कांग्रेस यूपी में तो संकट ही में है: राम गोपाल यादव

आज एक चैनल पर सीपीआई नेता सुनीत चोपड़ा ने माना की गठबंधन तो चुनावों के बाद होते हैं, पहले तो बस शक्ति प्रदर्शन होता है। राहुल गांधी ने भी गठबंधन का यही फार्मूला दिया था कि जिस दल की अधिक सीटें होंगी प्रधान मंत्री उस दल का होगा। अब इसी फार्मूले को निभाने के लिए सभी दल एकला चलो की राह पर निकल पड़े हैं। यह तो तय है कि गठबंधन तो होगा, अब चुनावों के पश्चात। सपा हो या बसपा यदि यह यूपी कि सारी सीटें ले भी लेते हैं तो भी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकते। बस यही गूढ ज्ञान इन्हे कांग्रेस के प्रति नरम रुख अपनाने को मजबूर करता है। आपसी छींटाकशी से इन सभी को बचना चाहिए

लखनऊ: 

कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा का तीन दिवसीय उत्तर प्रदेश दौरा बुधवार को संपन्न हो गया. लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में में कांग्रेस में नई जान फूंकने की कवायद में  पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका ने करीब सौ किलोमीटर की दूरी गंगा नदी मार्ग से तय की और तटों पर रहने वालों से मुलाकात की. प्रियंका के दौरे को लेकर सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने तंज कसा. उन्होंने कहा, “मंदिर में आदमी तभी जाता है जब अपने को संकट में समझता है. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में तो संकट में है ही.

हाल के दिनों में सपा की ओर से यह पहला हमला है. इससे पहले दोनों दल के नेता एकदूसरे पर कटाक्ष करने से बचते रहे हैं. रामगोपाल यादव के बयान के बाद कांग्रेस की ओर तीखी प्रतिक्रिया आ सकती है. निकट भविष्य में दोनों दलों के बीच जुबानी जंग और तेज होने के पूरे आसार हैं. उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने गठबंधन करते हुए कांग्रेस को केवल दो सीटें छोड़ी हैं. वहीं कांग्रेस भी इसी रणनीति के तहत कुछ सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारने के पक्ष में है. कुछ समय खबर आई थी कि मायावती अमेठी और रायबरेली में भी उम्मीदवार उतारने के लिए सपा पर दबाव डाल रही हैं. मायावती साफ कह चुकी हैं कि कांग्रेस से गठबंधन किसी भी हालत में नहीं होगा.   

Ram Gopal yadav

उधर, प्रधानमंत्री मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी गंगा मार्ग से पहुंचने पर प्रियंका ने नाविक समुदाय के लोगों से अस्सी घाट पर संवाद किया. उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे देश में हो रही नकारातमक राजनीति को नकार दें और अपनी आवाज बुलंद करें. उन्होंने कहा कि इन चुनावों में एक नए तरह की राजनीति की जरूरत है. उन्होंने वोटरों से कहा कि वे नकारात्मक राजनीति को नकारें.

नाविकों में निषाद और मल्लाह समुदाय के लोगों ने अपनी समस्याओं से प्रियंका को अवगत कराया. प्रियंका ने आश्वासन दिया कि कांग्रेस उनकी समस्याओं का हल करने के प्रयास करेगी. प्रियंका ने बीजेपी नेताओं को अहंकारी बताते हुए कहा कि जब राजनीति का मकसद केवल सत्ता हासिल करना हो जाता है तो उससे समस्या खड़ी होती है. उन्होंने कहा कि किसान परेशान हैं क्योंकि उन्हें उनके उत्पाद के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं. युवा बेरोजगार हैं. 

स्वामी असीमानंद के दोषमुक्त होने पर पाकिस्तान में मची खलबली

भारत के प्रति 1000 घाव जो रिसते रहें की नीति वाले पाकिस्तान ने हमेशा अपनी सरजमीं पर आतंक को पोषित किया है। दाऊद हो, मसूद अज़हर हो या फिर हफीज हो पाकिस्तान हमेशा इन्हे अपने सुरक्षा घेरे में रखता रहा है और आगे भी रखेगा। आज जब भारत की सरजमीं पर हुये एक आतंकवादी हमले में जिसमें दो पाकिस्तानी नागरिकों की संदिग्ध संलिप्तता भी कही जाती रही है उस मामले में निर्दोष लोग जो 10 साल तक बिना सज़ा के कैद भुगतते रहे, भारतीय कानून के अनुसार दोष सिद्ध न हो पाने के कारण उन्हे दोषमुक्त किया गया तो पाकिस्तान तिलमिला उठा।

नई दिल्ली: 

पाकिस्तान ने समझौता ट्रेन में विस्फोट के आतंकी मामले में सभी चार आरोपियों के बरी किए जाने को लेकर भारतीय राजदूत को तलब किया. पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के अनुसार, पाकिस्तान ने भारतीय राजदूत को तलब किया और समझौता ट्रेन में विस्फोट के आतंकी मामले में सभी चार आरोपियों के बरी किए जाने को लेकर कड़ी निंदा करते हुए विरोध जताया है. 2007 में हुए इस धमाके में 68 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर पाकिस्तानी थे. भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली इस ट्रेन में 18 फरवरी 2007 को हरियाणा के पानीपत के नजदीक धमाका हुआ था. 

असीमानंद को बरी किये जाने पर बोलीं महबूबा- दोहरा मापदंड क्यों?
उधर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को एक अदालत द्वारा समझौता ट्रेन धमाका मामले के आरोपियों को बरी किये जाने के आधारों पर सवाल उठाया. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने बुधवार को कहा, “महत्वपूर्ण सबूत होने के बावजूद आरएसएस के एक पूर्व सदस्य समेत आरोपियों को बरी कर दिया गया. भगवान न करे, अगर वह कश्मीरी या मुस्लिम होते तो उन्हें दोषी ठहरा दिया जाता और निष्पक्ष सुनवाई के बिना ही जेल में डाल दिया जाता. भगवा आतंक को लेकर ऐसी नर्मी और दोहरे मापदंड क्यों? महबूबा मुफ्ती का यह बयान हरियाणा की एक विशेष अदालत द्वारा समझौता ट्रेन धमाका मामले में स्वामी असीमानंद तथा अन्य तीन आरोपियों को बरी किये जाने के बाद आया है. 

पाकिस्तान के लिए भी अहम था फैसला
भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 में बम धमाका हुआ था. ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी. विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था. हादसे में 68 लोगों की मौत हो गई थी. ब्लास्ट में 12 लोग घायल हो गए थे. धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे इसलिए पाकिस्तान की नज़रे भी इस मामले पर टिकी हुई थी. मारे जाने वाले 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवे कर्मी भी शामिल थे.

समझौता ब्लास्ट केस में असीमानंद समेत चार आरोपी बरी

एनआईए की विशेष अदालत ने साल 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट से जुड़े मामले में फैसला सुना दिया है. इस मामले में कोर्ट ने असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. NIA कोर्ट में इन आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं रख पाया.

11 मार्च को जिस दिन फैसला सुनाया जाना था उसी दिन एक वकील ने पाकिस्तानी महिला की तरफ से गुहार लगाई थी की उसे सम्झौता ब्लास्ट मामले में गवाही के लिए बुलाया जाये, याचिका करता ने बताया था की उस भेजे हुए सम्मन नहीं मिलें हैं इसीलिए अब उसे नए सिरे से बुलाया जाये। माननीय जज ने आज इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सम्मन भेजने कि प्रक्रिया में किसी भी प्रकार कि कोताही नहीं बरती गयी अत: सम्मन का नहीं मिलना कोर्ट की न्यायिक प्रक्रिया के आड़े नहीं आती।

आज 11 वर्ष बाद जब सबूतों के अभाव में असीमानंद को बरी किया गया तब विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सरकार कि निंदा की और इसे सत्तापक्ष की दोगली नीति करार दिया।

दूसरी ओर सुब्ब्रामानयम स्वामी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कांग्रेस पर हिंदुविरोधी होने की बात दोहराई और कहा की उन्होने अपनी सरकार से इस मुक़द्दमे को खारिज करने की सिफ़ारिश की थी। सत्ता पक्ष को डर था की यदि ऐसा किया गया तो विपक्ष इसे मुद्दा बना देगा अत: न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए, और आज सच सबके सामने आ गया।

आपको बता दें कि इस विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी. एनआईए मामलों की चतुर्थ अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र सह विशेष अदालत ने सुनवाई पूरी कर ली थी और पिछले हफ्ते फैसले की सुनवाई 16 अप्रैल तक के लिए टाल दी गई थी.

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Meeca Masjid blast verdict: Accused Aseemanand brought to Namapally Court #Hyderabad4110:09 AM – Apr 16, 2018See ANI’s other TweetsTwitter Ads info and privacy

धमाके में गई थी 9 लोगों की जान

18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट में 9 लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हुए थे. स्थानीय पुलिस की शुरुआती छानबीन के बाद मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था.

कुल 10 आरोपियों में से एक की मौत

इस मामले में सीबीआई ने एक आरोपपत्र दाखिल किया. इसके बाद 2011 में सीबीआई से यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी ( एनआईए ) के पास गया. इस धमाके में स्वामी असीमानंद समेत कुल 10 लोगों पर आरोप लगा था, एक आरोपी की मौत हो चुकी है.

ये थे केस में 10 आरोपी

1. स्वामी असीमानंद

2. देवेंदर गुप्ता

3. लोकेश शर्मा (अजय तिवारी)

4. लक्ष्मण दास महाराज

5. मोहनलाल रातेश्वर

6. राजेंदर चौधरी

7. भारत मोहनलाल रातेश्वर

8. रामचंद्र कलसांगरा (फरार)

9. संदीप डांगे (फरार)

10. सुनील जोशी (मृत)

कोर्ट के सामने मुकर गए 64 गवाह

इस मामले में अब तक कुल 226 चश्मदीदों के बयान दर्ज किए गए थे और कोर्ट के सामने 411 दस्तावेज पेश किए गए. लेकिन NIA को इस केस की जांच में काफी मुश्कलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि 64 गवाह कोर्ट के सामने मुकर गए, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित और झारखंड के मंत्री रणधीर कुमार सिंह भी शामिल हैं.

आपको बता दें कि स्वामी असीमानंद ने 2011 में मजिस्ट्रेट को दिए इकबालिया बयान में स्वीकार किया था कि अजमेर दरगाह, हैदराबाद की मक्का मस्जिद और कई अन्य जगहों पर हुए बम ब्लास्ट में उनका और कई अन्य हिंदू चरमपंथी संगठनों का हाथ है. हालांकि बाद में असीमानंद अपने बयान से पलट गए और कहा कि उन्होंने पिछला बयान NIA के दबाव में दिया था.

चीनी उत्पाद खरीदना और इस्तेमाल करना भारत की मजबूरी: चीनि मीडिया

हाल ही में चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में चौथी बार मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने पर वीटो का उपयोग करने और एक लम्बे अर्से से पाकिस्तान की हर प्रकार की मदद करने पर चीन के प्रॉडक्ट्स के बॉयकॉट की उठी थी. चीनी सामानों के बहिष्कार पर चीन की मीडिया ने भारत पर तंज कसा है. चीन की अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री अभी भी अविकसित है और इसमें प्रतिद्वंद्विता की क्षमता नहीं है. यही कारण है कि भारत में बॉयकॉट चाइनीज प्रॉडक्ट्स मुहिम अब तक असफल रहा है.

सोमवार को प्रकाशित एक ब्लॉग में कहा गया है, कुछ भारतीय विश्लेषक मेड इन चाइना प्रॉडक्ट्स के बहिष्कार की अपील कर रहे हैं. खासकर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रयास को यूएन में चीन द्वारा रोके जाने के बाद #BoycottChineseProducts ट्विटर पर काफी लोकप्रिय हो गया है. लेकिन इतने सालों से बॉयकॉट का प्रयास असफल क्यों रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत खुद प्रॉडक्ट्स का उत्पादन नहीं कर सकता है. इसमें आगे कहा गया है, पसंद करें या नहीं, उन्हें अभी भी चीन में बने सामानों का इस्तेमाल करना पड़ेगा क्योंकि भारत की अभी भी बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता कम है.

वहीं आतंकवादी मसूद अजहर को लेकर चीन के प्रति गुस्सा प्रकट करने के लिए देश के व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के आवाहन पर आज दिल्ली सहित देश भर के विभिन्न राज्यों में व्यापारी संगठनो ने 1500 से अधिक स्थानों पर चीनी वस्तुओं की होली जलाई और चीन के बने सामान का बहिष्कार करने का संकल्प लिया. साथ ही सरकार से चीन के आयात पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की. अखबार ने कहा, भारत के भीतर मौजूद ताकतें ही देश में सुधारों की प्रक्रिया को रोक रही हैं.

न भूले हैं, न भूलेंगे: अजित डोवाल

डोभाल ने कहा ‘हमें क्या करना चाहिए ? हमारा रास्ता, हमारा उद्देश्य, हमारी प्रतिक्रिया और जवाब देने का समय क्या होना चाहिए ? इन सबके लिए देश का नेतृत्व सक्षम और साहस से भरा है

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मंगलवार को कहा कि देश का नेतृत्व आतंकवाद के किसी भी कृत्य और इसे बढ़ावा देने वाले लोगों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है.

सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के 80वें स्थापना दिवस पर अपने संबोधन में डोभाल ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को भारत न तो भूला है और न ही भूलेगा. 14 फरवरी को हुए इस हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे.

उन्होंने कहा ‘मैं आपको आश्वासन देता हूं कि देश का नेतृत्व इस तरह के (पुलवामा जैसे) आतंकी हमलों से और इसे बढ़ावा देने वालों से कारगर तरीके से निपटने में पूरी तरह सक्षम है.’ डोभाल की, पुलवामा हमले के जवाब में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक में अहम भूमिका मानी जाती है. पुलवामा हमला बीते तीन दशक में कश्मीर में सुरक्षा बलों पर हुए भीषण हमलों में से एक है.

डोभाल ने कहा ‘हमें क्या करना चाहिए ? हमारा रास्ता, हमारा उद्देश्य, हमारी प्रतिक्रिया और जवाब देने का समय क्या होना चाहिए ? इन सबके लिए देश का नेतृत्व सक्षम और साहस से भरा है. देश हर तरह की चुनौती से निपट सकता है और इसके लिए हमारे अंदर साहस है.’

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 जवानों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि यह ‘बेहद त्रासदीपूर्ण घटना थी.’ उन्होंने कहा कि देश इन जवानों और इनके परिवारों का हमेशा ही ऋणी रहेगा.

डोभाल ने सीआरपीएफ से पीछे मुड़ कर न देखने और अतीत को लेकर चिंतित न होने के लिए कहा. साथ ही उन्होंने बल से पेशेवर रूख अपनाने, विश्वसनीय प्रशिक्षण और शारीरिक क्षमता पर अधिक ध्यान देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा ‘अगर आपका मनोबल ऊंचा है तो देश का भविष्य सुरक्षित है.’

डोभाल ने कहा ‘CRPF को शांति सुनिश्चित करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभानी है. देश का प्रमुख अंदरूनी सुरक्षा बल होने के नाते CRPF के कंधों पर अपने दायित्व का निर्वाह करने की बड़ी जिम्मेदारी है.’’

ब्रिटिश शासन के दौरान 1939 में ‘क्राउन रिप्रेजेन्टेटिव्स पुलिस’ के तौर पर CRPF की स्थापना की गई थी. देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1950 में इस बल को युद्ध और शांति के दौरान देश में दी गई सेवाओं के लिए सर्वोच्च सम्मान दिया. फिलहाल सीआरपीएफ में तीन लाख कर्मी हैं.

पर्रिकर की मौत से मथुरा के 32 गाँव शोक में डूबे

नेकी तेरे साथ चलेगी

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रिकर के निधन से देश ही नहीं, मथुरा के नौहझील ब्लॉक के उन 32 गांवों में भी शोक छाया हुआ है जिनकी दिवंगत नेता ने अपनी ‘सांसद क्षेत्रीय विकास निधि’ से मदद की थी.

पर्रिकर का 17 मार्च, रविवार को अग्नाशय के कैंसर से निधन हो गया था.

उन्होंने अंतिम बार गोवा का मुख्यमंत्री बनने से पहले, उत्तर प्रदेश से राज्यसभा का सदस्य रहते मथुरा नौहझील ब्लॉक के 32 गांवों में पेयजल समस्या के निदान और इलाके की सड़कों के जीर्णोद्धार के लिए 5 करोड़ 20 लाख रुपए दिए थे. यह मदद पर्रिकर ने अपनी ‘सांसद क्षेत्रीय विकास निधि’ से की थी. अभी इन परियोजनाओं पर काम चल रहा है.

नौहझील ब्लॉक के एक स्थानीय बीजेपी नेता राजेश कुमार ने बताया कि जब पर्रिकर राज्यसभा के सदस्य थे तब उनको यहां की समस्याएं बताई गईं और क्षेत्र की पेयजल समस्या और जर्जर पड़ी सड़कों की मरम्मत के लिए क्षेत्रीय विकास निधि से मदद मांगी गई थी.

उन्होंने बताया, ‘पर्रिकर ने हमारी मांग सहर्ष स्वीकार कर ली. फिर वह गोवा के मुख्यमंत्री बने. इसके बावजूद उन्होंने सहायता राशि का उपयोग करने का सहमति पत्र जारी कर दिया था. हालांकि स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से वह शिलान्यास और कामों की शुरुआत करने के लिए यहां नहीं आ सके. काम चल रहा है.’

राजेश कुमार ने बताया कि ‘नौहझील ब्लॉक के कोलाहर, उदयागढ़ी, सकतपुर, नोशेरपुर, चांदपुर कलां, सीगोंनी आदि 32 गांवों के लिए पेयजल योजनाएं प्रारंभ की गई हैं और कई सड़कों की मरम्मत के लिए काम कराया जा रहा है इसलिए इन गांवों में जब लोगों को पर्रिकर के निधन की सूचना मिली तो सभी को बहुत दुख हुआ.’

नीरव मोदी के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी, कभी भी हो सकता है गिरफ्तार

मोदी सरकार की आँख की किरकिरी बने वित्तीय भगोड़ों में से एक नीरव मोदी के खिलाफ लंदन में कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं। इंग्लैंड के साथ अपनी कूटनीतिक संधियों से यह संभव हो पाया है। लंदन कोर्ट उसी दोशी को प्रत्यर्पण के लायक मानती है जब दोषी ने वह अपराध किया हो जो इंग्लैंड में भी अपराध की श्रेणी में आता हो।

नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक महाघोटाले के सूत्रधार भगोड़ा हीरा व्यापारी नीरव मोदी की गिरफ्तारी 25 मार्च तक किसी भी समय हो सकती है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अधिकारियों को लंदन से इस बात के संकेत मिले है. ईडी के अधिकारी लंदन में नीरव मोदी केस से जुड़े अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं. जांच अधिकारियों का मानना है कि नीरव मोदी के केस मामले में थोड़ी तेजी से कारवाई हो सकती है. 

प्रर्त्यपण मामले में विजय माल्या केस से मिलेगी मदद
इसके पीछे का मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि विजय माल्या मामले में लंदन की जांच एजेंसियां और कोर्ट सारी प्रकिया देख चुकी हैं. वहीं, भारत की जांच एजेंसियों को भी लंदन की कानूनी प्रकिया का अंदाजा हो चुका है. लिहाजा इस बात का फायदा नीरव मोदी के प्रर्त्यपण में उठाया जा सकता है. अधिकारियों का कहना है कि नीरव मोदी के प्रर्त्यपण का केस तेजी से चल सकता है.   

लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने जारी किया था गिरफ्तारी वारंट
पंजाब नेशनल बैंक का 13000 करोड़ रुपये लेकर फरार हीरा कारोबारी नीरव मोदी के खिलाफ लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. गिरफ्तारी वारंट को नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की दिशा में यह पहला कदम है. पिछले दिनों भगोड़ा नीरव मोदी लंदन में घूमता हुआ दिखाई दिया था. वर्तमान में वह जिस अपार्टमेंट में रह रहा है उसकी कीमत 70 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसका किराया हर महीने करीब 16 लाख रुपये है. इंग्लैंड के मीडिया के मुताबिक, उसने दोबारा हीरे का कारोबार शुरू कर दिया है.

पत्नी के खिलाफ भी जारी हो चुका है वारंट
हाल ही में मुंबई की एक विशेष अदालत ने नीरव मोदी की पत्नी के खिलाफ भी गैर जमानती वारंट जारी किया था. अमि मोदी (नीरव मोदी की पत्नी) पर आरोप है कि उन्होंने 3 करोड़ डॉलर ट्रांसफर करने के लिए इंटरनेशनल बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया था. शक है कि यह पैसा बैंक से लिए गए लोन वाला था. इस पैसे से न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क में एक असेट को खरीदा गया था.

ईडी ने दायर की नई चार्जशीट
मार्च के दूसरे सप्ताह में ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने नीरव मोदी के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी. प्रवर्तन निदेशालय ने PMLA के अंतर्गत और CBI की FIR को आधार मानते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में नई चार्जशीट दाखिल की है.

भारत को मिला पहला लोकपाल

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस पी. सी. घोष भारत के पहले लोकपाल नियुक्त किए गए हैं. देश के पहले लोकपाल पी.सी. घोष को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंगलवार को नियुक्त किया.एसएसबी की पूर्व प्रमुख अर्चना रामसुंदरम और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन को लोकपाल के गैर न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पी. सी. घोष फिलहाल राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य हैं. मालूम हो कि लोकपाल की मांग को लेकर ही अन्ना हजारे की अगुवाई में बड़ा आंदोलन हो चुका है.

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल बनाए जाने की रविवार को सिफारिश की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रख्यात कानूनविद मुकुल रोहतगी की चयन समिति ने उनका नाम तय किया था और उसकी सिफारिश भी की थी.

लोकसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस सदस्य मलिकार्जुन खड़गे ने इस बैठक में भाग नहीं लिया था. वह भी समिति के सदस्य हैं. न्यायमूर्ति घोष (67) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 2017 से सदस्य हैं. वह सर्वोच्च न्यायालय से 27 मई 2017 को सेवानिवृत्त हुए.

उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर 8 मार्च 2013 को पदभार ग्रहण किया था. लोकपाल सर्च कमेटी द्वारा सूचीबद्ध किए गए शीर्ष 10 नामों वह शामिल थे. न्यायाधीश घोष की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने जुलाई 2015 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे.जयललिता को नोटिस जारी किया था.

कर्नाटक सरकार द्वारा जयललिता व तीन अन्य को आय से अधिक संपत्ति के मामले में रिहा करने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर यह नोटिस जारी किया गया था. वह पूर्व में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं.

पिनाकी चंद्र घोष का जन्म कोलकाता में हुआ. वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिवंगत न्यायामूर्ति शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं.

घोष, कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक हैं, उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (एलएलबी) किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय से अटॉर्नी-एट-लॉ प्राप्त किया. उन्होंने 30 नवंबर 1976 को बार काउंसिल ऑफ पश्चिम बंगाल में खुद को वकील के रूप में पंजीकृत कराया. 

सत्ता का केंद्र चांदनी चौक

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल बज चुका है. चुनाव सात चरणों में होगा. पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल से शुरू होगा. अंतिम नतीजे 23 मई को आएंगे. चुनाव की चर्चा जोर पकड़ रही है. राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों का नाम तय करना शुरू कर दिया है. चुनाव की चर्चा के बीच, एक ऐसी सीट के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसके तथ्य चौंकाने वाले हैं. इस सीट पर जिस दल ने जीत हासिल की, उसी पार्टी की सरकार केंद्र में बनी. कम से कम पिछले 20 वर्षों से यह फैक्ट चला आ रहा है. यह सीट कोई और नहीं, बल्कि चांदनी चौक है.

चांदनी चौक दिल्ली के सात संसदीय क्षेत्रों में से एक है. चांदनी चौक सीट पुरानी दिल्ली के अंतर्गत आती है. आम आदमी पार्टी की ओर से इस सीट से पंकज गुप्ता मैदान में हैं. बीजेपी और कांग्रेस ने अभी कोई प्रत्याशी फाइनल नहीं किया. दिल्ली में 12 मई को मतदान होगा. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की तस्वीर भी साफ नहीं हो पाई है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सातों सीटों पर जीत हासिल की थी. 

चांदनी चौक सीट से जुड़े तथ्य 
इस सीट पर 1957 से लेकर 2014 तक कांग्रेस ने नौ बार जबकि बीजेपी ने चार बार जीत दर्ज की है. 1957 और 1962 में कांग्रेस के शाम नाथ इस लोकसभा क्षेत्र से लगातार दो बार सांसद रहे. 1967 के आम चुनावों में भारतीय जनसंघ ने पहली बार इसे कांग्रेस से छीना. जनसंघ के रामगोपाल शालवले 1967 में जीतने में कामयाब रहे. हालांकि, 1971 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमा लिया. सुभद्रा जोशी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की. 

1977 में एक बार फिर से कांग्रेस के हाथ से यह सीट निकली. इस चुनाव में जनता पार्टी के नेता सिकंदर बख्त सांसद चुने गए. 1980, 1984 और 1989 में कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा. 1991 में बीजेपी से ताराचंद खंडेलवाल ने इस सीट पर फतह हासिल की. लेकिन 1996 में कांग्रेस ने एक बार फिर से यह सीट बीजेपी से वापस छीन ली. इसके बाद 1998 और 1999 में बीजेपी के विजय गोयल को जनता ने चुनकर संसद भेजा. इस दौरान अटल बिहारी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी. 

2004, 2009 में बनी रही परिपाटी 
2004 के चुनाव में बीजेपी को इस सीट से निराशा मिली. कांग्रेस की ओर से कपिल सिब्बल ने जीत हासिल की. देश में यूपीए के नेतृत्व में डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. 2009 में एक बार फिर कांग्रेस के पक्ष में फैसला आया और कपिल सिब्बल एक बार फिर से यहां से सांसद चुने गए. डॉ. मनमोहन सिंह फिर से देश के प्रधानमंत्री बने. 2014 के चुनाव में एक बार फिर से बाजी पलटी. बीजेपी के डॉ. हर्षवर्धन, आम आदमी पार्टी के आशुतोष और कांग्रेस के दिग्गज कपिल सिब्बल के बीच कड़ा मुकाबला हुआ लेकिन बाजी हर्षवर्धन के हाथ लगी. लोनरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री बने. देखना होगा कि क्या इस बार यह मिथक कायम रहता है या नहीं. 

ठाकुर जयवीर सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी बनने पर अपने बेटे से तोड़े सारे रिश्ते

नोएडा: उत्तर प्रदेश में बीजेपी के एक नेता ने अपने बेटे से रिश्ता इसलिए तोड़ दिया क्योंकि उन्हें कांग्रेस ने गौतम बुद्ध नगर से लोकसभा का टिकट दिया है. बीजेपी नेता ने कहा कि विपक्षी पार्टी ने उनके परिवार में ‘राजनीतिक मतभेदों’ का फायदा उठाया है. कांग्रेस ने शनिवार को गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से बीजेपी एमएलसी जयवीर सिंह के बेटे अरविंद कुमार सिंह की उम्मीदवारी का ऐलान किया. इस सीट से फिलहाल केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा सांसद हैं.

हमारा परिवार पीएम मोदी के समर्थन में- बीजेपी नेता
समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी पहले ही सतवीर नागर को इस सीट से उम्मीदवार बना चुकी है. बीजेपी ने अबतक अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया. 17 मार्च को फेसबुक पर लिखे एक पोस्ट में जयवीर सिंह ने कहा कि उनकी पत्नी राज कुमारी चौहान, उनके तीनों बेटे, एक भतीजा बीजेपी के प्रति ‘पूरी तरह से वफादार’ हैं और पार्टी तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक नीतियों के प्रति प्रतिबद्ध हैं. एमएलसी ने कहा, ”मेरे बेटे अरविंद कुमार सिंह ने दो साल पहले अपनी शादी के बाद अलग विचारधारा व्यक्त करना शुरू कर दी और परिवार से अलग रहना शुरू कर दिया.” 

खत्म करता हूं सारे सार्वजनिक रिश्ते- जयवीर सिंह
जयवीर सिंह ने कहा कि वह 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे. अरविंद ने बीजेपी का विरोध किया था और पार्टी की सदस्यता नहीं ली थी. जयवीर बारौली से बीएसपी के विधायक रहे चुके हैं. उन्होंने कहा, ”लिहाजा, उन्हें (नोएडा अंतरराष्ट्रीय) विश्वविद्यालय के चांसलर के पद से मुक्त कर दिया गया. अब उनके साथ सभी सामाजिक और राजनीतिक रिश्ते खत्म किए जाते हैं.” 

पत्नी भी रह चुकी हैं लोकसभा सदस्य
जयवीर सिंह ने कहा, ”मेरे परिवार में राजनीतिक मतभेदों का फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने यह रणनीतिक कदम उठाया और राजनीतिक साजिश रची.” जयवीर की पत्नी राज कुमारी चौहान 2009 से 2014 तक बीएसपी से अलीगढ़ से लोकसभा सदस्य रह चुकी हैं. कई बार संपर्क करने पर भी अरविंद कुमार सिंह से संपर्क नहीं हो पाया.