क्या क्रिकेट की दीवानगी पड़ रही है भारत के खेल भविष्य पर भारी

खेल डेस्क:

टोकियो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा सहित भारत के खिलाड़ियों ने देश का मान बढ़ाया। देश के लिए यह बहुत ही गर्व की बात है। लेकिन क्या 130 करोड़ की विशाल मानव सम्पदा वाले विश्व के सबसे प्राचीन राष्ट्र के लिए 1 स्वर्ण सहित मात्र 7 पदक गर्व का विषय हो सकता है? चीन, अमरीका, जापान, ब्रिटेन, रूस आदि कई देशों के सिर्फ इसी ओलंपिक के पदक भारत के 100 वर्षों के कुल ओलंपिक पदकों से कहीं ज्यादा है।

इसका क्या कारण है, कहाँ गलतियाँ है, कैसे इस प्रदर्शन को सुधारा जा सकता है इसका जवाब अब भारत को तलाशना पड़ेगा। इसके कई कारण हो सकते हैं। एक तो भारत में सभी को क्रिकेट का नशा इतना ज्यादा चढ़ा दिया गया है कि अन्य खेलों की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं जाने दिया जाता। जबकि क्रिकेट सिर्फ कुछ चुनिंदा देश जो ब्रिटेन के गुलाम रहे हैं, उनमें ही खेला जाता है। विश्व के 90% देशों में क्रिकेट नहीं खेला जाता। भारत के प्रतिभा की कोई कमी नहीं है सिर्फ उसे तराशने की जरूरत है। तीरंदाजी में हमारे जनजाति युवा, असम, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, झारखंड, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में बहुत प्रतिभा है।

फुटबॉल में बंगाल, उड़ीसा एवं नार्थ ईस्ट के सभी राज्यों के युवा बहुत अच्छा खेलते हैं। मार्शल आर्ट में भी पूर्वोत्तर राज्यों एवं केरल के युवा माहिर है। बस जरूरत है इन्हें सही तरीक़े से आगे बढ़ाने की। खेलों में भ्रष्टाचार को समाप्त करने की बहुत आवश्यकता है। तभी भारत ओलंपिक जैसे बड़े खेल आयोजनों में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ा सकता है अन्यथा हम यूँ ही 1 गोल्ड पर अपनी पीठ थपथपाते रहेंगे।

खेल रत्न पर अब खिलाड़ियों से उलझी कॉंग्रेस

पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आपात काल के बाद से दो फाड़ हुई कॉंग्रेस पर तंज़ कराते सुनाई देते थे ” कांग्रेस आई (इन्दिरा) और काँग्रेस यू (उर्स) जनता बीच में से गायब।” छोटे बच्चे भी स्कूलों में वाजपेयी की नकल कर हँसते थे। विषय गंभीर था लेकिन सत्या था। कॉंग्रेस को अपने आगे कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता। नहर से लेकर राजीव गांधी तक ने स्वयं को भारत रत्न दिया था। पहली बार ए बड़े पेड़ के गिरने से अचानक ही प्रधान मंत्री बने राजीव गांधी अपने पहले कार्यकाल के पूरे होने से पहले ही भारत रत्न ले चुके थे। यही नहीं भारत का खेलरत्न पुरस्कार भी राजीव गांधी के नाम पर कर दिया गया। यह हमेशा ही बहस का विषय रहा की उनका खेल जगत में योगदान क्या था?

खेल डेस्क, डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम चंडीगढ़ :

खैर प्रधान मंत्र मोदी ने हेल रत्न आ नाम राजीव गांधी से हटा कर हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर कर दिया। कॉंग्रेस तभी से न केवल आहत है आपित कई नेता तो प्रण ले रहे हैं की जसे ही कॉंग्रेस सत्ता प्राप्त करेगी सारे नाम एक बार फिर से बदल दिये जाएँगे। कॉंग्रेस की तो स्थिति यह हो गयी है कि यदि कोई खिलाड़ी प्रधान मंत्री मोदी कि प्रशंसा में दो शब्द भी कह दे तो पानी पी पी कर उस हिलड़ी को कोसने लगते हैं। हालिया मामला टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह का है।

टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने मंगलवार (10 अगस्त 2021) को राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल कर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार करने के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इतने सालों के बाद पदक जीतकर बहुत अच्छा लगा।

पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह द्वारा केंद्र सरकार के इस फैसले का समर्थन करना कॉन्ग्रेस को अच्छा नहीं लगा। खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलने के लिए उनके समर्थन ने कॉन्ग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सहित सोशल मीडिया पर तमाम लोगों को परेशान किया। डॉ शमा मोहम्मद ने ट्विटर पर कहा, “क्या हमारे पुरुष हॉकी कप्तान इस तथ्य से अनजान हैं कि यह राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार था, न कि केवल खेल रत्न पुरस्कार!”

इस बीच कॉन्ग्रेस से हमदर्दी रखने वाले सुमंत रमन ने भी मनप्रीत सिंह के उस बयान पर अपनी नाराजगी जाहिर की, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार करने के फैसले का समर्थन किया था।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अगस्त 2021 को घोषणा की थी कि अब से राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के रूप में जाना जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्हें देश भर के लोगों से इस पुरस्कार का नाम भारतीय हॉकी के दिग्गज के नाम पर रखने का अनुरोध मिला है। इसलिए उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए नाम को बदल दिया गया है।

खेल रत्न पुरस्कार भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान है। अब तक इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गाँधी (ये भी पूर्व प्रधानमंत्री) के नाम पर रखा गया था। एक राजनेता के बजाय एक खेल के दिग्गज के नाम पर पुरस्कार का नाम रखने के लिए नागरिकों द्वारा लंबे समय से माँग की जा रही थी।

भारतीय खेल रत्न पुरस्कार अब मेजर ध्यान चंद के नाम से जाना जाएगा

भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न पुरस्कार का नाम अब राजीव गांधी खेल रत्न नहीं बल्कि मेजर ध्यानचंद खेल रत्न होगा। भारतीय हॉकी टीमों के टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद इस सम्मान का नाम महान हॉकी खिलाड़ी के नाम पर रखने का फैसला लिया गया। ध्यानचंद को महानतम हॉकी खिलाड़ी माना जाता है। हॉकी के इस जादूगर ने अपने 1926 से 1949 तक के करियर के दौरान 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक का शीर्ष खिताब हासिल किया था। उनकी जयंती के उपलक्ष्य में 29 अगस्त को देश का राष्ट्रीय खेल दिवस भी मनाया जाता है। 

‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़/नयी दिल्ली:

केंद्र की भाजपा सरकार ने शुक्रवार 6 अगस्त को खेल से जुड़ा बड़ा फैसला लिया। खेल रत्न पुरस्कार अब मेजर ध्यानचंद के नाम पर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा की है। उन्होंने बताया है कि इसके लिए देश भर से नागरिकों का आग्रह मिला है। खेल रत्न अब तक पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गॉंधी के नाम पर था।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा है, “मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार का नाम रखने के लिए देशभर से नागरिकों का अनुरोध मिले हैं। मैं उनके विचारों के लिए उनका धन्यवाद करता हूँ। उनकी भावना का सम्मान करते हुए, खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा! जय हिंद

पीएम ने आगे कहा, “ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रयासों से हम सभी अभिभूत हैं। विशेषकर हॉकी में हमारे बेटे-बेटियों ने जो इच्छाशक्ति दिखाई है, जीत के प्रति जो ललक दिखाई है, वो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि ध्यानचंद भारत के पहले खिलाड़ी थे, जो देश के लिए सम्मान और गर्व लाए। देश में खेल का सर्वोच्च पुरस्कार उनके नाम पर रखा जाना ही उचित है। गौरतलब है कि मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है।

राजीव गाँधी खेल रत्न भारत में खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। 1992 में इसकी शुरुआत की गई थी। पहला खेल रत्न ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को मिला था। अब तक 45 लोगों को ये पुरस्कार मिल चुका है। इनमें तीन हॉकी खिलाड़ी भी हैं। इनके नाम हैं- धनराज पिल्लै, सरदार सिंह और रानी रामपाल।

इस फैसले का भारतीय खेल जगत ने स्वागत किया है।

केन्द्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि ध्यानचंद खेलों में भारत के सबसे बड़े नायक रहे हैं. उन्होंने कहा, “मेजर ध्यानचंद जी ने अपने असाधारण खेल से विश्व पटल पर भारत को एक नई पहचान दी और अनगिनत खिलाड़ियों के प्रेरणास्रोत बने. जनभावना को देखते हुए खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हार्दिक धन्यवाद.”

पूर्व खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने भी इस कदम के लिए प्रधानमंत्री का शुक्रिया करते हुए लिखा, “धन्यवाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी हमेशा हमारे सच्चे नायकों का सम्मान करने और उन्हें पहचान देने के लिए. हमारे देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा. महान खिलाड़ी और भारतीय खेलों को सम्मानित करने के लिए एक सही श्रद्धांजलि. जय हिंद.”

भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी से सांसद बने गौतम गंभीर कहा, “किसी (खेल) नायक का नाम पुरस्कार को और प्रतिष्ठित बनाता है.” वहीं ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त ने भी इस कदम के लिए प्रधानमंत्री का शुक्रिया करते हुए कहा, “खेल के सबसे बड़े पुरस्कार खेल रत्न को देश के श्रेष्ठ खिलाड़ी और हॉकी के जादूगर ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न’ रखने के फैसले के लिए मैं भारत सरकार और आदरणीय प्रधानमंत्री का हार्दिक धन्यवाद करता हूं.”

ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त ने भी इस कदम के लिए प्रधानमंत्री का शुक्रिया करते हुए कहा, ‘‘खेल के सबसे बड़े पुरस्कार खेल रत्न को देश के श्रेष्ठ खिलाड़ी और हॉकी के जादूगर ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न’ रखने के फैसले के लिए मैं भारत सरकार और आदरणीय प्रधानमंत्री का हार्दिक धन्यवाद करता हूं।’’

रवि दहिया बने टोक्यो में देश के गौरव छीना रजत

भारतीय रेसलर रवि कुमार अब भारत को रवि दहिया फाइनल मुकाबला हार गए हैं। अब यहां से भारत को स्वर्ण पदक जीतने का सपना टूट गया। दहिया पहले ही सिल्वर पक्का कर चुके थे। दहिया को अब सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा होगा। दहिया काफी एक्टिव फाइट कर रहे थे मगर जावुर युगुएव से वो जीत नहीं पाए। विश्व चैम्पियन रूस के जावुर युगुएव ने 2019 विश्व चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में भी रवि कुमार को हराया था।

रेसलर रवि दहिया के अंतिम मैच में हारने के बावजूद भारत के लिए ये गौरवान्वित क्षण है। 2012 के बाद पहली बार है कि कोई अकेला पुरुष भारत के लिए सिल्वर लेकर आया हो। इससे पहले सुशील कुमार थे। उन्होंने 2012 में लंदन ओलंपिक में सिल्वर जीता था और बीजिंग ओलंपिक में भारत के लिए कास्य पदक लेकर आए थे। रवि दहिया की मेहनत ने भारत को टोक्यो ओलंपिक में 2 दूसरा रजत पदक दिया जबकि कुल मिलाकर अब तक भारत के खाते में पाँच पदक आ चुके हैं।

कुश्ती के फाइनल मैच के बाद पहलवान रवि दहिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शुभकामनाएँ दी है। उन्होंने लिखा, “रवि कुमार दहिया एक शानदार पहलवान हैं। उनकी जी जान लगाने की भावना और मेहनत उत्कृष्ट है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में रजत पदक जीतने के लिए उन्हें बधाई। भारत को उनकी उपलब्धियों पर बहुत गर्व है।”

उल्लेखनीय है कि रवि दहिया ने 4 अगस्त को सेमीफाइनल मैच में कजाकिस्तान के नूरइस्लाम सानायेव को मात दी थी। इसी के साथ ओलंपिक्स में कुश्ती के फाइनल में पहुँचने वाले दहिया दूसरे भारतीय बने थे। इससे पहले यहाँ तक सुशील कुमार पहुँचे थे। उससे पूर्व उन्होंने कोलंबिया के टिगरेरोस उरबानो आस्कर एडवर्डो को 13-2 से हराने के बाद बुल्गारिया के जॉर्जी वेलेंटिनोव वेंगेलोव को 14-4 से हराया था।

आज के मैच की सबसे दिलचस्प बात यह रही कि रवि और युगुऐव दोनों शानदार फॉर्म में थे। ये पहली बार नहीं था कि दोनों के बीच मुकाबला हुआ हो। इससे पहले 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी दोनों का आमना-सामना हुआ था। उस समय रूसी के रेसलर ने भारत के पहलवान को 6-4 से हराया था। उस चैंपियनशिप में रवि को ब्रॉन्ज हासिल हुआ था। इसके बाद वह 2020 और 2021 में एशियन चैंपियनशिप के दौरान भारत को गोल्ड दिलवा चुके हैं। 2018 में उन्होंने अंडर-23 चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था।

दीपर पुनिया और विनेश फोगाट हारे

मालूम हो कि एक ओर जहाँ रवि दहिया की हार के बाद भी भारत में सिल्वर पदक आने की खुशी है। वहीं पहलवान दीपक पुनिया के पुरुष फ्रीस्टाइल कुश्ती 86 किग्रा में हार के बाद एक पदक हाथ से जाने की निराशा भी है। इसके अलावा महिला कुश्ती में भी भारत को बड़ा झटका मिला है। भारत की दिग्गज रेसलर विनेश फोगाट को 53 किलोग्राम वेट कैटेगरी के क्वार्टर फाइनल मैच में हार का सामना करना पड़ा। उन्हें बेलारूस की वेनेसा कालाजिंसकाया ने 9-3 से हराया।

रवि दहिया के टोक्यो ओलम्पिक में कुश्ती में रजत पदक जीतने पर चंद्रमोहन ने बधाई दी

पंचकूला 5 अगस्त:

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने गांव नाहरा जिला सोनीपत ‌के रवि दहिया के टोक्यो  ओलम्पिक में कुश्ती में रजत पदक जीतने पर हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा कि श्री दहिया ने जिस धैर्य संयम और उत्साह का परिचय देते हुए उत्कृष्ट खेल दिखाया है उसकी जितनी भूरि भूरि प्रशंसा की जाए वह कम है। उन्होंने कहा कि दहिया ने ने केवल हरियाणा प्रदेश अपितु देश का नाम गौरवान्वित किया है। उन्होंने 57 किलो ग्राम वेट फ्रीस्टाइल कुश्ती में जावुर युगुऐव को 7-4 से हराया

‌                  ‌                           उन्होंने भारतीय हॉकी टीम के कांस्य पदक जीतने पर भी हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा कि भारतीय हॉकी टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पिछले 41 साल का रिकॉर्ड तोड कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

                             ‌            चन्द्र मोहन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा हरियाणा प्रदेश में खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए जो ‌खेल नीति बनाई गई थी, उसी का यह परिणाम है कि आज प्रदेश के खिलाड़ी  विभिन्न खेलों में आगे आकर देश की प्रतिष्ठा को चार चांद लगा रहे हैं।

             ‌                                 चन्द्र मोहन ने कहा कि उन्होंने हरियाणा प्रदेश खेल संघ का अध्यक्ष होने का गौरव हासिल हुआ और उस समय उन्होंने खिलाड़ियों में आत्मविश्वास जगाने के लिए न केवल खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि में बढ़ोतरी की अपितु उनके लिए पैन्शन का प्रावधान करने के साथ साथ उनके लिए अनेक प्रकार के पुरुस्कारों की भी शुरुआत की गई थी। उन्होंने सभी खिलाड़ियों के उज्जवल भविष्य की मंगल कामना की है। 

बैडमिंटन टूर्नामेंट में सिरसा के तरुण ने जीता सिल्वर मेडल

सतीश बंसल पत्रकार  सिरसा:

 हनुमानगढ़ एसोसिएशन द्वारा हनुमानगढ़ में आयोजित तीन दिवसीय बैडमिंटन टूर्नामेंट में चौधरी देवीलाल बैडमिंटन एकेडमी सिरसा ने शानदार प्रदर्शन किया। दि सिरसा स्कूल सीनियर विंग में संचालित चौधरी देवीलाल बैडमिंटन एकेडमी के कोच  दिपेश ठक्कर ने बताया कि इस टूर्नामेंट में हरियाणा, पंजाब व राजस्थान से 200 खिलाडिय़ों ने भाग लिया। सिरसा के 6 बच्चों ने इस टूर्नामेंट में भाग लेते हुए शानदार प्रदर्शन किया। एकेडमी के  छात्र एवं खिलाड़ी तरुण गक्खड़ ने जीत का परचम लहराते हुए सिल्वर मेडल हासिल किया व नकद इनाम भी प्राप्त किया। इस उपलब्धि पर स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. राकेश सचदेवा व सुंदाशु गुप्ता ने विजेता खिलाड़ी तरुण गक्खड़ व कोच दिपेश ठक्कर को शुभकामनाएं दी है।

गुरप्रीत कौर इन्सां भारतीय जूनियर जेवलिन थ्रो टीम की कोच नियुक्त

– 23 जुलाई से 15 अगस्त तक पटियाला में आयोजित कैंप में भारतीय टीम को देंगी प्रशिक्षण
सतीश बंसल पत्रकार  सिरसा, 22 जुलाई
:

 अंतरराष्ट्रीय जेवलिन थ्रो महिला खिलाड़ी गुरप्रीत कौर इन्सां अब देश के लिए बेहतरीन जेवलिन थ्रोअर तैयार करेंगी। उनकी शानदार उपलब्धियों और बेहतरीन खेल शैली की बदौलत भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने केन्या में होने वाली वल्र्ड जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने वाली भारतीय जेवलिन थ्रो टीम की कोच नियुक्त किया है। गुरप्रीत कौर इन्सां 23 जुलाई से 15 अगस्त तक पटियाला में आयोजित होने वाले कैंप में भारतीय टीम को प्रशिक्षण देंगी। गुरप्रीत कौर इन्सां ने बताया कि उनके खेल जीवन का सफर 1996 में तब शुरू हुआ, जब उन्होंने 9वीं कक्षा में शाह सतनाम जी गल्र्ज स्कूल, सिरसा में एडमिशन लिया। इन शिक्षण संस्थानों में बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनका बेहतरीन मार्गदर्शन किया गया और आधुनिक खेल सुविधाएं उपलब्ध करवाई। गुरप्रीत कौर इन्सां बताती हैं कि पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा प्रोत्साहित किए जाने पर ही उन्होंने जेवलिन थ्रो खेल में अभ्यास शुरू किया था। वे आगे कहती हैं कि पूज्य गुरु जी द्वारा बताए गए टिप्स को फॉलो करते हुए उनकी तकनीक में बहुत बड़ा सुधार आया। अपनी कड़ी मेहनत, लग्न और पूज्य गुरु जी के मार्गदर्शन से गुरप्रीत कौर ने एक के बाद एक अनेक उपलब्धियां हासिल की। ये होनहार खिलाड़ी और कोच अब तक 75 नेशनल प्रतियोगिताओं में 13 गोल्ड, 13 सिल्वर और 14 ब्रॉन्च मेडल जीत चुकी हैं। वहीं 7 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर 1 गोल्ड और 2 ब्रॉन्च मेडल देश की झोली में डाले हैं। वे अपनी इस उपलब्धि का श्रेय पूज्य गुरु संत डॉॅ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को देते हुए कहती हैं कि ये सब मेरे पापा कोच डॉ. एमएसजी की बदौलत ही संभव हुआ है।

खेल विभाग द्वारा अंतर्राष्टï्रीय ओलंपिक दिवस के अवसर पर साइलिक रैली व पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन

– अंतर्राष्टï्रीय हॉकी खिलाड़ी सविता पूनिया के पिता महेंद्र सिंह पूनिया व माता लीलावती ने साइलिक रैली को दिखाई हरी झंडी
सतीश बंसल सिरसा, 23 जून।

जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग द्वारा अंतर्राष्टï्रीय ओलंपिक दिवस के अवसर पर साइकिल रैली व पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अंतर्राष्टï्रीय हॉकी खिलाड़ी सविता पूनिया के पिता महेंद्र सिंह पूनिया ने साइलिक रैली हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर सविता पूनिया की माता लीलावती भी मौजूद थी। जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी लाजवंती ने अंतर्राष्टï्रीय हॉकी खिलाड़ी सविता पूनिया के पिता महेंद्र सिंह पूनिया व उनकी माता लीलावती को पौधा भी भेंट किया।
अंतर्राष्टï्रीय हॉकी खिलाड़ी सविता पूनिया के पिता महेंद्र सिंह पूनिया ने कार्यक्रम में उपस्थित खिलाडिय़ों को सविता पूनिया के संघर्ष व मेहनत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने जिला स्तर से लेकर टोक्यों ओलंपिक तक के सफर के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि लग्न व मेहनत के बल पर कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। खेल सभी के लिए जरूरी है, स्वस्थ शरीर और दिमाग को विकसित करने के लिए खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी लाजवंती ने बताया कि वर्तमान समय में खेल क्षेत्र में अपार संभावनाएं है।  बड़े गौरव की बात है कि जिला सिरसा के खिलाडिय़ों ने अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर देश, प्रदेश व जिला का नाम चमकाया है। उन्होंने खिलाडिय़ों से आह्वान किया कि वे शिक्षा के साथ-साथ खेलों में अपनी भागीदारी बढ़ाते हुए अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि अंतर्राष्टï्रीय ओलंपिक दिवस के अवसर पर जिला के पांच स्टेडियमों व आठ राजीव गांधी खेल परिसरों में लगभग 550 पौधे रोपित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पेड़ पर्यावरण को शुद्ध बनाते हैं, स्वच्छ ऑक्सीजन से प्रदूषण स्तर में कमी आती है। खेल परिसरों में पौधारोपण से खिलाडिय़ों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और खेल अभ्यास में और अधिक मन लगेगा। उन्होंने बताया कि शहीद भगत सिंह स्टेडियम में चियर फॉर इंडिया टोक्यो 2020 नाम से सेल्फी प्वाइंट भी स्थापित किया गया है।
इस अवसर पर उपाधीक्षक हरि राम, लॉग टेनिस कोच रेशम सिंह, जुडो कोच सीमा व अर्चना, क्रिकेट कोच शंकर, वॉलीबॉल कोच रणजीत सिंह, कुश्ती कोच लखविंद्र सिंह, तीरंदाजी कोच कर्ण सहित अन्य  मौजूद थे।

डेमोक्रेटिक फ्रंट impact : नींद से जागी खट्टर सरकार ने की युवा महिला खिलाड़ी की मदद

देर से ही सही पर हरियाणा सरकार नींद से जागी तो। अभी कुछ दिन पहले ‘पुरनूर’ कोरल की खिलाड़ी सुनीता को ले कर एक खबर जुमलों कि राजनीति में पिस रही हरियाणा की खेल प्रतिभाएं खूब वायरल हुई। एक युवा ने दूसरे युवा के मन की टीस पहचानी ओर उस खिलाड़ी की आवाज़ बुलंद की जो राष्ट्र के लिए स्वर्ण पदक तो लाती है परंतु स्वयं लोगों के घर जूठे बर्तन माँजते हुए सूखी रोटी ओर मिर्ची के सहारे अगले पदक को जीतने की तैयारी कर रही है। आर्थिक तंगी से जूझ रही रोहतक के सीसर खास गांव की रहने वाली सुनीता कश्यप को राज्य सरकार ने 5 लाख रुपए की सहायता राशि मुहैया कराई है। सुनीता पावर-स्ट्रेंथ लिफ्टिंग प्लयेर हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर सूबे का नाम रोशन किया। हालांकि, आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते वह मेहनत मजदूरी कर अपने खेल-प्रशिक्षण का खर्च उठा रही थीं। यहां तक कि, बैंकॉक में हुए टूर्नामेंट में भेजने के लिए उनके पिता 2 दो लाख रुपए का कर्ज भी लेना पड़ा था। तब लोगों ने सरकार से सुनीता की मदद करने को कहा था। जिस पर खेल मंत्री सरदार संदीप सिंह सुनीता से मिले और विभिन्न माध्यमों से मदद की।

सुनीता कश्यप ने जून 2018 में 52 किलोग्राम भार में राज्य स्तर पर बहादुरगढ़ में गोल्ड मेडल जीता था, 2019 में सोनीपत में राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीता, 2019 में लोहारू में राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता, अक्टूबर 2019 में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में हुई नार्थ इंडिया चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता, फरवरी 2019 में छत्तीसगढ़ में हुई राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता, फरवरी 2020 में थाइलैंड के बैंकाक में हुई विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता।

क्या कहा खेल मंत्री ने

खेल राज्यमंत्री संदीप सिंह से उनके कार्यालय में मिलने के लिए पहुंची सुनीता कश्यप से मिलने के बाद मीडिया से बात करते हुए खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि, “मुझे इंटरनेशनल वेटलिफ्टिंग-स्ट्रॉंग लिफ्टिंग प्लेयर सुनीता कश्यप की तकलीफ के बारे में पता चला तो अपने कार्यालय बुलवाया। मैं जानता हूं कि, उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए खुद को साबित किया है। ऐसे खिलाडिय़ों की हम बहुत कदर करते हैं। मैंने सुनीता को आर्थिक सहायता दिलाई है और साथ ही जिला खेल अधिकारी रोहतक को निर्देश दिए हैं कि तत्काल इनके प्रशिक्षण का प्रबंध करें। जरूरत के लिए सुनीता जो चीज चाहें, वो उपलब्ध करवाई जाए।”

जुमलों कि राजनीति में पिस रही हरियाणा की खेल प्रतिभाएं

सनद रहे घोषणाएँ तो पहले भी बहुत हुईं, लेकिन अमल में नहीं आ पाईं। मंत्री जी को पूर्व घोषणाओं का भी संग्यान ले कर उन्हे भी शीघ्रातिशीघ्र पूरा करवाना चाहिए। तथा पूर्व घोषणाओं के पूरा न होने से जो इस ज्झारु खिलाड़ी को मानसिक क्लेश हुआ उसके दोषी अधिकारियों पर भी बनती कार्यवाई करवाएँ।

कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर सुनीता की मौजूदा परिस्थिति का एक वीडियों वायरल हुआ था जिसके बाद कई सामाजिक संगठन और नेता मदद का भरोसा देते नज़र आये थे अब राज्य सरकार ने मदद की है तो निश्चित ही इस युवा खिलाड़ी का हौंसला बढ़ेगा।

योग में ‘ॐ’ के उच्चारण से परेशान कॉंग्रेस

कॉंग्रेस का इतिहास देखें तो एक ‘Accidental Hindu’ से लेकर ‘Accidental Prime Misiter’ तक के सफर में बहुत कुछ मिल जाएगा। धर्म के नाम पर देश को विभाजन का दंश देने वाली कॉंग्रेस हमेशा ही से हिन्दू विरोधी रही है। सोमनाथ मंदिर काजीर्णोद्धार हो या फिर किसी म्सलिम राष्ट्राध्यक्ष के आने पर उत्तरप्रदेश के मंदिरों को ढकना, राम को मिथक बता रामसेतु तोड़ने का कुप्रयास करना ताज़ा उदाहरण राम मंदिर के निर्माण में रुकावट भरी हर संभव कुचाल चलना। आपको हर तरफ कॉंग्रेस के सनातन धर्म से नफरत से पगे लोग मिल जाएँगे। मुस्लिम तुष्टीकरण की पराकाष्ठा यहाँ तक कि अब योग को भी कांग्रेसी बटवारे की राजनीति का मोहरा बनाया जा रहा है। कोरोना संकट के बीच आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। इस साल योग दिवस की थीम ‘योग फॉर वेलनेस’ रखी गई है, जो शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए योग का अभ्यास करने पर केंद्रित है। एक तरफ जहां कोरोना महामारी के बीच देशभर के अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, केंद्रीय मंत्रियों से लेकर आम आदमी तक बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे है। तो वहीं कांग्रेस पार्टी के नेता इस अवसर पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आए। दरअसल योग दिवस पर कांग्रेस के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने विवादित ट्विट किया है। जिसको लेकर अब अभिषेक मनु सिंघवी सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर आ गए है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अपनी विशेषज्ञता रजिस्टर करते हुए कान्ग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने लिखा; ॐ के उच्चारण से न तो योग ज्यादा शक्तिशाली हो जाएगा और ना अल्लाह कहने से योग की शक्ति कम होगी। 

यह योग पर किसी वकील की नहीं बल्कि एक कॉन्ग्रेसी की निपुणता का बयान है। किसी वकील का बयान होता तो सिंघवी शायद यह कहकर रुक जाते कि; किसी कानून में नहीं लिखा है कि केवल हिन्दू ही योग कर सकते हैं या फिर यह कि; किसी कानून में नहीं लिखा है कि योग करते हुए ॐ का उच्चारण अनिवार्य है। पर खुद को वकील से पहले कॉन्ग्रेसी मानने वाले सिंघवी ने ऐसा बयान चुना जो हिन्दुओं को चिढ़ा सके। उनका बयान यह साबित करता है कि एक कॉन्ग्रेसी इतना प्रतिभावान हो सकता है कि वह योग ही नहीं, अयोग, वियोग, संयोग वगैरह को भी हिन्दू-मुस्लिम एंगल से देख सकता है। वह जब चाहे योग को ॐ से तोड़ कर अल्लाह से जोड़ सकता है। वह कॉन्ग्रेसी के दशकों पुराने दर्शन का प्रयोग करके साबित कर सकता है कि योग दरअसल अल्लाह की देन है।
 
कॉन्ग्रेसी यहाँ से भी आगे जा सकते हैं। जैसे योग यदि किसी सरकारी योजना से पैदा होने वाला संसाधन होता तो सिंघवी यह कह कर भी निकल सकते थे कि योग पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का …नहीं-नहीं, योग पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। वे यह भी कह सकते थे कि हमारी सरकार आएगी तो अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सरकार की भूमिका पर पुनर्विचार करेगी। योग मूलतः सनातन धर्म की देन है इसलिए कॉन्ग्रेसी उसके साथ अल्लाह को जोड़कर रुक जाते हैं। वे जो चाहें कह सकते हैं क्योंकि पिछले दो दशकों से कॉन्ग्रेस के राजनीतिक दर्शन में अब सत्य के लिए न तो स्थान रहा और न ही पगडंडी। ऐसे में सिंघवी यदि अल्लाह-हू-अकबर कहकर अपना योगाभ्यास आरंभ करें तो भी किसी को फर्क नहीं पड़ेगा।  

जब से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को संयुक्त राष्ट्र संघ ने मान्यता दी है, भारत में योग के विरोधियों की संख्या बढ़ गई है। हर वर्ष किसी न किसी बहाने आजके दिन योग को लेकर तरह-तरह की बातें बनाने का प्रयत्न किया जाता है। कभी लोकतंत्र की तथाकथित कमी या उसके गुणवत्ता को आगे रखकर तो कभी बेरोजगारी के आँकड़े आगे रख कर, कभी सरकार की तथाकथित देश विरोधी नीतियों का ढोल पीट कर तो कभी प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात को आगे रखकर। जैसे इस वर्ष विरोध के टेम्पलेटानुसार अस्सी करोड़ भारतीयों के गरीब होने और पैंतीस करोड़ भारतीय महिलाओं के कुपोषित होने जैसे आँकड़ो का प्रयोग करके योग को कलंकित करने का प्रयास किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर ट्वीट विमर्श देखकर लग रहा है जैसे सबको एक ही मेसेज मिला है और सारे उसे फैलाने में लगे हैं। प्रश्न यह है कि इन विषयों को योग से जोड़ने का क्या औचित्य है? इस प्रश्न का शायद यह उत्तर है कि कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम केवल योग दिवस पर ही नहीं बल्कि यह कह कर भी प्रश्न उठाता है कि; देश में इतनी समस्याएँ हैं और हम मंगलयान भेजने में लगे हैं।   

देश में समस्याएँ हैं, इस बात से कौन इनकार कर सकता है, पर उन समस्याओं से सम्बंधित कुछ भी आँकड़ों के बहाने योग को अपमानित करने की राजनीति के बारे में क्या कहा जाए? हर योग दिवस पर यह बात क्यों उठाई जाती है कि मुसलमान योग नहीं करेंगे? करोड़ों हिन्दू हैं जो योग दिवस पर योग नहीं करते पर वे तो विरोध नहीं करते। मुसलमानों द्वारा योग के विरोध की बात शायद तब समझ में आती जब सरकार ने योग सबके लिए अनिवार्य कर दिया होता पर जब तक ऐसी कोई स्थिति नहीं आती तब तक मुसलमानों द्वारा योग का विरोध करने की बात खड़ी ही क्यों की जाती है? यदि किसी को योग नहीं करना है तो न करे पर इसे अल्लाह से जोड़ने की कोशिश क्यों? इसके पीछे का उद्देश्य क्या है? योग शरीर के अलावा चित्त को भी स्वस्थ रखता है। ऐसे में कुछ लोगों को यह भय तो नहीं है कि; कहीं योगाभ्यास के कारण उनका चित्त परिष्कृत हो जाएगा तब क्या होगा? यह भय तो नहीं कि चित्त परिष्कृत हुआ तो उनके जीवन में भूचाल आ जाएगा क्योंकि जीवन में बनाई गई उनकी योजनाएँ और उद्देश्य नष्ट हो जाएँगे? कि मन के विकार नष्ट हुए तो जीवन में कुछ बचेगा ही नहीं?  

योग के वर्तमान शिक्षक या संत खुद भी कई बार सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि अधिक से अधिक लोगों को योग का लाभ उठाना चाहिए क्योंकि योग का किसी धर्म से लेना-देना नहीं है। योग के शिक्षक यदि ऐसा कहते हैं तो यह उनके अपने विचार हैं। वे यदि योग के स्रोत और उसकी उत्पत्ति निजी कारणों से नकारना चाहते हैं तो यह उनके अपने विचार हैं जो आवश्यक नहीं कि सच ही हों। इस विषय पर एक आम हिन्दू के भी अपने विचार हो सकते हैं जो शायद इन शिक्षकों के विचारों से भिन्न हों पर इस असहमति के बावजूद सार्वजनिक तौर पर कभी हिन्दू समाज ने शिक्षकों के इन विचारों का विरोध नहीं किया। ऐसे में बार-बार यह कहना क्यों आवश्यक है कि योग का हिन्दुत्व या सनातन धर्म से लेना-देना नहीं है? शायद इसका उत्तर इस बात में है कि योग करें या न करें पर उसे अपमानित करने का कोई भी मौका न जाने दें।      

ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनपर विमर्श और उनका उत्तर खोजने का प्रयास होना चाहिए। दुष्प्रचार को समय के हिसाब से उसे चलाने वाले कब कहाँ पहुँचा दें, इसका अनुमान लगाना शायद हर बार संभव न हो सके। हम अपने घुटे हुए इतिहासकारों से अच्छी तरह से परिचित हैं। आज एक कॉन्ग्रेसी योगाभ्यास से ॐ तो तोड़कर अल्लाह को जोड़ रहा है, ऐसे में क्या इस संभावना से इनकार किया जा सकता है कि हमारे घुटे हुए इतिहासकार किसी दिन यह परिकल्पना देना शुरू न कर देंगे कि चूँकि योगाभ्यास के समय लोग अल्लाह अल्लाह करते हैं इसलिए यह साबित होता है कि फलाने पैगम्बर ने दुनियाँ को योग दिया था? 

पॉलिटिकल करेक्टनेस किसे कहाँ तक ले जाता है वह देखने वाली बात होगी पर फिलहाल तो सरकार के विरोध के उद्देश्य से आरंभ हुई एक प्रक्रिया योग विरोध पर पहुँची और वहाँ से एक और छलांग लगाकर हिन्दू विरोध पर जा खड़ी हुई है।