ओपन राष्ट्रीय स्कूल कुश्ती प्रतियोगिता में 7 मैडल प्राप्त करके लौटे छात्रों का सम्मान

रोहतक, 27 जुलाई:

जुलाई में जालन्धर में आयोजित विद्यार्थी ओपन राष्ट्रीय स्कूल कुश्ती प्रतियोगिता में 7 मैडल प्राप्त करके लौटने पर लखीराम अनाथालय की तरफ से उत्साहवर्धन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि जिला सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवाओं के अध्यक्ष संत प्रकाश थे। विशिष्ठ अतिथि के रूप में वरिष्ठ सिविल जज श्री हरीश गोयल, सिविल सर्जन डा. अनिल बिरला, डिप्टी सिविल सर्जन केएल मलिक तथा डीसीपीओ नरेंद्र रहे। मुख्य अतिथि ने कहा कि मुझे यहां आकर बहुत प्रसन्नता होती है और उन्होंने बालको के उज्जवल भविष्य के टिप्स भी दिए। मैडल प्राप्त करने वाले पहलवान शिवा व हिमांशु ने गोल्ड, पंकज व साहिल ने सिल्वर तथा अरूण, दिपांशु तथा अभिषेक ने ब्रांज मैडल प्राप्त किए। 10वीं व बारहवीं में मैरिट प्राप्त करने वाले साहिल व सागर को भी सम्मानित किया। प्रधान राजबीर आर्य, युवराज सुनील राठी, उपप्रधान बिजेंद्र राठी, कुलदीप सिंधु, सुभाष सांगवान, कर्णसिंह मोर, हवा सिंह राठी आदि उपस्थित रहे। दयानंद शर्मा, संदीप आर्य, शास्त्री जी व पारूल स्टाफ को भी अच्छा कार्य करने पर बधाई दी।

6 Gold medals & setting Two New World Records Sidhu twins are back

 

Tricity’s Star Shooters Twin brothers Udhayveer Sidhu and Vijayveer Sidhu returning home today after Winning 13 Medals (including 6 Gold medals & setting Two New World Records) in Junior Shooting World Cup held at Shul , Germany.
They will land at Chandigarh Airport at 2.45PM
In ISSF Junior Shooting World Cup ,Suhl, Germany ( June 22 – 29,2018)
Udhayveer Sidhu :-
1. Individual Bronze in 25m sports pistol
2. Team Gold in 25m sports pistol with new world record of team score
3. Team Bronze in 10m air pistol

Vijayveer Sidhu:-
1. Team gold in 25m sports pistol with New World Record
2. Individual Gold in 25m standard pistol.
3. Team Gold in 25m standard pistol with New World Record
4. Silver medal in Mixed event in 25m standard pistol.
In World Cup total : both brothers:
Gold – 4
Silver- 1
Bronze- 2
= 7..

In 28th Meeting of the Shooting Hopes ,Czech Republic ,July 11-15,2018
Udhayveer Sidhu:-
1. Individual Bronze in 25m sports pistol
2. Team Gold in 25m sports pistol.
3. Team Silver in 10m Air pistol.

Vijayveer Sidhu:-
1. Individual Silver in 25m sports pistol.
2. Team Gold in 25m sports pistol
3. Individual Bronze in 50m free pistol.

Total both brothers :
Gold -2
Silver- 2
Bronze – 2
= 6

Grand Total –
Gold – 6
Silver – 3
Bronze – 4
= 13

4-2 से फ्रांस ने फिफा 2018 अपने नाम किया


फ्रांस ने फाइनल में क्रोएशिया को 4-2 से पराजित किया. वो 1998 में पहली बार विश्व कप में फाइनल खेली थी और जीतने में सफल रही थी


 

रेफरी की अंतिम सीटी बजते ही फ्रांस जश्न में डूब गया. मैच के अंतिम पलों में ही बेंच पर बैठे उसके खिलाड़ी, कोच, सपोर्ट स्टाफ और फैंस जश्न में मूड में आ गए थे. फ्रांस ने रविवार को मास्को के लुज्निकी स्टेडियम में फीफा विश्व कप के 21वें संस्करण में एक बार फिर अपनी बादशाहत साबित कर दी. महत्वपूर्ण मौकों पर स्कोर करने की अपनी काबिलियत और भाग्य के दम पर उसने रोमांचक फाइनल में दमदार क्रोएशिया को 4-2 से हराकर दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया.

 

फ्रांस ने इससे पहले 1998 में विश्व कप जीता था. तब उसके कप्तान डिडियर डेस्चैम्प्स थे जो अब टीम के कोच हैं. इस तरह से डेस्चैम्प्स खिलाड़ी और कोच के रूप में विश्व कप जीतने वाले तीसरे व्यक्ति बन गए हैं. उनसे पहले ब्राजील के मारियो जगालो और जर्मनी फ्रैंज बेकनबॉर ने यह उपलब्धि हासिल की थी.

फ्रांस ने 18वें मिनट में मारियो मांजुकिच के आत्मघाती गोल से बढ़त बनाई, लेकिन इवान पेरिसिच ने 28वें मिनट में बराबरी का गोल दाग दिया. फ्रांस को हालांकि जल्द ही पेनल्टी मिली जिसे एंटोनी ग्रीजमैन ने 38वें मिनट में गोल में बदला जिससे फ्रांस मध्यांतर तक 2-1 से आगे रहा.

पॉल पोग्बा ने 59वें मिनट में तीसरा गोल दागा, जबकि किलियन एम्बाप्पे ने 65वें मिनट में फ्रांस की बढ़त 4-1 कर दी. जब लग रहा था कि अब क्रोएशिया के हाथ से मौका निकल चुका है तब मांजुकिच ने 69वें मिनट में गोल करके उसकी उम्मीद जगाई. क्रोएशिया पहली बार फाइनल में पहुंचा था. उसने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किए और अपने कौशल और चपलता से दर्शकों का दिल भी जीता, लेकिन आखिर में ज्लाटको डॉलिच  की टीम को उप विजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा. निसंदेह क्रोएशिया ने बेहतर फुटबॉल खेली लेकिन फ्रांस ने अधिक प्रभावी और चतुराईपूर्ण खेल दिखाया. यही उसकी असली ताकत है जिसके दम पर वह 20 साल बाद फिर चैंपियन बनने में सफल रहा.

दोनों टीमें 4-2-3-1 के संयोजन के साथ मैदान पर उतरी. क्रोएशिया ने इंग्लैंड की खिलाफ जीत दर्ज करने वाली शुरुआती एकादश में बदलाव नहीं किया तो फ्रांसीसी कोच डेस्चैम्प्स ने अपनी रक्षापंक्ति को मजबूत करने पर ध्यान दिया. क्रोएशिया ने अच्छी शुरुआत और पहले हाफ में न सिर्फ गेंद पर अधिक कब्जा जमाए रखा, बल्कि इस बीच आक्रामक रणनीति भी अपनाए रखी. उसने दर्शकों में रोमांच भरा, जबकि फ्रांस ने अपने खेल से निराश किया. यह अलग बात है कि भाग्य फ्रांस के साथ था और वह बिना किसी खास प्रयास के दो गोल करने में सफल रहा.

मैच की महत्वपूर्ण बातें

फ्रांस के पास पहला मौका 18वें मिनट में मिला और वह इसी पर बढ़त बनाने में कामयाब रहा. फ्रांस को दायीं तरफ बॉक्स के करीब फ्री किक मिली. ग्रीजमैन का क्रास शॉट गोलकीपर डेनियल सुबासिच की तरफ बढ़ रहा था. लेकिन तभी मांजुकिच ने उस पर हेडर लगा दिया और गेंद गोल में घुस गई. इस तरह से मांजुकिच विश्व कप फाइनल में आत्मघाती गोल करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए. यह वर्तमान विश्व कप का रिकॉर्ड 12वां आत्मघाती गोल है.

पेरिसिच ने हालांकि जल्द ही बराबरी का गोल करके क्रोएशियाई प्रशंसकों और मांजुकिच में जोश भरा. पेरिसिच का यह गोल दर्शनीय था जिसने लुज्निकी स्टेडियम में बैठे दर्शकों को रोमांचित करने में कसर नहीं छोड़ी. क्रोएशिया को फ्री किक मिली और फ्रांस इसके खतरे को नहीं टाल पाया. मांजुकिच और डोमागोज विडा के प्रयास से गेंद विंगर पेरिसिच को मिली. उन्होंने थोड़ा समय लिया और फिर बाएं पांव से शॉट जमाकर गेंद को गोल के हवाले कर दिया. फ्रांसीसी गोलकीपरी ह्यूगो लॉरिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था.

लेकिन इसके तुरंत बाद पेरिसिच की गलती से फ्रांस को पेनल्टी मिल गई. बॉक्स के अंदर गेंद पेरिसिच के हाथ से लग गई. रेफरी ने वीएआर की मदद ली और फ्रांस को पेनल्टी दे दी. अनुभवी ग्रीजमैन ने उस पर गोल करने में कोई गलती नहीं की. यह 1974 के बाद विश्व कप में पहला अवसर है जबकि फाइनल में मध्यांतर से पहले तीन गोल हुए.

क्रोएशिया ने दूसरे हाफ में भी आक्रमण की रणनीति अपनाई और फ्रांस को दबाव में रखा. खेल के 48वें मिनट में लुका मोड्रिच ने एंटे रेबिच का गेंद थमाई, जिन्होंने गोल पर अच्छा शॉट जमाया. लेकिन लॉरिस ने बड़ी खूबसूरती से उसे बचा दिया.

लेकिन गोल करना महत्वपूर्ण होता है और इसमें फ्रांस ने फिर से बाजी मारी. दूसरे हाफ में वैसे भी उसकी टीम बदली हुई लग रही थी. खेल के 59वें मिनट में किलियन एम्बाप्पे ने दाएं छोर से गेंद लेकर आगे बढ़े. उन्होंने पोग्बा तक गेंद पहुंचाई जिनका शॉट विडा ने रोक दिया. रिबाउंड पर गेंद फिर से पोग्बा के पास पहुंची जिन्होंने उस पर गोल दाग दिया.

इसके छह मिनट बाद एम्बाप्पे ने ने स्कोर 4-1 कर दिया. उन्होंने बाएं छोर से लुकास हर्नाडेज से मिली गेंद पर नियंत्रण बनाया और फिर 25 गज की दूरी से शॉट जमाकर गोल दाग दिया जिसका विडा और सुबासिच के पास कोई जवाब नहीं था. एम्बाप्पे ने 19 साल, 207 दिन की उम्र में गोल दागा और वह विश्व कप फाइनल में गोल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए. पेले ने 1958 में 17 साल की उम्र में गोल दागा था.

क्रोएशिया लेकिन हार मानने वाला नहीं था. तीन गोल से पिछड़ने के बावजूद उसका जज्बा देखने लायक था. लेकिन उसने दूसरा गोल फ्रांसीसी गोलकीपर लॉरिस की गलती से किया. उन्होंने तब गेंद को ड्रिबल किया जबकि मांजुकिच पास में थे. क्रोएशियाई फारवर्ड ने उनसे गेंद छीनकर आसानी से उसे गोल में डाल दिया. इसके बाद भी क्रोएशिया ने हार नहीं मानी. उसने कुछ अच्छे प्रयास किए, लेकिन उसके शॉट बाहर चले गए. इस बीच इंजरी टाइम में पोग्बा को अपना दूसरा गोल करने का मौका मिला, लेकिन वह चूक गए.

Coach Arothe resigns after players’ revolt


Indian women’s cricket team coach Arothe resigned as head coach on Tuesday (10th July) over the alleged differences with some of the senior players, who had protested against his training methods.

This is the second time during the Supreme Court appointed Committee of Administration (CoA) tenure that a national coach has stepped down after players’ revolt. Last year, Indian men’s cricket team head coach Anil Kumble resigned after his much-publicised differences with captain Virat Kohli.

“The BCCI on Tuesday accepted India women’s team coach Tushar Arothe’s resignation. Arothe cited personal reasons behind his resignation and thanked the BCCI for giving him an opportunity to work with the Indian women’s cricket team,” the BCCI said in a media release.

However, a senior BCCI official told press that Arothe was forced to resign after some senior players, with reasonable influence, wanted his immediate ouster.

“It was almost final after the last meeting of CoA with the senior players. BCCI acting secretary Amitabh Chaudhary, GM (Cricket Operations) Saba Karim and CEO Rahul Johri were also present. There has been adverse reports about his coaching methods from players, selectors and even the team manager,” a senior BCCI official, privy to the development told PTI on the condition of anonymity.

When the official was asked whether a couple of senior players had a major role in Arothe’s ouster, he said: “Yes, they were against him.”

CoA member Diana Edulji, a former India captain, is currently calling the shots as far as women’s cricket is concerned.

While BCCI didn’t divulge names, it has been learnt that ODI captain Mithali Raj and Twenty20 captain Harmanpreet Kaur did not have good things to say about Arothe’s coaching methods when the BCCI bigwigs sought their feedback.

Arothe, who was a Baroda stalwart with an experience of 114 first-class games, had guided the team to the 50-over World Cup final in England last year.

The Indian team also won ODI and T20 series in South Africa in February this year but things went downhill since then.

India had a dismal T20 tri-series against England and Australia and then lost the ODI series against the Southern Stars.

However, it was twin defeat against minnows Bangladesh in the Asia Cup including one in the final, that became the last straw.

One of the major reason of discontent was Arothe’s training methods. While the coach was keen on having two practice sessions of two and half hours each in morning and afternoon, some of the seniors in their mid-30s were finding it difficult to cope with the strenuous schedule.

It was because of their protest that the Indian team’s camp from June 15 to 25 was cancelled as BCCI was getting ready to show Arothe the door.

“We will again put up an advertisement and interview process will be followed,” said the official.

The state government has decided to strip Harmanpreet of the DSP rank


The Deputy Superintendent of Police rank, according to Indian women’s cricket team twenty 20 skipper Harmanpreet Kaur, has reportedly been withdrawn by the Punjab government.


The Deputy Superintendent of Police rank, according to Indian women’s cricket team twenty 20 skipper Harmanpreet Kaur, has reportedly been withdrawn by the Punjab government over the controversy over her graduation degree. According to The Times of India, the decision was taken by the state government after a probe confirmed that her degree was fake.

Reacting to the report, Harmanpreet Kaur’s manager said that no official communication had been received by the cricketer. He said, “We have not received any official letter from Punjab police regarding the termination of her job. This is the same degree which she submitted in the Railways. How it can be fake and forged?”

This comes days after the cricketer snubbed mediapersons when the controversy about her degree came to the fore. She had made mediapersons wait for over an hour outside her vanity van during an event in Mohali.

After hours of persuasion, Harmanpreet Kaur had issued a statement saying, “I am aware of it (controversy), government is taking care of that. I am hoping for a positive response.”

Harmanpreet was earlier employed with the Indian Railways but was relieved from her duties earlier in 2018 after she put in a request to join Punjab Police.

The Punjab government had also taken up the matter with the Railway Ministry to waive the bond condition and allow Harmanpreet, who is a native of Moga, to join as a DSP in Punjab Police from March 1.

The Times of India report says that the Punjab government has written a letter to her communicating that since her educational qualification remains that of a class 12 passout, she can be retained in Punjab Police department only as a constable.

It further said that though the state government has decided to strip her of the DSP rank, they would not go ahead with any legal action against Harmanpreet, citing her international repute as an Indian cricketer.

Degree of Commonwealth Gold Medallist Mandeep Kaur was found to be fake


“Harmanpreet had produced the graduation degree conferred on her purportedly by the Chaudhary Charan Singh University, Meerut.” MK Tiwari, DGP (administration)  


Indian women Twenty 20 Captain and Arjuna awardee, Harmanpreet Kaur is likely to face a difficult situation as her graduation degree has come under suspicion, during the verification process. She has joined as DSP in March 2018 this year after resigning from the western railways.

During the verification process of the certificates of the Harmanpreet Kaur, the graduation degree offered by her is found to be bogus.  She had produced the graduation degree conferred on her purportedly by the Chaudhary Charan Singh University, Meerut.


“I don’t know who has told you this. Waise to Aisa Kuch Hain Nahi (There is nothing like this). I can only talk to you after talking to my department.” Harmanpreet 


A senior official has confirmed that the police department has sent a proposal to the home department with recommendation that Harmanpreet Kaur could not continue as a DSP because of the lack of an authentic graduation degree.

This is the second case where a graduation degree produced by the sportsperson has been found to be bogus. Earlier, the degree of Commonwealth Gold Medallist Mandeep Kaur was found to be fake.

वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा को डीडीसीए के अध्यक्ष चुने गये

 

नई दिल्ली।

वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा को दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) का अध्यक्ष चुन लिया गया है। रजत शर्मा को 54.40 प्रतिशत वोट मिले। उन्हें कुल 1521 वोट मिले। इसके अलावा, राकेश कुमार बंसल को डीडीसीए का नया उपाध्यक्ष निर्वाचित किया गया है। राकेश को डीडीसीए के चुनाव में कुल 1364 यानी 48.87 प्रतिशत वोट मिले। रजत शर्मा ने अध्यक्ष पद के चुनाव में पूर्व क्रिकेटर मदन लाल को हराया। मदन लाल को कुल 1004 वोट मिले। सचिव पद के लिए मंजीत सिंह ने विनोद कुमार तिहारा को अच्छी टक्कर दी। मंजीत को कुल 998 वोट मिले जबकि तिहारा को 1374 मत मिले।

डीडीसीए कार्यकारिणी के लिए 30 जून को चुनाव हुए थे। राजन मनचंदा संयुक्त सचिव चुने गए हैं। उन्हें कुल 1402 (50.23 प्रतिशत) वोट मिले। डीडीसीए के कोषाध्यक्ष के रूप में ओ.पी. शर्मा का चयन किया गया है। शर्मा को कुल 1365 (48.91 प्रतिशत) वोट मिले।

1241 वोटों के साथ संजय भारद्वाज को डीडीसीए के प्रथम श्रेणी क्रिकेटर निदेशक चुना गया। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व टेस्ट खिलाड़ी सुरेंद्र खन्ना को इस पद के चुनाव में 479 वोट मिले। उनसे अधिक वोट इस पद के लिए अंजली शर्मा को मिले। अंजली को 891 वोट मिले। ऐसे में सबसे अधिक वोटों के साथ भारद्वाज ने इस पद को हासिल किया।

डीडीसीए की महिला निदेशक के रूप में रेनू खन्ना का चयन हुआ है। उन्होंने इस पद पर 1342 वोटों के साथ जीत हासिल की है। एसोसिएशन के पांच निदेशकों के रूप में आलोक मित्तल, अपूर्व जैन, नितिन गुप्ता, शिव नंदन शर्मा और सुधीर कुमार अग्रवाल को निर्वाचित किया गया। आलोक को 1325, अपूर्व को 1286, नितिन को 1291, शिव को 972 और सुधीर को 1095 वोट मिले। डीडीसीए चुनाव पांच साल बाद आयोजित हुए। इससे पहले, साल 2013 में डीडीसीए के चुनाव हुए थे।

कुलदीप जी के पास विधानसभा जाने का वक्त नहीं, सीएम साहब ने आईना दिखाया तो मिर्ची लग गई -जवाहर यादव

जितना भजनलाल परिवार के लोग पिछले तीन दिनों में अखबारों, टीवी और सोशल मीडिया पर बोले हैं, उतना 4 साल में परिवार के दोनों विधायक कुल मिलाकर भी वहां नहीं बोले जहां उन्हें बोलना चाहिए था। विधानसभा में कुलदीप बिश्नोई और रेणुका बिश्नोई की हाजिरी और सक्रियता हरियाणा के लोग देखेंगे तो कह उठेंगे कि ऐसे विधायक भगवान किसी को ना दे।
अब तक हरियाणा में भाजपा की सरकार बनने के बाद हुए विधानसभा सत्रों में बिश्नोई दंपति की हाजिरी 33% भी नहीं है जिसे किसी भी परीक्षा में पास होने के लिए अनिवार्य माना जाता है। अब तक हुई 66 बैठकों में से कुलदीप बिश्नोई 21(32%) बार और रेणुका 19(29%) बार विधानसभा पहुंचे हैं। यानी सत्र के दो तिहाई वक्त तो उन्होंने विधानसभा जाना जरूरी ही नहीं समझा और बर्बाद कर दिया।
जब जाते हैं तब भी कुलदीप व रेणुका बिश्नोई अक्सर हाज़िरी लगाकर लौट आते हैं। सैशन कई घंटे चलता है लेकिन ये मेहमान कुछ मिनटों में ही फुर्र हो जाते हैं।
इन दोनों की सक्रियता का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि कुलदीप जी ने आज तक एक भी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव नहीं दिया है जबकि उनकी पत्नी ने भी सिर्फ 4 ऐसे प्रस्ताव दिए हैं। जबकि विपक्ष व सत्ता पक्ष के अन्य विधायक ऐसे दर्जनों प्रस्ताव देते रहे हैं।
कुलदीप बिश्नोई तो इतने महान हैं कि अब तक 4 साल में उनकी तरफ से विधानसभा में सवाल भी बस 1 पूछा गया है। इन साहब का अतारांकित प्रश्नों में खाता ही नहीं खुला जबकि तारांकित प्रश्नों में इनके लगाए 4 सवालों में से 1 को ही पूछने लायक माना गया। मान गए, कमाल के नेता हैं कुलदीप बिश्नोई।
रेणुका जी से हाथ जोड़ प्रार्थना है जो कुलदीप जी ने ट्रक भर पत्र सीएम साहब को लिखे थे वो भी मीडिया को दिखा दे ट्रक की व्यवस्था में कर दूँगा जो उन पत्रों की फ़ोटो कॉपी चंडीगढ़ ला सके ।
तो अब आप समझ सकते हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा सच का सामना करवाए जाने पर कुलदीप-रेणुका इतने परेशान क्यों हो उठे। जो इन्सान अपने किसी भी दायित्व में ईमानदार ना हो, जिसमें संघर्ष की इच्छाशक्ति ना हो, जो आरामपरस्त हो चुका हो और बस मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब पाले दिन काट रहा हो, उसको लेकर जनता भी देर-सवेर भी सच का सामना करेगी ही।

फीफा आज


फीफा वर्ल्ड कप 2018 के 12वें दिन ग्रुप ए और ग्रुप बी की सभी टीमों ने अपने ग्रुप के आखिरी मैच खेले। ग्रुप ए से जहां रूस और उरुग्वे पहले ही क्वालीफाई कर चुके थे। उरुग्वे ने रूस को हराकर ग्रुप स्टैंडिंग में पहला स्थान हासिल किया। वहीं ग्रुप बी बेहद रोमांचक स्थिति में था और यहां स्पेन, पुर्तगाल और ईरान के पास क्वालीफाई करने का मौका था लेकिन ईरान के हाथों निराशा लगी। स्पेन ने जहां ग्रुप स्टैंडिंग में टॉप किया तो वहीं पुर्तगाल दूसरे स्थान पर रही।

ये रहे भारतीय समय अनुसार टूर्नामेंट में आज होने वाले मुकाबले:

ऑस्ट्रेलिया बनाम पेरू (ग्रुप सी, शाम 7.30 बजे)
डेनमार्क बनाम फ्रांस (ग्रुप सी, शाम 7.30 बजे)
नाइजीरिया बनाम अर्जेंटीना (ग्रुप डी, रात 11.30 बजे)
आइसलैंड बनाम क्रोएशिया (ग्रुप डी, रात 11.30 बजे)


ऑस्ट्रेलिया बनाम पेरू

दो मैच में एक अंक के साथ ऑस्ट्रेलिया तीसरे स्थान पर है तो पेरू अब तक बिना खाता खोले चौथे स्थान पर है। यहां पर ऑस्ट्रेलिया के पास अगले राउंड के लिए क्वालीफाई करने का मौका है अगर वो अपना मैच जीतते हैं और फ्रांस बड़े अंतर से डेनमार्क को हरा देती है।

पेरू इस मैच में केवल अपने सम्मान के लिए लड़ने उतरेंगे। दो मैच में मिली हार कर बाद पेरू की टीम सम्मान से वर्ल्ड कप 2018 को अलविदा कहने के इरादे से उतरेगी।

मैच का रुख बदलने लायक खिलाड़ी: माइल जेडनैक

संभावित नतीजा: ऑस्ट्रेलिया की जीत


डेनमार्क बनाम फ्रांस

ग्रुप सी से डेनमार्क की टीम पहले ही क्वालीफाई कर चुकी है और अगले राउंड के लिए दूसरी टीम कौन सी होगी ये देखना दिलचस्प होगा। यहां पर डेनमार्क को जीत या मैच ड्रॉ ही अगले राउंड के लिए क्वालीफाई कर सकती है।

फ्रांस ग्रुप में अबतक कोई भी मैच नहीं हारा है और इसलिए उन्हें रोकना डेनमार्क के लिए आसान काम नहीं होगा। पॉल पोग्बा, किलियन म्बप्पे और एंटोइन ग्रीज़मन जैसे स्टार खिलाड़ियों से भरी फ्रांस की टीम यहां मजबूत दिखाई दे रही है।

मैच का रुख बदलने लायक खिलाड़ी: पॉल पोग्बा

संभावित नतीजा: फ्रांस की जीत


नाइजीरिया बनाम अर्जेंटीना

अर्जेंटीना की अगले राउंड के लिए क्वालीफाई करने की सारी उम्मीदें इस मैच पर टिकी होंगी। आइसलैंड के खिलाफ ड्रॉ और क्रोएशिया के खिलाफ मिली हार के बाद मेसी की टीम पर टूर्नामेंट से बाहर होने का खतरा दिखाई दे रहा था।

ग्रुप स्टैंडिंग में इस समय अर्जेंटीना चौथे स्थान पर है लेकिन फैंस उम्मीद कर रहे होंगे कि मेसी का जादू वापस चल जाये और टीम अगले राउंड के लिए जगह हासिल कर ले।

मैच का रुख बदलने लायक खिलाड़ी: लियोनेल मेसी

संभावित नतीजा: अर्जेंटीना की जीत


आइसलैंड बनाम क्रोएशिया

वर्ल्ड कप के अपने पहले मैच में अर्जेंटीना जैसी टीम के खिलाफ ड्रॉ खेलकर आइसलैंड ने सभी की निगाहें अपनी ओर आकर्षित की थी। वहीं अबतक क्रोएशिया का फॉर्म शानदार रहा है और उन्होंने ग्रुप में अपने दोनों मैचेस जीते हैं।

लूका मॉड्रिच टीम के अनुभवी कप्तान हैं और आगे से टीम की अगुवाई करते हैं। खिलाड़ियों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है वो नहीं चाहेगी की उनका ये मोमेंटम टूटे।

मैच का रुख बदलने लायक खिलाड़ी: लूका मॉड्रिच

संभावित नतीजा: क्रोएशिया की जीत

डीडीसीए की चुनावी ऐय्यारियां

 

कभी कोई दावा करता है कि चेतन चौहान अपने ग्रुप से अलग उस ग्रुप को सपोर्ट करने लगे हैं, जो मदन लाल के खिलाफ है. कभी भारतीय ओलिंपिक संघ के अध्यक्ष दावा करते हैं कि बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने उनका मोबाइल नंबर ‘क्लोन’ कर लिया है. उस नंबर से मैसेज भेजे जा रहे हैं.

कभी कोई एक ग्रुप कहीं पार्टी का आयोजन करता है, तो दूसरा ग्रुप म्यूजिकल नाइट पर उतर आता है. यह दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ यानी डीडीसीए के इलेक्शन की दास्तां है. यहां मीडिया में बड़ा नाम और चैनल के मालिक रजत शर्मा एक तरफ हैं. सुप्रीम कोर्ट के वकील विकास सिंह दूसरी तरफ और क्रिकेटर मदन लाल तीसरी तरफ. तीन ग्रुप चुनाव मैदान में हैं.

 

एक को बंसल ग्रुप कहा जाता है. दावे किए जा रहे हैं कि इस ग्रुप को अरुण जेटली का समर्थन हासिल है. हालांकि जेटली खुद डीडीसीए से दूर रहने का फैसला कर चुके हैं. लेकिन उनके वर्षों से मित्र रजत शर्मा इसी ग्रुप से अध्यक्ष पद के दावेदार हैं. एक समय डीडीसीए के कोषाध्यक्ष रहे बत्रा इसी ग्रुप के पक्ष में दूसरे ग्रुप पर आरोप लगा रहे हैं और कानूनी कार्रवाई की धमकी दे रहे हैं.

इस कहानी में सब कुछ है. एक्शन, ड्रामा, सस्पेंस… लेकिन इन सबसे बड़ी बात की भविष्य की बीसीसीआई इसमें है. 27 जून से 30 जून तक होने वाले इलेक्शन में ग्रुप देखकर ही समझा जा सकता है कि भविष्य किस ओर जा रहा है.

 

अंदाजा लगाइए. उपाध्यक्ष पद पर उम्मीदवार हैं शशि खन्ना, जो डीडीसीए के महारथी कहे जाने वाले सीके खन्ना की पत्नी है. सीके खन्ना वही हैं, जिनके पास प्रॉक्सी के जमाने में हर चुनाव की चाबी होती थी. प्रॉक्सी यानी वोटर्स को खुद को वोट डालने की जरूरत नहीं. उसने अपना वोट डालने का अधिकार किसी और को दे दिया. ये सारे अधिकार सीके खन्ना और उनके समर्थकों के पास होते थे. इस बार प्रॉक्सी नहीं है. इसके बावजूद सीके खन्ना की ताकत को कम आंकना ठीक नहीं है.

ताकत कम न आंकने की वजह परिवार हैं. वोटर्स परिवारों में हैं. चुनाव की घोषणा के वक्त प्रेस कांफ्रेंस करने वाले विकास सिंह ने तब कहा था कि कुछ परिवारों के पांच से आठ वोट हैं. उनका यह कमेंट बताता है कि परिवारवाद से बचना आसान नहीं. जिस परिवार के पांच से आठ वोट हैं, उनमें सीके खन्ना भी शामिल हैं.

दूसरी तरफ स्नेह बंसल हैं. उनके भाई राकेश बंसल उपाध्यक्ष पद के लिए खड़े हैं. बंसल डीडीसीए अध्यक्ष रहे हैं. पूर्व डायरेक्टर बृज मोहन गुप्ता के पुत्र आलोक मित्तल और संयुक्त सचिव रवि जैन के पुत्र अपूर्व जैन डायरेक्टर पद के लिए हैं. महिला डायरेक्टर में भी रिश्तेदारों का दबदबा है.

पूर्व उपाध्यक्ष चेतन चौहान इस समय बता रहे हैं कि डीडीसीए से उनका कोई मतलब नहीं है. वो उत्तर प्रदेश में मंत्री हैं. लेकिन उनके भाई पुष्पेंद्र चौहान संयुक्त सचिव के दावेदार हैं. यह कुछ वैसा ही है, जैसे पंचायत चुनाव में महिला आरक्षण होने के बाद सरपंचों ने अपनी पत्नी के जरिए कमान संभालने का फैसला किया था. या लालू यादव ने अपनी जगह राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया था.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले और लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के बाद तमाम प्रशासक अब अयोग्य हैं. उनकी जगह उनके रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे हैं. हिमाचल में अनुराग ठाकुर के भाई की एंट्री हो गई है. इस तरह पूर्व सचिव निरंजन शाह के बेटे ने भी बीसीसीआई में दस्तक दे दी है. डीडीसीए चुनाव उसी सिलसिले को आगे बढ़ाने का या यूं कहें कि भविष्य की तस्वीर तय करने का काम कर सकता है.

सिर्फ दो ऐसे क्रिकेटर मैदान में हैं, जिन्हें लोग जानते हैं. पहले, मदन लाल, जो सीके खन्ना ग्रुप की तरफ से उम्मीदवार हैं. वही सीके खन्ना, जिन्हें ज्यादातर पूर्व क्रिकेटर डीडीसीए की बरबादी का जिम्मेदार मानते हैं. दूसरे क्रिकेटर सुरिंदर खन्ना हैं. वो उस पोस्ट (डायरेक्टर, क्रिकेट) के लिए हैं, जो सिर्फ पूर्व क्रिकेटरों के लिए है. उसके बावजूद सुरिंदर खन्ना ही अकेला ऐसा नाम हैं, जिन्हें क्रिकेट सर्किल में जाना जाता है.

ऐसे में अगर क्रिकेटर की जीत होती है, तो महज इस वजह से, क्योंकि वो उसी खेमे का हिस्सा हैं, जिसे लेकर वो सालों से आवाज उठाते रहे हैं. मदन लाल को उन्हीं सीके खन्ना की मदद लेनी पड़ी. यही बताता है कि किसी फेडरेशन का हिस्सा बनने के लिए क्रिकेटर को क्या चाहिए. दूसरा, क्रिकेट में करप्शन दूर करने के लिए लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें परिवारवाद का करप्शन दूर नहीं कर पाई है. अब वोटिंग भले ही प्रॉक्सी न हो, लेकिन पदों पर प्रॉक्सी उम्मीदवार हैं. यही डीडीसीए का पैटर्न है. यही बीसीसीआई का पैटर्न होगा.