बिहार में नए मंत्रिमंडल का विस्तार मंगलवार को हो गया। राजद के 16, जदयू के 11, कांग्रेस के दो तथा एक निर्दलीय सहित कुल 31 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गयी। नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने कई ऐसे नेता हैं, जिनपर कई आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। तेजस्वी यादव, लेशी सिंह, तेजप्रताप यादव समेत दस मंत्रियों पर कई केस चल रहे हैं।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटना(ब्यूरो) :
महागठबंधन सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार होते ही सत्ताधारी दलों के नेताओं के बीच विरोध के सुर उभरने लगे हैं। इसी कड़ी में जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) के नेता शंभू पटेल ने एनडीए से नाता तोड़ने पर नाराजगी जताते हुए पार्टी छोड़ दी है। शंभू पटेल बिहार विधानसभा चुनाव में कैमूर जिले के भभुआ से महागठबंधन से उम्मीदवार थे। उन्होंने यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
शंभू पटेल कांग्रेस के दिवंगत नेता सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद सिंह के साथ जेडीयू में शामिल हुए थे। इन दोनों ने 12 दिसंबर, 2021 को कांग्रेस छोड़ कर जेडीयू का दामन थाम लिया था। भभुआ से राजनीति करने वाले शंभू सिंह को सदानंद सिंह का करीबी माना जाता था।
बता दें कि, नीतीश कुमार ने बीजेपी पर उनकी पार्टी जेडीयू को विभाजित करने का आरोप लगाते हुए पिछले हफ्ते एनडीए से नाता तोड़ लिया था, और आरजेडी के साथ जाते हुए महागठबंधन सरकार बना ली थी। उन्होंने कहा था कि जेडीयू के सभी लोग चाहते हैं कि हम बीजेपी का साथ छोड़ दें और नए सिरे से सरकार का गठन करें।
दूसरी ओर राजद सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव बिहार के डिप्टी सीएम बन चुके हैं। तेजस्वी का नाम आईआरसीटीसी घोटाले में आ चुका है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान दायर किए हलनामे के मुताबिक, तेजस्वी यादव पर 11 मामले दर्ज हैं। इनमें 7 आपराधिक केस हैं, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग, आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी के मामले चल रहे हैं। इसके अलावा चार सिविल केस भी चल रहे हैं। तेजस्वी यादव पर धोखाधड़ी करने के लिए आईपीसी की धारा 120 B के तहत आपराधिक षडयंत्र का मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। आईआरसीटीसी मामले में कार्रवाई हुई तो 7 साल की जेल तक हो सकती है।
अब बात करते हैं लालू यादव के बड़े बेटे और हसनपुर से विधायक तेज प्रजाप यादव की। तेज प्रजाप यादव पर राजधानी पटना के अलग-अलग थानों में चार मामले दर्ज हैं और एक मामला दहेज से भी जुड़ा हुआ है।
नीतीश सरकार में खाद्य-उपभोक्ता मंत्री बनी लेशी सिंह पर पूर्णिया के सरसी में पूर्व में पूर्व जिला परिषद रिंटू सिंह की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा हुआ है। इतना ही नहीं, नवंबर 2000 में चुनाव के दौरान राजद नेता बिन्नी सिंह की हत्या की साजिश रचने का आरोप भी उन पर लगा। साल 2000 में लेशी सिंह के पति को पूर्णिया कोर्ट में गोलियों से भूनकर मार डाला गया था। पति की मौत होने के बाद लेशी सिंह ने राजनीति का रास्ता चुना। साल 2000 में चुनाव लड़ा और जीता भी। इसके अलावा नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने जमा खान की छवि दबंग नेता की रही है। जमा खान हत्या की कोशिश करने, हिंसा को भड़काने, आर्म्स एक्ट जैसे मामलों में मुकदमे चल रहे थे।
लालू यादव और तेजस्वी यादव के करीबी सुरेंद्र यादव की छवि भी एक दबंग विधायक की है। सुरेंद्र यादव पिछले 30 साल से बेलागंज से विधायक रहे हैं। वह दो बार जनता दल और पांच बार आरजेडी विधायक रहे हैं। वहीं राजद नेता ललित यादव दरभंगा ग्रामीण सीट से विधायक हैं। उनके खिलाफ पटना थाने में एक केस दर्ज है। ललित यादव उस समय सबसे ज्यादा चर्चा में आए थे जब उन पर प्रॉपर्टी डीलर की हत्या करने का आरोप लगा था। शाहपुर चक्का गांव के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर हीरा पासवान की गोली मारकर हत्या हुई थी। शव ललित यादव के बगीचे से बरामद हुआ था। राजद नेता कार्तिक कुमार पर कई थानों में मामले दर्ज में हैं। मोकामा थाना, मोकामा रेल थाना समेत बिहटा में भी इनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। हालांकि किसी भी मामले में अब तक न्यायालय से इन्हें दोषी करार नहीं दिया गया है।
मदन सहनी जेडीयू से हैं और बहादुरपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। इनकेखिलाफ बहादुरपुर और घनश्यामपुर थाने में एक-एक मामला दर्ज है। 53 वर्षीय मदन सहनी 2 करोड़ रुपये की सम्पत्ति के मालिक हैं। इसके अलावा सुमित कुमार सिंह चकाई विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं. इन्हें भी नीतीश सरकार की कैबिनेट में जगह मिली है. सुमित कुमार परपांच आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं राजद के वरिष्ठ नेता डॉ. रामानंद यादव फतुहा विधानसभा सीट से विधायक हैं। करीब 11 करोड़ रुपये की सम्पत्ति के मालिक रामानंद यादव पर 4 आपराधिक मामले दर्ज हैं।