शत्रु ने टिवीटर पर भाजपा को दिया तालाक

बिहार से सांसद और अपनी बात मुखरता से रखने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी फजीहत बचाते हुए भाजपा से किनारा करने की बात काही है। उन्हे यशवंत सिन्हा जसवंत सिंह और अरूण शोरिए की भांति मोदी विरोधी बताया जाता है। यह कहा जा सकता है की अब भाजपा से भी नेता कांग्रेस या अन्य दलों की ओर जा रहे हैं परंतु नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही से शत्रु मोदी और भाजपा के साथ शत्रुवत व्यवहार करने लगे थे। पूनम सिन्हा के सपा से चुनाव लड़ने की बात पहले ही हो चुकी है, अत: भाजपा छोडने की यह घोषणा औपचारिकता मात्र है

पटनाः बिहार के पटना साहिब से सांसद और बीजेपी के बागी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने अब जल्द ही अपनी अलग राह चुन सकते हैं. उन्होंने अब बीजेपी छोड़ने के सीधे संकेत दे दिए हैं. हालांकि इस बात के संकेत उन्होंने कई मौकों पर दिया है. लेकिन इस बार उन्होंने खास अंदाज में सीधे-सीधे तौर पर दे दिया है कि वह बीजेपी में नहीं होंगे. 

शत्रुघ्न सिन्हा काफी समय से अपनी पार्टी बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. वह लगातार पार्टी लाइन से हट कर बयान दे रहे हैं साथ ही अपनी पार्टी को लगातार निशाना बना रहे हैं. वहीं, बीजेपी पार्टी ने भी सिन्हा से मुंह मोड़ लिया है. और बीजपी नेता साफ-साफ कह रहे हैं कि उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा.

शत्रुघ्न सिन्हा ने पार्टी छोड़ने का इशारा करते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने शायराने अंदाज में लिखा है. ‘मोहब्बत करने वाले कम न होंगे, (शायद) तेरी महफिल में लेकिन हम न होंगे.’

Sir, the Nation respects you, but the only thing the leadership lacks is credibility & trust factor. “Leadership jo kar rahi hai or jo kah rahi hai, kya log uspe vishwas kar rahein hain? Shayad nahin!” Any way it all seems to be too little and too late? Promises made in the

past are still to be fulfilled. Hope, wish & pray, though I may not be with you anymore – “Mohabbat karne vaale kam na honge, (shayad) teri mehfil mein lekin hum na honge”.92410:26 AM – Mar 15, 2019Twitter Ads info and privacy365 people are talking about this

हालांकि शत्रुघ्न सिन्हा ने कई बार इस तरह के संकेत दिए हैं. उन्होंने पहले भी कहा था कि चुनाव लड़ने का उनका स्थान वहीं होगा लेकिन ठिकाना अलग हो सकता है. उन्होंने हाल ही में लालू यादव और उनकी परिवार से भी मुलाकात की है. वहीं, मीडिया को यह भी बताय था कि वह कांग्रेस से भी बात करेंगे. और जल्द ही सारी चीजें साफ कर देंगे.

सनद रहे: राजनाथ सिंह के खिलाफ पूनम सिन्हा होंगी सपा की उम्मीदवार: सूत्र

वहीं, शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘सर, राष्ट्र आपका सम्मान करता है, पर नेतृत्व में विश्वसनीयता और विश्वास की कमी है. नेतृत्व जो कर रहा है और कह रहा है, क्या लोग उसपर विश्वास कर रहे हैं? शायद नहीं. खैर, अब काफी देर हो चुकी है.’

उन्होंने कहा कि जनता से किए गए वादे अभी भी पूरे होने बाकी हैं जोकि अब पूरे हो भी नहीं पाएंगे. आशा, इच्छा और प्रार्थना, हालांकि मैं अब आपके साथ नहीं रह सकता.

Emerging Dynamics of INDO-PAK relations: a seminar

Chandigarh March 15, 2019

            Department of Defence and National Security Studies, Panjab University, Chandigarh and Gyan Setu Think tank is organizing national seminar on Emerging Dynamics of INDO-PAK relations as per schedule below:-

Venue:            Rajiv Gandhi College Bhawan

Date:               18.3.2019

Time:               11.00 am

Chandigarh Police in association with HCIFL will train police personals against cyber crimes

Today on 15.03.2019, Chandigarh Police organized an awareness event with the help of Home Credit India Finance Pvt. Ltd.  at Recruitment Training Centre, Police Lines Sector-26 for the awareness of police force regarding financial and cyber frauds and help in investigation of financial and Cyber frauds. The event was organized in the presence of W/SSP Nilambari Jagadale and SP/Hqrs, SP/Operations, DSP-Cybercrimes, SDPO-Central and SDPO-South were also present along with Sh. Manish Kaushik, Security Head of Home Credit India. In this awareness event more than 150 police officials of every rank from different units of Chandigarh Police attended this event.

During the day long event, officials of Home Credit India conducts knowledge sharing sessions with Police officials across different levels on challenges, issues and measures relating to prevention of cyber crime, cyber bullying, online and financial frauds. These sessions highlight current trends through case studies and reference materials. During sessions, many topics like rising incidents of cyber stalking, web jacking, juice jacking, theft of online data, ATM frauds, phishing frauds etc. were discussed. The aim of event is assisting the police force in reducing/investigating cyber crime and financial frauds in the city, so that Chandigarh Police can provide the citizens a safe and friendly platform with technology for online banking to protect them from financial frauds and cyber crimes. The Chandigarh Police, Cyber Cell in assistance with Home Credit will train Police officials of all Police Stations in the city regarding financial frauds to enable Police Stations to deal with basic complaints of Cyber Crime. For general awareness regarding Cyber frauds, Do & Don’ts are as under:-

  • A strong password shall make your venturing into cyber space safer.
  • To stay away and not accept invites, as well as friend requests from unknown persons.
  • Do not give/share your password with friends.
  • Don’t give common password for all social networking accounts and don’t expose your passwords to un-trusted sites
  • Change your current PIN from time to time to make it more difficult for fraudsters to guess.
  • Never write down your personal identification number  (PIN), especially on the back of your card. Memorize it.
  • Don’t lend or hand over your cards to anyone. The innocent looking bartender/petrol pump attendant/ restaurant waiter could be carrying a skimmer to skim your card. Report lost or stolen credit cards immediately to bank that issued you the card by calling the call center
  • If you receive an email/phone calls asking for your credit/debit/ATM card details. Never respond to such emails/phone calls; even if they seem to official emails from your bank. Your bank will never ask you for confidential information via emails, calls or texts. If you do receive any such communication, report it to your bank.
  • Don’t reply to the received SMS/MMS from strangers as it could be a Smshing/Vishing attack.
  • Don’t share your internet as Hot spot to other/strangers.
  • Don’t always keep turn on your location
  • Don’t give your mobile numbers where chatting on internet to avoid “STALKING”
  • Don’t handover your mobile phone to unauthorized service centre, to avoid “CLONING/MISUSE”
  • MMS/SMS/links received should be checked before opening the message as there could be hidden attachments for fraud and remote access of your device.
  • It is best to refrain form clicking on the pop-ups and unknown websites links.
  • The mails which make claims about winning a prize money are malicious and must be ignored
  • Verify about the company/organization when you applying for a job/VISA/ work permit online. Don’t deposit money in hurry.
  • No IRDA agent can call/ discuss over phone for your Insurance policy or investment.
  • Be vigilant when purchase any product from OLX/Quickr and do not deposit money in hurry.
  • Avoid public charging points to charge your mobile phones as the data of your mobile phone can be fetch through data cables by fraudsters.

नेताओं का भाजपा में खिंचाव कब तक?

चुनावों से पहले बदलते राजनैतिक समीकरण, बयार किस ओर बह रही है का इशारा माने जाते हैं। मोदी को चोर, डरपोक हत्यारा और भी न जाने क्या क्या कहने वाले इन हवाओं के रुख को नहीं समझ पा रहे।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले कई दलों में हलचल बढ़ गई है. बीजेपी में आज तीन बड़े नेता शामिल हुए हैं. तीनों नेता अलग-अलग दलों के हैं. ये तीन दल तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और बीजू जनता दल हैं. सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश के सपा-बसपा के कई नेता बीजेपी के पाले में जा सकते हैं.  

चार बार के तृणमूल विधायक अर्जुन सिंह बीजेपी में शामिल
पश्चिम बंगाल की भाटापारा सीट से तृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह बृहस्पतिवार को भाजपा में शामिल हो गए. चार बार के विधायक सिंह के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को आम चुनावों में पश्चिम बंगाल में काफी लाभ मिलने की संभावना है. भाटपारा से तृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह भाजपा मुख्यालय में पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए. हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने सिंह के भाजपा में शामिल होने को कुछ खास महत्व नहीं दिया और उन्हें अपनी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चुनौती दी. गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित सांसद अनुपम हाजरा तथा कुछ और नेता कुछ ही दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौमित्र खान भी भाजपा में शामिल हुए थे.

सोनिया गांधी के करीबी नेता ने थामा बीजेपी का दामन
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को गुरुवार को बड़ा झटका लगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन बीजेपी में शामिल हो गए. टॉम वडक्कन केरल के त्रिशूर जिले से आते हैं. वडक्कन पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निजी सहायक रहे हैं. राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद भी वह उनके करीबी माने जाते हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद टॉम वडक्कन ने कहा, ‘मैंने 20 साल कांग्रेस को दिए. कांग्रेस में वंशवाद की राजनीति हावी है. पुलवामा हमले के बाद कांग्रेस के रुख से मैं काफी दुखी हूं. कांग्रेस पुलवामा हमले पर राजनीति कर रही है. मैं भारी मन से कांग्रेस को छोड़ रहा हूं.पाकिस्तानी आतंकियों का हमारी जमीन पर हमला और आप उस पर राजनीति करते हैं.’

बीजेडी के पूर्व नेता दामोदर राउत बीजेपी में 
बीजेडी के पूर्व नेता व विधायक दामोदर राउत ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. राउत ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और ओडिशा के बीजेपी प्रभारी अर्जुन सिंह की उपस्थिति में बीजेपी ज्वॉइन की. बीजेपी में शामिल होने के बाद राउत ने कहा, “आखिरकार, बहुत ज्यादा सोच-विचार करने के बाद मैंने आज बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है. मैंने 45 साल राजनीति में गुजारे हैं. बीजेडी बीजू बाबू की विचारधारा को भुला चुकी है. राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ा है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पर निशाना साधते हुए राउत ने कहा, “उनके मन में ओडिशा के लोगों के प्रति कोई प्यार नहीं है. ओडिशा में कई साल गुजारने के बाद भी वह उड़िया भाषा को नहीं बोल सकते.”  

Hypertension management together with trans-fat elimination – A route to reducing the burden of cardiovascular disease

40% adults in Punjab are at risk of heart disease and stroke : Study

Chandigarh, “Deaths due to cardiovascular diseases like heart attack and stroke are on the rise across the country but more so in Punjab. Hypertension is the most important preventable cause for developing cardiovascular diseases. In a clarion call for urgent action and widespread awareness among people to reign in this silent epidemic”, suggest Disha Foundation and Generation Saviour Association during the findings at media dialogue with health experts, policymakers and journalists in Chandigarh.

Dr GB Singh, Assistant Director, Incharge NCD, Health Services, dept of health and family welfare, punjab

In the meeting Dr GB Singh, Assistant Director, in charge NCD, Health Services, Department of Health and Family Welfare, Punjab, talked about the steps that the Government is working on to screen people above 30 years of age for high blood pressure and ensuring that treatment is available to all. “ASHAs and ANMs have been trained to screen people with high blood pressure and to ensure that they register for treatment. The Government is making blood pressure medicines available up to sub centre level. Patients should continue taking medication lifelong to keep their blood pressure under control.”

Two in five adults are hypertensive in Punjab. And almost equal number are in prehypertensive stage who are at risk to develop hypertension. Moreover, intake of trans-fatty acids can increase the risk of death due to heart attack by 28%. As the highest consumer of Vanaspati, Punjab must take immediate steps to limit its consumption by regulating trans fat in oils and foods through stringent policy enforcement.

Motivating people of Punjab to make diet changes will require urgent action in reducing industrially produced trans fats in foods containing partially hydrogenated vegetable oils (PHVOs).

Dr. Anoop Kumar, Joint Director, Food Safety, Punjab

Dr Anoop Kumar, Joint Commissioner, Food and Drug Safety said, “The cardinal solution for preventing needless deaths and safeguarding health of present and future generation is the removal of industrially produced trans-fatty acids from the food supply”. He also assured that the Food Safety Department in Punjab is committed to reducing industrially produced trans fats.  

Dr. Eram Rao, Associate Professor, University of Delhi

Echoing the sentiment, Dr Eram Rao, Associate Professor, Delhi University said, “Replacing trans fats by healthier fats is possible. Many countries across the world have become trans fats free.  Technologies such as full hydrogenation and interesterification can produce almost fats with minimal trans fats. There is little efforts required by food businesses or public.”

PU Results

Chandigarh March 14, 2019

        It is for the information of the general public and students of Panjab University Teaching Departments/Colleges in particular that result of the following examinations have been declared:-

  1. M.C.A. 2nd Sem, Re-appear, Dec. 2018
  2. B.E.(Chemical), 5th Sem., Dec. 2018
  3. M.A.(Women Studies), 1st Sec., Dec. 2018
  4. M.A.(Women Studies), 3rd Sem., Dec. 2018
  5. M.A. English, 3rd Sem., Dec. 2018
  6. B.E.(Chemical), 6th Sem. (Re-appear), January 2019
  7. B.E.(Chemical) with MBA 8th Sem.,(Re-appear), January 2019
  8. B.E.(Chemical) with MBA 6th Sem.(Re-appear), January 2019
  9. M.A. French, 1st Sem., Dec. 2018
  10. B.Sc.(Hons.) Zoology, (Re-appear), 4th Sem., July 2018

The students are advised to see their results in their respective Departments/Colleges/University website.

पूर्वोत्तर में भाजपा ने मनाए सभी रूठे और नए साथियों को भी लिया साथ

बीजेपी ने पूर्वोत्तर (नॉर्थ ईस्ट) में गठबंधन की प्रक्रिया पूरी कर ली है. पार्टी ने यहां के आठ राज्यों की 25 लोकसभा सीटों में से कम से कम 22 पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है.

बीजेपी महासचिव राम माधव ने बुधवार को यह जानकारी दी.

बीजेपी के पूर्वोत्तर प्रभारी माधव ने मंगलवार को आधी रात तक कई दौर की चर्चा की और असम गण परिषद (AGP), बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF), इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT), नेशनल पीपुल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के साथ गठबंधन होने की घोषणा की. 

बीजेपी नेता त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब और IPFT के नेताओं के साथ बुधवार को अगरतला में बैठक करेंगे.

इस गठबंधन को पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (NEDA) के तहत अंतिम रूप दिया गया है. NEDA भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का क्षेत्र की क्षेत्रीय पार्टियों के साथ राजनीतिक गठबंधन है.

राम माधव ने फेसबुक पर पोस्ट किया, ‘इस गठबंधन में क्षेत्र की 25 में से कम से कम 22 सीटें जीतने की क्षमता है और मोदी जी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनते देखने में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है.’

इससे पहले मंगलवार को माधव ने नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा, मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और एनईडीए के संयोजक हेमंत विश्व शर्मा से मुलाकात की.

वाड्रा तो महज़ मुखौटा है, विवादित जमीनी सौदों के पीछे राहुल हैं: समृति

सोनिया गांधी की शैक्षणिक (पाँचवीं पास का झूठा प्रतिज्ञा पत्र देने पर) योग्यताओं पर कोर्ट केस झेल चुकी कांग्रेस के प्रवक्ता सुरजेवाला समृति ईरानी के बारे में मानना है की अयोग्य और अशिक्षित व्यक्ति के मंत्री बनने पर यही सब होता है.

भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा पर जमीन सौदे से जुड़े कथित घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया. बीजेपी ने दावा किया कि विपक्षी पार्टी ने भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप देने का काम किया है, जो अब पारिवारिक भ्रष्टाचार को परिभाषित करता है.

मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हए केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने  कहा कि राबर्ट वाड्रा विवादास्पद जमीन सौदे के संबंध में महज मुखौटा हैं और उनके साले राहुल गांधी असली चेहरा हैं.

वहीं, इन आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि हार को भांपते हुए प्रधानमंत्री मोदी और उनके चहेते पूरी तरह से बेबुनियाद और फर्जी आरोप लगा रहे हैं. पार्टी ने कहा कि यह बेरोजगारी और कृषि संकट जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है.

स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस देश में भ्रष्टाचार की जननी रही है. अब तक यह माना जा रहा था कि भ्रष्टाचार के मामले में हथियार डीलर संजय भंडारी के संबंध केवल रॉबर्ट वाड्रा से ही थे लेकिन अब देश की जानकारी में यह भी आ गया है कि ये संबंध रॉबर्ट वाड्रा के साले साहब राहुल गांधी तक भी पहुंचते हैं.

उन्होंने दावा किया, ‘UPA सरकार के दौरान पेट्रोलियम और रक्षा सौदों की जांच में पैसों का लेन-देन न केवल रॉबर्ट वाड्रा तक पहुंचा, बल्कि अब देश यह भी जान गया है कि जीजा जी (राबर्ट वाड्रा) के साथ साले जी (राहुल गांधी) भी इस फैमिली पैकेज भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं.’ केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि 70 सालों में संस्थागत भ्रष्टाचार कांग्रेस की देन रहा है और पिछले 24 घंटों में समाचार माध्यमों से सामने आए तथ्य दर्शाते हैं कि कैसे गांधी-वाड्रा परिवार ने पारिवारिक भ्रष्टाचार को परिभाषित किया है.

उन्होंने कहा कि नए खुलासों से देश की जनता अब समझने लगी है कि रक्षा सौदों में राहुल गांधी विशेष रुचि क्यों ले रहे हैं. रक्षा सौदों में राहुल की विशेष रुचि महज राजनीति नहीं बल्कि आर्थिक और पारिवारिक भी है. स्मृति ईरानी ने कहा कि पूर्ववर्ती UPA सरकार में रक्षा से संबंधित सौदे और पेट्रोलियम संबंधित सौदे में संजय भंडारी और सी सी थंपी के तार जुड़े हैं.

बीजोपी नेता ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार में जीजा-साले की संजय भंडारी, सी. सी. थंपी और एच. एल. पाहवा के साथ क्या मिलीभगत है, इस पर अब राहुल गांधी को देश की जनता को जवाब देना होगा.

उन्होंने दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एच. एल. पाहवा के यहां तलाशी के दौरान जब्त दस्तावेज से पता चलता है कि राहुल गांधी ने पाहवा से हरियाणा में औने-पौने दाम में कई एकड़ जमीन खरीदी थी.

उन्होंने आरोप लगाया कि एच. एल. पाहवा के साथ जमीन की खरीद-फरोख्त में श्रीमती वाड्रा (प्रियंका गांधी) से संबंधित कागजात भी पाए गए हैं.

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी लगाए आरोप 

बाद में BJP प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया कि कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल संजय भडारी की तरफ से अदालत में पेश हुए थे, इससे विवादित हथियार डीलर और राहुल गांधी के बीच के ‘नापाक गठजोड़ का खुलासा’ होता है.

कांग्रेस ने किया पलटवार

आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने स्मृति ईरानी पर तंज कसते हुए कहा, ‘किसी अयोग्य और अशिक्षित व्यक्ति के मंत्री बनने पर यही सब होता है.’

‘चौकीदार चोर है’ के बाद ‘मोदी डरपोक है’ राहुल का नया नारा

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चीन द्वारा भारत कि हार से कांग्रेस बहुत खुश जान पड़ती है खास कर राहुल गांधी। राहुल गांधी ने “चौकीदार चोर है” के बाद नया जुमला उछाला है कि “मोदी डरपोक है”। राहुल के मुताबिक मोदी मौन है, चीन ने अज़हर मसूद को फिर से बचा कर अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी है। अब विडम्बना यह है कि इस बात पर राजनीति करते हुए और राष्ट्र कि हार को मोदी से जोड़ कर देखते हुए राहुल को कोई परेशानी नहीं हो रही। जबकि सच्चाई तो यह है कि यह हार भी ‘पंडित जवाहर लाल नेहरू’ कि दी हुई है। अब इस मौके पर यदि मोदी कुछ कहते भी हैं तो शायद समूची कांग्रेस पार्टी को ही समझ न आए राहुल कि तो बात ही क्या?? सच है ‘यथा राजा तथा प्रजा’

आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के प्रयास में चीन द्वारा अड़ंगा लगाए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से डरे हुए हैं और चीन के खिलाफ उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता है.

राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘कमजोर मोदी शी जिनपिंग से डरे हुए हैं. जब चीन भारत के खिलाफ कदम उठाता है तो उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता है.’ उन्होंने दावा किया, ‘मोदी की चीन कूटनीति , गुजरात में शी के साथ झूला झूलना, दिल्ली में गले लगाना, चीन में घुटने टेक देना रही.’

Weak Modi is scared of Xi. Not a word comes out of his mouth when China acts against India.

NoMo’s China Diplomacy:

1. Swing with Xi in Gujarat

2. Hug Xi in Delhi

3. Bow to Xi in China

दरअसल, चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश सरगना अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी. बीते 10 साल में संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने का यह चौथा प्रस्ताव था.

Without meaningful alliances, Congress’ revival is at risk

It became evident quite early — even before the drumroll for 2019 Lok Sabha election had begun — that dislodging the BJP would be quite difficult if the Opposition parties don’t strike tactical pre-poll alliances. Accordingly, we saw the movement towards a ‘grand alliance’ or a ‘mahagathbandhan’ where theoretically every seat among the 543 Lok Sabha seats will be a one-on-one contest between the BJP and the Opposition. This was a formula floated by some Opposition leaders such as Mamata Banerjee who made a grand show of Opposition unity in a giant rally in Kolkata last January.

While the theory was sound enough, implementing it on the ground was always going to be a problem. The lack of chemistry quite often runs antithetical to the promise of arithmetic.

File image of Congress president Rahul Gandhi

The bigger question was about the role of Congress. Regional parties that are quite strong in their respective fiefdoms lack national outreach. Their personal ambitions come in the way of stitching up a mythical ‘non-BJP, non-Congress third front’. It was evident that the Congress would need to play the role of a conduit for Opposition unity and anchor the grand alliance, but its own compulsions are posing problems for itself and queering the pitch for a united Opposition against the BJP.

The Congress, right now, is in a state of suspended animation. It seems torn between the twin impulses of ambition and reality. Its ambition of re-emerging as a national alternative to the BJP is crucial to its long-term existence but in the short term, this ambition is rubbing up against the reality of its reduced national footprint, decrepit party structure in several states and the need to strike smart alliances. The Assembly poll results towards the end of last year have compounded the problem.

While the Congress was grudgingly settling down in its new role of playing second fiddle to allies — for instance, the offer of chief minister’s post to seal the JD(S) deal and keep the BJP away from power in Karnataka — the three wins in Hindi heartland seems to have convinced the party that its revival is on course. This could be a red herring.

Misreading the Assembly polls results could prove costly to the Congress and throw a spanner in its plan of preventing Narendra Modi’s return in 2019. For the Congress to act as a conduit for Opposition unity it must show flexibility in working with regional partners and be prepared to make sacrifices to make the alliances work. While this may delay its structural revival, the immediate imperative for the party is to gain a share of power at the Centre. It is an interesting paradox. If the Congress cedes too much space to alliance partners, its revival as a major political force gets delayed. Conversely, if it chooses not to ally with partners and goes alone, it risks getting left out of the power pie which again, may delay its revival.

Mitigating this tension between the need to make space for alliance partners and revive the party’s political relevance is the leadership’s primary task. Going by the trend so far in the campaign season, Rahul Gandhi is faltering in his job.

The Congress president seems unsure about the path to be taken. Let’s take the case of Uttar Pradesh, for example. Having been left out of the SP-BSP alliance, Rahul launched sister Priyanka Gandhi and put her officially in charge of Uttar Pradesh East. Initial media hype and soundbites from Congress’ top leadership created an impression that the party is serious about throwing a challenge to key players in BJP and the SP-BSP alliance. It became quickly clear to Priyanka — tasked with building the party ground up in India’s most crucial state where it is almost non-existent on the ground — that emerging as a serious challenger in the 2019 Lok Sabha polls will be a stretch for Congress. Accordingly, the goalposts were shifted and Congress now talks about strengthening the base first before the next Assembly polls.

As the election dates draw near, the Congress seems unable to stitch alliances and upsetting potential partners. Mayawati has already made it clear that there will be no electoral alliance with the Congress in any state. In reply, the Congress taunted her for not having “even a single seat in the Parliament” and dismissed her.

“How can she decide if the Congress has to come on board or not? We are fighting the election alone and do not want an alliance. We don’t need her,” Uttar Pradesh Congress spokesperson Rajiv Bakshi was quoted, as saying.

It possibly did not occur to Congress that keeping the door open for negotiation works better in politics than arrogance. But its woes in Uttar Pradesh are reflective of its woes elsewhere and utter failure so far in striking pre-poll partnerships. What’s worse is that Congress seems to be still suffering from the ‘big brother’ attitude that regional chiefs such as Mayawati find abhorring. Then there’s the question of Rahul’s acceptability. Many regional leaders still prefer dealing with Sonia Gandhi — West Bengal chief minister Mamata Banerjee, for instance.

While the BJP is busy settling differences with estranged partners and reaching pre-poll deals, the Congress appears laden-footed and arrogant. In Karnataka, which has so far showcased the worst traits of coalition politics, senior Congress leader and former chief minister Siddaramaiah declared on Monday that Congress won’t yield any “sitting MP seats” to partner JD(S).

The BJP, which understands the need for coalition politics in the absence of a ‘wave’ factor, appears generous in offering a seat-sharing deal to partners. BJP national general secretary Ram Madhav announced on Monday that the party has sealed a “grand alliance” in the North East by wooing even estranged partners such as Asom Gana Parishad.

“The BJP, NPP, NDPP, AGP and BPF will fight together in Assam, Nagaland, Meghalaya, Manipur and Arunachal Pradesh with the mission of defeating Congress party in the hustings…,” Madhav wrote, adding that the party will fight alongside Indigenous People’s Front of Tripura (IPFT), its coalition partner in Tripura and will contest from Sikkim in partnership with the Sikkim Krantikari Morcha.

The Congress is trying to strike a deal with the Left Front while simultaneously battling it in Kerala. In Delhi, the Congress has rejected AAP’s overtures, leaving Arvind Kejriwal to utter that AAP will win without Congres’ support.

In Bihar, one of the few places where the Congress is still in with a chance to strike a meaningful alliance, the party has threatened RJD, its key partner, that it will go solo in the state if the seat-sharing formula is not “respectable”.

Even the Congress-NCP alliance in Maharashtra seems to have gotten off to a tumultuous start with NCP veteran Sharad Pawar opting out of the race. In both Maharashtra and Gujarat, Congress has been hit by a volley of defections that some analysts say are BJP’s ploy to demoralise the Congress.

The picture that emerges is that of a party unsure of its core strategy in approaching the elections. Rahul’s aggressive attacks on Modi may grab some eyeballs on prime time television but it’s to be seen whether that alone is enough to stymie BJP’s chances. It is time the Congress president addresses the critical failures in alliance formation and adopts a more flexible stance.