मोदी ने स्वयं को पिछड़ा घोषित किया: मायावती

मायावती यूं तो सारा साल ही चुनावी मोड में रहती हैं, लेकिन चुनावों के आने पर वह सुपर राजनेता बन जातीं हैं और वह वह बातें ढूंढ कर पढ़तीं हैं जिनके बारे में विपक्ष के प्रत्याशी ने अपने बारे में भी कभी सोचा भी नहीं होता। उनके हालिया बयानों से ज़ाहिर होता है की उनको दलित/पिछड़ा शब्द प्रयोग करने वाले नेताओं से कितनी असुरक्षा है। को भी नेता स्वयं को पिछड़ा बता दे तो उनकी अपनी दलित नेता की छवि खतरे में पद जाती है। आज कल प्रधान मंत्री उनके निशाने पर हैं।

लखनऊ: बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुये कहा कि पीएम मोदी पहले अगड़ी जाति में ही आते थे लेकिन गुजरात में अपनी सरकार के चलते उन्होंने अपने राजनीतिक लाभ के लिए और पिछड़ों का हक मारने के लिये अपनी अगड़ी जाति को पिछड़े वर्ग में शामिल करवा लिया था. पीएम नरेंद्र मोदी, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की तरह जन्म से ही पिछड़े वर्ग के नही हैं.

मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करते हुए कहा कि चुनाव में फायदा लेने के लिए उन्होंने अपनी जाति को पिछड़ी जाति में शामिल करवा लिया था. आज उन्होंने (पीएम मोदी) कन्नौज में कहा कि हमें पिछड़े वर्ग का होने की वजह से विरोधी हमें नीच समझते हैं. अब इनका दलित-पिछड़ा कार्ड काम नही कर रहा है. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा के सारे हथकंडे फेल हो गए हैं. चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद किसी पार्टी ने आज तक कभी ईडी या सीबीआई का इस्तेमाल नहीं किया.

बसपा प्रमुख ने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी सीबीआई समेत सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है, जो कि आज से पहले कभी नहीं हुआ था. चीनी मिल मामले को राजनैतिक रंग दिया जा रहा है, यह सीबीआई के स्पष्ट दुरुपयोग का उदाहरण है. चीनी मिल विक्रय की कार्यवाई संबंधित विभाग द्वारा की गई. प्रक्रिया में कोई कमी रह गयी तो उसकी जांच हो सकती है. मगर समय गलत है चुनाव के दौरान यह कार्रवाई करके जनता को भ्रमित किया जा रहा है. जनता को इस साज़िश से होशियार रहना चाहिये.

उन्होंने कहा कि पहले तीन चरणों के रूझान के आधार पर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन को जीत से कोई रोक नहीं सकता और भाजपा बुरी तरह से हार रही है. अभी तक हुये तीन चरणों में गठबंधन को अच्छा समर्थन मिला है और चौथा चरण भी गठबंधन का अच्छा रहेगा. बसपा प्रमुख ने कहा कि पूरे देश की जनता सजग हो चुकी है. अब वो वोट देने से पहले ये सोच रही है कि पांच वर्ष में क्या वादे पूरे हुए जो किये थे. जनता को क्या मिला क्या नहीं मिला, जनता खामोश है इसलिये भाजपा खास कर उत्तर प्रदेश में हर किस्म के हथकंडे का इस्तेमाल कर ही है, लेकिन सारे हथकंडे फेल हो रहे है. 

प्रदेश के विकास में रोड़ा बनी भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाएगी जनता: सुधा भारद्वाज

पंचकूला।

प्रदेश महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रवक्ता सुधा भारद्वाज ने लोक सभा प्रत्याशी कुमारी सैलजा के लिए लोक सभा क्षेत्र के कई गांवों में चुनाव प्रचार किया। वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री सुधा भारद्वाज ने प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार को अब तक की सबसे निकम्मी व जनविरोधी सरकार करार देते हुए आरोप लगाया कि इस सरकार ने समाज के हर तबके को बांट कर लड़ाने का काम किया है।

श्रीमति भारद्वाज शनिवार कुमारी शैलजा के चुनाव प्रचार केबाद मीडिया से मुखातिब हो रही थी।कांग्रेस नेता ने कहा कि मनोहर सरकार ई ट्रेडिंग के नाम पर किसान व आढ़ती को लड़ा इस रिश्ते को तोड़ने की कुचेष्टा कर रही है जिसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। उन्होंने कहा कि दरअसल वास्तविकता यह है कि भाजपा किसान की फसल समर्थन मूल्य पर खरीदना ही नहीं चाहती, जिसके चलते तरह-तरह के अड़ंगे लगाए जा रहे है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता भाजपा की जनविरोधी नीतियों से परेशान होकर लोक सभा चुनावों में बहन कुमारी शैलजा को भारी मतों से जिताकर देश की सबसे बड़ी संसद में भेजेगी ताकि किसानों के लिए विकास का रोड़ा बनी भाजपा सरकार को प्रदेश से बाहर का रास्ता दिखाया जा सके।

माया के कार्यकाल में चीनी मिलों की बिक्री के घोटाले की सीबीआई जांच शुरू

मायावती के समय हुए भ्र्श्ताचार ए जिन बोतल से बाहर तो नियल आते हैं परंतु बेफिर सालों साल घूमते रहते हैं। हालिया मामला चीन मिलों की बिक्री को ले कर है, जिसे योगी ने खुद अप्रैल 2018 को जांच की सिफ़ारशकी थी। अधकरियों ने अब जा कर इस मामले की सुध ली है। ज्ञात रहे कि 2011-12 में मायावती के कार्यकाल के दौरान चीनी मिलों की बिक्री से सरकारी खजाने को कथित तौर पर 1,179 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.

नई दिल्ली : सीबीआई ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर मायावती के कार्यकाल के दौरान 21 सरकारी चीनी मिलों की बिक्री में हुई कथित अनियमितता की जांच शुरू की है, जिससे बसपा सुप्रीमो की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. अधिकारियों ने बताया कि 2011-12 में मायावती के कार्यकाल के दौरान चीनी मिलों की बिक्री से सरकारी खजाने को कथित तौर पर 1,179 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की है और छह प्रारंभिक जांच (पीई) शुरू की है. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने पिछले साल 12 अप्रैल को इस मामले में सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की थी.

अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के किसी अधिकारी या राज्य के किसी नेता को नामजद आरोपी नहीं बनाया है. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने उन सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की मिलों की खरीद के दौरान फर्जी दस्तावेज जमा किए थे.

अधिकारियों के मुताबिक, राज्य सरकार ने 21 चीनी मिलों की बिक्री और देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, चिट्टौनी और बाराबंकी में बंद पड़ी सात मिलों की खरीद में फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी. लखनऊ पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी. ऐसे आरोप हैं कि मायावती की अगुवाई वाली सरकार ने 10 चालू मिलों सहित 21 मिलों को बाजार दर से कम पर बेच दिया था, जिसके कारण सरकारी खजाने को 1,179 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.

मायावती को समझना इतना आसान नहीं है.

नई दिल्ली: 

लोकसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग  में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 8 अहम सीटों पर गुरुवार को मतदान हो गया है. यह सीटें ऐसी हैं जिनका संदेश उत्तर प्रदेश से होते हुए बिहार तक जाता है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर जमकर ध्रुवीकरण हुआ था और नतीजा यह रहा है कि बीजेपी ने पूरे उत्तर प्रदेश में विपक्ष को साफ कर दिया था. यही हाल कुछ साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी रहा है. बीते 2 साल तक विपक्ष को ये बात बिलकुल नहीं समझ में आ रही थी कि बीजेपी का सामना कैसे किया जाए. लेकिन फिर ‘अंकगणित’ के एक फॉर्मूले ने धुर विरोधी सपा और बसपा को एक साथ आने के लिए मजूबर कर दिया. दोनों ने गठबंधन कर गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा का उपचुनाव जीत लिया. इसके बाद कैराना में सपा-बसपा-आरएलडी ने भी दोनों ने जीत दर्ज की. लेकिन इस कैराना मॉडल से आगे इन सभी दलों का गठबंधन फंस गया और लोकसभा चुनाव सपा-बसपा ने आपस में गठबंधन कर लिया और 3 सीटें आरएलडी के लिए छोड़ दीं. लेकिन न मायावती और न अखिलेश ने कांग्रेस को ज्यादा भाव दिया. मायावती का रुख कांग्रेस को लेकर कुछ ज्यादा ही सख्त है. उधर कांग्रेस ने भी प्रियंका गांधी की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया. लेकिन बात सिर्फ यहीं आकर खत्म नहीं हुई. चार बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं मायावती को समझना इतना आसान नहीं है.

सपा-बसपा और आरएलडी के महागठबंधन के नेताओं की संयुक्त रैली सिर्फ सहारनपुर में हुई है और उसमें भी मायावती ने मंच से मुस्लिमों से कांग्रेस के खिलाफ और महागठबंधन के पक्ष में वोट डालने की अपील कर डाली. जिसने विपक्ष के नेताओं को माथे पर पसीना ला दिया है.  इस बात की चर्चा है कि मायावती बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ ही नही रही हैं. लोगों का कहना है कि मायावती की इस अपील से मुस्लिमों का बंटवारा हो सकता है जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है. वहीं दूसरी ओर हिंदू वोटरों का बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण हो सकता है.

वहीं इस बात की भी चर्चा है कि जिस तरह की आज तक ‘बहन जी’ करती रही हैं, वह किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के साथ जा सकती हैं, जो 23 मई को आने वाले चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगा. वहीं जिस तरह से अखिलेश का कांग्रेस के प्रति रुख नरम है उस पर भी मायावती ने कहा है कि वह पूरी ताकत के साथ कांग्रेस पर हमला बोलें. मायावती कांग्रेस से क्यों इतना नाराज हैं इसकी कई बड़ी वजहें हैं. पहली बड़ी वजह है कि टीम प्रियंका इस समय उत्तर प्रदेश में दलित वोटरों पर पूरी तरह से फोकस कर रही है. इस पर अभी मायावती का पूरा राज है जबकि इंदिरा गांधी के समय यह कांग्रेस का कोर वोट बैंक हुआ करता था. कांग्रेस का मानना है कि इस लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जितनी ही सीटें मिल जाएं वहीं बहुत हैं. पार्टी दलित और सवर्णों को अपने पाले में कर राज्य के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है. इसमें प्रियंका चेहरा बन जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी.

दूसरी ओर प्रियंका गांधी इसी कोशिश में भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद से भी मिल चुकी हैं. मायावती को नागवार गुजरा है. मायावती नहीं चाहती हैं कि दलितों में उनके टक्कर का कोई नेता खड़ा हो जाए. तीसरा कभी उनके सबसे नजदीक रहे नसीमुद्दीन सिद्दकी को कांग्रेस ने चुनाव लड़ा दिया है. कुल मिलाकर जो समीकरण बन रहे हैं उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि अभी बहुत कुछ होना बाकी है. दूसरी कांग्रेस भी उनकी मांगे मानने को तैयार नहीं है.  माना जाता है कि मायावती कई नेताओं से कांग्रेस से रवैये की शिकायत कर चुकी हैं. सूत्रों के मुताबिक मायावती ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस नेता कमलनाथ से कहा, “आप लोग (कांग्रेस पार्टी) हाथी (BSP का चुनाव चिह्न) पर सवार होकर आराम से दिल्ली पहुंच जाना चाहते हैं… मैं ऐसा नहीं होने दूंगी…”

प्रियंका वाराणसी से क्यों भागीं?

प्रियंका वाड्रा के वाराणसी से चुनाव न लड़ने के पीछे कारण बहुत हैं, और नए नए कारणो का नित नया खुलासा हो रहा है, अब नयी कड़ी में मायावती का नाम सामने आ रहा है। राजनीति में अपने स्वार्थ को दलित कार्ड के साथ जोड़ने में माहिर मायावती कब क्या कर बैठे कोई नहीं जानता

राहुल के दो सीटों से चुनाव लड़ने की वजह भी दो हैं, पहली यदि राहुल दोनों सीटें निकाल जाते है तो उन्हे राष्ट्रिय स्तर पर स्वीकारीय नेता घोषित किया जाएगा और भारतीय राजनीति में उनका कद बड़ा किया जा सकेगा। दूसरी वजह प्रियंका ही हैं, कांग्रेस को यकीन है कि अमेठी कि जनता गांधी परिवार को हर हालात में जितवाएगी ही। और जब राहुल दोनों सीटों को निकाल लेंगे तो वह अमेठी कि पीढ़ियों से सुरक्षित सीट को छोड़ देंगे। फिर उपचुनाव में प्रियंका वाड्रा अमेठी से लड़ेंगी और सरलता से जीत जाएंगी

नई दिल्ली: 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के वाराणसी से प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ने के पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं. पहले यह कहा गया कि राहुल गांधी ने यह कह कर मना कर दिया कि बड़े नेताओं के खिलाफ गांधी परिवार के ना लड़ने की परंपरा नेहरू जी ने डाली थी और उसी का पालन किया जाना चाहिए. मगर क्या यही एक वजह है प्रियंका के वाराणसी से ना लड़ने की? तो ऐसा नहीं है, सूत्रों की मानें तो बीएसपी प्रमुख मायावती का प्रियंका की वाराणसी से उम्मीदवारी पर राजी ना होना है, कांग्रेस के रणनीतिकार लगातार मायावती के सलाहकारों से संपर्क में थे कि प्रियंका गांधी के वाराणसी में चुनाव लड़ने की हालत में उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया जाए. इस बारे में समाजवादी से बात भी हो गई थी और अखिलेश यादव ने अपनी मूक सहमति भी दे दी थी. मगर इतना जरूर इशारा किया था कि यह सब मायावती जी के हां करने के बाद ही संभव हो सकता है. जब मायावती से संर्पक किया गया तो उन्होंने बाजी ही पलट दी. मायावती ने प्रियंका को विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनाने से मना कर दिया. जानकारों का कहना है कि मायावती को लगा कि यदि प्रियंका बनारस से चुनाव लडती हैं तो इससे पुर्वांचल में कांग्रेस के पक्ष में एक माहौल बनेगा जिससे गठबंधन को नुकसान हो सकता है. मायावती यह जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं थी वो पहले ही साफ कह चुकी हैं कि कांग्रेस भी बीजेपी की तरह ही दुश्मन है. 

हालांकि मायावती को समझाने की कोशिश भी की गई मगर वह नहीं मानी. इसके बाद कांग्रेस की महासचिव और पूर्वांचल की प्रभारी प्रियंका को वाराणसी से वापस लौटना पड़ा. यदि बनारस के गठबंधन की उम्मीदवार को देखें तो दिलचस्प बातें सामने आती हैं. गठबंधन ने शालिनी यादव को टिकट दिया है. शालिनी यादव कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद श्यामलाल यादव के परिवार से जुडी हैं. मेयर का चुनाव भी लड़कर हार चुकी हैं. यही नहीं शालिनी प्रियंका गांधी के गंगा यात्राके यात्रा के दौरान उनके साथ ही थीं. मगर जिस दिन उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा अखिलेश यादव ने उन्हें बनारस से गठबंधन का टिकट थमा दिया. बात ना बनते देख कांग्रेस ने फिर अजय राय को वाराणसी से उम्मीदवार बनाया. 

2014 के चुनाव में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले थे.  नरेंद्र मोदी अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अरविन्द केजरीवाल से तकरीबन 3 लाख 77हज़ार वोटों से हराया था.  दूसरे स्थान पर रहने वाले आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 वोट मिले. जबकि  कांग्रेस प्रत्याशी के अजय राय को 75,614 वोट, बीएसपी को तकरीबन 60 हज़ार 579 वोट, सपा को 45291 वोट मिले थे. यानि सपा-बसपा और कांग्रेस का वोट जोड़ दे तो 3लाख 90 हज़ार 722 वोट हो जाते हैं. मतलब पीएम मोदी की जीत जो अंतर था वह सभी दलों के संयुक्त वोट बैंक से पीछे हो जाता है. सवाल इस बात का था कि जिस तरह से सपा-बसपा ने रायबरेली और अमेठी में अपने प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया है अगर प्रियंका वाराणसी से चुनाव लड़ती हैं तो क्या उनके लिए भी रास्ता खाली कर दिया जाएगा, लेकिन इस पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती नहीं मानीं.

अनुच्छेद 370 और 35-A की समीक्षा की जाएगी: राजनाथ सिंह

“राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने अपना दिल बड़ा किया और जम्मू कश्मीर जाकर दिल खोलकर सबसे वार्ता की, और कश्मीर का हल निकालने के प्रयास किये, अब तक सबसे ज्यादा बार जम्मू कश्मीर जाने वाला गृहमंत्री हूं. और अब वक्त की मांग है कि अनुच्छेद 370 और 35ए की समीक्षा की जाये.”
जम्मू काश्मीर की समस्या का हल तभी निकलेगा जब काश्मीरी पंडितों का पुनर्वास घाटी में होगा और अनुच्छेद 35-ए खत्म कर दिया जाएगा

लखनऊ: केंद्रीय गृहमंत्री एवं लखनऊ लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि अब समय आ गया है कि जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 और 35ए की समीक्षा की जाये. उन्होंने कहा, ‘‘हम डंके की चोट पर कहते हैं कि हम (इसकी) समीक्षा करेंगे.’’ सिंह ने कहा कि हमने अपना दिल बड़ा किया और जम्मू कश्मीर जाकर दिल खोलकर सबसे वार्ता की, और कश्मीर का हल निकालने के प्रयास किये, अब तक सबसे ज्यादा बार जम्मू कश्मीर जाने वाला गृहमंत्री हूँ. और अब वक्त की मांग है कि अनुच्छेद 370 और 35ए की समीक्षा की जाये.

गृहमंत्री ने शिव शान्ति आश्रम सिंगारनगर के कार्यक्रम में कहा कि यह सच्चाई है कि विगत पांच वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा जितना काम हुआ है उसकी प्रशंसा देश में ही नहीं बल्कि विश्व में की जा रही है, अब विश्व के देशों में भारत के प्रति धारणा बदल गयी है, चित्र बदल रहा है. 

आज हमारा देश विश्व में सबसे ज्यादा आर्थिक वृद्धि करने वाला देश माना जाने लगा है और अगर इसी तरह यह आर्थिक वृद्धि जारी रही तो 2030 तक हम विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ जायेंगे. उन्होंने कहा कि आज देश में नक्सलवाद, उग्रवाद, आतंकवाद कम हुआ है. पहले जवान ज्यादा मरते थे, जबकि आतंकवादी, नक्सलवादी कम मारे जाते थे. लेकिन अब परिदृश्य बदल गया है.

नक्सलवाद सिमटकर पांच-सात जिलों तक समिति रह गया है.  पूर्वोत्तर राज्यों में आज शांति है इन पांच वर्षों में आतंकवाद की कोई बड़ी वारदात नहीं हुई, यह एक बड़ी उपलब्धि है. सिंह ने कहा कि हम नभ, जल, थल सब जगह अपनी शक्ति बढ़ा रहे हैं आज कोई देश हमारे ऊपर आंख उठाकर नही देख सकता, हम किसी को छेड़ते नहीं यह हमारा इतिहास गवाह है.  यह हमारी कमजोरी नहीं, यही हमारी ताकत है. 

नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से भरा नामांकन

पीएम मोदी ने  चुनाव आयोग को दिए अपने हलफनामें बताया है कि उनके पास 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से ली गई एम.ए की डिग्री है. 

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में बताया कि उनके पास गुजरात के गांधीनगर में एक आवासीय भूखंड, 1.27 करोड़ रुपए की सावधि जमा (एफडी) और 38,750 रुपए नकद सहित 2.5 करोड़ रुपए की संपत्ति है. बता दें पीएम मोदी वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

हलफनामे के मुताबिक,  पीएम मोदी ने जशोदाबेन को अपनी पत्नी बताया है. उन्होंने यह भी बताया है कि उनके पास 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से ली गई एम.ए की डिग्री है. पीएम मोदी ने अपने शपथ पत्र में बताया है कि उन्होंने 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कला में स्नातक किया है और 1967 में गुजरात बोर्ड से एसएससी की परीक्षा पास की.

प्रधानमंत्री ने 1.41 करोड़ रुपए की चल संपत्ति और 1.1 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति घोषित की है. पीएम मोदी ने टैक्स सेविंग इन्फ्रा बॉन्ड्स में 20,000 रुपए, राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र (एनएससी) में 7.61 लाख रुपए और एलआईसी की पॉलिसियों में 1.9 लाख रुपए का निवेश किया है. बैंक में मोदी के बचत खाते में उनका नकद शेष 4,143 रुपए है.

पीएम मोदी के पास हैं चार अंगूठियां
पीएम मोदी के पास सोने की चार अंगूठियां हैं, जिनका वजन 45 ग्राम है. इनकी कीमत 1.13 लाख रुपए है. प्रधानमंत्री ने हलफनामे में संपत्ति का विवरण दिया है, जो नामांकन-पत्र दाखिल करने के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है.

पीएम मोदी के पास गांधीनगर के सेक्टर-1 में 3,531 वर्ग फुट का प्लॉट है. शपथ पत्र के अनुसार, इस संपत्ति का अनुमानित मूल्य, जिसमें भूखंड पर एक आवासीय इकाई शामिल है, 1.1 करोड़ रुपए है.

पीएम मोदी ने ‘सरकार से वेतन’ और ‘बैंक से ब्याज’ को अपनी आय का स्रोत बताया है, जबकि उनकी पत्नी की आय के स्रोत के बारे में हलफनामे में ‘ज्ञात नहीं’ लिखा है. उनकी पत्नी के पेशे या व्यवसाय को भी ‘ज्ञात नहीं’ के रूप में लिखा गया है.

पीएम मोदी के खिलाफ नहीं है कोई आपराधिक केस 
प्रधानमंत्री मोदी ने हलफनामे में बताया है कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक केस लंबित नहीं है और न ही उन पर कोई सरकारी बकाया राशि है. लगातार दूसरी बार वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे मोदी ने 2014 में कुल 1.65 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की थी.

दिव्यांग मतदाताओं के लिये मतदान केंद्रों में रहेगी व्हीलचेयर की सुविधा-उपायुक्त

 पुरनूर, पंचकूला, 26 अप्रैल-

उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डाॅ0 बलकार सिंह ने कहा कि दिव्यांग मतदाताओं को मतदान के लिये सुविधा प्रदान करने हेतू सभी मतदान केंद्रों पर व्हीलचेयर की सुविधा उपलब्ध करवाई जायेगी। उन्होंने कहा कि जिला में 252 स्थानों पर 410 मतदान केंद्र स्थापित होंगे और सभी 252 भवनों में व्हीलचेयर की सुविधा रहेगी।

  डाॅ0 बलकार सिंह दिव्यांग मतदाताओं की सुविधाओं की समीक्षा के लिये जिला सचिवालय में आयोजित अधिकारियों व बैंक अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिला आग्रणी बैंक प्रबंधक के माध्यम से सभी बैंक अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में स्थित मतदान केंद्रों पर व्हीलचेयर की सुविधा सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि दिव्यांग मतदाताओं की पहचान की जा चुकीी हैं और मतदाता सूचियों में ऐसे मतदाताओं की संख्या 2077 है। उन्होंने कहा कि जिला समाज कल्याण अधिकारी को निर्देश दिये गये है कि वे ऐसे मतदाताओें को मतदान केंद्रों पर आवश्यक मार्गदर्शन व सहयोग के लिये गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से स्वैच्छिक कार्यकर्ता भी तैनात करें।

  उपायुक्त ने कहा कि सभी दिव्यांग मतदाताओं से संपर्क करके उनसे जानकारी ली जा रही है और जिन दिव्यांग मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पंहुचने के लिये परिवहन सुविधा की आवश्यता होगी, उन्हें यह सुविधा भी उपलब्ध करवाई जायेगी। उन्होंने कहा कि सभी मतदान केंद्रों पर रैंप की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ साथ शौचालय, पेयजल व अन्य आवश्यक सुविधाओं का भी प्रबंध किया जायेगा। उन्होंने अधिकारियों व बैंक अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे अपने सभी प्रबंध समय से पूरा करें ताकि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार दिव्यांग मतदाताओं के लिये ये सुविधा सुनिश्चित हो सके। 

सभी ढाबों, रेस्टोरेंट तथा इस तरह के पकवान बेचने वाले अन्य स्थलों को रात्रि 12 बजे से प्रातः 8 बजे तक बंद रखा जाएगा: पुलिस उपायुक्त

पुरनूर, पंचकूला, 26 अप्रैल-

पुलिस उपायुक्त कमलदीप गोयल ने धारा 144 के तहत आदेश जारी करके जिला में स्थित सभी ढाबों, रेस्टोरेंट तथा इस तरह के पकवान बेचने वाले अन्य स्थलों को रात्रि 12 बजे से प्रातः 8 बजे तक बंद रखने के आदेश जारी किये है।  जारी किये गये आदेशों के बारे में जानकारी देते हुए पुलिस उपायुक्त ने बताया कि पिछले दिनों जिला में ऐसे स्थानों पर झगड़े इत्यादि की घटनाये सामने आई है। उन्होंने बताया कि जिला में कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाये रखने और इस तरह की घटनाओं की पुर्नावर्ति को रोकने तथा असामाजिक तत्वों और अपराधिक किस्म के लोगों द्वारा ऐसे स्थनों का इस्तेमाल करने की संभावनों को रोकने के लिये यह आदेश जारी किये गये है।  उन्होंने बताया कि सभी ढाबा, रैस्टोरेंट और अन्य पकवान इत्यादि बेचने वाले ऐसे स्थानों को रात्रि 12  बजे से सुबह 8 बजे तक बंद रखना होगा। इसके अलावा ऐसे स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना भी अनिवार्य किया गया है। यह सीसीटीवी कैमरे ऐसे स्थानों पर लगे होने चाहिए जहां से भोजन तैयार किये जाने वाले स्थान, ग्राहको के बैठने वाले स्थान तथा वाहन खड़े करने के स्थान की रिकार्डिंग हो सके। ऐसे कैमरों की कम से कम 30 दिन की रिकार्डिंग को स्टोर करने की क्षमता होना भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू होंगे और 23 जून तक प्रभावी रहेगे। उन्होंने यह भी कहा कि आदेशों की अवेहलना करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाही अमल में लाई जायेगी।

अखिलेश कि रैली स्थल पर सांड ने मचाया उत्पात

यादवों के रहते गोवंश अनाथ नहीं हो सकता यदि अखिलेश को लगता है कि गोवंश अनाथ है तो यह बहुत ही दुभायापूर्ण है. और यदि कन्नौज कि रैली में एक गोवंश घुस भी आया तो क्या यादव पीढ़ियों से जनित गोपालन कला को भूल चुके हैं, कि वह एक सांड को पुचकार कर शांत नहीं कर पाए. अखिलेश कि भड़ास समझ आती है, वह जानते हैं कि सांड पर काबू पुलिस कर्मियों ने तथा वहा काम कर रहे कर्मचारियों ही ने पाया था और तभी समाजवाद का उड़नखटोला वहां उतर पाया. पर खीज मिटने को वह सर्कार पर बरस पड़े.

नई दिल्ली: कन्नौज में गुरुवार (25 अप्रैल) को एक रैली के दौरान एक सांड ने जमकर उत्पात मचाया. सपा-बसपा और आरएलडी महागठबंधन का संयुक्त रैली में अखिलेश यादव और बीएसपी प्रमुख मायावती पहुंचने वाली थीं. लेकिन इन दोनों नेताओं के पहुंचने से सभा के बीच में एक सांड घुस आया और वहां जमकर तांडव मचाया, जहां अखिलेश यादव और मायावती हेलीकॉप्टर उतरने वाला था. कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस प्रशासन और कार्यकर्ताओं की मदद से सांड को मैदान से हटाने में मदद मिली तब जाकर गठबंधन के नेताओं का हेलीकॉप्टर जमीन पर उतारा जा सका. इस घटना को लेकर पूर्व सीएम अखिलेश ने मंच से अपने संबोधन में सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा, वहीं, उन्होंने शुक्रवार (26 अप्रैल) को एक बार फिर ट्वीट कर सूबे की सरकार पर तंज कसा. 

akhilesh yadav tweet and target BJP Government after stray bull created ruckus in Kannauj Rally

‘विकास’ पूछ रहा है
उन्होंने अपने ट्विटर पर ट्वीट कर कहा, ‘विकास’ पूछ रहा है: आजकल आप देख रहे हैं कि नहीं कि किस तरह अनाथ सांडो का गुस्सा बढ़ता जा रहा है? कल रैली में एक सांड अपना ज्ञापन देने घुस आया और भाजपा सरकार का गुस्सा बेचारे सिपाही पर निकाल डाला, जब उसे बताया कि ये उनको बेघर करने वालों की रैली नहीं है, तब जाकर वो शांत हुआ.

मंच से साधा था निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने कल मंच से निशाना साधते हुए कहा कि ये सांड अपनी शिकायत लेकर आज यहां आया है, उसे लगा कि यह हरदोई वाला हेलीकॉप्टर है. अखिलेश ने रैली को संबोधित करते हुए कि, हमने डीजीपी को फोन किया और कहा- कोई हमारी सभा को खराब करने आया है, तो वह बात समझ नहीं पाए और फिर सवाल किया कौन है? फिर हमने बात बताई जिसके बाद सांड को मैदान से भगाया जा सका. सांड को भगाने के लिए कार्यकर्ता, फायर ब्रिगेड और पुलिस ने खासी मशक्कत की. आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सांड़ को किसी तरह भगाया गया, तब प्रशासन की जान में जान आई. 

akhilesh yadav tweet and target BJP Government after stray bull created ruckus in Kannauj Rally

रैली के बाद किया ये ट्वीट
कार्यक्रम के बाद योगी सरकार पर इस मामले को लेकर तंज कसते हुए अखिलेश यादव एक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ’21 महीनों में हमने एक्सप्रेस-वे बनाया था, लेकिन पिछले 2 सालों में जनता 5 करोड़ आवारा पशुओं से परेशान हो गई है. अगर सरकार राजनीतिक कार्यक्रमों में सांड को घुसने से नहीं रोक पा रही है, तो ग़रीब किसानों का क्या हाल हो रहा होगा यह बस वही जानते होंगे.