बलबीर सिंह सीनियर की उपलब्धियां हमारे लिए हमेशा मार्गदर्शन प्रकाश का स्रोत बनी रहेंगीः राणा सोढी

  • बलबीर सिंह सीनियर के निधन पर गहरा दुख किया प्रकट
  • उनके लिए भारत रत्न कि की मांग

राकेश शाह, चंडीगढ़ –  25 मईः

पंजाब के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने बलबीर सिंह सीनियर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है जिन्होंने सोमवार सुबह मोहाली में अपनी अंतिम सांस ली। तीन बार के ओलंपिक चैंपियन और विश्व कप विजेता टीम के प्रबंधक 8 मई 2020 से अपने जीवन की जंग लड़ रहे थे।

युवाओं के लिए मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में उनकी उपलब्धियों को याद करते हुए राणा सोढ़ी ने कहा कि 1948, 1952 और 1956 के ग्रीष्मकालीन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले बलबीर सिंह सीनियर भारतीय खेल इतिहास में सबसे अधिक अलंकृत ओलंपियन थे। वह राष्ट्रीय टीम के कोच बने जिसने 1971 के विश्व कप में कांस्य पदक जीता। फिर उन्होंने 1975 के विश्व कप में टीम का मार्गदर्शन करते हुए भारत को विश्व विजेता बनने में सहायता की। उन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक के स्वर्ण पदक मैच में नीदरलैंड पर भारत की 6-1 की जीत में पांच गोल दागे थे। उनकी कप्तानी में, भारत ने 38 गोल किए और 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में बिनी किसी हार के स्वर्ण पदक हासिल किया।

खेल मंत्री ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘आज, हमने न केवल अपने सबसे बड़े प्रतिष्ठित खिलाड़ी को खो दिया है, बल्कि हमने ‘हमारे मार्गदर्शक प्रकाश’’ को भी खो दिया है। वह खेल के सबसे बड़े प्रशंसक थे और जब कभी भी हमें उनके मार्गदर्शन की जरूरत पड़ी तो वह हमेशा मौजूद रहे। हॉकी ने अपने चमकते सितारे को खो दिया है और साथ ही यह बुरा समाचार सुनकर खेल से जुड़ा हर व्यक्ति दुखी है।

उन्होंने आगे कहा, ‘‘बलबीर सिंह सीनियर की अनुकरणीय उपलब्धियां और खेल के प्रति उनका उत्साह आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा एक उदाहरण बना रहेगा। पंजाब खेल विभाग की ओर से मैं उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।’’

बलबीर सिंह सीनियर के लिए भारत रत्न की मांग करते हुए राणा सोढ़ी ने बताया कि उन्हें 1957 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था और 2014 में मेजर ध्यानचंद लाइफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। देश के सर्वकालिक महान ऐथ्लीटों में से एक बलबीर सिंह सीनियर आधुनिक ओलंपिक इतिहास में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा चुने गए 16 दिग्गजों में केवल अकेले भारतीय थे। ओलंपिक के पुरुष हॉकी फाईनल में एक व्यक्ति द्वारा दागे गए अधिकतम गोलों का उनका विश्व रिकॉर्ड आज भी कायम है।

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खेल विभाग के 28 कोच 840 खिलाड़ियाें को देंगे ऑनलाइन टिप्स, जिला खेल अधिकारी ने वाॅट्सएप ग्रुप बनाने के लिए कहा

धर्मपाल वर्मा, चंडीगढ़:

लॉकडाउन के चलते पिछले एक माह से सैकड़ों खिलाड़ी खेल के मैदान से दूर हैं। ऐसे में खिलाड़ियाें के लिए अपनी फिटनेस बनाए रखना एक चुनौती भरा काम है और ओलिंपिक खेलों को भी अगले साल तक टाला जा चुका है। अब खिलाड़ियाें की फिटनेस बरकरार रहे। इसके लिए खेल मंत्री संदीप सिंह ने हरियाणा के सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिए कि अपने-अपने जिलों में खिलाड़ियाें को खेलों से संबंधित ऑनलाइन टिप्स दिए जाएं। इसके लिए जिला खेल अधिकारी विनोद बाला ने अपने 28 कोच को सभी खिलाड़ी का वाॅट्सएप ग्रुप बनाने को कहा गया है।

जिलेभर में विभिन्न खेलों के 28 कोच 840 खिलाड़ियाें को ग्रुप बनाकर इसमें कोच अपनी खेलों से संबंधित वीडियो बनाकर ग्रुपों में डालेंगे। इससे खिलाड़ियाें को अपने-अपने खेलों के बारे में टेक्नीक पता लग सकेगा। खिलाड़ी अपना अभ्यास घर ही कर सकेंगे। इसके लिए सभी अब खिलाड़ियाें से फोन कर संपर्क कर रहे। खिलाड़ियाें को ऑनलाइन के माध्यम से बताया जाएगा कि किस बगैर मैदान के भी फिटनेस को बनाए रखा जा सके। खेलों में रुचि कैसे बढ़ाएं। इन सब बातों को देखते हुए खिलाड़ियाें को खेलों के प्रति टिप्स दिए जाएंगे। सभी तरह की लेटेस्ट विविध एवं शैक्षणिक खबरों के लिए “हरियाणा एजुकेशनल अपडेट” फेसबुक पेज ज्वाइन करें।

इन खेलों दांव पेंच के बारे में दिए जाएंगे टिप्स

कुश्ती, वुशू, कबड्डी, जिमनाष्टिक, खो-खो व बॉक्सिंग खेलों के बारे में कैसे घर ही ट्रेनिंग कर अपना खिलाड़ी अपनी फिटनेस बनाएं रख सकते हैं। इन सब खेलों को लेकर जिलेभर के सभी कोच ने रणनीति तैयार कर ली है। अब घर ही कोच द्वारा बनाई गई वीडियो के जरिए खिलाड़ियाें टिप्स दिए जाएंगे।

सभी खिलाड़ियाें को कोच वीडियो के माध्यम से देंगे टिप्स : डीएसओ

जिलेभर के 840 खिलाड़ियाें को 28 कोच वाॅट्सएप ग्रुप में जोड़कर और इन ग्रुपों में सभी कोच अपनी वीडियो डालकर खिलाड़ियाें को विभिन्न खेलों के बारे में टिप्स देंगे और जल्द ही खेल विभाग का ऑनलाइन एप भी तैयार हो जाएगा। इससे खिलाड़ियाें काे बगैर मैदान के भी फिटनेस बनाए रखने के टिप्स दिए जाएंगे-विनोद बाला, डीएसओ जींद।

रामानुजाचार्य जयंती पर विशेष

चंडीगढ़ (धर्म – संस्कृति)

भारत की पवित्र भूमि ने कई संत-महात्माओं को जन्म दिया है। जिन्होंने अपने अच्छे आचार-विचार एवं कर्मों के द्वारा जीवन को सफल बनाया और कई सालों तक अन्य लोगों को भी धर्म की राह से जोड़ने का कार्य किया। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार संत श्री रामानुजाचार्य का जन्म सन् 1017 में श्री पेरामबुदुर, तमिलनाडु के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम केशव भट्ट था। जब उनकी अवस्था बहुत छोटी थी, तभी उनके पिता का देहावसान हो गया। बचपन में उन्होंने कांची में यादव प्रकाश गुरु से वेदों की शिक्षा ली। हिन्दू पुराणों के अनुसार श्री रामानुजम का जीवन काल लगभग 120 वर्ष लंबा था। रामानुजम ने लगभग नौ पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें नवरत्न कहा जाता है। वे आचार्य आलवन्दार यामुनाचार्य के प्रधान शिष्य थे। गुरु की इच्छानुसार रामानुज ने उनसे तीन काम करने का संकल्प लिया था। पहला– ब्रह्मसूत्र, दूसरा- विष्णु सहस्रनाम और तीसरा– दिव्य प्रबंधनम की टीका लिखना। 

जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य

रामानुजाचार्य के गुरु यादव प्रकाश थे, जो एक विद्वान थे और प्राचीन अद्वैत वेदांत मठवासी परंपरा का एक हिस्सा थे। श्री वैष्णव परंपरा यह मानती है कि रामनुज अपने गुरु और गैर-दैवीय अद्वैत वेदांत से असहमत हैं, वे इसके बजाय वे भारतीय अलवर परंपरा, विद्वान नथमुनी और यमुनाचार्य के नक्शेकदम पर चले।

रामानुजाचार्य वेदांत के विशिष्टाद्वैत सबस्कुल के प्रमुख प्रत्याशी के रूप में प्रसिद्ध हैं, और उनके शिष्यों को संभवतः शांतियानी उपनिषद जैसे लेखों के लेखकों के रूप में जाना जाता है। रामनुज ने स्वयं ब्रह्म सूत्रों और भगवद गीता पर भक्ति जैसे संस्कृत के सभी प्रभावशाली ग्रंथ लिखे थे।

उनके विशिष्टाद्वैत (योग्य मोनिस्म) दर्शन में माधवचर्या के द्वैता (ईश्वरीय द्वैतवाद) दर्शन और शंकराचार्य के अद्वैत (अद्वैतवाद) दर्शन, साथ में दूसरे सहस्त्राब्दि के तीन सबसे प्रभावशाली वेदांतिक दर्शन थे। रामानुजाचार्य ने उपन्यास प्रस्तुत किया जिसमे भक्ति के सांसारिक महत्व और एक व्यक्तिगत भगवान के प्रति समर्पण को आध्यात्मिक मुक्ति के साधन के रूप में प्रस्तुत किया।

रामानुजाचार्य ने विवाह किया और कांचीपुरम में चले गये, उन्होंने अपने गुरु यादव प्रकाश के साथ अद्वैत वेदांत मठ में अध्ययन किया। रामानुजाचार्य और उनके गुरु अक्सर वैदिक ग्रंथों, विशेषकर उपनिषदों की व्याख्या में असहमत रहते थे। बाद में रामानुजाचार्य और यादव प्रकाश अलग हो गए, और इसके बाद रामनुज ने अपनी पढ़ाई जारी रखी।

रामानुजा कांचीपुरम में वरधराजा पेरुमल मंदिर (विष्णु) में एक पुजारी बन गए, जहां उन्होंने यह पढ़ाना शुरू कर दिया कि मोक्ष (मुक्ति और संसार से छुटकारा) आध्यात्मिक, निरगुण ब्राह्मण के साथ नहीं, बल्कि व्यक्तिगत भगवान और साधू विष्णु की सहायता से प्राप्त करना है। रामानुजाचार्य ने श्री वैष्णव परंपरा में लंबे समय से सबसे अधिक अधिकार का आनंद लिया।

रामानुजाचार्य की कई पारंपरिक जीवनी ज्ञात हैं, कुछ 12 वीं शताब्दी में लिखी गईं, लेकिन कुछ बाद में 17 वीं या 18 वीं शताब्दियों में लिखी गई। विशेष रूप से वाड़काले और तिकालियों में श्रीविष्णव समुदाय के विभाजन के बाद, जहां प्रत्येक समुदाय ने रामानुजाचार्य की संतचर विज्ञान का अपना संस्करण बनाया।

ब्रह्मंत्र स्वतन्त्र द्वारा मुवायिरप्पाती गुरुपरमपराप्राभावा सबसे पहले वद्कालाई जीवनी का प्रतिनिधित्व किया। रामानुजाचार्य के बाद उत्तराधिकार के वद्कालाई दृश्य को दर्शाता है दूसरी ओर, श्रीरायिरप्पा गुरुपारम्परपभावा, दसकेली जीवनी का प्रतिनिधित्व करते हैं। [उद्धरण वांछित] अन्य दिवंगत जीवनचर्या में अन्धरभर्णा द्वारा यतीराजभविभव शामिल हैं।

लेखन

श्री वैष्णव परंपरा में संस्कृत ग्रंथों में रामनुज के गुण हैं-

-वेदार्थसंग्रह (सचमुच, “वेदों का सारांश”),
-श्री भाष्य (ब्रह्मा सूत्रों की समीक्षा और टिप्पणी),
-भगवद गीता भाष्य (भगवद गीता पर एक समीक्षा और टिप्पणी),
-और वेदांतपिडा, वेदांतसारा, गाडिया त्रयम (जो कि तीन ग्रंथों का संकलन है, जिन्हें सरनागती ग्यादाम, श्रीरंग गद्यम और श्रीकांत ग्रन्दाम कहा जाता है), और नित्या ग्रन्थम नामक लघु कार्य हैं।

रामानुजाचार्य की दार्शनिक नींव मोनिसम के योग्य थी, और इसे हिंदू परंपरा में विशिष्टाद्वैत कहा जाता है। उनका विचार वेदांत में तीन उप-विद्यालयों में से एक है, अन्य दो को आदी शंकर के अद्वैत (पूर्ण मोनिसम) और माधवचार्य के द्वैता (द्वैतवाद) के नाम से जाना जाता है।

रामानुजाचार्य दर्शन

रामानुजा ने स्वीकार किया कि वेद ज्ञान का एक विश्वसनीय स्रोत हैं, फिर हिन्दू दर्शन के अन्य विद्यालय, अद्वैत वेदांत सहित, सभी वैदिक ग्रंथों की व्याख्या में असफल होने के कारण, उन्होंने श्री भास्कर में कहा कि पुरव्पेक्सिन (पूर्व विद्यालय) उन उपनिषदों को चुनिंदा रूप से व्याख्या करते हैं जो उनकी नैतिक व्याख्या का समर्थन करते हैं, और उन अंशों को अनदेखा करते हैं जो बहुलवाद की व्याख्या का समर्थन करते हैं।

रामनुज ने कहा, कोई कारण नहीं है कि एक शास्त्र के एक भाग को पसंद किया जाए और अन्य को नहीं, पूरे शास्त्र को सममूल्य समझा जाना चाहिए। रामानुजाचार्य के अनुसार कोई भी, किसी भी वचन के अलग-अलग भागों की व्याख्या करने का प्रयास नहीं कर सकता है।

बल्कि, ग्रंथ को एक एकीकृत संगठित माना जाना चाहिए, एक सुसंगत सिद्धांत को व्यक्त करना चाहिए। वैदिक साहित्य, ने रामानुजाचार्य पर जोर दिया, जो बहुलता और एकता दोनों का उल्लेख करते हैं, इसीलिए इस सत्य को बहुलवाद और अद्वैतवाद या योग्यतावाद को शामिल करना चाहिए।

शास्त्रीय व्याख्या की इस पद्धति ने रामनुज को आदि शंकरा से अलग किया। शंकर की अनाव्या-व्यातिरेका के साथ समनवयित तात्पर्य लिंगा के व्यापक दृष्टिकोण में कहा गया है कि उचित रूप से सभी ग्रंथों को समझने के लिए उनकी संपूर्णता में जांच की जानी चाहिए। और फिर उनके इरादे छह विशेषताओं द्वारा स्थापित किए गए, जिसमें अध्ययन शामिल है जो लेखक द्वारा उनके लक्ष्य के लिए कहा गया है।

क्या वह अपने विवरण में दोहराता है, क्या वह निष्कर्ष के रूप में बताता है और क्या यह व्यावहारिक रूप से सत्यापित किया जा सकता है। शंकर कहते है, किसी भी पाठ में समान वजन नहीं है और कुछ विचार किसी भी विशेषज्ञ की पाठ्य गवाही का सार है।

शास्त्रीय अध्ययनों में यह दार्शनिक अंतर दर्शाया, शंकराचार्य ने यह निष्कर्ष निकाला कि उपनिषद के सिद्धांत मुख्य रूप से तात तवम सी जैसे उपनिषदों के साथ बौद्ध धर्म को पढ़ाते हैं। जबकि रामानुजाचार्य ने यह निष्कर्ष निकाला कि योग्यतावाद हिंदू आध्यात्मिकता की नींव पर है।

रामानुज जी के शिष्य

  • किदंबी आचरण
  • थिरुकुरुगाई प्रियन पिल्लान
  • दाधुर अझवान
  • मुदलीयानंदन
  • कुराथाझवान

निधन

करीब एक सहस्राब्दी के बाद से (सीए 1017-1137) से रामानुजाचार्य दक्षिणी भारत की सड़कों पर भ्रमण करते रहे। अभी तक उनके धर्मशास्त्रज्ञ, शिक्षा और दार्शनिक के विरासत रूप में जीवित है।

उनकी मृत्यु 1137, श्रीरंगम में हुइ थी।

कोरोना के लिए बबीता ने जमात को लिया आड़े हाथ तो आहत हुई स्वरा

हरियाणा के चरखी दादरी से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता फोगाट (Wrestler Geeta Phogat) सुर्खियों में हैं। पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाले कोरोना वायरस के कारण भारत में खराब होती स्थिति पर बबीता फोगाट ने Tweet किया को बवाल मच गया। बबीता ने तब्लीगी जमातियों को जाहिल बताते हुए 15 अप्रैल को Tweet किया था, जिस पर तीन दिन बाद खूब विवाद हुआ। इस Tweet पर यूजर्स ने बबीता फोगाट को जमकर ट्रोल किया और फोन पर धमकियां भी दीं। इसके बाद बबीता ने एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि वह कोई जायरा वसीम (Zaira Wasim) नहीं हैं, जो धमकियोंं से डरकर घर बैठ जाएंगी। वे हमेशा लड़ती रहेंगी।

चंडीगढ़: 

अभिनेत्री स्वरा भास्कर और धाकड़ गर्ल बबीता फोगाट (Babita Phogat) कोरोना संक्रमण पर ट्वीट को लेकर आमने-सानमे आ गई हैं. देशभर में फैल रहे कोरोना संक्रमण के मामलों के लेकर बबीता फोगाट ने हाल ही में एक ट्वीट किया था, जिसमें निशाने पर तबलीगी जमात से जुड़े लोग थे. इसे लेकर बबीता के खिलाफ बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर भी मैदान में कूद पड़ी हैं. स्वरा ने बबीता फोगाट को घरेने की कोशिश करते हुए एक ट्वीट किया और इसका उन्हें करारा जवाब भी मिला है. दंगल गर्ल बबीता फोगाट ने स्वरा को ट्वीट कर ऐसा जवाब दिया जिसने स्वरा भास्कर की बोलती बंद कर दी.

स्वरा ने ट्विटर पर एक डाटा शेयर किया, जिसमें बताया गया है कि 9-19 मार्च के बीच भारत में कहां-कहां धार्मिक स्थलों पर कितने लोग पहुंचे थे. उन्होंने इस डाटा को शेयर करते हुए अपने ट्वीट में लिखा, ‘बबीता जी यह आंकड़ा भी देखें. क्या इन लाखों भक्तगण के कोरोना टेस्ट हुए हैं?  कृपया, इस पर भी टिप्पणी दें. और तबलीगी जमात के प्रोग्राम को दिल्ली पुलिस ने इजाजत क्यों दी? यह सवाल भी उठाएं, बाकी आपके फैन तो हम हैं ही.’

इस पर करारा जवाब देते हुए बबीता फोगाट (Babita Phogat) ने लिखा, ‘मेरी फैन- मेरी बहन स्वरा भास्कर! बहन 135 करोड़ के हमारे राष्ट्र में महामारी से बचाव के रेस्क्यू प्रयास और टेस्ट सरकार की तरफ से जारी हैं. दिल्ली से तो लाखों मजदूर भी बिहार और उत्तर प्रदेश के लिए निकले, पर कोरोना संक्रमण को फैलाने में सबसे आगे जाहिल जमाती ही क्यों ???’ बबीता फोगाट के इस ताबड़तोड़ जवाब ने स्वरा भास्कर की बोलती बंद कर दी है. स्वरा के तरफ से इस ट्वीट का कोई रिप्लाई नहीं आया है.

दरअसल, भारत में कोरोना (Coronavirus) के बढ़ रहे मामलों पर स्टार पहलवान और बीजेपी नेता बबीता फोगाट ने बीते दिनों तबलीगी जमात को लेकर एक ट्वीट किया था, जिस पर काफी हल्ला हुआ था. इस ट्वीट के बाद उनको सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया जा रहा था. उसके बाद बबीता ने एक वीडियो शेयर कर अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया था.

पंचकूला में पहली बार लेडीज इंटर क्लब गोल्फ टूर्नामेंट का आयोजन किया गया

पंचकूला , 25 फरवरी:

गोल्फ क्लब पंचकूला में पहली बार लेडीज इंटर क्लब गोल्फ टूर्नामेंट का आयोजन किया गया । इस बारे जानकारी देते हुए कैप्टन ऑफ दी ग्रुप शालिनी श्योराण ने बताया कि इस18 होल्स स्टेबल फोर्ड चैंपियनशिप में देश की राजधानी दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर)के नोएडा , पंजाब के पटियाला व लुधियाना , चंडीमंदिर आर्मी क्षेत्र व चंडीगढ़ (यूटी) के गोल्फ कल्बों को मिलाकर कुल 50 गर्ल्स – लेडीज़ गोल्फरों ने हिस्सा लिया।

टूर्नामेंट का शुभारंभ सुबह 8 बजे दिल्ली गोल्फ क्लब की नेशनल चैंपियन रहींऔर इस टूर्नामेंट में भी प्रतिभागी /पार्टिसिपेंट गौरी मोंगा द्वारा किया गया । दोपहर साढ़े 12बजे तक खेल जारी रहा । टूर्नामेंट के चीफ गेस्ट एडिशनल चीफ सेक्रेटरी हरियाणा सरकार वीरेंद्र कुंडू (आईएएस) द्वारा टीम लेवल व इंडिविजुअल बेसिस दोनों कैटेगरी में अलग – अलग फर्स्ट और सेकंड पोजीशन प्राप्त मेधावी गोल्फरों को ट्रॉफी -प्राईज से नवाजा गया । इसमें …………टीम में फर्स्ट पोजीशन  ………सेकंड पोजिशन ……..व इंडिविजुअल (व्यक्तिगत) में फर्स्ट …..…..व सेकंड…….स्थान के साथ गौरवान्वित हुईं।

इस अवसर पर मेजबान क्लब के जेनरल मैनेजर कर्नल (रिटायर्ड) अवतार सिंह ढिल्लों , क्लब के पूर्व जीएम बिग्रेडियर (रिटायर्ड)ईश्वर सिंह पुनिया सहित गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे । कैप्टन शालिनी श्योराण ने मुख्य अतिथि सहित गणमान्य महानुभावों एवं टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वालीं और प्रथम व द्वितीय स्थान का ख़िताब जीतने वाली सभी फीमेल गोल्फरों का हार्दिक अभिवादन – स्वागत करते हुए आभार व शुभकामनाएं प्रकट कीं । ग्रुप कैप्टन शालिनी ने बताया कि गोल्फ़ क्लब पंचकूला में लेडीज़ के लिए गोल्फ़ खेलने की शुरुआत गत सन 2017 ईसवीं में 1 मई से हुई थी । उन्होंने बताया कि फीमेल गोल्फरों का टूर्नामेंट और चैंपियनशिप पहले भी देश के विभिन्न महानगरों व उपमहानगरों के गोल्फ क्लबों में होता रहा है।

पंचकूला गोल्फ क्लब द्वारा फीमेल गोल्फरों हेतु पहली दफ़ा प्रायोजित व आयोजित इस सफल चैंपियनशिप के लिए ग्रुप कैप्टन शालिनी ने क्लब मैनेजमेंट के प्रति आभार प्रकट किया ।

27 से 28 फरवरी को जिला कुश्ती अखाडा कुमार व केसरी कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन

पंचकूला, 20 फरवरी:

 हरियाणा के खेल विभाग द्वारा पंचकूला में 27 से 28 फरवरी को जिला कुश्ती अखाडा कुमार व केसरी कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी एन. संत्यन ने बताया कि जिला पंचकूला के पपलोहा स्थित राजीव गांधी खेल परिसर में आयोजित इस जिला स्तरीय प्रतियोगिता में महिला एवं पुरूष खिलाड़ी भाग ले सकते है। उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता में वहीं खिलाड़ी भाग लेंगे जो पंचकूला जिले के खण्ड निवासी होेंगे व रजिस्टर अखाडों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे होंगे। उन्होंने यह बताया कि जो भी अधिकारी इस प्रतियोगिता में भाग लेगा चाहते है, वह अपने साथ अपना आधार कार्ड, रिहायशी प्रमाण तथा आयु प्रमाण पत्र साथ लेकर आयेगें।

  उन्होंने बताया कि इस जिला स्तरीय प्रतियोगिता में एन्ट्री देने के लिए कनि0 कुश्ती प्रशिक्षक, अश्वनी कुमार पंचकूला के मोबाईल नम्बर- 9991883374 पर सम्ंपर्क कर सकते हैं। यह प्रतियोगिता पुरूषों व महिलाओं के तीन-तीन वर्गो में करवाई जाएगी। इसमें अण्डर 17 आयु वर्ग के खिलाड़ियों में 32 से 65 किलो ग्राम भार तक के खिलाडी भाग ले सकते है । इसी प्रकार महिला वर्ग में 32 से 61 किलो ग्राम की महिला खिलाडी अण्डर 17 आयु वर्ग के प्रतिभागी बन सकते है। जूनियर वर्ग में अण्डर 21 पुरूष एवं महिला तथा सिनियर वर्ग में 65 से 86 किलोग्राम तक के खिलाडी भाग ले सकते है।

उन्होंने बताया कि जिला केसरी पुरूष प्रतियोगिता में 74 किलोग्राम से ऊपर के पहलवान तथा जिला कुमार ने 62 से 74 किलोग्राम के खिलाडी भाग ले सकते हैं। इसी प्रकार जिला केसरी महिला प्रतियोगिता में 62 किलोग्राम वजन के ऊपर के पहलवान तथा जिला कुमारी मे 55 से 62 किलोग्राम के खिलाडी भाग ले सकते है। 

‘ परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान प्रधान मंत्री मोदी ने वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले के खेल की मिसाल दी

‘पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब.’ भारत में जब बच्चों के पढ़ने की बात हो तो मां-बाप अक्सर यह कहावत दोहराते हैं. हालांकि, अब जमाना प्रोफेशनल गेम्स का है और खेल ना आपको सिर्फ कामयाब बनाता है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की ताकत भी देता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान खेल और खिलाड़ियों का जिक्र कर बताया कि कैसे निराशा से उबरकर जीत की ओर बढ़ा जा सकता है. उन्होंने छात्रों से चर्चा के दौरान वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले के खेल की मिसाल दी. 

नई दिल्ली: 

पीएम मोदी ने सोमवार (20 जनवरी) को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा कर रहे थे. उन्होंने इस चर्चा के दौरान कहा, ‘हम विफलताओं से भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं. हर प्रयास में उत्साह भर सकते हैं. किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो.’ प्रधानमंत्री ने इसी दौरान दो क्रिकेट मैचों का जिक्र किया. इनमें से एक में वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने हार को जीत में बदल दिया था. दूसरा मैच अनिल कुंबले की जिजीविषा को लेकर था. 

कोलकाता का वो यादगार टेस्ट...
 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले 2001 में कोलकाता के ऐतिहासिक मैच का जिक्र किया. यह मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था. मोदी ने कहा, ‘2001 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कोलकाता में क्रिकेट मैच खेला जा रहा था. मैच में भारत की स्थिति खराब हो गई. फॉलोऑन खेलना पड़ा. बुरा हाल था. दोबारा खेलने आए तो भी फटाफट विकेट गिरने लगे. सारा माहौल निराशा का था, हतोत्साहित करने वाला था. दर्शक भी नाराजगी व्यक्त करते रहते हैं. वे भूल जाते हैं कि मेरे अपने खेल रहे हैं और इनका उत्साह बढ़ाओ. लेकिन आपको याद होगा कि राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने उस दिन जो कमाल किया. दोनों धीरे-धीरे खेलते रहे. दोनों दिनभर खेले और माहौल बदल दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने मैच भी जिता दिया.’

विंडीज दौरे पर कुंबले का कमाल 
प्रधानमंत्री ने दूसरा उदाहरण 2002 के क्रिकेट मैच का दिया. उन्होंने कहा, ‘साल 2002 में भी एक ऐसा ही मैच हुआ. तब भारत की टीम वेस्टइंडीज खेलने गई थी. तब उस समय के हमारे एक अच्छे बॉलर अनिल कुंबले को चोट लग गई. बाउंसर लगने से उनका जबड़े में गंभीर चोट आई. अब स्थिति यह थी कि अनिल बॉलिंग कर पाएंगे या नहीं. लेकिन उन्होंने दर्द की परवाह नहीं की. अगर वे ना भी खेलते तो देश भी उन्हें दोष नहीं देता. लेकिन उन्होंने तय कि यह मेरा जिम्मा है. पट्टियां बांधकर खेलने उतर पड़े. उस समय ब्रायन लारा का विकेट लेना बड़ी बात होती थी. और अनिल ने मैच में लारा को विकेट लेकर मैच का नक्शा पलट दिया.’ 

स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिकः ज्ञान चंद गुप्ता

  •  युवा संकल्प लें तो कुछ भी कर सकते हैं: ज्ञान चंद गुप्ता
  • अपराधों को रोकने के लिए केवल कानून बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि बच्चों को संस्कार सीखाने होंगे
  • स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने स्वामी विवेकानंद जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस के कार्यक्रमों में की बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की
  • राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर आयोजित मैराथन में 8 हजार से अधिक युवाओं ने लिया भाग
  • झूमते नाचते व देशभक्ति की भावना से सरोबार होकर आईटीबीपी व पुलिस सहित  युवा छात्र-छात्राओं ने लिया मैराथन में भाग
  • युवा शक्ति के साथ संवाद कार्यक्रम में प्रदेशभर के युवाओं से रूबरू हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल

पंचकूला, 12 जनवरी:

हरियाणा विधान सभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि युवा वर्ग में असीमित शक्ति है जिसके बल पर वह जो संकल्प कर ले, उसे पूरा कर सकता है। युवा शक्ति के कारण ही आज भारत देश को युवा सुपर पावर कहा जाता है। गुप्ता आज पीडब्लयूडी  स्थित सभागार में स्वामी विवेकानंद जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी जिलों में आयोजित कार्यक्रमों से जुड़े युवा शक्ति के साथ सीधा संवाद किया। इससे पूर्व सुबह शालीमार ग्राउंड  में रन फॉर यूथ-यूथ फॉर नेशन के तहत मैराथन का भी आयोजन किया गया जिसमें स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने हजारों युवाओं की दौड़ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

  युवाओं की टोलियां अल भोर से  ही बड़ी  उत्साहित नजर आ रही थी। गुप्ता स्वयं भी इस मैराथन में दौड़े। सडकों के दोनों ओर  युवाओं के झुंड देष भक्ति की भावना से सरोबार थे। राष्टड्ढ्रीय युवा दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों के दौरान उपायुक्त मुकेष कुमार आहूजा, पुलिस आयुक्त सौरभ सिंह, युवा एवं खेल निदेषक भूपेन्द्र सिंह, पुलिस उपायुक्त कमलदीप गोयल एसडीएम धीरज चहल  व सीटीएम सुषील कुमार भी मौजूद रहे।पीडब्लयूडी के  सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि ज्ञान चंद गुप्ता ने उपस्थितगण को स्वामी विवेकानंद जयंती की बधाई देते हुए इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने पर सरकार की सराहना की।

उन्होंने स्वामी विवेकानंद को आधुनिक भारत का निर्माता बताते हुए कहा कि देश का वास्तविक विकास केवल युवा शक्ति द्वारा ही संभव हो सकता है। भारत को विश्वगुरु बनाने की बात हो या ड्रग मुक्त करने की अथवा संकल्प से सिद्धी के अभियान को सफल बनाने की, हर कार्य में युवा शक्ति की भूमिका सर्वोपरि है। युवा शक्ति देश की सबसे बड़ी पूंजी है जिसके कारण ही आज भारत को युवा सुपर पावर कहा जाता है। युवा वर्ग ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में न केवल स्वयं सक्रिय भूमिका निभाई बल्कि जन-जन को भी इस संग्राम में जोड़ा। हमारे युवाओं ने ब्रिटिश शासकों की नींद हराम कर दी थी। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति राष्ट्र को प्रकृति का अमूल्य उपहार है जो देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब युवा स्वयं पर नियंत्रण रखने की कला में माहिर हो और चरित्रवान बने। चरित्र के साथ वह संकल्प करके निडरता के साथ आगे बढ़ेगा तो कोई भी शक्ति उसके आगे नहीं टिक सकेगी। उन्होंने कहा कि आज हमें स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं पर चलने की आवश्यकता है जिन्होंने युवाओं से आह्वाहन किया था कि उठो, जागो और तब तक चलते रहो जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। उन्होंने युवाओं से नशे व कुरीतियों से दूर रहने का आह्वाहान किया।

गुप्ता ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं आज 120 साल बीत जाने की बाद भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। आध्यात्मिक मूल्यों के अभाव व चरम उपभोगतावाद ने दुनिया को स्वार्थी बना दिया है। पूरा विश्व वैमनस्य के दौर से गुजर रहा है। आतंकवाद व अलगाववाद ने मानवता को छलनी कर दिया है। आज भी दुनिया शांति और प्रेम के लिए भारत की ओर टकटकी लगाए है। उन्होंने युवाओं का आह््वान करते हुए कहा कि वे स्वामी विवेकानंद के ब्रंाड एम्बैसडर बनकर आतंकवाद और नैराष्य में डूबे विश्व नई राह दिखाएं। उन्होंने कहा कि भारत में विश्व का केंद्र बनने की सारी खूबियां हैं । उन खूबियों का कारण इसके संस्कार, इसकी शिक्षाएं ,और इसका वो रास्ता है जो भारत के संतो के द्वारा दिखाया गया है। वही संस्कार आज भी भारत के युवाओं में विद्यमान हैं। आज की इस मैराथन का उद्ेदष्य उन्हीं भावों को और अधिक मजबूती प्रदान करना है। आज के इस मैराथन से हमारे महान संस्कारों को नई उर्जा मिली है। इस उर्जा को दिल में हमेशा जलाए रखना है। 

गुप्ता ने कहा कि राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हमें अपने बच्चों को मानसिक व सांस्कृतिक रूप से भी उन्नत करना होगा। आज हम शैक्षणिक रूप से तो बच्चों को टॉप पर देखना चाहते हैं लेकिन उन्हेें अपनी पुरातन संस्कृति से जोडने की ओर अधिक ध्यान नहीं देते हैं। अपराधों को रोकने के लिए केवल कानून बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि बच्चों को संस्कार सीखाने होंगे। इस प्रकार के आयोजन भी युवा पीढ़ी में नए संस्कार रोपने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने प्रदेश व केंद्र सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने की बात कही।

इस अवसर पर खेल एवं षिक्षा जगत में विशेष उपलब्धि प्राप्त करने वालेे छात्र-छात्राओं सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति एवं संबिधत अधिकारी उपस्थित थे। 

राष्ट्रीय युवा दिवस पर पंचकूला बनेगा मैराथन व संवाद कार्यक्रम में भागीदार

राष्ट्रीय युवा दिवस पर  पंचकूला बनेगा मैराथन व संवाद कार्यक्रम में भागीदार नगराधीश सुशील कुमार ने ली आयोजन को लेकर अधिकारियों की बैठक 

पंचकूला , 8 जनवरी-

राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में स्वामी विवेकानंद जयंती पर रविवार, 12 जनवरी को आयोजित होने वाली रन फॉर यूथ, यूथ फॉर नेशन मैराथन युवा शक्ति में नई ऊर्जा का संचार करते हुए राष्ट्रहित की भावना पैदा करेगी। यह बात नगराधीश ने कही। वे बुधवार को अपने कार्यालय में मैराथन व संवाद कार्यक्रम को लेकर संबंधित अधिकारियों की बैठक ले रहे थे।

बैठक में नगराधीश सुशील कुमार ने कहा कि राष्ट्र के विकास में युवा वर्ग की अहम भागीदारी होती है, ऐसे में युवाओं को सही मार्ग की ओर ले जाने में इस प्रकार के आयोजन प्रेरणादायक रहते हैं। उन्होंने रन फॉर यूथ, यूथ फॉर नेशन मैराथन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि पुलिस विभाग द्वारा संबंधित अधिकारियों के साथ तालमेल स्थापित करते हुए अनुशासनात्मक तरीके से रविवार की सुबह 7 बजे से मैराथन को पूरा किया जाएगा। वहीं सुबह 10ः30 बजे शहर के पीडब्लयूडी के सभागार में आयोजित संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल रेवाड़ी से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से युवा शक्ति से सीधा संवाद कायम करेंगे। ऐसे में संबंधित विभागीय अधिकारी पूरी जिम्मेवारी के साथ कार्यक्रम के सफल आयोजन में अपनी भागीदारी निभाएं। इस मैराथन के लिए अब तक 8 हजार से अधिक लोगांे ने अपना पंजीकरण करवा लिया है। 

 मैराथन का यह रहेगा रूट

नगराधीश सुशील कुमार ने बताया कि उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा के  के मार्गदर्शन में शालीमार ग्रांउड से सुबह 7 बजे 3, 5 व 10 किलोमीटर की मैराथन शुरू होगी। यह मैराथन शालीमार ईस्ट साईड रोड , शक्ति भवन चौंक, सैक्टर 8 और 9 , टैªफिक लाईट, सैक्टर 5 पुलिस स्टेशन, इन्द्रधनुष थियेटर, परेड ग्राउंड, हैफेड बिल्डिंग के बैक साईड से होते हुए बेलाविस्टा बैक साईड से होते हुए शालीमार सैक्टर 8की पार्किंग पर संपन्न होगी। मैराथन के दौरान प्रतिभागियों को किसी प्रकार से भी परेशानी न हो इसके लिए पूरा रूट चार्ट रास्ते में प्रदर्शित किया जाएगा और सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस व स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध रहेंगी।

महाविद्यालय सभागार में होगा युवाओं से संवाद

नगराधीश ने कहा कि मैराथन उपरांत दूसरे चरण में कार्यक्रम की श्रंखला के तहत मुख्यमंत्री युवा शक्ति से सीधा संवाद कायम करेंगे। उन्होंने बताया कि पीडब्लयूडी सभागार में आयोजित संवाद कार्यक्रम में युवा वर्ग को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री का संबोधन होगा और युवाओं से रूबरू होंगे। 

25 दिसंबर को जिला स्तर पर मनाया जायेगा सुशासन दिवस- उपायुक्त पंचकूला

खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री संदीप सिंह होंगे जिला स्तरीय सुशासन दिवस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि

24 दिसंबर-

25 दिसंबर को पीडब्ल्यूडी के विश्रामगृह में खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री संदीप सिंह की अध्यक्षता में प्रातः 10.45 बजे सुशासन दिवस का आयोजन किया जायेगा। यह जानकारी देते हुए उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर कल 25 दिसंबर को मनाए जाने वाले जिला स्तरीय सुशासन दिवस कार्यक्रम में खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री संदीप सिंह बतौर मुख्यातिथि शिरकत करेंगे।

उन्होंने बताया कि जिला स्तर के अलावा उपमंडल, तहसील व उपतहसील स्तर पर भी सुशासन दिवस का अयोजन किया जायेगा। उपमंडल स्तर  पर सीईओ जिला परिषद पंचकूला व तहसीलदार कालका, उपमंडल अधिकारी कार्यालय कालका, बीडीपीओ रायपुररानी तहसील कार्यालय रायपुररानी में, नायब तहसीलदार पंचकूला व बरवाला, सब तहसील कार्यालय बरवाला में, नायब तहसीलदार लाई-माई पंचकूला, सब तहसील कार्यालय मोरनी में, बीडीपीओ पिंजौर, नगर निगम कार्यालय पिंजौर में प्रातः 11 बजे सुशासन दिवस का आयोजन करेंगे।

उपायुक्त ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिये कि वे अपने-अपने विभाग के कर्मचारियों सहित सुशासन दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लें।