Mr. Akbar resigned from his post as Union Minister


Finally the mission of #MeToo V/s M J Akbar part one is over with his resignation, the smiles on the faces of Congressmen and opposition is clear as the agenda fits its shoe. Media trials will continue to over power the trial.

A source from “The Congress” on the condition of anonymity said,”This is just an election stunt, believe me, once elections are over no one is going to carry forward this gimmick”


On Wednesday, Minister of State for External Affairs M.J. Akbar resigned amid allegations of sexual harassment levelled against him by several women journalists.

The accusers came out with stories of his alleged harassment during his days as a journalist and editor. Here are the reactions on Twitter:

Journalist Priya Ramani tweeted shortly after his resignation. Mr. Akbar had filed a criminal defamation complaint against her.

“As women we feel vindicated by MJ Akbar’s resignation. I look forward to the day when I will also get justice in court #MeToo”

Swati Maliwal, Chairperson, Delhi Council for Women, tweeted:

“Finally MJ Akbar has resigned. Shame on him for having delayed it for so long. The credit for the resignation goes not to the Centre or MJ Akbar but directly to the #MeToo campaign. Esp to those brave women who reported the assault & those women and men who stood by them.”

Mumbai Mirror editor Meenal Bhagal had also alleged assault by Mr. Akbar, tweeted:

“A very big thanks to everyone who backed each of us. #MJAkbar.”

Congress spokesperson Priyanka Chaturvedi tweeted:

“The resignation of MoS External Affairs MJ Akbar after serious charges were levelled against him by senior women journalists who worked with him is a vindication of the power of truth even if it began with one brave person speaking up. I salute these women who stood their ground despite the brazen stance of the GoI, silence of the PM who speaks about women empowerment, the arrogant misuse of power by deploying a battery of lawyers against one woman and allowing the accused to continue in his role. The women of the country are saying the time for this is up&threat to silence voices can no longer be the norm or acceptable.”

Suparna Sharma, resident editor of The Asian Age newspaper which Mr. Akbar once edited, told PTI:

“It is a big moment for us. In a sense, I feel vindicated. Though the step should have been taken as soon as he landed in Delhi, but now, at least, there will not be a power imbalance and it will not be a fight between the government and Ramani.”

Kavita Krishnan, Secretary, All India Progressive Women’s Association, tweeted:

“So now, finally MJ Akbar had to resign thanks to the sheer numbers of women coming up to out him as a predator! Bravo women. You finally made it too costly for Modi to keep Akbar on as Minister.”

Nirupama Menon Rao, former Indian Foreign Secretary, tweeted:

“So glad that Minister MJ Akbar has resigned his post. His continuation was untenable and indefensible. A big shoutout to all the brave women journalists who called him out for his alleged, sickening and exploitative behaviour towards them. #Metoo #LetTheWomenBeHeard”

Aam Aadmi Party (AAP) spokesperson Dilip Pandey, told PTI: “Mere resignation by Akbar is not sufficient considering gravity of allegations against him. Criminal proceedings must be started against him. We salute the courage of the 20 brave women who boldly faced Akbar’s intimidation and forced him to resign as a minister of government of India. His resignation completely exposes the BJP that came to power with the slogan of ‘Chaal, Charita and Chehra’(behaviour, character and personality).”

Indira Jaisingh, lawyer and activist, tweeted:

“To all the women who stood testimony to the gross violations of human rights by MJ Akbar, to all the women Ministers who stood their ground and demanded his resignation, in the face of opposition from their Cabinet colleagues, I salute you.”

अकबर के बहाने # me too साधने में लगी कांग्रेस


सूत्रों की मानें तो यह आरोप ओर इस्तीफा मात्र चुनावी स्टंट है।

कांग्रेस द्वारा  एनएसयूआई के मुखिया से इस्तीफा लेकर बीजेपी को आइना दिखाने की कोशिश की है. आने वाले पांच राज्यों के चुनाव में यह मुद्दा कांग्रेस के खिलाफ जा सकता है. इसलिए पार्टी ने सोच-समझकर यह कदम उठाया है 


 

पूरे देश में #MeToo का असर साफ दिखाई दे रहा है. केंद्रीय राज्य मंत्री एमजे अकबर को हटाने के लिए प्रधानमंत्री पर दबाव है. कांग्रेस भी मोदी सरकार पर दबाव बना रही है. कांग्रेस ने अपने घर को दुरूस्त करने के लिए एनएसयूआई के मुखिया फिरोज खान को पद से हटा दिया है. माना जा रहा है कि राहुल गांधी से इशारा मिलने के बाद इस तरह की कार्रवाई की गई है.

क्या था आरोप?

एनएसयूआई के मुखिया फिरोज खान के खिलाफ छत्तीसगढ़ की कार्यकर्ता ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. पीड़िता ने बीते जून में इसकी शिकायत की थी. बाद में पीड़िता ने राहुल गांधी से मिलकर अपनी बात कही थी. पीड़िता ने फिरोज खान पर अपनी बहन और कुछ और महिलाओं के उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

फिरोज खान पर लगे आरोपों की जांच कांग्रेस की तरफ से की जा रही थी. इस बीच यह मामला थाने में पहुंच गया है. संसद मार्ग थाने में पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि फिरोज खान खुद को बेगुनाह बता रहे हैं. फिरोज का कहना है कि पार्टी हित में उन्होंने इस्तीफा दिया है. फिरोज खान की तरफ से कहा जा रहा है कि अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते रहेंगे.

कांग्रेस की जांच

यह मामला सामने आने के बाद राहुल गांधी की तरफ से जांच कमेटी गठित की गई थी. पूरे मामले की जांच महिला कांग्रेस की मुखिया सुष्मिता देब कर रही थीं. इस कमेटी में दीपेंद्र हुड्डा और रागिनी नायक सदस्य हैं. बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते यह रिपोर्ट राहुल गांधी को सौंप दी गई थी. जिसके बाद यह एक्शन लिया गया है. इस रिपोर्ट में भी फिरोज खान को क्लीन चिट नहीं दी गई है. माना जा रहा है कि पीड़िता अपने आरोप पर कायम है. यह कथित उत्पीड़न का मामला बेंगलुरु के होटल का बताया जा रहा है. उस समय वहां एनएसयूआई का कोई कार्यक्रम चल रहा था.

महिला कार्यकर्ता के शोषण के आरोपों में घिरे फिरोज खान ने एनएसयूआई के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया है जिसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्वीकर कर लिया

कांग्रेस पर सवाल

कांग्रेस इस पूरे मामले को लेकर सवालों के घेरे में थी. #MeToo को लेकर राहुल गांधी ने काफी तीखा बयान दिया है. इस अभियान का समर्थन किया है. जिसके बाद यह सवाल उठ रहा था कि कांग्रेस इन शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? कांग्रेस के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा था. पार्टी ने मौके की नजाकत को समझा और यह एक्शन लिया है. कांग्रेस में यह पहला वाकया नहीं है जियमें यौन उत्पीड़न का आरोप लग रहा है. कांग्रेस के वॉर रूम में सोशल मीडिया हेड पर भी उत्पीड़न का आरोप लगा है. जिसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है. पीड़िता सोशल मीडिया टीम में काम कर रही थी.

वॉर रूम की घटना

कांग्रेस के वॉर रूम में भी इस तरह की घटना सामने आई है. जिसमें एक लड़की ने सोशल मीडिया हेड चिराग पटनायक पर यौन दुर्रव्यवहार का आरोप लगाया है. इस मामले में पीड़िता का आरोप था कि मार्च से मई के बीच उसको बेवजह परेशान किया गया था. जिसकी पुलिस में शिकायत जुलाई में दर्ज कराई गई थी. पुलिस ने इस पूरे मामले में कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है.

हालांकि कांग्रेस ने रूचिरा चतुर्वेदी की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया है. जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है. इस कमेटी को लेकर पीड़िता से संपर्क किया गया तो उसने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

इस कमेटी को लेकर सवाल जरूर खड़ा किया जा रहा है. रूचिरा चतुर्वेदी सोशल मीडिया टीम की सर्वेसर्वा दिव्या स्पंदना के अधीन काम करती हैं. ऐसे में न्यूट्रल रिपोर्ट की उम्मीद बेमानी है. हालांकि इस टीम में एक बाहरी सदस्य हैं. लेकिन इस टीम की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है. जिससे पूरी जांच सवालों के घेरे में है. जबकि पुलिस की तरफ से जांच पूरी कर ली गई है. चिराग पटनायक के खिलाफ जिस एक्शन की दरकार थी वो नहीं हुई है.

भारत में #MeToo कैंपेन के जोर पकड़ने के बाद से कई महिलाओं ने सामने आकर पूर्व में अपने साथ हुए उत्पीड़न की घटनाएं बयां की है

कांग्रेस का बीजेपी पर हमला

कांग्रेस की तरफ से बीजेपी पर हमला तेज हो गया है. बीजेपी बैकफुट पर है. एमजे अकबर को ना हटाना सरकार के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है. सरकार पर चारों तरफ से हमला हो रहा है. जिस तरह से प्रिया रमानी पर अपराधिक मानहानि का मुकदमा किया गया है. उससे यह आरोप लगाया जा रहा है कि पीड़िता प्रिया रमानी की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है.

कांग्रेस ने एनएसयूआई के मुखिया से इस्तीफा लेकर बीजेपी को आइना दिखाने की कोशिश की है. कांग्रेस ने मोरल हाई ग्राउंड लेने के लिए फिरोज खान का इस्तीफा लिया है. आने वाले 5 राज्यों के चुनाव में यह मुद्दा कांग्रेस के खिलाफ जा सकता है. इसलिए पार्टी ने गनीमत समझी है. दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के चुनाव में यह मुद्दा उठाया गया था. जिसका असर भी हुआ और एबीवीपी को चुनाव में कामयाबी मिल गई.

बीजेपी पर दबाव

कांग्रेस के इस कदम से बीजेपी पर दबाव बढ़ गया है.बीजेपी ने एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं के सामने आने के बाद भी विदेश राज्य मंत्री पर कोई कार्यवाई नहीं की है.एम जे अकबर सरकार में मंत्री बने हुए हैं.जबकि पहले ऐसा लग रहा था कि पार्टी एम जे का बचाव नहीं करेगी,लेकिन बीजेपी ने बाद में मन बदल लिया है.कांग्रेस ज़ोर शोर से इस मुद्दे को उठा रही है.बीजेपी पर महिला सशक्तीकरण को लेकर सवाल उठ रहा है.

#MeToo में कई नाम

#MeToo अभियान से कई सफेदपोशों की कलई खुल रही है. अब तक कई लोग शर्मसार हो चुके हैं. मीडिया जगत के कई लोगों को अपने पद से हटना पड़ा है. नाना पाटेकर, आलोक नाथ जैसे अभिनेताओं की ‘डर्टी पिक्चर’ सबके सामने है. बॉलीवुड की कई अनकही कहानी लोगों की जुबान पर है. साजिद खान जैसे कई नाम लोगों के भी नाम सामने आए हैं.

जाने-माने लेखक चेतन भगत भी इसकी चपेट में आ गए हैं. राजनीति भी इससे अछूती नहीं है अभी कुछ महिलाएं हिम्मत करके सामने आई हैं. यह #MeToo  का असर है आगे कई प्रभावशाली लोगों की करतूत सामने आ सकती है.

तकरीबन 450 साल बाद संगम को मिला पुराना नाम “प्रयाग”


कांग्रेस के इतिहास में इलाहाबाद का बहुत महत्व है इलाहाबाद का नाम बदले जाने के कारण ओर कांग्रेस के कुछ भी न कर पाने के कारण उनका मुस्लिम वोट बैंक ओर छिटकता नज़र आता है

अखिलेश यादव भी आज कल हिन्दू कहलाने में शर्म नहीं महसूस करते, अपने कार्यकाल में तो उन्हें भवनों ओर दूसरी बातों से मुक्ति न मिली अन्यथा इलाहाबाद आज “प्रयाग कुम्भ” होता, आज उन्हे भाजपा द्वारा इल्लाहबाद को पुन: “प्रयाग” कहलवाने में परम्पराओं का ह्रास दीख पड़ता है, परंतु किसकी परम्पराएँ???


इलाहाबाद शहर एक बार फिर सुर्खियों में है। इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया है। यानी लगभग 450 साल बाद यह शहर एक बार फिर से अपने पुराने नाम यानी प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा।

गौर हो कि 15वीं शताब्दी में इस पौराणिक भूमि पर मुगलों ने कब्जा कर लिया और इसका नाम प्रयागराज से बदलकर अलाहाबाद कर दिया। अलाहाबाद इलाह+आबाद को मिलाकर बनता है जो एक फारसी शब्द है। इलाह का मतलब अल्लाह और आबाद का मतलब बसाया हुआ यानी अल्लाह का बसाया हुआ शहर। मुगल सम्राट अकबर के अलाहाबाद करने से पहले इसका नाम प्रयागराज ही था। बोलचाल की प्रचलन के मुताबिक अलाहाबाद ,इलाहाबाद और एलाहाबाद के नाम से भी पुकारा जाने लगा।

 

कांग्रेस के इतिहास में इलाहाबाद का बहुत महत्व है,कांग्रेस के ओंकार सिंह ने बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान इलाहाबाद प्रेरणा का एक मुख्य केंद्र रहा था. उन्होंने कहा कि 1888, 1892 और 1910 में कांग्रेस महाधिवेशन यहीं हुआ था. इसी शहर से देश को अपना पहला प्रधानमंत्री मिला. इसके अलावा अगर इलाहाबाद का नाम बदला गया तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी अपनी पहचान खो देगी. इलाहाबाद का नाम बदले जाने के कारण ओर कांग्रेस के कुछ भी न कर पाने के कारण उनका मुस्लिम वोट बैंक ओर छिटकता नज़र आता है

संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयागराज‘ किए जाने की तैयारियों के बीच समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ करार दिया. सोमवार को अखिलेश ने ट्वीट करते हुए कहा कि प्रयाग कुंभ का नाम केवल प्रयागराज किया जाना और अर्द्धकुंभ का नाम बदलकर ‘कुंभ‘ किया जाना परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.

देश के धार्मिक, शैक्षिक और राजनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण शहर इलाहाबाद को अब प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा, लेकिन क्या आपको पता है कि इस शहर का नाम कैसे और क्यों बदला गया? दरअसल ऐतिहासिक और पौराणिक दोनों ही रूप से प्रयागराज समृद्ध है। इस जिले को ब्रह्मा की यज्ञस्थली के रूप में जाना जाता है। यहां आर्यों ने भी अपनी बस्तियां बसाई थीं। आंकड़ों के मुताबिक 160 साल बाद जिले का नाम इलाहाबाद से प्रयागराज हो रहा है।

जानिए प्रयाग से इलाहाबाद और फिर प्रयागराज तक का सफर-

1- पुराणों में कहा गया है, ”प्रयागस्य पवेशाद्वै पापं नश्यति: तत्क्षणात्।” अर्थात् प्रयाग में प्रवेश मात्र से ही समस्त पाप कर्म का नाश हो जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने इसकी रचना से बाद प्रयाग में पहला यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग यानी यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना।
2- कुछ मान्यताओं के मुताबिक ब्रह्मा ने संसार की रचना के बाद पहला बलिदान यहीं दिया था, इस कारण इसका नाम प्रयाग पड़ा। संस्कृत में प्रयाग का एक मतलब ‘बलिदान की जगह’ भी है। इसके अलावा प्रयाग ऋषि भारद्वाज, ऋषि दुर्वासा और ऋषि पन्ना की ज्ञानस्थली भी है।
3- 1575 में संगम के सामरिक महत्व से प्रभावित होकर सम्राट अकबर ने इलाहाबास के नाम से शहर की स्थापना की जिसका अर्थ है- अल्लाह का शहर। उन्होंने यहां इलाहाबाद किले का निर्माण कराया, जिसे उनका सबसे बड़ा किला माना जाता है।
4- इसके बाद 1858 में अंग्रेजों के शासन के दौरान शहर का नाम इलाहाबाद रखा गया तथा इसे आगरा-अवध संयुक्त प्रांत की राजधानी बना दिया गया।
5- आजादी की लड़ाई का केंद्र इलाहाबाद ही था। वर्धन साम्राज्य के राजा हर्षवर्धन के राज में 644 CE में भारत आए चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा विवरण में पो-लो-ये-किया नाम के शहर का जिक्र किया है, जिसे इलाहाबाद माना जाता है।
6- उन्होंने दो नदियों के संगम वाले शहर में राजा शिलादित्य (राजा हर्ष) द्वारा कराए एक स्नान का जिक्र किया है, जिसे प्रयाग के कुंभ मेले का सबसे पुराना और ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाता है।
7-वैसे थो इलाहाबाद नाम मुगल शासक अकबर की देन है लेकिन इसे फिर से प्रयागराज बनाने की मांग समय-समय पर होती रही है।
8- महामना मदनमोहन मालवीय ने अंग्रेजी शासनकाल में सबसे पहले यह आवाज उठाई और फिर अनेक संस्थानों ने समय-समय पर मांग दोहराई।
9- मालवीय ने इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम भी छेड़ी थी। 1996 के बाद इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम फिर से शुरू हुई। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेद्र गिरी भी नाम बदलने की मुहिम में आगे बताया।
10- आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समक्ष भी नाम इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग की गई। वर्तमान में साधू संतों ने सरकार के सामने प्रस्ताव दिया था।

पंजाब में आतंक फैलाने की बड़ी साजिश बेनकाब, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की हत्या का षडयंत्र, यूपी पुलिस का बड़ा खुलासा

शामली पुलिस की पिकेट पर हमला कर हथियार लूटने वाले बदमाशों के मंसूबे खतरनाक निकले। इनकी योजना प्रकाश सिंह बादल पर हमले की थी।

नरेश शर्मा भारद्वाज:

 

उत्तर प्रदेश के शामली जिले में यूपी पुलिस ने एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों से ही लूटी गई राइफल और दूसरे असलहे बरामद कर लिए हैं। मामले में गिरफ्तार अपराधियों से पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पकड़े गए बदमाशों ने बताया कि उनका मकसद अलगे कुछ दिनों पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की रैली में आतंक फैलाना और उनकी हत्या करने का था।मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि झिंझाना थाना क्षेत्र के गांव रंगाना में रविवार देर रात हुए पुलिस एनकाउंटर में पकड़े गए बदमाशों से पुलिसकर्मियों से लूटी हुई इंसास और थ्री नॉट थ्री की इंसास राइफल बरामद कर ली गई है। वहीं भारी मात्रा में कारतूस और दूसरे असलहा भी बरामद किए गए हैं। उन्होंने बताया कि दो अक्टूबर की रात को झिंझाना थाना क्षेत्र में ​कमालपुर चौकी के पास पुलिस पिकेट पर हमला कर अपराधियों ने असलहा लूटा था।

एक इंसास राइफल, 20 कारतूस, एक 303 राइफल और 10 कारतूस थे
इसमें एक इंसास राइफल, 20 कारतूस, एक 303 राइफल और 10 कारतूस थे। मामले में रविवार देर रात 3 बजे के करीब अपराधियों की पुलिस से मुठभेड़ हुई। इसमें तीन बदमाश गिरफ्तार किए गए हैं, जिसमें से दो पुलिस की गोली लगने से घायल हुए हैं, वहीं इस मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। लूट के बाद ये राइफलें पूजा ​स्थल पर छुपा रखी गई थीं, जिसे देर रात पंजाब शिफ्ट किया जाना था। हालांकि इस दौरान पुलिस को दौरान ये मुठभेड़ हुई।

लूट के हथियारों से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का मारने का था प्लान
एडीजी ने बताया कि बदमाशों ने कबूला है कि उनका मकसद आने वाले समय में लूट के हथियारों से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की रैली में आतंक फैलाना था। यही नहीं वह उनकी हत्या भी करना चाहते थे। एडीजी मेरठ ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों का मास्टरमाइंड जर्मन नाम का अपराधी है। वह अभी भी फरार है। शुरुआती जांच में उसकी फेसबुक आईडी की शिनाख्त की गई, जिससे खालिस्तान की मांग से जुड़े आतंकी संगठन से संपर्क की पुष्टि हुई है। एडीजी ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों का जनपद में कोई भी अपराधिक इतिहास नहीं है।

उन्होंने बताया कि इस मामले का खुलासा होते ही देश की सभी एजेंसियों को सूचित कर दिया गया है। इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को भी सूचित कर दिया है। वहीं मास्टरमाइंड जर्मन की भी तलाश तेज कर दी गई है। एडीजी ने बताया कि घटना का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 50 हजार रुपए का ईनाम दिया गया है।

माँ दुर्गा का पांचवां रूप : स्कंदमाता

 

 

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंद माता की पूजा करनी चाहिए। यह दिन इस बार नवरात्रि 2018  में 14  अक्टूबर को आएगी। देवी स्कंद माता वात्सल्य की मूर्ति है। दरअसल माता के इस रूप से साधक यह विचार कर सकते हैं कि उन्हें किसी तरह की हानि कोई भी व्यक्ति नहीं पहुंचा सकता है, अन्यथा मां क्रोध में आकर अपने साधक, भक्त या पुत्र को नुकसान पहुंचाने वाले का सर्वस्व मिटा सकती है। जब इंद्र कार्तिकेय को परेशान कर रहे थे, तब मां ने उग्र रूप धारण कर लिया। चार भुजा और शेर पर सवार मां प्रकट हुई। मां ने कार्तिकेय को गोद में उठा लिया। इसके बाद इंद्र आदि देवताओं ने मां की स्कंदमाता के रूप में आराधना की।

संतान सुख देती है स्कंदमाता 

स्कंद माता की आराधना करने से संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। नवरात्रि के पांचवें दिन लाल चुनरी, पांच तरह के फल, सुहाग का सामान आदि से धान/ चावल से मां की गोद भरनी चाहिए। इससे मां खुश होती है और भक्तों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती है।

बच्चे खुश तो मां खुश

स्कंद माता की कृपा तभी प्राप्त होती है, जब उनके भक्तों को नहीं सताया जाए। अनावश्यक मां के भक्तों को परेशान करने वालों से मां नाराज हो जाती है। इस दिन कार्तिकेय की पूजा का भी विधान है। लोगों को चाहिए कार्तिकेय की पूजा के बाद मां की पूजा करें और पांच कन्याओं के साथ छोटे बालकों को भी खीर का प्रसाद खिलाएं।

बुद्धिमता, ज्ञान की देवी : माँ स्कंदमाता

देवी माँ का पाँचवाँ रूप स्कंदमाता के नाम से प्रचलित्त है। भगवान् कार्तिकेय का एक नाम स्कन्द भी है जो ज्ञानशक्ति और कर्मशक्ति के एक साथ सूचक है। स्कन्द इन्हीं दोनों के मिश्रण का परिणाम है। स्कन्दमाता वो दैवीय शक्ति है,जो व्यवहारिक ज्ञान को सामने लाती है – वो जो ज्ञान को कर्म में बदलती हैं।

शिव तत्व आनंदमय, सदैव शांत और किसी भी प्रकार के कर्म से परे का सूचक है। देवी तत्व आदिशक्ति सब प्रकार के कर्म के लिए उत्तरदायी है। ऐसी मान्यता है कि देवी इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति और क्रिया शक्ति का समागम है। जब शिव तत्व का मिलन इन त्रिशक्ति के साथ होता है तो स्कन्द का जन्म होता है। स्कंदमाता ज्ञान और क्रिया के स्रोत, आरम्भ का प्रतीक है.इसे हम क्रियात्मक ज्ञान अथवा सही ज्ञान से प्रेरित क्रिया, कर्म भी कह सकते हैं।

प्रायः ऐसा देखा गया की है कि ज्ञान तो है, किंतु उसका कुछ प्रयोजन या क्रियात्मक प्रयोग नहीं होता। किन्तु ज्ञान ऐसा भी है, जिसका ठोस प्रोयोजन, लाभ है, जिसे क्रिया द्वारा अर्जित किया जाता है। आप स्कूल, कॉलेज में भौतिकी, रसायन शास्त्र पड़ते हैं जिसका प्रायः आप दैनिक जीवन में कुछ अधिक प्रयोग करते। और दूसरी ओर चिकित्सा पद्धति, औषधि शास्त्र का ज्ञान दिन प्रतिदिन में अधिक उपयोग में आता है। जब आप टेलीविज़न ठीक करना सीख जाते हैं तो अगर कभी वो खराब हो जाए तो आप उस ज्ञान का प्रयोग कर टेलीविज़न ठीक कर सकते हैं। इसी तरह जब कोई मोटर खराब हो जाती है तो आप उसे यदि ठीक करना जानते हैं तो उस ज्ञान का उपयोग कर उसे ठीक कर सकते हैं। इस प्रकार का ज्ञान अधिक व्यवहारिक ज्ञान है। अतः स्कन्द सही व्यवहारिक ज्ञान और क्रिया के एक साथ होने का प्रतीक है। स्कन्द तत्व मात्र देवी का एक और रूप है।

हम अक्सर कहते हैं, कि ब्रह्म सर्वत्र, सर्वव्यापी है, किंतु जब आपके सामने अगर कोई चुनौती या मुश्किल स्थिति आती है, तब आप क्या करते हैं? तब आप किस प्रकार कौनसा ज्ञान लागू करेंगे या प्रयोग में लाएँगे? समस्या या मुश्किल स्थिति में आपको क्रियात्मक होना पड़ेगा। अतः जब आपका कर्म सही व्यवहारिक ज्ञान से लिप्त होता है तब स्कन्द तत्व का उदय होता है। और देवी दुर्गा स्कन्द तत्व की माता हैं।

 

इस मंत्र से करें मां की पूजा- 

 

सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

 

 इसके बाद इस मंत्र का जाप करना सुखद होता है।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

 

स्कंदमाता को प्रसन्न करके मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञान प्राप्त कर सकता है 

भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं। पुराणों में स्कंद को कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। देवी स्कन्दमाता की तीन आंखें और चार भुजाएं हैं। स्कंदमाता अपने दो हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं और एक भुजा में भगवान स्कन्द या कुमार कार्तिकेय को सहारा देकर अपनी गोद में लिये बैठी हैं जबकि मां का चौथा हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा मे होता है। ऐसा कहा जाता है कि मां स्कंदमाता की पूजा करने से, मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञानी या बुद्धिमान बन सकता है। जीवनमें परिवर्तन पाने के लिए आज ही मेरु पृष्ठ श्री यंत्र का प्रयोग करें।

 

देवी स्कंदमाता अपने अमोघ भक्तों को मुक्ति प्रदान करती है 

नवरात्रि के पांचवें दिन, भक्त का मन विशुद्धा चक्र तक पहुंच जाता है और इसी में रहता है। इस स्थिति में, भक्त का मन अत्यधिक शांत रहता है। स्कंदमाता  की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके अलावा ये भक्त के लिए मुक्ति का रास्ता खोलती है और सूर्य की भांति अपने भक्तों को असाधारण तेज और चमक प्रदान करती है।

मां स्कंदमाता का मंत्र और संबंधित तथ्यः 

 

ध्यान

 

स्कंदमाता का मंत्रः ॐ ह्रीं सः स्कंदमात्रये नमः , इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

 

पांचवें दिन का रंग : क्रीम

 

पांचवें दिन का प्रसादः केसर पिश्ता वाला श्रीखंड

पूजा मे उपयोगी वस्तु

पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।

स्कन्द माता की आरती

जय तेरी हो अस्कंध माता
पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहू मै
हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै
कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ो पर है डेरा
कई शेहरो मै तेरा बसेरा
हर मंदिर मै तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
‘भक्त’ की आस पुजाने आई

 

 

बढती पेट्रोल कि कीमतों का असर आगामी विधान सभा चुनाव में देखने को मिलेगा

अलवर (राजस्थान):
पैट्रोल-डीजल के दामों में शुक्रवार को अचानक हुई बढ़ौत्तरी का असर अलवर शहर में भी साफ देखने को मिला। शाम ढलते ही पैट्रोल पंपों पर वाहन चालकों की कतार लग गई। अधिकांश लोगों ने इस नए निर्णय की वजह से पैट्रोल-डीजल लेने के लिए पम्पों पर आने की बात कही। लोगों का कहना है कि राजस्थान में आने वाले डेढ माह में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और उस पर इस निर्णय का सीधा प्रभाव पड़ेगा।
लोगों का कहना है कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में 37 रूपए पैट्रोल होने के बावजूद देश में सरकार और पैट्रोलियम कंपनियां अधिक मुनाफे के लिए लगातार दाम बढा रही हैं। इस वजह से आम जन जीवन पर सीधा असर पड रहा है। सरकार ने अगर जल्द इस संबंध में ठोस कदम नहीं उठाए तो सत्ताधारी पार्टी को इसका आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

1984 से लेकर 2018 जातिगत हिंसा, कांग्रेस का लम्बा इतिहास

दिनेश पाठक अधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर। विधि प्रमुख विश्व हिन्दु परिषद

सन 84 में हिन्दुओं ने सिक्खों का मारा न गुजरात मे यूपी बिहार के लोगो को गुजरातीयो ने मारा 84 में भी कांग्रेसियो ने मारा और अब यूपी बिहार के लोगो को भी गुजरात मे कांग्रेसी ही मार रहे है गुजरात चुनाव के समय कांग्रेस ने जातिवाद का कार्ड खेला जिसमे सफल नही हो पायी और मुंह की खानी पडी अब जो यूपी बिहार के लोगो के साथ मारपीट एक साजिश 2019 के लोकसभा के चुनावो के लिये रची जा रही है वो भी सिर्फ एक बनारस की सीट को ध्यान मे रखकर कि इस मारपीट का सीधा असर नरेन्द्र मोदी की सीट पर पडे और उनको बनारस से जीतने से इस आधार पर रोका जाये कि गुजरात मे हमारे लोगो को मारा पीटा गया तो हम एक गुजराती को वोट क्यो दे? इस सब साजिश को अंजाम देने की जिम्मेदारी एक जातिवादी नेता नही गुंडे अल्पेश ठाकोर को दी और उसने अपनी ठाकोर सेना को अपने भाषणो से उकसाया और ठाकोर सेना ने इस साजिश को अंजाम दिया जबकि यही अल्पेश ठाकोर बिहार कांग्रेस का पर्यवेक्षक है जब वो बिहार जायेगा तो उसके साथ भी ऐसी घटना घट सकती है जैसा कि आज बिहार की जनता ने बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष पर हमला करके किया !

भारतीय संविधान हर नागरिक को स्वतंत्रता से देश के किसी भी हिस्से मे रहने और व्यापार करने की आजादी देता है लेकिन कांग्रेस एक सीट के लिये संविधान को ताक पर रखकर ऐसी साजिश करेगी शायद ही देश के किसी नागरिक ने ऐसा सोचा होगा ! क्या कांग्रेस ने कभी ये सोचा कि गुजराती भी देश के विभिन्न राज्यो मे रहकर व्यवसाय कर रहे है उनकी सुरक्षा खतरे मे तो नही आ जायेगी उसकी इस साजिश से? इस तरह की घटना पहले राज ठाकरे की पार्टी करती थी उसका अंजाम सबके सामने है सिर्फ नाम की पार्टी रह गयी है, क्या कांग्रेस उसी दिशा मे जा रही है ? विचारणीय बिषय है कांग्रेस के अलावा गैर कांग्रेसी दलो को भी मंथन करना होगा

राजस्थान जार के राकेश कुमार शर्मा अध्यक्ष, संजय सैनी महासचिव निर्वाचित

जयपुर। जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) के द्विार्षिक प्रदेशस्तरीय चुनाव आज बुधवार को जयपुर में सम्पन्न हुए। चुनाव अधिकारी योगेश सैन ने बताया कि चुनाव में सभी पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ। कार्यकारिणी के सभी पदों पर एक-एक ही नामांकन दाखिल हुए, जिसके आधार पर सभी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया।

राजस्थान जार के प्रदेश अध्यक्ष पद पर राकेश कुमार शर्मा, प्रदेश महासचिव पद पर खासखबर डॉट काम के संजय सैनी, प्रदेश कोषाध्यक्ष रामबाबू सिंघल निर्वाचित हुए है। इसी तरह प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर अजमेर से विजय मौर्य, भरतपुर से दीपक लवानिया, बीकानेर से श्याम सुंदर शर्मा, जयपुर से गौरव शर्मा, जोधपुर से ललित परिहार, कोटा से कुश कुमार मिश्रा, उदयपुर से सुभाष शर्मा निर्विरोध निर्वाचित हुए है। वहीं प्रदेश सचिव पद पर अजमेर से संतोष खाचरियावास, भरतपुर से वेदप्रकाश, बीकानेर से दिलीप भाटी, जयपुर से भाग सिंह, जोधपुर से कमल वैष्णव, कोटा से रिछपाल पारीक, उदयपुर से कौशल मूंदडा निर्वाचित हुए है। कार्यकारिणी सदस्य में गोपाल शर्मा, मृत्युंजय त्रिवेदी, राजेन्द्र राज, दीपक गोस्वामी, अजय नागर, विनोद पाठक, राकेश वर्मा, जितेन्द्र शर्मा, देवेन्द्र गर्ग, भवानी सिंह, संजीव माथुर, गिर्राज शर्मा, दामोदर रैगर, राम सिंह, महेश शर्मा निर्वाचित हुए है।

दूसरी नवरात्री: देवी ब्रह्मचारिणी

नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर बहुत ही विधि-विधान से माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया। उन्हें त्याग और तपस्या की देवी माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी के धवल वस्त्र हैं। उनके दाएं हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है।_

_शास्त्रों की मान्यता है कि भगवती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए एक हजार वर्षों तक फलों का सेवन कर तपस्या की थी। इसके पश्चात तीन हजार वर्षों तक पेड़ों की पत्तियां खाकर तपस्या की। इतनी कठोर तपस्या के बाद इन्हें ब्रह्मचारिणी स्वरूप प्राप्त हुआ। भक्त इस दिन अपने मन को भगवती मां के श्री चरणों मे एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं।_
_ब्रह्म का अर्थ है, तपस्या, तप का आचरण करने वाली भगवती, जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है। इस मंत्र का करें जाप या देवी सर्वभूतेषु मां बह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। अर्थ -हे मां। सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।_
*_ध्यान मंत्र -_*
_दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।_
_देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥_
आज आप पूजा में मटमैले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। नवदुर्गा में दूसरा स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी का है इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। छात्रों और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी है, जिनका चन्द्रमा कमजोर हो तो उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना अनुकूल होता है

जातों और किसानों को जोड़े रखने कि कवायद, सर छोटू राम कि प्रतिमा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतक के सांपला में सर छोटूराम की 64 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के बाद एक बड़ी रैली को संबोधित किया.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतक के सांपला में सर छोटूराम की 64 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के बाद एक बड़ी रैली को संबोधित किया. जाटलैंड में सर छोटूराम को यादकर मोदी ने नाराज जाटों को अपने साथ जोड़ने की पूरी कोशिश की. छोटूराम जाटों के अलावा किसानों के भी मसीहा थे. मोदी अपनी रैली के दौरान सर छोटूराम की तारीफ करते दिखे. उन्हें हरियाणा के बाहर भी याद करने और उनके बताए रास्ते पर चलने की जरूरत बताई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांपला की रैली में ‘दीनबंधु’ सर छोटूराम को किसानों का मसीहा बताते हुए सरकार की तरफ से किसानों के लिए किए गए कामों को एक-एक कर गिनाया. फसल के एमएसपी में की गई बढ़ोतरी से लेकर फसल बीमा योजना और सॉयल हेल्थ कार्ड तक का जिक्र कर मोदी ने किसानों को लुभाने की पूरी कोशिश की. मोदी का सांपला जाना और वहां सर छोटूराम की प्रतिमा का अनावरण करना आने वाले दिनों में बीजेपी की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है

हालांकि, सर छोटूराम की प्रतिमा करीब 9 महीने पहले ही बनकर तैयार हो गई थी. लेकिन, अबतक इसका अनावरण नहीं हो रहा था. उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1 नवंबर को हरियाणा के करनाल में खट्टर सरकार के चार साल पूरा होने के मौके पर कार्यक्रम में आने की चर्चा थी. लेकिन, उसके पहले 9 अक्टूबर को ही मोदी ने ‘जाटलैंड’ गढ़ सांपला पहुंचकर जाटों और किसानों को लुभाने के लिए सर छोटूराम की प्रतिमा का अनावरण कर दिया.

पिछले 9 महीने से छोटूराम की प्रतिमा का अनावरण नहीं करने को लेकर आईएनएलडी ने बीजेपी को निशाने पर लिया था. माना जा रहा है कि इस राजनीति के चलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हरियाणा का दौरा वक्त से पहले करना पड़ा.

हालांकि, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मोदी की यात्रा समय से पहले कराने पर कहा कि मूर्ति का अनावरण कोई मुद्दा नहीं था. खट्टर ने कहा, ‘नवंबर में तीन राज्यों के चुनाव होने हैं, बाद में प्रधानमंत्री मोदी को वक्त नहीं मिलेगा. इसलिए वह 9 अक्टूबर को आएंगे. अगर वह 1 नवंबर को भी आ सके तो वह खुश होंगे. हालांकि इस दिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपस्थित रहेंगे.’

चौधरी वीरेंद्र सिंह का विरासत पर दावा

गौरतलब है कि सर छोटूराम की विरासत को लेकर आईएनएलडी की तरफ से ओमप्रकाश चौटाला ने भी दावा किया था. दूसरी तरफ 2014 में कांग्रेस से बीजेपी में आए जाट नेता और केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने भी अपने आपको उनका राजनीतिक वारिस घोषित किया है. चौधरी वीरेंद्र सिंह सर छोटूराम के पोते हैं. ऐसे में लड़ाई छोटूराम के बहाने जाटों को साधने की हो रही है.

चौधरी वीरेंद्र सिंह ने ही 2004 में उनकी याद में स्मारक बनाने का सुझाव दिया था. 2005 में आईएनएलडी सुप्रीमो ओम प्रकाश चोटाला ने गढ़ सांपला में एक विशाल रैली का आयोजन कर सर छोटूराम को एक कमरे का म्यूजियम समर्पित किया था. इस म्यूजियम में उनकी किताबें, कपड़े और इस्तेमाल किए जाने वाले दूसर सामान भी रखे गए थे.

लेकिन, चौधरी वीरेंद्र सिंह ने खुद को उनका राजनीतिक वारिस घोषित करते हुए गढ़ सांपला में उनकी ऊंची मूर्ति स्थापित करने की घोषणा 2016 में कर दी थी. इसके बाद ही 64 फीट ऊंची लोहे की प्रतिमा बनाई गई है जिसका अनावरण प्रधानमंत्री ने किया है. हालाकि, चौटाला द्वारा बनवाई गई छोटी मूर्ति को सांपला के सरकारी कॉलेज में शिफ्ट करा दिया गया है, क्योंकि बीजेपी इसमें चौटाला और उनकी पार्टी को कोई श्रेय नहीं लेने देना चाहती.

हरियाणा में जाटों का बड़ा महत्व

हरियाणा में लगभग एक चौथाई आबादी जाटों की है. हरियाणा की राजनीति में जाटों का दबदबा काफी ज्यादा है. पिछले लोकसभा और उसके बाद विधानसभा के चुनावों में भी अधिकांश जाटों ने मोदी लहर पर सवार होकर बीजेपी के पक्ष में अपना समर्थन जताया था. लेकिन, वहां मुख्यमंत्री एक गैर-जाट मनोहर लाल खट्टर को बना दिया गया.

जाट आंदोलन के दौरान जिस तरह खट्टर सरकार का व्यवहार था, उसको लेकर भी जाटों में काफी नाराजगी रही है. बीजेपी के कई प्रदेश स्तर के नेताओं की तरफ से भी इन चार सालों में की गई बयानबाजी से जाटों के एक तबके में रोष भी है. अब बीजेपी की कोशिश पिछली बार की तरफ फिर से जाटों को साधने की है. सर छोटूराम के नाम पर बीजेपी की कोशिश इसी रणनीति का हिस्सा लग रही है.