबर को 73 फीसद मतदान हुआ था। इस चुनाव को लेकर अरुणाचल प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयुक्त हेग कोजिन ने जानकारी दी कि 98 जिला परिषद और 6,168 ग्राम पंचायत सदस्य बिना किसी मुकाबले के निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे। शनिवार को कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए इन पंचायत और निगम चुनाव के लिए अरुणाचल प्रदेश में मतगणना चल हुई थी। वहीं अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट नगर निगम (पीएमसी) की आठ में से छह सीटें जीत कर भाजपा ने स्थानीय निकाय का शासन कांग्रेस के हाथों से छीन लिया है।

असम/नयी दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी ने (BJP) अरुणाचल प्रदेश में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में कमाल का प्रदर्शन किया है। भाजपा ने न सिर्फ कॉन्ग्रेस, बल्कि उत्तर-पूर्व की स्थानीय राजनीतिक दलों को भी पटखनी देकर इतिहास रच दिया। पंचायत और जिला परिषद स्तर पर भाजपा को मिली बड़ी सफलता 2019 की याद दिला गई। तब राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने 60 में से 41 सीटें और 50.86% वोट शेयर पाकर सरकार बनाई थी।

पासीघाट म्युनिसिपल काउंसिल की बात करें तो यहाँ BJP ने 8 में से 6 सीटें जीतीं और कॉन्ग्रेस मात्र 2 पर सिमट कर रह गई। वहीं ईटानगर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में भाजपा ने 20 में से 10 सीटें जीत ली और दूसरे नंबर पर 9 सीटों के साथ जदयू रही। कोर्नाड संगमा की NPP को 1 सीट मिली, जो मेघालय में भाजपा की सहयोगी पार्टी है। पासीघाट और ईटानगर में भाजपा की जीत से अरुणाचल के बड़े शहरों में उसकी पैठ का पता चलता है।

वहीं अगर ग्रामीण इलाकों की बात करें तो जिला परिषद की 237 सीटों में से भाजपा ने 187 सीटें जीतीं। भाजपा ने जिला परिषद की 78.9% सीटें जीत लीं। दूसरी पार्टियों का प्रदर्शन इतना बुरा रहा कि 22 सीटों के साथ निर्दलीय ने ये स्थान काबिज किया। जदयू को जिला परिषद में 10 और कॉन्ग्रेस को 9 सीटों पर कामयाबी मिली। वहीं NPP ने भी 6 सीटें जीती। कुल मिला कर भाजपा का यहाँ एकतरफा दबदबा रहा।

जहाँ तक ग्राम पंचायत की बात है, उसमें भाजपा को जिला परिषद से भी बड़ी सफलता मिली। भाजपा ने ग्राम पंचायत सदस्यों की 79.48% सीटों को अपने नाम किया। भाजपा ने 8125 कुल सीटों में से 6458 को जीत कर इतिहास रच दिया। ग्राम पंचायत में भी 974 सीटों के साथ निर्दलीय दूसरे स्थान पर रहे। कॉन्ग्रेस को 328 तो NPP को 238 सीटें प्राप्त हुईं। जदयू ने भी 121 सीटें जीत कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

कुल मिला कर देखें तो पूरे स्थानीय निकाय चुनावों में अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने कुल 8390 सीटों में से 6661 को जीत कर एकतरफा दबदबा कायम किया और राज्य में अपनी स्थिति पूरी तरह मजबूत कर ली। 79.39% सीटों पर जीत को मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परफॉरमेंस पर जनता के मुहर के रूप में भी देखा जा रहा है। सीएम खांडू ने इसे मोदी सरकार के कामकाज का नतीजा बताया है और जनता का धन्यवाद किया है।

अब अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में भी जदयू के 6 विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी के विधायकों की संख्या 48 हो गई है। इसके 1 दिन बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ दिया और उनकी जगह उनके ही विश्वस्त आरसीपी सिंह को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का नया अध्यक्ष चुना गया। अरुणाचल की राजनीति का असर बिहार में भी देखने को मिल रहा है।

नगालैंड के पूर्व राज्यपाल अश्वनी कुमार ने आत्महत्या की

पूर्व आईपीएस अधिकारी ने यह खौफनाक कदम क्यों उठाया, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। फिलहाल एसपी शिमला मोहित चावला की अगुवाई में पुलिस टीम घटनास्थल पर मौजूद है और मामले में जांच कर रही है। पुलिस को घटनास्थल से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। जिनमें लिखा गया है कि जिंदगी से तंग आकर अगली यात्रा पर निकल रहा हूं। खुदकुशी की इस घटना से हर कोई स्तब्ध है। 

अजय सिंगला, शिमला:

नगालैंड के पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व सीबीआई निदेशक और हिमाचल के पूर्व पुलिस महानिदेशक रहे अश्वनी कुमार ने बुधवार को रस्सी से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस सूत्रों के अनुसार शिमला स्थित ब्राकहास्ट में उनके आवास में पूर्व आईपीएस अधिकारी अश्वनी कुमार का शव लटका पाया गया। उन्होंने यह  कदम क्यों उठाया, इसकी पुष्ट जानकारी अभी सामने नहीं आई है। हालांकि पुलिस को मिले सुसाइड नोट में अश्वनी कुमार ने बीमारी से तंग आकर जान देने की बात लिखी है।

उन्होंने लिखा कि जिंदगी से तंग आकर अगली यात्रा पर निकल रहा हूं और मौत के बाद उनके अंग दान कर दिए जाएं। एसपी शिमला मोहित चावला की अगवाई में देर रात पुलिस टीम घटनास्थल पर जुटी रही। एफ एसएल की टीम भी जांच कर रही है। 70 वर्षीय अश्वनी कुमार का जन्म सिरमौर के जिला मुख्यालय नाहन में हुआ था। वह आईपीएस अधिकारी थे और सीबीआई एवं एलीट एसपीजी में विभिन्न पदों पर भी रहे। तीन साल तक सीबीआई के डायरेक्टर रहे थे। वह सीबीआई के पहले ऐसे प्रमुख रहे, जिन्हें बाद में राज्यपाल बनाया गया था।

उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। हालांकि वर्ष 2014 में उन्होंने पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद वह शिमला में निजी विश्वविद्यालय एपीजी के वाइस चांसलर भी रहे। सीआईडी इस विवि में हुए फर्जी डिग्री मामले की भी जांच कर रही है। प्रदेश पुलिस के उच्च अधिकारी और सीबीआई के अफसर देर शाम उनके निवास स्थान पर पहुंच गए। पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया है। ड्यूटी पर तैनात गार्ड ने बताया कि शाम 4:40 बजे वह बाहर गए थे। अश्वनी कुमार मार्च 2013 से 2014 तक नगालैंड के राज्यपाल रहे।  वर्ष 2006 से 2008 तक डीजीपी हिमाचल और वर्ष 2008 से 2010 तक सीबीआई निदेशक तैनात रहे। 

हमारे लिए तो प्रेरणास्रोत थे अश्वनी कुमार: भंडारी

पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी ने कहा कि उनके लिए तो अश्वनी कुमार प्रेरणास्रोत थे। वह बहुत मेहनती थे। वह उनके एसपी भी रहे। उन्होंने 1984 के आसपास उन्हीं के पास ज्वाइन किया था। वह ईमानदार और कर्मठ आदमी थे। यह बहुत ही दुखद बात है।

उनके लिए सदमे की तरह है

पूर्व डीजीपी डीएस मन्हास ने भी उनके इस तरह से शरीर छोड़ने पर बहुत दुख जताया। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। पूर्व एडीजीपी केसी सडयाल ने भी कहा कि यह बहुत ही दुखद है। 

एलएसी पर भारत ने चीनी गोलाबारी का यथेष्ट जवाब दिया

  • 45 साल पहले हुई भारत-चीन के बीच आखिरी फायरिंग
  • 1975 में चीन ने धोखे से अरुणाचल में किया था हमला
  • चीन की फायरिंग में असम राइफल्स के 4 जवान शहीद हुए थे और अब
  • भारत-चीन के बीच सीमा पर फायरिंग
  • पैंगोंग इलाके के पास वॉर्निंग शॉट फायर

जे&के(ब्यूरो):

भारत और चीन की सीमा पर मई से जारी तनाव एक बार फिर अपने चरम पर पहुंच गया है. सोमवार की रात को लद्दाख सीमा पर वो हुआ जो पिछले चार दशक में नहीं हुआ था. LAC पर बीती रात गोलीबारी की घटना हुई, जहां दोनों ओर से फायरिंग की गई. हालांकि, इस फायरिंग में किसी को निशाना नहीं बनाया गया. ऐसे में जहां दोनों देश बातचीत से मसला सुलझाने की बात कर रहे हैं, तब LAC पर हालात बेकाबू होते जा रहे हैं.

क्या हुआ बीती रात को?

लद्दाख सीमा पर लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है. काला टॉप और हेल्मेट टॉप समेत पैंगोंग इलाके के कई हिस्सों में भारतीय सेना का कब्जा है, जो रणनीतिक तौर पर काफी अहम है. यही कारण है कि चीन की सेना बौखला गई है. इसी बौखलाहट में चीनी सेना सोमवार की रात को बॉर्डर पर आगे बढ़ने लगी. इसी दौरान भारतीय सेना की ओर से वार्निंग शॉट (चेतावनी के लिए हवा में फायरिंग) दागे गए, जिसके बाद चीनी सेना के जवान पीछे हट गए.

यहां चीनी सेना की ओर से भी गोलीबारी की गई, जिसका फिर भारतीय सेना ने जवाब दिया. हालांकि, कुछ देर की फायरिंग के बाद हालात काबू में हैं.

हाल ही दिनों में देखें तो इससे पहले 31 अगस्त की रात को भी फायरिंग की बात सामने आई थी. तब चीनी सेना ने पैंगोंग इलाके के पास से भारतीय सेना को हटाने के लिए फायरिंग की थी, हालांकि वो किसी तरह की आक्रामक फायरिंग नहीं थी.

आपको बता दें कि 1975 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब चीन और भारत की सीमा पर गोली चली हो. इससे पहले दोनों देशों ने गोली ना चलाने और किसी की जान ना गंवाने को लेकर समझौता किया था. लेकिन बीते 15 जून को भारत के 20 जवान शहीद हुए और अब गोली चल गई.

20 अक्टूबर 1975 को चीन की धोखेबाजी
भारत का कहना है कि 20 अक्टूबर 1975 को चीनी सैनिक घुसपैठ कर दक्षिण तुलुंग ला में भारतीय सीमा में आ गए थे, यहां से उन्होंने असम राइफल्स के जवानों पर घात लगाकर हमला किया. चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर गोलियां चलाईं. 

इस बाबत एक भारतीय अधिकारी ने तब द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया था कि चीन ने घात लगाकर ये हमला भारतीय सीमा में घुसकर किया था. इस इलाके में भारतीय सेना कई सालों से पैट्रोलिंग करती थी. इस घटना पर भारतीय सेना ने चीन के सामने कड़ी प्रतक्रिया जताई थी. चीन ने इस घटना को लेकर पहले तो इनकार किया लेकिन 3 नवंबर 1975 को चीन ने इस घटना को स्वीकार किया लेकिन फ्रांस के अखबार La Monde के मुताबिक चीन ने बड़ी बेशर्मी से इस घटना की जिम्मेदारी भारत पर डाल दी. चीन ने कहा कि उसके सैनिकों ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाई थीं. 

चीन की ओर से क्या कहा गया?

बीती रात को हुई इस घटना पर चीन ने एक बार फिर भारत पर ही आरोप लगा दिया है. चीनी सेना की ओर से बयान में कहा गया कि भारतीय सेना ने अवैध तरीके से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को पार किया गया. इसी दौरान भारत ने चीनी सैनिकों पर वार्निंग शॉट फायर किया, ऐसे में चीनी सेना को इसका जवाब देना पड़ा.

इससे पहले भी चीनी सेना की ओर से 29-30 अगस्त की रात, 31 और 1 तारीख को घुसपैठ की कोशिश की गई थी. हालांकि, हर बार ये कोशिश सफल नहीं हो पाई, उल्टा भारतीय सेना ने पैंगोंग इलाके के पास अहम जगहों पर अपना कब्जा कर लिया.