अविवादित ज़मीन ‘न्यास’को लौटाई जाये ताकि निर्माण आरंभ हो: केंद्र सरकार

केंद्र का कहना है कि राम जन्मभूमि न्यास से 1993 में जो 42 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी सरकार उसे मूल मालिकों को वापस करना चाहती है.

नई दिल्‍ली : अयोध्‍या विवाद पर केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए  सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. इसमें मोदी सरकार ने कहा है कि 67 एकड़ जमीन सरकार ने अधिग्रहण की थी. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है. सरकार का कहना है कि जमीन का विवाद सिर्फ 2.77 एकड़ का है, बल्कि बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है. इसलिए उस पर यथास्थित बरकरार रखने की जरूरत नहीं है. सरकार चाहती है जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्भूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम कोर्ट से इसकी इजाजत मांगी है.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह अपने 31 मार्च, 2003 के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश में संशोधन करे या उसे वापस ले. केंद्र सरकार ने SC में अर्जी दाखिल कर अयोध्या की विवादित जमीन को मूल मालिकों को वापस देने की अनुमति देने की अनुमति मांगी है. इसमें 67 एकड़ एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था, जिसमें लगभग 2.77 एकड़ विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि का अधिग्रहण किया था.

केंद्र का कहना है कि राम जन्मभूमि न्यास से 1993 में जो 42 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी सरकार उसे मूल मालिकों को वापस करना चाहती है. केंद्र ने कहा है कि अयोध्या जमीन अधिग्रहण कानून 1993 के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसमें उन्‍होंने सिर्फ 0.313 एकड़ जमीन पर ही अपना हक जताया था, बाकि जमीन पर मुस्लिम पक्ष ने कभी भी दावा नहीं किया है.

अर्जी में कहा गया है कि इस्माइल फारुकी नाम के केस के फैसले में सुप्रीमकोर्ट ने कहा था कि सरकार सिविल सूट पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद विवादित भूमि के आसपास की 67 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने पर विचार कर सकती है. केंद्र का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया है और इसके खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित है, गैर-उद्देश्यपूर्ण उद्देश्य को केंद्र द्वारा अतिरिक्त भूमि को अपने नियंत्रण में रखा जाएगा और मूल मालिकों को अतिरिक्त जमीन वापस करने के लिए बेहतर होगा.

बता दें कि अयोध्‍या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 29 जनवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन इसके लिए बनाई गई जजों की बेंच में शामिल जस्‍ट‍िस बोबड़े के मौजूद न होने पर अब ये सुनवाई आगे के लिए टल गई है. अभी इस मामले में सुनवाई के लिए तारीख भी तय नहीं हुई है. इससे पहले पीठ के गठन और जस्‍ट‍िस यूयू ललित के हटने के कारण भी सुनवाई में देरी हुई थी.

इससे पहले 25 जनवरी को अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्‍ट‍िस रंजन गोगोई ने नई बेंच का गठन कर दि‍या था. इस बैंच में CJI रंजन गोगोई के अलावा एसए बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नज़ीर शामि‍ल हैं. पिछली बैंच में कि‍सी मुस्‍ल‍िम जस्‍ट‍िस के न होने से कई पक्षों ने सवाल भी उठाए थे.

इससे पहले बनी पांच जजों की पीठ में जस्‍ट‍िस यूयू ललित शामि‍ल थे, लेकिन उन पर मुस्‍लि‍म पक्ष के वकील राजीव धवन ने  सवाल उठाए थे. इसके बाद वह उस पीठ से अलग हो गए थे. इसके बाद चीफ जस्‍ट‍िस ने नई पीठ गे गठन का फैसला किया था. वहीं अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण की मांग कर रहे साधु-संतों की ओर से प्रयागराज में चल रहे कुंभ में परम धर्म संसद का आगाज सोमवार को हो चुका है. स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती के नेतृत्‍व में 30 जनवरी तक प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में परम धर्म संसद का आयोजन होगा.

वहीं साधु और संतों ने इस संबंध में बड़ा ऐलान भी किया हुआ है. उनका कहना है कि राम मंदिर सविनय अवज्ञा आंदोलन के जरिये बनाया जाएगा. प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में इस समय साधु और संतों का जमावड़ा लगा हुआ है. यहां विश्‍व हिंदू परिषद (विहिप) की धर्म संसद से पहले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती परम धर्म संसद का आयोजन कर रहे हैं. यह परम धर्म संसद कुंभ में 28, 29 और 30 जनवरी तक चलेगी. इसमें राम मंदिर निर्माण के लिए चर्चा और रणनीति बनेगी. बता दें कि विश्‍व हिंदू परिषद 31 जनवरी को राम मंदिर मुद्दे पर धर्म संसद का आयोजन कर रही है.

शत्रु के साथ शत्रुता निभाएगी भाजपा कोई कार्यवाई नहीं होगी

बीजेपी ने बागी चल रहे बिहार के पटना साहिब से लोकसभा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा पर कोई कार्रवाई नहीं करना का फैसला किया है. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लेकिन इसके बदले पार्टी उनका टिकट काट सकती है. अगर ऐसा होता है तो इस भी पार्टी की तरफ से कार्रवाई के रूप में ही देखा जाएगा.

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी से निकालना नहीं चाहता क्योंकि इसका फायदा उन्हें आगामी चुनाव में सहानुभूति के रूप में मिलेगा. पिछले लंबे समय से शत्रुघ्न सिन्हा ने बगावती तेवर अपनाए हुए हैं, लेकिन संसद में पार्टी के खिलाफ व्हिप जारी होने की स्थिति में पार्टी के साथ खड़े हो जाते हैं.

वहीं दूसरी तरफ शत्रुघ्न सिन्हा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की मेगा रैली में पहुंचे थे. यहां उन्होंने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था ‘इससे ज्यादा जानदार, शानदार और दमदार रैली मैंने कभी नहीं देखी। मेरी जवाबदेही पहले जनता के लिए बनती है, इसलिए जो देश के हित में होता है जो जनता के हित में होता है वही मैं बोलता हूं. मुझसे लोग सवाल करते हैं कि जब आप बीजेपी में हैं तो बीजेपी के खिलाफ क्यों बोलते हैं? क्या आप बागी हैं? तो मैं कहता हूं कि अगर सच कहना बगावत है तो हां मैं बागी हूं.’

इसके बाद बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी ने कहा था कि कुछ लोग अपनी सुविधा के लिए बीजेपी के नाम का इस्तेमाल कह रहे हैं.

ISRO Successfully Launched World’s Smallest Satellite Build by Students ‘Kalam SAT’ On Board PSLV-C44 on 24th January 2019

Nellore, January 24: The Indian Space Research Organisation (ISRO) today successfully launched the world’s lightest satellite ‘Kalamsat’ made by Indian students at 11.40 pm from the First Launch Pad (FLP) of Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota. The communication satellite, KalamSat, is designed and built by students who work with a private organisation called “Space Kidz India.” Along with Kalamsat, the ISRO also launched Microsat-R, an imaging satellite, by the same launching vehicle. Both the satellites were launched by Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV) in its 46th flight.

The ISRO has not charged a single rupee for the launch of Kalamsat. Speaking on the launch, ISRO Chief K Sivan said, “ISRO is open to all students of India. Bring to us your satellites and we will launch it for you. Let’s make India into a science-fairing nation.”

The Kalamsat satellite weighs just 1.26 kilogram and is lighter than a laptop. It cost Rs 12 lakh to make this satellite, and it was ready in only six days, but the group took six years to perfect the satellite. The satellite is named after Former President Dr APJ Abdul Kalam as a tribute to him. Notably, Kalamsat is the first satellite designed by an Indian Private entity to be launched by ISRO. In 2017, a 64-gram version of Kalamsat named as “Gulab Jamun” was launched by National Aeronautics and Space Administration (NASA), but it never reached the earth’s orbit.

About Kalam SAT satellite:

  • Kalam SAT is named after former Indian president Dr. A. P. J. Abdul Kalam and is the world’s smallest and lightest satellite.
  • The student satellite weighs just 64 grams and it is fitted in a 3.8 centimeters cube. The probe is composed of 3-D printed reinforced carbon fiber polymer. Part of the components were supplied from India and other parts from abroad.
  • The satellite is built by an Indian High school student team, led by Rifath Sharook, an 18-year-old from the Tamil Nadu town of Pallapatti.
  • The high school team participated in Cubes in Space, a STEM-based education program by Idoodle Learning.Inc and NASA.
  • As selected student competitors, the team won an opportunity to design experiments to be launched into space on a NASA rocket.
  • Kalam SAT was launched by NASA along with several other experiments on Terrier Orion sounding rocket on 22 June 2017 from Wallops Island flight facility in Virginia.
  • Kalam SAT is listed in the pages of Asia Book of Records, India Book of Records and Assist World Records, as holding the record title of “World’s lightest and smallest satellite”

On Friday, while addressing a conference, Dr K Sivan, ISRO Chairman stated that the launch window for Chandravaan-2 is March 25 – April 30 this year.  He said that ISRO has planned 32 missions this year. Elaborating on the priority areas of ISRO, the Chairman said that these include Gaganyaan project, reaching out to students, outreach programmes, planned missions of this year and Vikram Sarabhai Centenary celebrations.  ISRO Successfully Launches India’s Heaviest and Most Powerful Satellite GSAT-11 From French Guiana; All You Need to Know. 

For the first time, ISRO has announced the ‘Young Scientists Programme’ to encourage the scientific talent and increase scientific pool in the country. Under this programme, Dr Sivan said, 3 students from each state and UT will be selected for ISRO programme for one month during which they will visit ISRO centres, interact with senior scientists and will have access to Research and Development facilities, a government release stated. All the expenses of travelling and boarding will be borne by ISRO.

Meanwhile, the other satellite, Microsat-R imaging satellite of the Defence Research and Development Organisation (DRDO) weighs 700-kg. About 14 minutes into the flight the rocket would eject Microsat R at an altitude of about 277km, and it would start functioning at an altitude of 450km in about the 103rd minute after take-off. “To reduce weight and increase the mass, an aluminium tank is being used for the first time in the fourth stage,” ISRO Chairman K. Sivan had told IANS earlier. ISRO Successfully Launches India’s Heaviest and Most Powerful Satellite GSAT-11 From French Guiana; All You Need to Know.

PSLV is a four-stage launch vehicle with alternating solid and liquid stages. In its normal configuration, the rocket would have six strap-on motors. The PSLV with two strap-on configuration has been identified for this mission, and the configuration is designated as PSLV-DL. PSLV-C44 is the first mission of PSLV-DL and is a new variant of PSLV. In PSLV-C44, the fourth stage (PS4) of the vehicle will be moved to a higher circular orbit to establish an orbital platform for carrying out experiments.

नमो में भरोसा जताएँ मोदी को वोट दें हमें आशीर्वाद

शादी के वायरल अनोखे कार्ड के जरिये बीजेपी को वोट देने का उपहार देने की बात लिखी गई है. 

देश में चुनावी बयार बहना शुरू हो गई है. तमाम राजनैतिक पार्टियों के नेता अभी से उड़न खटोले की सवारी पर फर्राटा भरकर माहौल बनाने में जुटे हैं. ऐसे में अमेठी के अंदर बीजेपी के एक अदना से कार्यकर्ता ने अपनी पार्टी के लिए बड़ा काम किया है जो चर्चा का विषय बन गया है. शादी के वायरल अनोखे कार्ड के जरिये बीजेपी को वोट देने का उपहार देने की बात लिखी गई है.

विनायक त्रिपाठी नाम के अपील कर्ता अमेठी के जामो थाने के निवासी हैं. वह अमेठी युवा मोर्चे से जुड़े हैं. विनायक ने कार्ड पर एक संदेश लिखवाया है, ‘2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट ही हमारा उपहार है. हम अमेठी से एक कमल दिल्ली भेजने के लिए अपील करते हैं.’ यह कार्ड इन दिनों बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए सोशल मीडिया पर शेयर करने का एक साधन बन गया है. गौरतलब हो कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को संसदीय क्षेत्र से वापस लौटे घंटे भी नहीं बीते थे कि शादी के एक कार्ड ने अमेठी की सियासत में भूचाल ला दिया. सोशल मीडिया पर वायरल शादी का कार्ड बीजेपी के युवा मोर्चा के नेता के घर का है. 

अमेठी में ये राजनैतिक उफान तब आया है जब अभी कल ही राहुल गांधी ने बहन प्रियंका को पार्टी का बड़ा पद देकर उनको प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में लाए हैं. ये खबर देश प्रदेश के साथ साथ अमेठी में जैसे पहुंची अमेठी के कांग्रेसियों के अलावा अमेठी के आम लोग भी गदगद हो गए थे. जगह जगह खुशियां मनाई जा रही थी, लेकिन अब इस कार्ड ने प्रियंका पर चर्चा कम करते हुए मोदी-मोदी की चर्चा शुरू करा दी है. 

Yuvraj & Sakshi

आपको बता दें कि इससे पहले सूरत के एक युवा की शादी का कार्ड भी सोशल मीडिया पर खूब छाया हुआ था. सूरत के युवराज पोखरना और साक्षी अग्रवाल ने अपनी शादी के कार्ड पर भगवान गणेश के बजाए राफेल की तस्वीर छपवाई थी. राफेल को लेकर पीएम मोदी की तारीफ करता और उसके फायदे गिनाता यह कार्ड सोशल मीडिया पर छाया हुआ था. इस शादी के कार्ड के चर्चे प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी पहुंच गए थे, जिसके बाद पीएम मोदी की ओर से इस जोड़े को शादी से पहले बधाई और आशीर्वाद मिला था.

इंजिनियरिंग विद्यार्थी ने बनाई मोड़ीफ़ाइड ईवीएम

छात्र का दावा है कि पहले से ही मौजूद EVM में इस टेक्नोलॉजी को फिंगर प्रिंट टेक्नोलॉजी के साथ मैच किया जाएगा.

कोलकाता : इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की कार्यप्रणाली को लेकर विभिन्‍न राजनीतिक दल हमेशा से ही निशाना साधते रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही इसपर सवाल उठाने वालों की संख्‍या भी बढ़ गई है. लेकिन अब कोलकाता के एक इंजीनियरिंग छात्र ने कई खूबियों वाली ईवीएम बनाने का दावा किया है. यहां के इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के छात्र राकेश शील ने दावा किया है कि उसकी बनाई मॉडीफाइड ईवीएम से किसी भी तरह की कोई छेड़छाड़ संभव नहीं है.

राकेश शील तृतीय वर्ष का इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का छात्र है. इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट की तरफ से  कोलकाता के साल्ट लेक सेक्टर V में एक वर्कशॉप और प्रदर्शनी लगाई गई, जो 25 जनवरी तक चलेगी. इसी में इस मॉडीफाइड ईवीएम का प्रदर्शन किया गया है. इसे बनाने वाले राकेश का दावा है कि इससे मतदाताओं के साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी नहीं हो पाएगी. लोग अपना वोट खुद दे पाएंगे. कोई भी दूसरा व्यक्ति किसी और का वोट नहीं दे पाएगा.

छात्र का दावा है कि पहले से ही मौजूद EVM में इस टेक्नोलॉजी को फिंगर प्रिंट टेक्नोलॉजी के साथ मैच किया जाएगा. यानी कि मशीन में वोट देने के पहले आपका फिंगरप्रिंट लिया जाएगा और जब आपका फिंगर प्रिंट दर्ज हो जाएगा, उसके बाद ही आप EVM का बटन दबा पाएंगे, इसके बिना ऐसा नहीं हो पाएगा. उस मशीन के पास ही नंबर या विभिन्न राजनैतिक दलों के चुनाव चिह्न भी मौजूद रहेंगे. लोग इन्‍हीं को देखकर बटन दबा सकेंगे.

एक बार वोट डालने के बाद अगर कोई व्यक्ति दोबारा वोट डालने पहुंचता है तो तुरंत पकड़ा जाएगा. क्‍योंकि उसके फिंगरप्रिंट पहले से ही उस मशीन में दर्ज हो चुके होंगे. यह प्रक्रिया आधार कार्ड के साथ भी जुड़ी रहेगी. छात्र का दावा है कि मतदाता की किसी भी तरह की निजी सूचना लीक नहीं होगी. क्‍योंकि मतगणना के ठीक पहले पूरा फिंगरप्रिंट डाटा डिलीट हो जाएगा, जिसके बाद ही मतगणना की प्रक्रिया शुरू होगी.

“उन्होंने हमारी जमीन छीनी है,वो यहां रहने के लायक नहीं है”, संजय सिंह

भारतीय राजनीति में किसानों का बहुत महत्व है उनके द्वारा उगाये गए प्याज़ हों या खुद उनकी ज़मीन। नेता किस तरह उनकी ज़मीन हड़पते हैं इसकी एक बानगी है कौसर के इंडस्ट्रियल इलाके में 65.57 एकड़ साइकल फैक्ट्री की ज़मीन को “राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट” द्वार खरीदा जाना और बाद में ज़ाहिर होने पर उस सौदे का अमान्य होना। प्रश्न उठता है जब साइकल फैक्ट्री का प्रोजेक्ट फेल कर दिया गया तब किसानों से किया गया नौकरी का वादा भी फेल हो गया।

किसान सालों से एक के बाद एक फेल होते प्रोजेक्ट्स के कारण अपनी ज़मीन, नौकरी की उम्मीद से हाथ धोते रहे। पर क्या प्रोजेक्ट के फेल होने पर अधिगृहीत ज़मीन किसानों को वापिस की गयी? क्या नौकरी का वादा किसी और प्रोजेक्ट में पूरा नहीं किया जा सकता था?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी गए थे. इस दौरान एक तरफ जहां वो चुनाव प्रचार में लगे हुए थे तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग राहुल गांधी के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नजर आए. दरअसल ये लोग अमेठी के किसान थे जो कांग्रेस पर उनकी जमीन हड़पने का आरोप लगा रहे थे.

बुधवार को गौरीगंज शहर में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि उन्होंने अपनी जमीन राजीव गांधी फाउंडेशन को दी थी. उनकी मांग है कि या तो उनकी जमीन उन्हें वापस की जाए या फिर उन्हें रोजगार दिया जाए.

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों में से एक संजय सिंह ने कहा, हम राहुल गांधी से काफी निराश हैं. उन्हें इटली वापस चले जाना चाहिए. वो यहां रहने के लायक नहीं है. उन्होंने हमारी जमीन छीनी है.

किसान ये प्रदर्शन सम्राट साइकिल फैक्ट्री के पास कर रहे थे. ये वही फैक्ट्री है जिसका उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री रजीव गांधी ने किया था.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल 1980 में जैन भाईयो ने कौसर के इंडस्ट्रियल इलाके में 65.57 एकड़ की जमीन ली थी. वो यहां एक कपंनी चलाना चाहते थे लेकिन प्राजेक्ट फेल हो गया. जिसके बाद 2014 में जमीन की नीलामी हो गई. नीलामी में खरीदी गई जमीन का भुगतान 1,50,000 रुपए की स्टांप ड्यूटी पर राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट की तरफ से  किया गया. बाद में UPSIDC ने इस निलामी को अमान्य कर दिया, जिसके बाद गौरीगंज कोर्ट ने आदेश दिया कि इस जमीन को UPSIDC के हवाले कर दिया जाए. तब से कागजों में तो ये जमीन UPSIDC के पास है लेकिन असल में रजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के कब्जे में है.

इससे पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने भी राहुल गांधी पर किसानों की जमीन हड़पने का आरोप लगाया था.

सिंधिया-शिवराज कि मुलाकात ने उड़ाई पार्टियों की नींद

पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच यहां सोमवार की रात को हुई मुलाकात ने कांग्रेस नेताओं को बेचैन कर दिया है. 
“हम दोनों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है, कोई कड़वाहट नहीं है, मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो चुनाव के समय की कड़वाहट को लेकर पूरी जिंदगी बिताऊं. जैसा कहा जाता है कि रात गई बात गई. इसलिए आगे की सोचना होगा.”  ज्योतिरादित्य सिंधिया
“इस मुलाकात से हतप्रभ हूं, चौहान ने तो कभी शिष्टाचार नहीं निभाया, मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रेम कैसे उमड़ आया.” अजय सिंह

भोपाल: पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच यहां सोमवार की रात को हुई मुलाकात ने कांग्रेस नेताओं को बेचैन कर दिया है. पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह तो इस मुलाकात से हैरान हैं. सिंधिया और चौहान की मुलाकात को लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मंगलवार के संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, “इस मुलाकात से हतप्रभ हूं, चौहान ने तो कभी शिष्टाचार नहीं निभाया, मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रेम कैसे उमड़ आया.”

सिंधिया सोमवार की रात दिल्ली से भोपाल पहुंचे और अचानक पूर्व मुख्यमंत्री चौहान के आवास पर गए. दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में लगभग 45 मिनट बातचीत हुई. इस मुलाकात को लेकर राजनीति के गलियारों में चर्चाएं जारों पर है. मुलाकात के बाद सिंधिया ने संवाददाताओं से कहा, “हम दोनों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है, कोई कड़वाहट नहीं है, मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो चुनाव के समय की कड़वाहट को लेकर पूरी जिंदगी बिताऊं. जैसा कहा जाता है कि रात गई बात गई. इसलिए आगे की सोचना होगा.” 

सिंधिया ने आगे कहा, “मध्य प्रदेश का भविष्य संवारना है, उज्ज्वल करना है, इसलिए हमें सबको साथ लेकर चलना है, खासकर कांग्रेस की जिम्मेदारी है क्योंकि वह सत्ता में है. चुनाव मैदान में कश्मकश होती है, मगर चुनाव के बाद सबको मिलकर साथ काम करना चाहिए.” 

सिंधिया ने चौहान के साथ हुई बातचीत को अच्छा बताते हुए कहा, “वे हमारे राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं, उनसे मिलने आया था, बहुत सारी बातें हुईं.” 

सिंधिया से जब सवाल किया गया कि क्या कांग्रेस को विपक्ष का साथ मिलेगा? तब उन्होंने कहा कि विपक्ष को हमेशा अच्छी चीजों का साथ देना चाहिए और कमियों को उजागर करना चाहिए. देश के प्रजातंत्र में विपक्ष की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है, जितनी सत्तापक्ष की होती है. केंद्र में बतौर विपक्ष कांग्रेस का महत्वपूर्ण योगदान है, अपेक्षा है कि इसी तरह का राज्य में भाजपा का रहेगा.

पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने भी इस मुलाकात को सौजन्य मुलाकात करार दिया है. इससे पहले चौहान का मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में मंच पर जाना और सिंधिया व कमलनाथ द्वारा चौहान का गर्मजोशी से स्वागत खासा चर्चाओं में रहा था. अब यह मुलाकात सियासी गलियारों में चर्चा में है. 

रणदीप सिंह सुरजेवाला और उनके सहयोगी ईश्वर सिंह नैन पर करोड़ों रुपए का घोटाला करने के आरोप

बिग ब्रेकिंग जींद

उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला और उनके सहयोगी ईश्वर सिंह नैन पर करोड़ों रुपए का घोटाला करने के लगे संगीन आरोप. हिसार जिले के कोथ कला गांव निवासी सिंधु ने लगाए आरोप। जींद में प्रेस वार्ता कर अजय सिंधु ने कहा कि मंत्री पद पर रहते हुए और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने सहयोगियों के साथ नियमों को ताक पर रखते हुए जारी करवाया बिजली विभाग का टेंडर जिसमें 1500 युवाओं से नौकरियों के नाम पर ऐठे गए करोड़ों रुपए। मुख्यमंत्री से अपील करते हुए अजय सिंधु ने सीबीआई जांच की मांग की। कार्यवाही ना होने पर दी आत्महत्या करने की धमकी।

पीजीटी के उम्मीदवारों की मानसिक पीड़ा को ध्यान में रख कोर्ट में पैरवी की जाये : सर्व कर्मचारी संघ

पंचकूला, 22जनवरी:

सर्वकर्मचारी संघ ने पात्र उम्मीदवारों के भविष्य के लिये आयोग से की अपील। उन्होंने आयोग से अपील करते हुए कहा कि वे पात्र उम्मीदवारों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई स्टे को हटवाये या फिर उम्मीदवारों के हित में अच्छे ढंग से पैरवी करते हुए कोर्ट केस को जल्द से जल्द निपटाने की कोशिश करें।

संघ ने कहा कि यह मामला पी॰जी॰टी॰ इतिहास विषय का है, जिसका साक्षात्कार 15-16 फरवरी 2017 को हो चुका है। आंसर कुंजी में खामियों के कारण भर्ती पर हाईकोर्ट में स्टे लग गया था लेकिन 13 नवंबर 2018 को भर्ती से स्टे हट गया था। कर्मचारी चयन आयोग ने माननीय हाईकोर्ट के निर्देशानुसार 17 नवंबर 2018 को रिजल्ट रिवाईज किया व 26 दिसंबर 2018 को योग्य उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिये बुलाया गया। लेकिन पुनः आंसर की में खामियों को उज्जागर करते हुए कुछ अयोग्य उम्मीदवारों द्वारा हाईकोर्ट से दोबारा स्टे लेकर रिजल्ट पर रोक लगवा दी गई। अतः इस भर्ती को लेकर योग्य उम्मीदवार मानसिक रुप से परेशान हो रहे है।

उन्होंने पी॰जी॰टी॰ इतिहास के चेयरमैन महोदय से विन्रम निवेदन करते हुए कहा कि वे हाईकोर्ट में मजबूत पैरवी करके स्टे हटवाये और जल्द से जल्द अंतिम परिणाम घोषित करें या फिर कोर्ट केस उम्मीदवारों का रिजल्ट रोककर शेष भर्ती को पूरा किया जाये।

राम मंदिर मुद्दे पर कांग्रेस का साथ दे सकती है वीएचपी

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष (कार्याध्यक्ष) आलोक कुमार ने कहा यदि कांग्रेस हमारे लिए अपने दरवाजे खोलती है और अपने चुनावी घोषणा पत्र में राममंदिर निर्माण को शामिल करती है तो हम विचार करेंगे

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष (कार्याध्यक्ष) आलोक कुमार ने राम मंदिर निर्माण के लिए कानून न बनाने पर बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा, ‘हमें लगता था कि सरकार कानून बनाएगी. हमने आग्रह भी किया था और सरकार को कानून लाना भी चाहिए था. लेकिन अब लगता है कि सरकार कानून नहीं लाएगी. कम से कम इस कार्यकाल में तो नहीं लाएगी. इसलिए हम दूसरे विकल्पों के साथ संतों के सामने इस मामले को रखेंगे. 1 फरवरी को धर्म संसद में अब संत ही तय करेंगे कि हमें क्या करना है?’

कांग्रेस के साथ जाने पर क्या बोली VHP?

कुंभ मेला शिविर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदुत्व और राममंदिर को लेकर जो भी सकारात्मक संकेत देगा, हम उसके साथ जा सकते हैं. वहीं एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विकल्प तो कई हो सकते हैं. यह पूछने पर कि क्या कांग्रेस के साथ भी जा सकते हैं तो उन्होंने कहा कि पहले वे अपने दरवाजे तो हमारे लिए खोले. कांग्रेस ने तो अपने दरवाजे हमारे लिए बंद कर रखे हैं. कांग्रेस के साथ जाने के लिए पहले कांग्रेस सेवा दल से जुड़ना होता है. यदि कांग्रेस हमारे लिए अपने दरवाजे खोलती है और अपने चुनावी घोषणा पत्र में राममंदिर निर्माण को शामिल करती है तो हम विचार करेंगे.

हालांकि उन्होंने कांग्रेस पर राममंदिर मुद्दे को कोर्ट में लटकाने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं (जो वकील भी हैं) ने पूरा प्रयास किया कि यह मामला और लटके. सीजेआई पर दबाव बनाया गया. उनके खिलाफ महाभियोग की नोटिस दी गई. यह पूछे जाने पर कि क्या फिर चुनाव में वह बीजेपी को ही सपोर्ट करेंगे.

आलोक कुमार ने कहा कि यह संत ही तय करेंगे. हम तो पूरी स्थिति उनके सामने रखेंगे. हालांकि फिलहाल हिंदुत्व और राममंदिर के बारे में बीजेपी के अलावा कोई दूसरी पार्टी सोचने वाली तो नहीं दिख रही.

मीडिया के पूछे जाने पर कि क्या दोबारा बीजेपी की सरकार बनने पर वह बीजेपी पर राममंदिर के लिए दबाव बनाएंगे? उन्होंने कहा कि हम फिर उनसे आग्रह करेंगे. जनमत चाहता है कि राममंदिर बने. हमें उम्मीद है कि 2025 तक राममंदिर जरूर बन जाएगा. हालांकि यह नहीं बताया कि शुरू कब होगा.