बच्चों के प्रति अधिक संवेइदन शील होने की आवश्यकता है : कविता जैन

 

हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन ने कहा कि बच्चों के विरुद्ध हो रहे अपराधों को कम करने के लिए महाअभियान की आवश्यकता है ताकि बच्चे भयमुक्त वातावरण में जी सकें। जैन जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटैक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट 2015, प्रोटैक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सैक्सुअल ऑफैन्सेस (पोक्सो) एक्ट ,2012 व रैस्टोरेटिव जस्टिस विषयों पर आयोजित 2 दिवसीय उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रीय समीक्षा सम्मेलन में संबोधित कर रही थी।

इस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और हरियाणा सरकार के आपसी सहयोग से किया जा रहा है। जैन ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट बच्चों के समस्त अधिकारों का एक समावेश है, जिसमें बच्चों को शिक्षा का अधिकार, समानता का अधिकार, निजता का अधिकार या उनके खिलाफ हो रहे किसी भी अपराध के विरुद्ध लड़ाई लडऩे का अधिकार प्राप्त है।

संत कबीर जी की 620 वीं जयंती

 

संत कबीर धानक समाज कर्मचारी वैल्फेयर एसोसिएशन हरियाणा और प्रदेश भर के धानक समाज के निवेदन पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द आगामी 15 जुलाई 2018 को संत शिरोमणि सद्गुरु कबीर साहिब के 620वें प्रकटोत्सव पर फतेहाबाद में होने वाले कबीर महाकुम्भ कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर शिरकत करेंगे जिसकी अध्यक्षता प्रदेश के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी करेंगे। अनुसूचित जनजाति वित्त विभाग की चेयरपर्सन सुनीता दुग्गल के अनुसार इस भव्य आयोजन की सफलता के लिए सभी एक साथ प्रयासरत हैं।

शिखा शर्मा एक्सिस से एग्जिट

भारतीय बैंकिंग की दो शिखर महिलाएं इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही हैं. एक्सिस बैंक की सीईओ शिखा शर्मा ने बैंक छोड़ने का मन बना लिया और आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर वीडियोकॉन को दिए गए लोन में पति और देवर की भूमिका के खिलाफ जांच की वजह से संदेह के घेरे में हैं.

एक्सिस बैंक के लगातार बढ़ते एनपीए, कुछ लोन के डायवर्जन और नोटबंदी के दौरान कुछ बैंक अधिकारियों की भूमिकाओं के बाद एक्सिस बैंक बोर्ड में शिखा शर्मा के खिलाफ माहौल बनना शुरू हो गया था और अब उन्होंने खुद इससे अलग होने का मन बना लिया है. दूसरी ओर चंदा कोचर के सीईओ बने रहने के मामले में आईसीआईसीआई बोर्ड के बंटने की खबरें आ रही हैं. दिलचस्प यह है कि दोनों ने दिग्गज बैंकर और आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ रह चुके के वी कामथ की शागिर्दी में बैंकिंग के गुर सीखे हैं.

एक्सिस बैंक में शिखा शर्मा की भूमिका का विश्लेषण करते हुए ब्लूमबर्ग क्विंट की बैंकिंग, फाइनेंस और इकोनॉमी एडिटर ईरा दुग्गल लिखती हैं- एक्सिस बैंक में शिखा शर्मा की एंट्री तूफानी थी. साल 2000 से ही यूटीआई बैंक के चेयरमैन रहे पीजे नायक किसी बाहरी शख्स को एक्सिस बैंक का सीईओ बनाने के पक्ष में नहीं थे. लेकिन बोर्ड शिखा शर्मा के पक्ष में था. काफी हंगामा हुआ और आखिर बोर्ड की जीत हुईं तो शिखा सीईओ बन गईं. 2009 में उन्होंने सीईओ के तौर पर एक्सिस बैंक की सीईओ की कमान संभाली.

लेकिन 2018 में उनकी होने वाली विदाई भी इसी तरह हंगामाखेज साबित हुई है. रिजर्व बैंक ने चौथी बार उन्हें सीईओ बनाए जाने पर एतराज जताया. इसके बाद से ही उनके बाहर जाने की खबरें उड़ने लगी थीं. बहरहाल, अपने 9 साल के कार्यकाल में शिखा ने एक्सिस बैंक की ग्रोथ में खासी अहम भूमिका निभाई. लेकिन यह ग्रोथ बैंक की एसेट क्वालिटी में गिरावट की कीमत पर आई. 2011 में बैंक ने इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बड़े पैमाने पर लोन देना शुरू किया लेकिन 2015 तक ये फंस गए. 2016 में बैंक का एनपीए बढ़ गया और ऑडिट रिपोर्ट से पता चला कि एसेट क्वालिफिकेशन में भी डायवर्जन हुआ. एक्सिस बैंक की छवि को नोटबंदी के दौरान काफी धक्का लगा. बैंक के कई अधिकारी नोट बदलने के आरोप में पकड़े गए. इसके अलावा कोटक-एक्सिस बैंक मर्जर की अफवाहों ने भी शिखा शर्मा को आलोचनाओं के घेरे में ला दिया.

वित्त वर्ष 2017 में बैंक ने 21,280 करोड़ रुपये का बैड लोन घोषित किया था लेकिन आरबीआई ने पाया कि बैड लोन 26,913 करोड़ रुपये का था. 5,633 करोड़ और इसके पिछले वित्त वर्ष में 9,480 करोड़ रुपये का डायवर्जन आरबीआई को नागवार गुजरा था. रिजर्व बैंक शिखा शर्मा के नेतृत्व में बैंक के कामकाज से खुश नहीं था और आखिरकार बोर्ड में भी उन्हें पहले जैसा समर्थन मिलने की खबरें नहीं आ रही थीं. बहरहाल, शिखा शर्मा नए कार्यकाल के सात महीने के बाद ही बैंक छोड़ने की इजाजत मांगी है. साफ है कि शुरुआत में सफल पारी खेलने के बाद शिखा शर्मा लगातार बिगड़ते हालातों को संभाल नहीं पाई और उन्हें एग्जिट रूट ढूंढना पड़ा.

  • आरबीआई शिखा की चौथी पुनर्नियुक्ति से नाखुश एक्सिस बैंक के एनपीए में भारी इजाफा
  • बैड लोन के क्लासिफिकेशन में डायवर्जन
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में दिए बड़े लोन फंसे
  • नोटबंदी के दौरान बैंक अफसरों की भूमिका से बदनामी
  • कोटक-एक्सिस मर्जर के अफवाहों से भी शिखा पर घेरा

शिखा शर्मा ने जून में ही अपना पद छोड़ने का मन बनाया था. लेकिन बोर्ड से मशविरे के बाद उन्होंने इस साल दिसंबर में बैंक छोड़ने का मन बनाया है ताकि कामकाज के स्मूद ट्रांजिशन में कोई दिक्कत न आए. एक्सिस बैंक का बोर्ड नए सीईओ की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द ही शुरू करेगा.

इस मामले के जानकार एक दूसरे शख्स ने बताया कि शिखा शर्मा ने पिछले साल ही यह कर बैंक छोड़ने का इरादा जताया था कि उन्हें एक्सिस से बाहर ज्यादा वेतन पर नई भूमिका मिल रही है. लेकिन बैंक ने उन्हें एक्सिस में बने रहने लिए मना लिया. हालांकि आरबीआई की ओर से उनकी दोबारा नियुक्ति को मंजूरी में देरी की वजह से शिखा दोबारा बोर्ड में इस आवेदन के साथ आईं कि उनकी छुट्टी मंजूर की जाए. आखिरकार बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी और उन्हें नए सीईओ की नियुक्ति तक पद पर बने रहने को कहा.

पिछले साल एक्सिस बैंक ने इगॉन झेंडर को कंस्लटेंट के तौर पर नियुक्त किया था. उन्हें नए सीईओ की पहचान करनी थी. शुरुआती खोजबीन के बाद आखिरकर शिखा शर्मा को ही दोबारा नियुक्त करने का फैसला किया गया. शिखा की दोबारा नियुक्ति से पहले कहा जा रहा था कि जून 2018 में उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है और वह इस पद पर आगे नहीं रहेंगी. लेकिन उन्हें दोबारा बहाल कर बोर्ड ने यह अनिश्चितता खत्म कर दी थी. हालांकि अब शिखा शर्मा ने खुद ही बैंक से अलग होने का फैसला किया है.

चंदा कोछर ???

 

आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर पिछले साल तक आइकन थीं. सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से नवाजा है. टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया की 100 ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल किया है. वह बैंकिंग की दुनिया की सबसे ताकतवर शख्स में शुमार थीं. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि 2011 में पद्मभूषण से सम्मानित किए जाने के सात साल बाद ही वह खुद को भ्रष्टाचार के आरोप से घिरी पाएंगीं. और जिस बैंक को उन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया उसी का बोर्ड उन्हें छुट्टी पर भेज देगा.

2009 में 48 वर्ष की उम्र में वह आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ बनीं. किसी निजी बैंक की सीईओ बनने वाली वह सबसे कम उम्र की प्रोफेशनल थीं. चंदा ने आईसीआईसीआई बैंक के लिए चार ‘सी’ पर आधारित रणनीति तय की – कॉस्ट, क्रेडिट, करंट-सेविंग अकाउंट और कैपिटल के गिर्द बुनी गई यह स्ट्रेटजी बैंक को बुलंदियों तक ले गई. थोड़े वक्त के लिए आईसीआईसीआई बैंक की रफ्तार थोड़ी थमी लेकिन चंदा कोचर ने इसे फिर फास्ट ट्रैक पर दौड़ा दिया.

2008 में लेहमैन ब्रदर्स के ध्वस्त होने के बाद शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट से आईसीआईसीआई बैंक को बचा ले जाने में उनकी अहम भूमिका रही है. बैंक के रिटेल बिजनेस को खड़ा करने में उन्होंने जबरदस्त भूमिका निभाई. कोचर का करियर जिस मुकाम पर है वह किसी के लिए भी सपना हो सकता है. 1984 में आईसीआईसीआई में उन्होंने मैनेजमेंट ट्रेनी से शुरुआत की थी और 25 साल बाद वह आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ बन गईं.

लेकिन इस बुलंदी पर चंदा कोचर आरोपों से घिर गईं. चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत के बीच कथित गठजोड़ के खिलाफ सीबीआई की जांच से उन पर दबाव काफी बढ़ गया है.

आरोप है कि धूत ने दीपक कोचर की कंपनी Nu-power को करोड़ों रुपये दिए. जबकि धूत की कंपनी को लोन के तौर पर आईसीआईसीआई से मिला 3250 करोड़ रुपये का लोन एनपीए में तब्दील हो चुका है.

पहले तो आईसीआईसीआई बैंक इस सौदे में चंदा कोचर की भूमिका स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था. लेकिन शेयर होल्डरों के दबाव और बोर्ड में ही चंदा कोचर पर उठे सवाल ने बैंक को जांच के लिए एक स्वतंत्र कमेटी बनाने के लिए मजबूर किया. इस बीच, खबरें आती रहीं की चंदा कोचर की छुट्टी कर दी जाएगी. लेकिन अब जांच पूरी होने तक उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है.

चंदा कोचर पर भले ही सीधे आरोप न लगे हों लेकिन पति दीपक कोचर, देवर राजीव कोचर और Nu-power के सीईओ से सीबीआई पूछताछ कर चुकी है. यह उस बैंकर की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल है, जिसके प्रोफेशनल अंदाज की बैंकिंग के दुनिया के लोग कसमें खाते हैं. अगर वीडियोकॉन और कोचर परिवार के बाच साठगांठ साबित हो जाती है तो चंदा के चमचमाते करियर के साथ उनकी निजी साख भी वक्त के अंधेरे में दफन हो जाएगी.

क्या राजयपाल शासन ही एकमात्र विकल्प है??

जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का गठबंधन आखिरकार टूट गया है. बीजेपी ने आखिरकार महबूबा मुफ्ती की पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया है. अब राज्य में नई सरकार बनेगी. लेकिन उसके पहले राज्यपाल शासन लागू हो सकता है.

राज्य में नई सरकार बनाने के लिए अब नए गठबंधन की जरूरत होगी, तभी बहुमत इकट्ठा हो सकता है. सबसे हालिया विकल्प पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन का हो सकता है लेकिन ये दोनों पार्टियां साथ आएं, ऐसा होना मुश्किल ही है. उमर अब्दुल्ला भी बोल चुके हैं कि उन्हें राज्यपाल शासन मंजूर है. यानी ये विकल्प खत्म है. इसलिए फिलहाल राज्य में राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है.

लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि अगर ऐसा होता है तो ऐसा आठवीं बार होगा, जब जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगेगा. इसके पहले ये राज्य सात बार राज्यपाल शासन के हालात में आ चुका है.

नीचे लिस्ट में आप देख सकते हैं कि पिछली बार कब-कब राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ है-

मार्च 26, 1977-जुलाई 9, 1977: शेख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाया था. कांग्रेस ने गठबंधन का साथ छोड़ दिया तो नेशनस कॉन्फ्रेंस अल्पमत में आ गई, जिसके चलते राज्य में 105 दिनों तक राज्यपाल शासन रहा.

मार्च 6, 1986-नवंबर 7, 1986: बहुमत न होने के चलते 246 दिनों के लिए राज्यपाल शासन रहा.

जनवरी 19, 1990-अक्टूबर 9, 1996: उग्रवाद और कानून व्यवस्था ध्वस्त होने के चलते छह सालों और 264 दिनों के लिए राज्यपाल शासन.

अक्टूबर 18, 2002-नवंबर 2, 2002: राज्य के चुनावों के कोई नतीजे न निकलने पर 15 दिनों तक राज्यपाल शासन.

जुलाई 11, 2008-जनवरी 5, 2009: तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने अमरनाथ यात्रा के लिए जमीन का स्थानांतरण किया था, जिसके चलते पीडीपी ने गठबंधन से हाथ खींच लिए थे. तब राज्य में 178 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लागू रहा.

जनवरी 9, 2015-मार्च 1, 2015: विधानसभा चुनावों में अस्पष्ट बहुमत आने पर राज्य में 51 दिनों तक राज्यपाल शासन रहा, जो बीजेपी-पीडीपी के गठबंधन के समझौते पर पहुंचने के बाद खत्म हुआ.

जनवरी 8, 2016-अप्रैल 4, 2016: तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद राज्य में 87 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लागू रहा.

राष्ट्रपति नहीं राज्यपाल शासन लगता है जम्मू कश्मीर में

 

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ लिया है और सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी है. ऐसे में वहां की सरकार अल्पमत में आ गर्ई है और बीजेपी ने राज्य में राज्यपाल शासन लगाने की मांग की है. राज्यपाल की सिफारिश पर देश के राष्ट्रपति इस बात पर फैसला करेंगे कि राज्य में राज्यपाल शासन लगाने की जरूरत है या नहीं.

एक बात आपके दिमाग में जरूर आ रही होगी कि ऐसी स्थिति में देश के अन्य राज्यों में भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है लेकिन जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन क्यों?, तो आइए हम आपको इसके पीछे कारण बताते हैं.

दरअसल, जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 92 के मुताबिक, राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के बाद भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी से 6 महीने के लिए राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है. राज्यपाल शासन के दौरान या तो विधानसभा को निलंबित कर दिया जाता है या उसे भंग कर दिया जाता है.

राज्यपाल शासन लगने के 6 महीने के भीतर अगर राज्य में संवैधानिक तंत्र दोबारा बहाल नहीं हो पाता है तो भारत के संविधान की धारा 356 के तहत जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के समय को बढ़ा दिया जाता है और यह राष्ट्रपति शासन में तब्दील हो जाता है. अब तक जम्मू-कश्मीर में 7 बार राज्यपाल शासन लगाया जा चुका है.

उप राज्यपाल के घर में केजरीवाल का धरना खत्म

 

उपराज्यपाल के कार्यालय में नौ दिन से चल रहा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का धरना मंगलवार को समाप्त हो गया है. मुख्यमंत्री के धरना समाप्त करने की घोषणा के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, अधिकारियों ने मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया.

 

चार बाग़ के 2 में होटलों में लगी आग, 6 की मौत

 

प्रदेश की राजधानी के भीड़ वाले क्षेत्र चारबाग में आज दो होटलों को भीषण आग ने अपने चपेट में ले लिया। जिससे पांच लोगों की मौत हो गई है जबकि आधा दर्जन से अधिक बुरी तरह झुलसे हैं।चारबाग के होटल में लगी आग में मृतकों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2-2 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है। साथ ही घायलों के लिए पचास हजार रुपये सहायता राशि की घोषणा की।

एसएसजे इंटरनेशनल होटल,चारबाग में सुबह शॉर्ट सर्किट से अचानक आग लग गई। थोड़ी ही देर में आग ने विकराल रूप ले लिया। आग के चपेट में बगल में होटल विराट भी आ गया। आग की लपटों के बीच होटल में अफरातफरी के बीच भगदड़ मच गई। जिस समय घटना हुई 50 से 60 लोग होटल में ही ठहरे थे। कुछ लोग खिड़की से कूद गए तो कुछ होटल में ही फंस गए। इसी बीच होटल विराट में एसी का कंप्रेशर फटने से तेज धमाके के साथ आग ने और विकराल रूप ले लिया।

हादसे में एक साल की बच्ची मेहर, एक महिला व तीन पुरुषों की जलकर मौत हो गई, जबकि अविनाश, सार्थक, इंद्रकुमार, आमिर, रानी समेत दर्जनभर लोग घायल हो गए। सीएफओ एबी पांडेय ने बताया कि आग की सूचना 6:05 पर मिली। पंद्रह मिनट के अंदर दमकल पहुंच गई। 14 दमकलों से 4 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग को पूरी तरह से काबू कर लिया गया। आग बुझाने में 40 फायरमैन, 5 एफएसओ के साथ स्थानीय पुलिस भी लगी थी। आग में फंसे लोगों को बचाने में फायरमैन शिव बाबू का हाथ जल गया।

इसके अतिरिक्त संदीप गुप्ता समेत आधा दर्जन फायरमैन घायल हो गए। सूचना पर मौके पर आइजी लखनऊ रेंज सुजीत कुमार पांडेय, एसएसपी दीपक कुमार, एएसपी पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी, डायरेक्टर फायर सर्विस पीके राव, डिप्टी डायरेक्टर जेके सिंह, सीएफओ एबी पांडेय समेत अन्य अधिकारियों ने सर्च ऑपरेशन के साथ घटनास्थल का मुआयना किया। आइजी के मुताबिक प्रथम दृष्ट्या आग शॉर्ट सर्किट से लगी, हादसे के कारणों की जांच की जा रही है।

लपटें उठती देख होटल कर्मी और बाहर के लोगों ने शोर मचाना शुरू किया तो भगदड़ मच गई। पर्यटक और होटल कर्मचारी भागे लेकिन तब तक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और बगल में स्थित विराट होटल भी इसकी चपेट में आ गया। एसएसजे होटल के एक कमरे से टीम ने बुरी तरह झुलसे व्यक्ति को निकाला लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुका था।

इसके बाद विराट होटल से भी शव निकाला गया। लपटें तेज होने के चलते कई लोग होटल से नहीं निकल पाए। होटल में फंसे लोगों को जब तक टीम निकालती तब तक कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए। तत्काल उन्हें अलग-अलग अस्पताल में भर्ती कराया गया। रेस्क्यू टीम लोगों को निकालने में जुटी है।बताया जा रहा है कि एक धमाके के साथ होटल में आग लगी और देखते ही देखते पूरे होटल को चपेट में ले लिया। यह भी बात सामने आ रही है कि मानकों को दरकिनार कर अवैध रूप से होटल चल रहा था। आग की वजहों का अभी पता नहीं चला है। कहा जा रहा है कि शार्ट सर्किट की वजह से आग लगी है। जिस वक्त आग लगी उस वक्त होटल में कई लोग मौजूद थे। घायलों को ट्रामा सेंटर भेजा गया है।

एसएसपी दीपक कुमार भी मौके पर मौजूद पूरे ऑपरेशन की अगुवाई कर रहे हैं। दीपक कुमार ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक करीब 5.30 बजे के करीब होटल से धुआं निकलने लगा। पुलिस को सूचना करीब 6.15 बजे दी गई। फिलहाल, सर्च ऑपरेशन जारी है। पहली मंजिल पर सर्च चल रहा है।आग की वजह शार्टसर्किट हो सकती है। एसएसपी ने बताया कि मामले की जांच की जाएगी। एसएसपी ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत हो रहा है कि बेसमेंट में आग लगी और ऊपर की तरफ बढ़ी। हादसे के वक्त 35 से 40 लोग मौजूद थे। सभी को निकाल लिया गया है। घटना के बाद से ही होटल प्रबंधन के लोग फरार हैं। जिसके बाद माना जा रहा है कि कहीं न कहीं लापरवाही हुई है।

एसपी पश्चिमी विकास चन्द्र त्रिपाठी ने पांच लोगों की मौत की पुष्टि की है। आग की सूचना पर आईजी जोन सुजीत पाण्डेय भी मौके पर पहुंचे हैं। गंभीर रूप से झुलसे लोगों का हाल लेने कैबिनेट मंत्री डॉ.रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ के सिविल अस्पताल पहुंची।

उन्होंने सभी को उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया है। होटल विराट में आग लगने की घटना के बाद मौके पर पहुंची रीता बहुगुणा जोशी ने कहा होटल में आग लगने की मैजिस्ट्रीयल जांच होगी। हादसे की जांच रिपोर्ट एक हफ्ते में तैयार होगी। चारबाग के सभी होटलों में सुरक्षा और अतिक्रमण की जांच होगी।

सीएफओ एबी पांडेय ने बताया कि दोनों होटलों में दमकल उपकरण नहीं थे। एसएसजे इंटरनेशनल को दमकल ने महीने भर पहले नोटिस भी दी थी।

एएसपी पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि हादसे के बाद से एसएसजे इंटरनेशनल होटल के मालिक सुरेंद्र जायसवाल व विराट होटल के मालिक अर्पित जायसवाल और प्रतीक जायसवाल फरार हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के चारबाग में होटलों में लगी आग से लोगों की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अग्निकांड में घायल हुए लोगों का समुचित उपचार कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना भी व्यक्त की है।

लखनऊ में विराट होटल अग्निकांड व एसएसजे इंटरनेशनल में अग्निकांड पर एसएसपी दीपक कुमार ने बड़ा फैसला लिया है। दोनों होटल मालिकों के खिलाफ खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। अब एक महीने तक चारबाग के होटलों में फायर सेफ्टी का ऑडिट चलेगा।

लखनऊ में आज जिस होटल विराट तथा एसएसजे इंटरनेशनल में अग्निकांड हुआ है, इनका नक्शा भी पास नहीं है। होटल विराट का नक्शा तो आवास के नाम पर पास है जबकि एसएसजे इंटरनेशनल होटल का तो कोई नक्शा ही नहीं है। एसएसजे में 42 तथा होटल विराट में 27 कमरे हैं। सिपाही भर्ती परीक्षा के कारण दोनों होटल के सभी कमरे भरे थे। होटल प्रांगण में खड़े दो चार पहिया वाहन (यूपी 78 सीवी 4984 तथा डीएल3सी बीजे 2108) भी आग में भस्म हो गए। एसएसजे इंटरनेशनल होटल में तो एक बार भी है।

ओमर अब्दुल्लाह पंहुचे गवरनर हाउस

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी महबूबा को राज्यपाल को त्यागपत्र सौंपे कुछ ही देर हुई है कि ओमर अब्दुल्लाह राज भवन पंहुच भी गए.

जारी है…….

कांग्रेस भाग्य छींका टूटा 

बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से समर्थन वापस लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है. बीजेपी का आरोप है कि कश्मीर के मौजूदा हालातों को देखते हुए अब पीडीपी के साथ सरकार चलाना बहुत मुश्किल है.

इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल  शासन की आशंका बढ़ने लगी है. समर्थन वापसी के बाद अब जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देखा जा रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक और डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्वालय के प्रोफेसर मोहम्मद अरशद बताते हैं कि ‘अगर जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल  शासन लागू हो जाता है तो सीधे तौर पर न सही राजभवन से होते हुए सूबे की कमान बीजेपी के हाथों में आ जाएगी. जबकि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ये कभी नहीं चाहेंगे कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी का दखल बढ़े.

 

ये ही वजह है कि बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती को समर्थन दे सकती है. कांग्रेस के पास इस वक्त 12 सीट हैं. अगर 5 निर्दलीय उम्मीदवारों को मिला लिया जाए तो पीडीपी बहुमत के आंकड़े 44 को छू सकती है.

दूसरी ओर अगर महबूबा नेशनल कांफ्रेंस के साथ सीएम की कुर्सी को लेकर कोई डील कर लेती है तो भी सत्ता बची रहेगी. ऐसे में नेशनल कांफ्रेंस के लिए भी ये घाटे का सौदा नहीं रहेगा.

एक और जहाँ सेना को अपने ओपेराश्न्स चलाने में कठिनाई नहीं आएगी

वहीँ दूसरी और अलगाववादियों, पत्थाराबजों, मानवाधिकार(आतंकवादियों के अधिकारों) की आवाज़ उठाने वालों की तूती बोलेगी

क्योंकि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस(कांग्रेस के साथ गठबंधन) के लिए उत्तरी कश्मीर का इलाका सियासी नजरिए से खासा अहम है. अभी सरकार चलाने के लिए 3 साल का वक्त बाकी है. एक रास्ता ये भी है कि सूबे में राज्यपाल शासन लागू न करके चुनाव करा दिए जाएं.’