सरकार की संवैधानिक ढांचा बदलने की मंशा : विपक्ष

चंड़ीगढ़ 10 जून (राज वशिष्ठ )

सरकार के लेटरल रिक्रूटमेंट के कदम को विपक्ष संवैधानिक ढांचे पर प्रहार मान रहा है.. अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व आईएएस और कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की और इसकी मंशा पर सवाल भी उठाया. नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन को लेकर उन्होंने कहा, ‘यह गलत है. इसमें इंडियन नेशनल का जिक्र किया गया है, इंडियन सिटीजन नहीं. तो क्या बाहर रहने वालों को भी बनाएंगे.’

उन्होंने कहा, ‘सरकार बीजेपी और संघ के लोगों को बैकडोर से घुसेड़ना चाहती है. सरदार पटेल ने अधिकारियों की इस श्रेणी को स्टील फ्रेम कहा था. उनका मानना था कि नेता और सरकारें आती जाती रहेंगी, लेकिन इस श्रेणी के अधिकारियों पर उसका कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए, यह उनके विजन के साथ भी खिलवाड़ है.’

हम आजतक यह मानते आये हैं कि सरकार कोई भी हो, नेता कोई भी हो राष्ट्र IAS के हाथों ही से चलता है. किसी भी प्रदेश में मुख्य सचिव का पद सर्वाधिक गरिमामय और प्रभावशाली होता है और इसके पीछे होती है सालों की अथक मेहनत और एक बहुर्मुखी सोच जो अनुभव ही से आती है. सचिव का पद कोई थाली का प्रसाद नहीं जो किसी को भी बाँट दया जाय. कोई IAS पहिले कुछ वर्षों में मात्र एक प्रशिक्षु ही होता है, सालों का अनुभव, गूढ़ परिश्रम और बेदाग छवि उसे सचिव के पद पर स्थापित करती है. जैसा कि हमने रघुरमन के समय देखा, एक नितांत अजनबी जो भारतीय परिपेक्ष की तनिक भी जानकारी नहीं रखता, जिसे भारतीय सामजिक ढाँचे का सिर्फ पुस्तकों ही की मदद से पता है वः हमारे रह्स्त्र के शीर्षस्थ बैंक के शीर्षस्थ पद पर आसीन हो कर नीति निर्धारित करता रहा और फिर अब इंग्लैंड के शीर्षस्थ बैंक में कार्य रत है. हम ऐसे कैसे किसी भी व्यक्ति पर भरोसा कर सकते हैं. कल को अमर्त्य सेन जैसे कुशल अर्थशास्त्री जो बिना भारत को जाने हमारी अर्थव्यवस्था पर टीका टिप्पणी करते हैं अथवा आजादी गैंग जैसी किस भी संस्था की विचारधारा से युक्त व्यक्ति यदि ऐसे उच्च पद पर स्थापित होता है तब हमारा तो भगवान् ही सहारा.

आरजेडी के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि यह मनुवादी सरकार यूपीएससी को दरकिनार कर बिना परीक्षा के नीतिगत और संयुक्त सचिव के महत्वपूर्ण पदों पर मनपसंद व्यक्तियों को कैसे नियुक्त कर सकती है? यह संविधान और आरक्षण का घोर उल्लंघन है. कल को ये बिना चुनाव के प्रधानमंत्री और कैबिनेट बना लेंगे. इन्होंने संविधान का मजाक बना दिया है.

हालांकि विख्यात आईएएस अशोक खेमका ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया कि इससे सार्वजनिक सेवाओं में बाहर की प्रतिभाओं के इस्तेमाल किया जा सकेगा.

सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार इन पदों के लिए वही आवेदन कर सकते हैं, जिनकी उम्र 1 जुलाई तक 40 साल हो गई है और उम्मीदवार का किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होना आवश्यक है.

उम्मीदवार को किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी निजी कंपनी में 15 साल का अनुभव होना भी जरुरी है. इन पदों पर चयनित होने वाले उम्मीदवारों की नियुक्ति तीन साल तक के लिए की जाएगी. सरकार इस करार को 5 साल तक के लिए बढ़ा भी सकती है.

नौकरशाही में लैटरल ऐंट्री का पहला प्रस्ताव 2005 में ही आया था, जब प्रशासनिक सुधार पर पहली रिपोर्ट आई थी, लेकिन तब इसे सिरे से खारिज कर दिया गया. फिर 2010 में दूसरी प्रशासनिक सुधार रिपोर्ट में भी इसकी अनुशंसा की गई. लेकिन इस संबंध में पहली गंभीर पहल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद हुई.

 

42वा संशोधन बनाम राष्ट्रवाद

सारिका तिवारी वरिष्ठ पत्रकार

वर्ष 1976 में भारतीय संविधान के 42वे संशोधन के माध्यम से शब्द सेकुलरिज्म अर्थात धर्मनिरपेक्ष जोड़ा गया जिसका अर्थ हम बहुत समय तक यही समझते रहे कि सभी को अपने धर्म के हिसाब से पूजा पद्धति अपनाने और रीति रिवाज (जिससे किसी भी तरह से समाज और देश नकारात्मक रूप से प्रभावित न हो) निभाने का अधिकार है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से बल्कि कहा जाए कि कुछ राजनीतिक वर्षों से सेकुलरिज्म के मायने बिल्कुल बदल गए हैं कुछ मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल कर भावनाओं को आहत कर फिर उन्हें भड़काया जाने लगा है।

कुछ समय से पूरा देश सेक्यूलरिज़्म बनाम हिन्दू राष्ट्रवाद की बहस में उलझा हुआ है। समय समय पर दोनों विचारधाराओं में टकराव को हिन्दू-मुस्लिम टकराव के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इतना ही नहीं अन्य धर्मों से सम्बंधित कट्टरवादी भी राष्ट्रवाद को हिंदुत्व से जोड़ने लगे हैं।और नई पीढ़ी को पथ भ्रष्ट करने की हर सम्भव कोशिश में जुटा है। दरअसल ये समझना बहुत ज़रूरी है इस बहस में पुरानी पीढ़ी की बजाय नई पीढ़ी अधिक उलझी हुई है। ये वो पीढ़ी है जो पढ़ लिख कर अच्छे रोजगारों के अवसर की तलाश में है और पूरी तरह खाली बैठी है।

जबकि सत्यता ये है कि बहुसंख्यक मुसलमानों को न तो सेक्यूलरिज़्म का अर्थ मालूम है, न ही बहुसंख्यक हिन्दू आबादी को हिन्दू राष्ट्रवाद से कोई सरोकार है।

जबकि हिन्दू व मुस्लिम समुदाय दोनों का ही इन विचारधाराओं से कोई सरोकार नहीं, तो फिर ये लोग क्यों इस विवाद को उलझा कर दोनों समुदायों के बीच नफ़रत पैदा करने का काम कर रहे हैं?

बेकारी और बेरोजगारी से त्रस्त इस युवा पीढ़ी के दिल दिमाग़ में धीरे-धीरे ये बात बिठा दी गई कि सेक्यूलरिज़्म के कारण बहुसंख्यक समुदाय वर्षों से इस प्रकार से शोषण और प्रताड़ना का शिकार हो रहा है और तथाकथित अल्पसंख्यक समुहदाय को बताया जाता है कि उसका अस्तित्व खतरे में है।

इसका कारण पूर्व में मुगलिया सल्तनत और मुस्लिम शासन रहा तो आज़ादी के बाद सेक्यूलरिज़्म ने उनके अवसरों को समाप्त किया है। ये एक ऐसा झूठ है जो बार-बार बोला गया। इस झूठ के पक्ष में सैकड़ों उदाहरण गढ़े गए। युवा पीढ़ी पर इसका धीरे-धीरे असर हुआ और धर्म और शोषण की आड़ में भटकाया जा रहा है।

जिस युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभानी चाहिए थी,वो वर्ग बिना परिणाम जाने इस विचारधारा का पैरौकार बन गया। सेक्यूलरिज़्म भारतीय संविधान की आत्मा है ।क्या हिन्दू राष्ट्रवाद की पैरवी करना संविधान का उल्लंघन नहीं? क्या ये राष्ट्रद्रोह नहीं?
अब दूसरी विचारधारा सेक्यूलरिज़्म की बात करते हैं ।सेक्यूलरिज़्म की पैरवी करने वाले राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन, साहित्यकार, लेखक और पत्रकार इस प्रश्न का ईमानदारी से उत्तर दे कि सत्तर साल के सेक्यूलरिज़्म से देश को क्या हासिल हुआ है?

देश का अल्पसंख्यक समुदाय आज भी देश की मुख्य धारा से पूरी तरह अलग-थलग है। इस समुदाय की समस्याएं जस की तस बनी हुई है ।अशिक्षा, बेरोजगारी, गरीबी, स्वास्थ्य आदि कुछ भी तो नहीं बदला। सेक्यूलरिज़्म से इस तबके को प्रताड़ना और नफ़रत के सिवा कुछ भी हासिल नहीं हुआ। यदि हिन्दू राष्ट्र वाद में बहुसंख्यक हिन्दू व अल्पसंख्यक समुदायों की सभी समस्याओं का समाधान हो तो हिन्दू राष्ट्र वाद में क्या बुराई है। अगर हिन्दू राष्ट्रवाद के पैरोकार इस बात की गारंटी ले कि हिन्दू राष्ट्र वाद में किसानों, बेरोजगारों, युवा वर्ग, मजदूर तबके, महिलाओं, दलित, अल्पसंख्यक व सर्वहारा वर्ग की सभी समस्याओं का समाधान होगा तो फिर सेक्यूलरिज़्म के पैरोकारों को हिन्दूराष्ट्र वाद का विरोध छोड़ देना चाहिए ।

38 लाख के सोने के साथ 2 गिरफ्तार

चित्र केवल सन्दर्भ के लिए

 

अमृतसर। पंजाब में अमृतसर के श्री गुरू राम दास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हवाई खुफिया इकाई ने दो यात्रियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 38 लाख 15 हजार रुपये का एक किलो 214 ग्राम सोना बरामद किया है।

सीमा शुल्क (निवारक) आयुक्त दीपक कुमार शर्मा ने रविवार को बताया कि हवाई अड्डे पर दुबई से आये एक यात्री से 299 ग्राम सोना बरामद किया। इसी प्रकार दिल्ली से आये एक अन्य यात्री से इकाई ने सोने के 12 बिस्कुट बरामद किए हैं जिनकी कुल कीमत 28 लाख 73 हजार 959 रुपये आंकी गयी है। उन्होंने बताया कि दोनों यात्रियों को सीमा शुल्क कानून 1962 के तहत गिरफ्तार कर लिया है और जांच की जा रही है।

Walmart believes Flipkart’s “ecosystem” of businesses

New Delhi: Walmart believes Flipkart’s “ecosystem” of businesses, including Myntra-Jabong and PhonePe which are part of its mega $16 billion deal with the Indian company, could be a “true advantage” for the US-based retail giant.

Judith McKenna, executive VP, president and CEO of Walmart International, on a recent investor call has said the e-commerce market in India, while it is still nascent at 2% penetration, is forecast to grow rapidly. “… what’s really unusual about Flipkart is that it’s not just an e-commerce retailer. What we’re really interested in as we’ve got to understand this business better is it’s actually creating a platform, an ecosystem, if you like, of operating within that market. And we think that’s one of the areas that gives it a true advantage,” she said.

The executive emphasised that Walmart is also looking at taking its learnings “from this business back into other businesses around the world”.

In May, Walmart had signed a blockbuster deal with Flipkart (registered in Singapore) under which the American retailer will pick up about 77% stake for about $16 billion. The transaction is now awaiting approval from the Competition Commission of India (CCI).

Walmart expects the deal to close later this calendar year, subject to regulatory approvals. Various trader bodies in India have opposed the deal alleging violation of foreign direct investment (FDI) norms as foreign companies are not allowed to operate in multi-brand retail in the country yet.

The American retailer, which has cash-and carry operations (B2B) in India, has clarified that its business will continue to operate separately from Flipkart (which has a marketplace model) but leverage the combined strengths of both the companies. India allows 100% FDI in the e-commerce via marketplace model.

McKenna explained that while Flipkart’s general merchandise site is by far the biggest part of the business, there are other growing businesses like Myntra and Jabong as well. “…there’s Myntra and Jabong. And Myntra and Jabong are apparel, clothing retailers. They’re really interesting in the speed they’re growing at and the mix that they provide with the overall e-commerce business as well,” she said.

McKenna also highlighted the strength of eKart, the logistics arm of the Bengaluru-based company. “You’ve got an infrastructure part, which is eKart…It (eKart) operates over 800 cities already. It is about 0.5 million deliveries a year, but it’s unique to Flipkart, that it’s got its own logistics network that sits behind the trading platform that it’s got,” she said.

McKenna said while the primary function of PhonePe (a part of Flipkart) is to facilitate payments within the Flipkart group, but it also allows users to pay outside the Flipkart ecosystem as it is “open system”.

“And it’s linked with banks in India as well. And as India is digitising and the ability to make mobile payment is increasing all the time. This enables PhonePe not only to connect more broadly across India, but it also helps a huge amount of personalisation back into the total and helps drive the e-commerce business as well,” she said.

Walmart Inc. president, CEO and director Douglas McMillon also highlighted the strengths of Flipkart in the Indian market. “…look at e-commerce growth in the (Indian) market, and then you start to understand that Flipkart has a strong management team. They built out an ecosystem… it’s not just a pure e-commerce business, but there are complementary platforms within that business. We are excited about learning, in an emerging market, what that can mean for us over time, and we’ll use that learning around the world,” he said.

Modi Mamnoon Shook Hands

 

New Delhi: Prime Minister Narendra Modi on Sunday shook hands with Pakistan’s president Mamnoon Hussain at China’s Qingdao on Sunday after leaders of a China and Russia led Eurasian bloc signed a series of agreements aimed at boosting cooperation within the grouping.

Modi and Hussain, who were seen standing on opposite ends during a family photograph of the leaders of the Shanghai Cooperation Organisation (SCO) grouping, were also seen exchanging words in a cordial manner. The exchange took place as Modi walked towards Chinese president and SCO host Xi Jinping. After shaking hands with Xi, Modi also extended his hand to Hussain who was standing beside Xi. The two were then seen walking off the stage together.

The picture presented by the two contrasted markedly with the current state of ties between India and Pakistan—with almost daily violations of a 2003 ceasefire pact between the two neighbours that was regarded as a major confidence building measure when it was put in place more than a decade ago. According to news reports on Sunday, Indian security forces in Kashmir killed six terrorists, foiling a bid to infiltrate into India.

Pakistan’s support to terrorism in Kashmir and other parts of India is seen as the major stumbling block in normalising ties between the two countries, who have fought four wars since 1947. Pakistan denies India’s charges that supports any anti-India terrorist group, citing itself too as a victim of terrorism. Official talks between the two countries have been suspended since 2013 and many attempts to restart the dialogue since Modi took office in May 2014 have come to naught.

In recent days, the two countries have been looking at putting in place some humanitarian steps that could possibly lead to an eventual thaw in ties perhaps after the 25 July polls in Pakistan, according to people familiar with the developments.

मोदी सरकार का बड़ा फैसला : बिना UPSC पास किए भी बन सकेंगे अफसर

 

नई दिल्ली
मोदी सरकार ने नौकरशाही में प्रवेश पाने का अबतक सबसे बड़ा बदलाव कर दिया है। अब बड़े अधिकारी बनने के लिए यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा पास करना जरूरी नहीं होगा। प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले सीनियर अधिकारी भी सरकार का हिस्सा बन सकते हैं। बहुप्रतीक्षित लैटरल एंट्री की औपचारिक अधिसूचना सरकार की ओर से जारी कर दी गई है। रविवार को इन पदों पर नियुक्ति के लिए डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) के लिए विस्तार से गाइडलाइंस के साथ अधिसूचना जारी की गई। सरकार अब इसके लिए सर्विस रूल में जरूरी बदलाव भी करेगी।  मालूम हो कि पीएम नरेन्द्र मोदी ब्यूरोक्रेसी में लैटरल एंट्री के शुरू से हिमायती रहे हैं।

पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने 10 विभागों में बतौर जॉइंट सेक्रटरी 10 पदों के लैटरल एंट्री से जुड़ी अधिसूचना पर कहा कि इससे उपलब्ध स्रोतों में से सर्वश्रेष्ठ को चुनने का मौका मिलेगा। सिंह ने कहा, “यह उपलब्ध स्रोतों में से सर्वश्रेष्ठ को चुनने का एक प्रयत्न है। इसके पीछे प्रेरणा यह है कि यह हर भारतीय नागरिक को अपनी प्रतिभा और क्षमता के हिसाब से अपना विकास सुनिश्चित करने के लिए मौका देता है।”

चित्र केवल सन्दर्भ के लिए

3 साल का होगा टर्म, प्राइवेट कंपनी में काम करने वालों को भी मौका

डीओपीटी की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रटरी के पद पर नियुक्ति होगी। इनका टर्म 3 साल का होगा और अगर अच्छा प्रदर्शन हुआ तो 5 साल तक के लिए इनकी नियुक्ति की जा सकती है। इन पदों पर आवेदन के लिए अधिकतम उम्र की सीमा तय नहीं की गई है जबकि न्यूनतम उम्र 40 साल है। इनका वेतन केंद्र सरकार के अंतर्गत जॉइंट सेक्रटरी वाला होगा। सारी सुविधा उसी अनुरूप ही मिलेगी। इन्हें सर्विस रूल की तरह काम करना होगा और दूसरी सुविधाएं भी उसी अनुरूप मिलेंगी। मालूम हो कि किसी मंत्रालय या विभाग में जॉइंट सेक्रटरी का पद काफी अहम होता है और तमाम बड़े नीतियों को अंतिम रूप देने में या उसके अमल में इनका अहम योगदान होता है। इनके चयन के लिए बस इंटरव्यू होगा और कैबिनेट सेक्रटरी के नेतृत्व में बनने वाली कमिटी इनका इंटरव्यू लेगी। योग्यता के अनुसार सामान्य ग्रेजुएट और किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव रखने वाले भी इन पदों के लिए आवेदन दे सकते हैं। आवेदन में योग्यता इस तरह तय की गई है कि उस हिसाब से कहीं भी 15 साल का अनुभव रखने वालों के सरकार के टॉप ब्यूरोक्रेसी में डायरेक्ट एंट्री का रास्ता खुल गया है। आवेदन देने की अंतिम तारीख 30 जुलाई है।

10 मंत्रालयों में होगी ‘विशेषज्ञ’ की नियुक्ति
शुरुआती पहल के अनुसार अभी सरकार 10 मंत्रालयों में एक्सपर्ट जॉइंट सेक्रटरी को नियुक्त करेगी। ये 10 मंत्रालय और विभाग हैं- फाइनैंस सर्विस, इकनॉमिक अफेयर्स, ऐग्रिकल्चर, रोड ट्रांसपोर्ट, शिपिंग, पर्यावरण, रिन्यूअबल एनर्जी, सिविल एविएशन और कॉमर्स। इन मंत्रालयों और विभागों में नियुक्ति कर विशेषज्ञता के हिसाब से ही पोस्टिंग होगी।

सालों से लंबित था प्रस्ताव, अब हुआ लागू
ब्यूरोक्रेसी में लैटरल ऐंट्री का पहला प्रस्ताव 2005 में ही आया था, जब प्रशासनिक सुधार पर पहली रिपोर्ट आई थी। लेकिन तब इसे सिरे से खारिज कर दिया गया। फिर 2010 में दूसरी प्रशासनिक सुधार रिपोर्ट में भी इसकी अनुशंसा की गई। लेकिन पहली गंभीर पहल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद हुई। पीएम मोदी ने 2016 में इसकी संभावना तलाशने के लिए एक कमिटी बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट में इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की अनुशंसा की। सूत्रों के अनुसार ब्यूरोक्रेसी के अंदर इस प्रस्ताव पर विरोध और आशंका दोनों रही थी, जिस कारण इसे लागू करने में इतनी देरी हुई। अंतत: पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद मूल प्रस्ताव में आंशिक बदलाव कर इसे लागू कर दिया गया। हालांकि पहले प्रस्ताव के अनुसार सेक्रटरी स्तर के पद पर भी लैटरल ऐंट्री की अनुशंसा की गई थी लेकिन सीनियर ब्यूरोक्रेसी के विरोध के कारण अभी जॉइंट सेक्रटरी के पद पर ही इसकी पहल की गई है। सरकार का मानना है कि लैटरल एंट्री आईएएस अधिकारियों की कमी को पूरा करने का भी प्रभावी जरिया बनेगा।

दिल्ली पुलिस ने मुठभेड़ में 5 नामचीन गैंगस्टर मार गिराए

दिल्ली का सबसे बड़ा एनकाउंटर

संजीत रोहतक का रहने वाला था और बेहद खूंखार था। बताया जा रहा है कि शनिवार को हुए एनकाउंटर में जींद का नामी बदमाश राजेश कंडेला भी मारा गया है। मुठभेड़ को स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव लीड कर रहे थे।दिल्ली के एनकाउंटर के इतिहास में यह सबसे बड़ा एनकाउंटर बताया जा रहा है, जिसमें एक साथ पांच बदमाशों को मार गिराया गया है। पुलिस अब भारती और उसके साथी बदमाशों के आपराधिक रिकॉर्ड खंगाल रही है। फिलहाल जिस जगह पर एनकाउंटर हुआ है वहां सभी सड़कों को बंद कर दिया गया है।

दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में दर्ज हैं मुकदमे

दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम और बदमाशों के बीच मुठभेड़ छतरपुर इलाके में हुई है। यहां यह भी बता दें कि राजेश भारती हरियाणा के जींद का रहने वाला था और उसके खिलाफ 302 और 307 जैसी गंभीर धाराओं में दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में कई मुकदमे दर्ज हैं। भारती खासतौर पर साउथ दिल्ली में हुई कई आपराधिक वारदातों में शामिल रहा था। भारती पर लूट के 25 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, जबकि संजीत पर लूट के 10 मुकदमे थे। जानकारी के मुताबिक पिछले साल दोनों बदमाश हरियाणा पुलिस की कस्टडी से भाग गए थे। इसके बाद हरियाणा पुलिस ने राजेश भारती पर एक लाख रुपये इनाम घोषित किया था।

 

दिल्ली पुलिस को मिली गुप्त सूचना

दरअसल, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि राजेश भारती अपने गैंग के बदमाशों के साथ बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए छतरपुर में आने वाला है। सूचना मिलने के बाद पुलिस टीम ने पूरी तैयारी के साथ जाल बिछा दिया और आसपास घेराबंदी कर भारती के ठिकाने पर छापेमारी भी शुरू कर दी। आमना-सामना होने के बाद बदमाशों ने पहले तो भागने की कोशिश की और सफल न होने पर पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी।

पुलिस ने दिया फायरिंग का जवाब

बदमाशों की तरफ से फायर आने के बाद पुलिस ने भी जवाब देना शुरू किया। दोनों तरफ से कई राउंड फायरिंग हुई। इसी दौरान मुठभेड़ में राजेश भारती समेत गैंग में शामिल अन्य बदमाशों को गोली लगी। मुठभेड़ के दौरान राजेश भारती की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक बदमाश को घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

टॉप-20 गैंगस्टरों की सूची में शामिल

यहां यह भी बता दें कि राजेश भारती और संजीत बिंद्रो दोनों ही स्पेशल टास्क फोर्स हरियाणा के टॉप-20 गैंगस्टरों की सूची में शामिल थे। दोनों को पकड़ने के लिए पुलिस की एक टीम लगी हुई थी। गौर करने वाली बात यह भी है कि हाल ही में एक कुख्यात गैंगस्टर संपत नेहरा को हैदराबाद से पकड़ा गया था, जिसके बाद पुलिस की तरफ से इस तरह के एनकाउंटर को अंजाम दिया गया है।

पुलिस मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों के नाम

1. राजेश भारती (गैंग लीडर)
2. कपिल
3. संजीत बिंद्रो
4. उमेश डॉन
5. भीखू

भारत में मोदी को हटाकर कांग्रेस को लाना होगा :लुकमान (पाकिस्तानी पत्रकार)

 

मुबशेर लुकमान

मुबाशेर लुकमान (पाकिस्तानी पत्रकार)

पाकिस्तान के एक बड़े पत्रकार है जिसका नाम है मुबाशेर लुकमान। नरेंद्र मोदी के बारे में इनका कहना है कि मोदी को हम जितना खतरनाक समझते है वो उससे कहीं ज्यादा खतरनाक है और मोदी ने अपना असली रूप अबतक दिखाया नहीं है। पाकिस्तान का पूरी दुनियां में सबसे बड़ा दुश्मन अगर कोई है तो वह केवल नरेंद्र मोदी है। अगर मोदी 2019 में फिर जीत गया तो फिर हम पाकिस्तानियों के पास कोई काम नहीं बचेगा और पाकिस्तान कहीं का भी नहीं रहेगा। मुबाशेर लुकमान ने आगे कहा कि 2019 में मोदी भारत में हार जाए यही हम पाकिस्तानियों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी जीत होगी। मोदी के हारने के बाद ही पाकिस्तान फिर से खड़ा हो पायेगा और अगर मोदी जीत गया तो दुनिया के देश पाकिस्तान को देश ही नहीं समझेंगे। इस पत्रकार ने कहा कि 2019 में मोदी को हराने के लिए हम जो भी कुछ कर सकते हैं हमें करना चाहिए। जो लोग भारत में मोदी के खिलाफ है वे सभी लोग हमारे सबसे बड़े दोस्त है। हमें वैसे हर एक लोगों की मदद हर प्रकार से करनी चाहिए। ताकि हम सब मिलकर मोदी को 2019 में हरा सकें।

मुबाशेर लुकमान ने एक नया ट्वीट भी किया है और इस ट्वीट में भी इसने पाकिस्तानियों को समझाने के लिए यही बात कही है । देखिये मुबाशेर लुकमान का ये ट्वीट

सिर्फ मुबाशेर लुकमान ही नहीं पाकिस्तान के पूर्व सैन्य अधिकारी तारिक पीरज़ादा ने तो टीवी पर कहा था कि मोदी को रोकने के लिए भारत में हमें राहुल गाँधी और अरविन्द केजरीवाल जैसे लोगों की मदद करनी होगी और हिन्दुओ को जातियों में तोड़ देना होगा। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ भी कई बार कह चुका है कि अगर पाकिस्तान को अपनी खोयी हुई इज़्ज़त वापस पानी है तो मोदी को भारत में हराना होगा। इसके लिए हमें कॉग्रेस को मदद करनी पड़ेगी। भारत में केवल कॉग्रेस पार्टी ही है जो हम पाकिस्तानियों के अनुसार काम करती रही है।

साफ़ है कि पूरा पाकिस्तान, वहां की सरकार, वहां की सेना, वहां के बुद्धिजीवी नरेंद्र मोदी को भारत में हराकर कांग्रेस की सरकार बनाना चाहती है। क्यूंकि पाकिस्तान यह जानता है की मोदी उसकी मौत है और कांग्रेस पार्टी उनकी लाइफ लाइन है।

6 Terrorists Neutralised in Valley

Courtsey Ravi Bharti Gupta, Srinagar/ Jammu

Six terrorists were killed by the army while they were trying to infiltrate into India at Keran sector in Jammu and Kashmir’s Kupwara district today. It was the biggest infiltration attempt in recent months, officials said.

Two days ago, a soldier was killed and another was injured in an ambush at Keran, 94 kilometres from Srinagar. The security forces have been combing the sector since that ambush when they spotted the infiltrators today.

The security forces are still patrolling the area to look for terrorists who could be hiding in the forests.

Including the six killed today, 21 terrorists have been killed in the state in the last two weeks.

Only two days ago, Home Minister Rajnath Singh visited the district and met with residents of the border area. Chief Minister Mehbooba Mufti and Minister of State in the Prime Minister’s Office Jitendra Singh had accompanied him.

Though the centre had announced a Ramzan truce in Jammu and Kashmir, terrorist attacks have continued. The home minister has said security forces are free to carry out operations against terrorists if there are attacks during Ramzan.

Priyanka (ABC) Apologize, Still to Continue Telecast

Hindu nationalists in India have attacked movies and popular culture in the recent years. Earlier this year, a section of extremists made violent protests and threatened actors over the release of Bollywood film “Padmaavat”, which showed a Muslim ruler pursuing a Hindu queen. In 2016, an Indian super star Aamir Khan, after backlash over his comments on intolerance in India, was dropped as the ambassador of an online retail company: claims ABC

 

Chandigarh : DFD

 

After muslim extremists now former Miss India World is pronouncing Hindu sentiments as Hindu Terror; although the US television studio ABC has apologies to Indian fans of its crime drama “Quantico” after an episode featuring Indian nationalists trying to frame Pakistan in a terrorist plot sparked online outrage against Bollywood actor Priyanka Chopra, who plays a lead role in the show.

“The episode has stirred a lot of emotion, much of which is unfairly aimed at Priyanka Chopra, who didn’t create the show, nor does she write or direct it,” said Walt Disney-owned ABC in its statement.

The 35-year-old Bollywood star, has earlier been admired for her ability to cross over and achieve success in Hollywood, which has been rare for Indian actors.

But after the recent Quantico episode, she has faced online attacks at home, and even some calls to boycott her work and the brands that she endorses.

Others called on the government to black out the scene where Priyanka, who stars as an FBI agent in the series, holds up sacred Hindu prayer beads as evidence that the plotter in the episode, planning to detonate a nuclear bomb in New York, was an Indian nationalist.

“The myth of Hindu terror, by a fake story, enters American television with the help of Priyanka Chopra. Would any Pakistani actress betray Pakistan or Islam the way she betrays India and Hinduism?”, David Frawley, a Hindu scholar based in the United States, tweeted.

ABC, in its statement, said: “The show has featured antagonists of many different ethnicities and backgrounds, but in this case we inadvertently and regrettably stepped into a complex political issue. It was certainly not our intention to offend anyone,”

The statement further said that Priyanka Chopra had no involvement in the storylines depicted in the series.

Hindu nationalists in India have attacked movies and popular culture in the recent years. Earlier this year, a section of activists made violent protests and threatened actors over the release of Bollywood film “Padmaavat”, which showed a Muslim ruler pursuing a Hindu queen. In 2016, an Indian super star Aamir Khan, after backlash over his comments on intolerance in India, was dropped as the ambassador of an online retail company.