पार्षद करण सिंह की भूख हड़ताल को गुरुवार को तीसरा दिन

महवा:

वार्ड नंबर 17 के पार्षद कारण सिंह आज तीसरे दिन भी भूख हड़ताल पर बैठे रहे। तेजरम मीणा ओर वोहरा के समझने पर भी नहीं माने कर्ण सिंह।

नगरपालिका के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे वार्ड नंबर 17 के पार्षद करण सिंह को गुरुवार को तीसरे दिन भी बैठे रहे। नगर पालिका चेयरमैन, अधिशासी अधिकारी व नगरपालिका के अन्य वार्ड पार्षदों ने काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन एन वक्त पर लिखित में आदेश दिए जाने की बात पर मामला बिगड़ गया।

जानकारी के अनुसार अपनी आधा दर्जन मांगों को लेकर पिछले दो दिन से धरने पर बैठे वार्ड पार्षद को नगर पालिका चेयरमैन विजय शंकर बौहरा और अधिशासी अधिकारी तेजराम मीणा व दर्जनों पार्षदों ने समझाने का प्रयास किया। नगर पालिका सभागार में आयोजित पार्षदों की बैठक में भी इस मामले को अन्य पार्षदों ने भी उठाया और भूख हड़ताल पर बैठे पार्षद करण सिंह को सभागार में चल रही मीटिंग में बुलवाकर उसकी मांगे जानी।

चेयरमैन और अधिशासी अधिकारी ने उसकी आधा दर्जन मांगो को स्वीकार कर सहमति जताते हुए दो सप्ताह के अंदर उपलब्ध करवाने का भरोसा दिलाया।

नगर परिषद दौसा की बैठक हंगामेदार मगर बेनतीजा रही

दौसा, 31 अगस्त, 2018:

पार्षदों के परिजनों की उपस्थिती के चलते नगर परिषद महवा की बैठक सनसनीखेज ओर हंगामेदार रही। विजयशंकर वोहरा की अध्यक्षता में हुई बैठक में नगर के विकास कार्यों को ले कर तीखा विचार विमर्श हुआ। सभी विपक्षी पार्षद मुख्यमंत्री बजट घोषणा में स्वीकृत हुए कार्यों को निरस्त करवाना चाहते थे। उनका मानना था कि यदि सड़कों के ऊपर रिकार्पेटिंग कारवाई गयी तो मकान नीचे रह जाएँगे और जल भराव कि स्थिति बन जाएगी। इसीलिए सड़कों कि खुदाई करवाने के पश्चात ही उनका पुनर्निर्माण करवाना चाहिए। कुछ ने अतिरिक्त विकास कार्यों कि बात भी कि।

इसी दौरान नगर पालिका अधिकारी तेजराम मीणा ने बैठक में मौजूद पार्षदों को समझाने का प्रयास किया और मुख्यमंत्री बजट घोषणा के कार्यों को करवाने की बात उनके सामने रखी, लेकिन पार्षदों में सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में कुछ पार्षदों की अधिशासी अधिकारी से खींचतान हो गयी। इसे लेकर अधिशासी अधिकारी ने कहा कि स्वीकृत कार्य निरस्त करने का अधिकार डीएलबी को है। लेकिन कुछ पार्षद इसे मानने को तैयार नहीं हुए और कानून नियम की बात करने लगे। जिस पर अधिशाषी अधिकारी तेजराम मीणा ने पार्षदो के स्थान पर बैठक में शामिल हुए उनके परिजनों से बैठक में शामिल होने का अधिकार नहीं होने की बात कहते हुए भविष्य में इन बैठकों मे पार्षदों के ही शामिल होने की बात कह डाली जिससे वहां मौजूद कुछ पार्षद व उनके परिजन भड़क उठे। जिसके कारण पार्षद दो धड़ों में बट गए। जिसके चलते बैठक में विकास कार्यों पर अंतिम मुहर नहीं लग सकी। नगर पालिका अधिशासी अधिकारी तेजराम मीणा का कहना था कि भविष्य में पार्षदों के स्थान पर उनके परिजनों को बैठक में स्वीकार नहीं किया जाएगा। बैठक में जनप्रतिनिधि ही अपनी बात रख सकते है।

राजस्थान को तो पहिले समझ लो फिर सवाल करना: वसुंधरा

 

 

जैतारण/सोजत/जयपुर: 

मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि वे राजस्थान की बहू है। राजस्थान की संस्कृति को जानती है। लेकिन कांग्रेस के नये-नये नेता सचिन पायलट को न राजस्थान की संस्कृति का पता है, न ही यहां के संस्कारों का पता और न ही यहां की प्रथा का पता। पहले राजस्थान को समझ तो लो फिर उसके बाद हमसे सवाल करो। सीएम राजे पाली जिले के जैतारण कस्बे में आयोजित एक बड़ी सभा को सम्बोधित कर रही थीं।

उन्होंने कहा कि पीपाड़ सिटी में पथराव की घटना एक साजिश थी जिसे टीवी और वीडियो फुटेज के माध्यम से सब ने देखा है। इसके बावजूद कांग्रेस कह रही है कि यह उसने नहीं किया। मुझे प्रदेश की जनता ने साढे़ 7 करोड़ लोगों की सेवा के लिए चुना है। इसलिए कांग्रेस ने मेरा नहीं प्रदेश के साढे़ 7 करोड़ लोगों का अपमान करने का प्रयास किया। हर महिला का अपमान करने का प्रयास किया। राजस्थान में सबको प्यार करते हुए, सबको साथ लेकर चलते हुए, राम-राम सा और खम्मा घणी बोलते हुए आगे बढ़ने की परम्परा रही है, लेकिन इन्होंने इस परम्परा को तोड़ने का काम किया है। प्रदेश की जनता आने वाले चुनाव में इसका सबक इन्हें सिखा देगी।

पायलट ने वसुंधरा से पूछा 17वां सवाल

 

जयपुर:

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से बुधवार को तेहरवां प्रश्न पूछा है कि ‘बिजली की दरें 37 से 70 प्रतिशत तक बढ़ाकर तथा जनता को लूटने के उद्देश्य से प्रमुख शहरों में निजी कम्पनियों को बिजली वितरण देकर और लटकते तारों व जलते ट्रांसफार्मर से लगभग 2500 नागरिकों की मौत हो जाने पर क्या मुख्यमंत्री गौरव महसूस करती हैं?’

पायलट ने कहा कि गत पौने पांच वर्षों में भाजपा सरकार ने प्रत्येक वर्ग के लिए बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि कर दी है। घरेलू बिजली की दरों में 37 से 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर व व्यापारिक व औद्योगिक क्षेत्र की बिजली दरों को दुगुना कर दिया है। उदय योजना को लागू कर प्रदेश की जनता पर 60 हजार करोड़ रुपए का बोझ डाला गया है। बिजली छीजत व चोरी को नियंत्रित करने में भाजपा सरकार बुरी तरह से नाकाम रही है। फीडर रिनोवेशन प्रोग्राम के तहत लाखों ट्रांसफार्मर बदलने के दावों के बावजूद प्रदेश में भाजपा के राज में गत समय में लगभग 2500 निर्दोष लोग व बड़ी संख्या में पशुधन विद्युत कंपनियों की लापरवाही के कारण 11 केवी ट्रांसमिशन लाइन से करंट लगने, ट्रांसफार्मर के फटने व जलने के कारण बेमौत मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि इतनी बड़ी तादाद में बेकसूरों की मौत होने पर भी सरकार के स्तर पर किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति की इन हादसों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की गई।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में किसानों को 8 घंटे तीन फेस व सभी ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे सिंगल फेस बिजली देने का वादा किया था, परंतु सत्ता में आते ही वादाखिलाफी कर जनता से कहा गया कि सरकार के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है और विभाग की एमआरआई रिपोर्ट प्रमाणित करती है कि 5 से 6 घंटे से भी कम समय तीन फेस बिजली मिलती है, जबकि सिंगल फेस बिजली शहरों में औसतन 16 घंटे व गांवों में केवल 8 घंटे ही मिलती है।

राम रहीम के पास पहुंची डेरा की चेयरपर्सन शोभा गोरा, पैरोल की संभावना


 

रविवार को रक्षा बंधन के पर्व पर जेल में दो दुष्कर्मों की सजा काट रहे राम रहीम के परिजन उनसे मिलने के लिए सुनारिया जेल पहुंचे। शाम करीब चार बजकर दस मिनट पर परिजन जेल पहुंचे। परिवार के सदस्यों में पुत्रवधु व दोनों बेटियां के अलावा पोती व पोता शामिल थे।

साथ ही डेरा साचा सौदा की चेयरपर्सन शोभा गोरा भी सुनारिया जेल पहुंची। जहां करीब आधे घंटे तक राम रहीम से मुलाकात की। जिसके चलते राम रहीम भावुक भी हो गए। सभी चार बजकर 40 मिनट तक जेल परिसर में रहे।

वहीं डेरा सच्चा सौदा की चेयरपर्सन शोभा गोरा के साथ राम रहीम की विशेष मुलाकात रही। जिसके बाद चेयरपर्सन ने बताया कि यह सामान्य दौरा था। किसी प्रकार कि कोई परेशानी नहीं है। डेरा संचालक का स्वास्थ्य ठीक है। वहीं बताया कि 28 अगस्त के बाद जेल से पेरौल मिलने की सम्भावना है।

साधुओं को नपुंसक बनाने का मामला अड़चन बन सकता है। जमानत न होने तक पेरौल में भी क़ानूनी अड़चन रहेगी। जमानत मिलने के बाद पेरौल के लिए अर्जी देने का रास्ता खुलेगा। सीबीआई कोर्ट इस मामले में तीन दिन पहले उसकी जमानत याचिका ख़ारिज कर चुकी है।

‘मन की बात’ का 47वां संस्करण

 

मोदी ने रविवार को आकाशवाणी अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 47वें संस्करण में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन को मुख्य धारा में लाने के लिए देश सदा वाजपेयी का आभारी रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयी ने भारत को नई राजनीतिक संस्कृति दी और बदलाव लाने का प्रयास किया। इस बदलाव को उन्होंने व्यवस्था के ढांचे में ढालने की कोशिश की जिसके कारण भारत को बहुत लाभ हुआ हैं और आगे आने वाले दिनों में बहुत लाभ होने वाला सुनिश्चित है।

उन्होेंने कहा कि भारत हमेशा 91वें संशोधन अधिनियम 2003 के लिए अटल जी का कृतज्ञ रहेगा। इस बदलाव ने भारत की राजनीति में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। पहला यह कि राज्यों में मंत्रिमंडल का आकार कुल विधानसभा सीटों के 15 प्रतिशत तक सीमित किया गया। दूसरा यह कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत तय सीमा एक-तिहाई से बढ़ाकर दो-तिहाई कर दी गयी। इसके साथ ही दल-बदल करने वालों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी निर्धारित किए गए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई वर्षों तक भारी भरकम मंत्रिमंडल गठित करने की राजनीतिक संस्कृति ने ही बड़े-बड़े “जम्बो” मंत्रिमंडल कार्य के बंटवारे के लिए नहीं बल्कि राजनेताओं को खुश करने के लिए बनाए जाते थे। वाजपेयी ने इसे बदल दिया। इससे पैसों और संसाधनों की बचत हुई। इसके साथ ही कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी हुई।

मोदी ने कहा कि यह अटल जी दीर्घदृष्टा ही थे, जिन्होंने स्थिति को बदला और हमारी राजनीतिक संस्कृति में स्वस्थ परम्पराएं पनपी। अटल जी एक सच्चे देशभक्त थे। उनके कार्यकाल में ही बजट पेश करने के समय में परिवर्तन हुआ। पहले अंग्रेजों की परम्परा के अनुसार शाम को पांच बजे बजट प्रस्तुत किया जाता था क्योंकि उस समय लन्दन में संसद शुरू होने का समय होता था। वर्ष 2001 में अटल जी ने बजट पेश करने का समय शाम पांच बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया।

मोदी ने कहा कि वाजपेयी के कारण ही देशवासियों को ‘एक और आज़ादी’ मिली। उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय ध्वज संहिता बनाई गई और 2002 में इसे अधिसूचित कर दिया गया। इस संहिता में कई ऐसे नियम बनाए गए जिससे सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगा फहराना संभव हुआ। इसी के कारण अधिक से अधिक भारतीयों को अपना राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर मिल पाया। इस तरह से उन्होंने प्राण प्रिय तिरंगे को जनसामान्य के क़रीब कर दिया। उन्होेंने कहा कि वाजपेयी ने चुनाव प्रक्रिया और जनप्रतिनिधियों से संबंधित प्रावधानों में साहसिक कदम उठाकर बुनियादी सुधार किए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी तरह आजकल आप देख रहे हैं कि देश में एक साथ केंद्र और राज्यों के चुनाव कराने के विषय में चर्चा आगे बढ़ रही है। इस विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में लोग अपनी-अपनी बात रख रहे हैं। ये अच्छी बात है और लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत भी। मैं जरुर कहूंगा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए, उत्तम लोकतंत्र के लिए अच्छी परम्पराएं विकसित करना, लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास करना, चर्चाओं को खुले मन से आगे बढ़ाना, यह भी अटल जी को एक उत्तम श्रद्धांजलि होगी।

वाजपेयी के योगदान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने गाज़ियाबाद से कीर्ति, सोनीपत से स्वाति वत्स, केरल से भाई प्रवीण, पश्चिम बंगाल से डॉक्टर स्वप्न बनर्जी और बिहार के कटिहार से अखिलेश पाण्डे के सुझावाें का जिक्र किया।

श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षाबंधन की कोटी कोटी बधाई

श्रावण माह की पूर्णिमा: ओणम एवं रक्षाबंधन

 

श्रावण माह की पूर्णिमा बहुत ही शुभ व पवित्र दिन माना जाता है. ग्रंथों में इन दिनों किए गए तप और दान का महत्व उल्लेखित है. इस दिन रक्षा बंधन का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है इसके साथ ही साथ श्रावणी उपक्रम श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को आरम्भ होता है. श्रावणी कर्म का विशेष महत्त्व है इस दिनयज्ञोपवीत के पूजन तथा उपनयन संस्कार का भी विधान है.

ब्राह्मण वर्ग अपनी कर्म शुद्धि के लिए उपक्रम करते हैं. हिन्दू धर्म में सावन माह की पूर्णिमा बहुत ही पवित्र व शुभ दिन माना जाता है सावन पूर्णिमा की तिथि धार्मिक दृष्टि के साथ ही साथ व्यावहारिक रूप से भी बहुत ही महत्व रखती है. सावन माह भगवान शिव की पूजा उपासना का महीना माना जाता है. सावन में हर दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करने का विधान है.

इस प्रकार की गई पूजा से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. इस माह की पूर्णिमा तिथि इस मास का अंतिम दिन माना जाता है  अत: इस दिन शिव पूजा व जल अभिषेक से पूरे माह की शिव भक्ति का पुण्य प्राप्त होता है.

कजरी पूर्णिमा | Kajari Purnima

कजरी पूर्णिमा का पर्व भी श्रावण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है यह पर्व विशेषत: मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ जगहों में मनाया जाता है. श्रावण अमावस्या के नौंवे दिन से इस उत्सव तैयारीयां आरंभ हो जाती हैं. कजरी नवमी के दिन महिलाएँ पेड़ के पत्तों के पात्रों में मिट्टी भरकर लाती हैं जिसमें जौ बोया जाता है.

कजरी पूर्णिमा के दिन महिलाएँ इन जौ पात्रों को सिर पर रखकर पास के किसी तालाब या नदी में विसर्जित करने के लिए ले जाती हैं .इस नवमी की पूजा करके स्त्रीयाँ कजरी बोती है. गीत गाती है तथा कथा कहती है. महिलाएँ इस दिन व्रत रखकर अपने पुत्र की लंबी आयु और उसके सुख की कामना करती हैं.

श्रावण पूर्णिमा को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नामों से जाना जाता है और उसके अनुसार पर्व रुप में मनाया जाता है जैसे उत्तर भारत में रक्षा बंधन के पर्व रुप में, दक्षिण भारत में नारयली पूर्णिमा व अवनी अवित्तम, मध्य भारत में कजरी पूनम तथा गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है.

रक्षाबंधन | Rakshabandhan

रक्षाबंधन का त्यौहार भी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इसे सावनी या सलूनो भी कहते हैं. रक्षाबंधन, राखी या रक्षासूत्र का रूप है राखी सामान्यतः बहनें भाई को बांधती हैं इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं उनकी आरती उतारती हैं तथा इसके बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है और उपहार स्वरूप उसे भेंट भी देता है.

इसके अतिरिक्त ब्राहमणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा संबंधियों को जैसे पुत्री द्वारा पिता को भी रक्षासूत्र या राखी बांधी जाती है. इस दिन यजुर्वेदी द्विजों का उपकर्म होता है, उत्सर्जन, स्नान-विधि, ॠषि-तर्पणादि करके नवीनयज्ञोपवीत धारण किया जाता है. वृत्तिवान ब्राह्मण अपने यजमानों को यज्ञोपवीत तथा राखी देकर दक्षिणा लेते हैं.

श्रावणी पूर्णिमा पर अमरनाथ यात्रा का समापन

पुराणों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्री अमरनाथ की पवित्र छडी यात्रा का शुभारंभ होता है और यह यात्रा श्रावण पूर्णिमा को संपन्न होती है. कांवडियों द्वारा श्रावण पूर्णिमा के दिन ही शिवलिंग पर जल चढया जाता है और उनकी कांवड़ यात्रा संपन्न होती है. इस दिन शिव जी का पूजन होता है पवित्रोपना के तहत रूई की बत्तियाँ पंचग्वया में डुबाकर भगवान शिव को अर्पित की जाती हैं.

श्रावण पूर्णिमा महत्व

श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है अत: इस दिन पूजा उपासना करने से चंद्रदोष से मुक्ति मिलती है, श्रावणी पूर्णिमा का दिन दान, पुण्य के लिए महत्वपूर्ण होता है अत: इस दिन स्नान के बाद गाय आदि को चारा खिलाना, चिंटियों, मछलियों आदि को दाना खिलाना चाहिए इस दिन गोदान का बहुत महत्व होता है.

श्रावणी पर्व के दिन जनेऊ पहनने वाला हर धर्मावलंबी मन, वचन और कर्म की पवित्रता का संकल्प लेकर जनेऊ बदलते हैं ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दे और भोजन कराया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है. विष्णु-लक्ष्मी के दर्शन से सुख, धन और समृद्धि कि प्राप्ति होती है. इस पावन दिन पर भगवान शिव, विष्णु, महालक्ष्मीव हनुमान को रक्षासूत्र अर्पित करना चाहिए.

इतिहास में वर्णित कुछ प्रसंग:

श्रावण मास पूर्णिमा को मनाए जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है। इस बार 26 अगस्त रविवार को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। इस त्योहार का प्रचलन सदियों पुराना है। पौराणिक कथा के अनुसार इस त्योहार की परंपरा उन बहनों ने रखी जो सगी बहनें नहीं थी। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों मनाया जाता हैं रक्षाबंधन का त्योहार।

राजा बलि और देवी-लक्ष्मी ने शुरू की भाई बहनों की राखी

राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान, वामन अवतार लेकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे। भगवान ने तीन पग में आकाश, पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। तब राजा बलि ने अपनी भक्ति से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाया और भेंट में अपने पति को साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी।

द्रौपदी और कृष्ण का रक्षाबंधन

राखी या रक्षा बंधन या रक्षा सूत्र बांधने की सबसे पहली चर्चा महाभारत में आती है, जहां भगवान कृष्ण को द्रौपदी द्वारा राखी बांधने की कहानी है। दरअसल, भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से चेदि नरेश शिशुपाल का वध कर दिया था। इस कारण उनकी अंगुली कट गई और उससे खून बहने लगा। यह देखकर विचलित हुई रानी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर कृष्ण की कटी अंगुली पर बांध दी। कृष्ण ने इस पर द्रौपदी से वादा किया कि वे भी मुश्किल वक्त में द्रौपदी के काम आएंगे। पौराणिक विद्वान, भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच घटित इसी प्रसंग से रक्षा बंधन के त्योहार की शुरुआत मानते हैं। कहा जाता है कि कुरुसभा में जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, उस समय कृष्ण ने अपना वादा निभाया और द्रौपदी की लाज बचाने में मदद की।

कर्णावती-हुमायूं

मेवाड़ के महाराजा राणा सांगा की मृत्यु के बाद बहादुर शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया था। इससे चिंतित रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को एक चिट्टी भेजी। इस चिट्ठी के साथ कर्णावती ने हुमायूं को भाई मानते हुए एक राखी भी भेजी और उनसे सहायता मांगी। हालांकि मुगल बादशाह हुमायूं बहन कर्णावती की रक्षा के लिए समय पर नहीं पहुंच पाया, लेकिन उसने कर्णावती के बेटे विक्रमजीत को मेवाड़ की रियासत लौटाने में मदद की।

रुक्साना-पोरस

रक्षा बंधन को लेकर इतिहास में राजा पुरु (पोरस) और सिकंदर की पत्नी रुक्साना के बीच राखी भेजने की एक कहानी भी खूब प्रसिद्ध है। दरअसल, यूनान का बादशाह सिकंदर जब अपने विश्व विजय अभियान के तहत भारत पहुंचा तो उसकी पत्नी रुक्साना ने राजा पोरस को एक पवित्र धागे के साथ संदेश भेजा। इस संदेश में रुक्साना ने पोरस से निवेदन किया कि वह युद्ध में सिकंदर को जान की हानि न पहुंचाए।

कहा जाता है कि राजा पोरस ने जंग के मैदान में इसका मान रखा और युद्ध के दौरान जब एक बार सिकंदर पर उसका धावा मजबूत हुआ तो उसने यूनानी बादशाह की जान बख्श दी। इतिहासकार रुक्साना और पोरस के बीच धागा भेजने की घटना से भी राखी के त्योहार की शुरुआत मानते हैं।

जब युद्धिष्ठिर ने अपने सैनिको को बांधी राखी

राखी की एक अन्य कथा यह भी हैं कि पांडवो को महाभारत का युद्ध जिताने में रक्षासूत्र का बड़ा योगदान था। महाभारत युद्ध के दौरान युद्धिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं कैसे सभी संकटो से पार पा सकता हूं। इस पर श्रीकृष्ण ने युद्धिष्ठिर से कहा कि वह अपने सभी सैनिको को रक्षासूत्र बांधे। इससे उसकी विजय सुनिश्चिच होगी। तब जाकर युद्धिष्ठिर ने ऐसा किया और विजयी बने। तब से यह त्योहार मनाया जाता है।

जब पत्नी सचि ने इन्द्रदेव को बांधी राखी

भविष्य पुराण में एक कथा हैं कि वृत्रासुर से युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी शची ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और श्रावण पूर्णिमा के दिन इंद्र की कलाई में बांध दी। इस रक्षासूत्र ने देवराज की रक्षा की और वह युद्ध में विजयी हुए। यह घटना भी सतयुग में ही हुई थी

राजस्थान उच्च नयायालय की बार अससोसिएश्न ने केरल के बाद पीड़ितों को भेजी राहत सामाग्री

 

जयपुर:

आज केरल के बाढ़ पीड़ितों के लिए हाई कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा एक ट्रक राहत सामग्री जैसे 80 किवंटल चावल, 25000 पानी की बोतल, बिस्किट के पैकेट्स, कपड़े और दैनिक उपभोग की चीजे रवाना की। इस कार्य मे अधिवक्ताओं ने जोर शोर से सहयोग किया और राहत सामग्री से ट्रक को पाट दिया। इस अवसर पर मुख्य न्यायाधिपति और अन्य सभी न्यायाधिपतियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और बार एसोसिएशन के इस कार्य की सराहना की और सभी न्यायाधिपतियों ने भी सहयोग करने की घोषणा की।

टिकट के दावेदारों से बागी ना होने का शपथ पत्र


फूल छाप कांग्रेसियों का डर इस कदर हावी है कि कांग्रेस को अपने टिकट के दावेदारों से बागी ना होने का शपथ पत्र लेना पड़ रहा है


मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को अपने उम्मीदवार चुनने में अभी से ही पसीना आने लगा है. राज्य में कांग्रेस अविश्वास के भंवर में फंसी हुई है. कार्यकर्ता और नेता एक दूसरे को शंका भरी निगाहों से देखते रहते हैं. शंका बीजेपी से मिलीभगत को लेकर होती है? कांग्रेस में ऐसे कार्यकर्ताओं और नेताओं को फूल छाप कांग्रेसी का नाम दिया गया है. फूल छाप कांग्रेसियों का डर इस कदर हावी है कि कांग्रेस को अपने टिकट के दावेदारों से बागी ना होने का शपथ पत्र लेना पड़ रहा है.

राहुल गांधी के निर्देश पर लिए जा रहे हैं शपथ पत्र

मध्यप्रदेश में विधानसभा के उम्मीदवार तलाश करने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मधूसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी गठित की है. मधुसूदन मिस्त्री ने ही पिछले विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नामों की स्क्रीनिंग की थी. कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेताओं को मधुसूदन मिस्त्री की कार्यशैली पसंद नहीं आती है. मिस्त्री अपने अंदाज में ही उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग कर नाम कांग्रेस अध्यक्ष के पास प्रस्तावित कर देते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त भी मिस्त्री ने कई उम्मीदवार राज्य के बड़े कांग्रेसी नेताओं की मर्जी के खिलाफ प्रस्तावित किए थे. ऐसे लोगों को टिकट देने का नतीजा यह हुआ कि वे चुनाव हार गए थे.

इस बार भी मधुसूदन मिस्त्री को उम्मीदवारों की छानबीन की जिम्मेदारी दिए जाने से राज्य के कांग्रेसी नेताओं में कानाफूसी चलती रहती है. मधुसूदन मिस्त्री इस तथ्य से पूरी तरह वाकिफ हैं कि राज्य में कांग्रेस के पास प्रतिबद्ध कार्यकर्ता नहीं है. इस कारण से वह बड़ी ही बारीकी से दावेदारों पर ध्यान दे रहे हैं. राज्य में फूल छाप कांग्रेसी होने की आशंका को भी मिस्त्री नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर टिकट के सभी दावेदारों से दस रुपए के स्टांप पेपर पर एक शपथ पत्र भी लिया गया है. राज्य के कांग्रेसियों को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की यह कार्रवाई कुछ अटपटी सी लग रही है. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी का यह फार्मूला गुजरात और कर्नाटक में सफल हुआ था. एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि उम्मीदवारों के चयन के पहले ही अविश्वास का वातावरण तैयार करेंगे तो बीजेपी से मुकाबला करना बेहद कठिन होगा.

राहुल गांधी के निर्देश पर उम्मीदवारों से जो शपथ पत्र लिया जा रहा है उसमें यह शपथ लेने के लिए कहा गया है कि वे (दावेदार) टिकट ना मिलने की स्थिति में पार्टी से बगावत नहीं करेंगे. पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार नहीं करेंगे. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी ने ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में कहा कि इस तरह के शपथ पत्र की कोई कानूनी मान्यता या बंधन दिखाई नहीं देता है. यह समय बर्बाद करने वाली कवायद से ज्यादा कुछ नहीं है. यदि गलत व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जाता है तो शपथ पत्र देने के बाद भी बगाबत हो सकती है. मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता विजेंद्र सिंह सिसोदिया ने कांग्रेस द्वारा दावेदारों से शपथ पत्र मांगने पर कहा कि यह हास्यास्पद है.

दावेदारों के साक्षात्कार भी ले चुके हैं मिस्त्री

कांग्रेस में पहली बार ऐसा हो रहा है कि स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन ने अपनी टीम के साथ राज्य कांग्रेस के मुख्यालय में बैठकर टिकट के दावेदारों का साक्षात्कार वैसे ही लिया जैसे किसी पब्लिक सर्विस परीक्षा में शामिल उम्मीदवारों से वन-टू-वन किया जाता है. मिस्त्री के साथ अजय कुमार लल्लू और नेट्टा डिसूजा ने दो दिन तक दावेदारों के साक्षात्कार लिए. चुनाव समिति के सदस्यों और पार्टी के पदाधिकारियों से भी अनौपचारिक चर्चा की. चुनाव समिति के सदस्यों से भी मिस्त्री ने टिकट देने के आधार पर भी चर्चा की. उम्मीदवार कब घोषित किया जाना चाहिए इस पर भी विचार किया गया.

यहां उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ यह पहले ही घोषित कर चुके हैं कि उम्मीदवारों की पहली सूची 15 सितंबर तक जारी कर दी जाएगी. कांंग्रेस पार्टी में ऐसे बहुत से लोग हैं जो कमलनाथ की इस राय का समर्थन भी कर रहे हैं. इनमें प्रचार समिति के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हैं. चुनाव की तारीखें घोषित होने के पहले उम्मीदवार घोषित करने का जोखिम भी कांग्रेस को दिखाई दे रहा है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भागीरथ प्रसाद भिंड से उम्मीदवार घोषित हो जाने के बाद भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए थे. ऐसी स्थिति विधानसभा चुनाव में निर्मित ना हो यह कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है.

बायोडाटा के अलावा दावेदारों की पूरी कुंडली भी ले रही है समिति

राज्य में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं. इन सीटों के लिए प्रदेश कांग्रेस में 2,700 से अधिक आवेदन आए हैं. 100 से ज्यादा लोगों ने स्क्रीनिंग कमेटी के सामने सीधे अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि राज्य के कांग्रेसियों को इस बार जीत की उम्मीद दिखाई दे रही है इस कारण हर सीट पर एक दर्जन से अधिक दावेदार टिकट के लिए सामने आए हैं.

मिस्त्री के नेतृत्व वाली स्क्रीनिंग कमेटी ने दावेदारों से वन-टू-वन चर्चा में जीत की संभावनाओं को लेकर कई सवाल किए हैं. कांग्रेस पिछले 3 चुनाव क्यों हारी इसका पता लगाने की कोशिश समिति ने दावेदारों से चर्चा में की. दावेदारों से सामान्य जानकारी के अलावा उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि की भी जानकारी ली गई. दावेदार कांग्रेस का प्रतिबद्ध कार्यकर्त्ता है या नहीं, यह पता लगाने के लिए एक सवाल यह भी पूछा कि उसने संगठन चुनाव में कितने सक्रिय सदस्य बनाए थे? दावेदारों को वे पांच कारण भी बताने पड़े जिनके कारण वर्ष 2013 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस हार गई थी.