संयुक्‍त व्‍यक्‍तव्‍य जारी 36 हजार करोड़ का नुकसान कर ट्रक हड़ताल समाप्त


विभिन्न मागों को लेकर चल रही यह हड़ताल 20 जुलाई से शुरू हुई थी। इसके चालू होने से अब ट्रांसर्पोटेशन का काम शुरू हो जाएगा।

दरअसल, ह़़डताल इसलिए खत्म हुई क्योंकि सरकार के सख्त रुख और ट्रक वालों के घटते समर्थन को देखते हुए एआईएमटीसी हड़ताल खत्म होने का बहाना ढूंढ रही थी। इसका संकेत एआईएमटीसी के अध्यक्ष भीम वाधवा ने रविवार को ही दे दिया था। हालांकि उनका वह दावा एकदम खोखला साबित हुआ कि वह सरकार को झुका लेंगे। दूसरी ओर ह़़डताल के लंबा खिंचने से चीजों की कमी और दाम बढ़ने की आशंकाओं के मद्देनजर सरकार पर भी हड़ताल को जल्द से जल्द खत्म करने का दबाव बन गया था।


नई दिल्ली 27 जुलाई :

केंद्र सरकार से वार्ता के बाद चल रही आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस एसोसिएशन नई दिल्ली की देशव्यापी हड़ताल शुक्रवार को समाप्त हो गई। विभिन्न मागों को लेकर चल रही यह हड़ताल 20 जुलाई से शुरू हुई थी। इसके चालू होने से अब ट्रांसर्पोटेशन का काम शुरू हो जाएगा।

आठ दिनों से चलने वाली इस हड़ताल के समाप्त होने पर व्यापारियों ने राहत की सांस ली है। हड़ताल से सब्जी के दामों में मामूली बढ़ोत्तरी भी हुई थी। माना जा रहा है कि अब इसमें कमी आ जाएगी। बीते 20 जुलाई को हड़ताल शुरू होने के बाद ट्रकों के पहिए थम गए। सामानों का आवागमन रुक गया। फैक्ट्रियों में होने वाला उत्पादन डंप हो गया। बाजार में जरूरत के सामानों की कमी दिखने लगी लेकिन आठ दिनों बाद उनकी मांगों के संबंध में वार्ता के बाद हड़ताल समाप्त हो गई।

ट्रांसपोर्टरों का चक्का जाम ऐसे मुकाम पर पहुंच गया था, जहां ट्रांसपोर्टरों की समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें। क्योंकि आठ दिन बाद भी चक्का जाम का जरूरी वस्तुओं की आवाजाही पर कोई विशेष असर दिखाई नहीं दे रहा था। हड़ताल से पहले सरकार ने ट्रांसपोर्टरों को मनाने की भरसक कोशिश की थी। खुद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उनकी मांगों के संदर्भ में कुछ ऐलान किए थे। इनमें ट्रकों के एक्सल लोड में 25-35 फीसद तक की बढ़ोतरी, साल के बजाय दो साल में फिटनेस सर्टिफिकेट तथा ओवरलोडिंग पर टोल जुर्माने में कमी जैसे अहम एलान शामिल हैं। यही नहीं, इसके बाद गडकरी न केवल स्वयं ट्रांसपोर्टरों से मिले, बल्कि वित्तमंत्री पीयूष गोयल के साथ भी उनकी मीटिंग करवाई। इन बैठकों में सरकार की ओर से ट्रांसपोर्टरों से स्पष्ट कहा गया था कि 18 नवंबर तक हड़ताल को टाल दें। इसके बाद सरकार उनकी अन्य चिंताओं के समाधान का भी प्रयास करेगी। लेकिन, ट्रांसपोर्टर नहीं माने और सरकार को अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए हड़ताल पर चले गए। ट्रांसपोर्टरों के सबसे बड़े संगठन आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) के आह्वान पर इस चक्का जाम का आयोजन हुआ था।

हड़ताल खत्‍म होने को लेकर केंद्रीय परिवहन और हाइवे मंत्रालय व आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने कई दौर की बैठकों के बाद संयुक्‍त व्‍यक्‍तव्‍य जारी किया है।

* केंद्र सरकार के आग्रह पर भारी वाहनों पर थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस के मद्देनजर प्रीमियम की समीक्षा के लिए प्रमुख इश्‍यारेंस बॉडी इरीडा (IRDA) तैयार हो गया है। मामले को लेकर ट्रांसपोटरों और इरीडा के बीच 28 जुलाई को 10 बजे बैठक होगी। इरीडा ट्रांसपोटर्स के साथ आवश्‍कय वस्‍तुओं का डाटा को साझा करने पर सहमत हो गया है।

* कर संग्रह की प्रक्रिया का आसान बनाने का लेकर केंद्र सरकार सहमत हो गई है। इसमें तकनीकी की मदद से छह माह में सभी ट्रांसपोर्ट वाहनों का एक साथ टोल प्‍लाजा पर टैक्‍स लेने की व्‍यवस्‍था की जाएगी, जिससे वाहनों का सुचारु रूप से संचालन हो सके। इसके लिए मंत्रालय की एक कमेटी बनाई जाएगी जो इस दिशा में काम करेगी। इसमें ट्रांसपोटरों सहित विभिन्‍न पक्षों के सुक्षाव लिए जाएंगे।

* सरकार व्‍यवसायिक वाहनों के ड्राइवरों और उनके सहयोगियों को प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में शामिल करने पर विचार करेगी।

* सरकार व्‍यवसायिक वाहनों के ड्राइवरों और उनके सहयोगियों को स्‍वास्‍थ्‍य सेवा ईएसआईसी (ESIC) में शामिल करने पर विचार करेगी।

* सरकार पूरे देश में पर्यटक वाहनों के लिए निर्बाध गति के लिए नेशनल परमिट स्‍कीम की अधिसूचना जारी करेगी।

* सरकार ट्रांसपोर्ट सेक्‍टर की इन मांगों पर भी विचार करेगी

-वाहनों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट की सीमा को बढ़ाकर दो साल किया जाए।

-सामान ढोने वाले वाहनों की नेशनल परमिट नियमों को आसान बनाया जाए, जिसमें दो ड्राइवर की आवश्‍यकता को खत्‍म करना शामिल है।

-वाहनों में एक्‍सल लोड को नियमित करना भी शामिल है।

*सरकार सड़क और परिवहन मंत्रालय के सचिव की अध्‍यक्षता में हाई लेवल कमेटी का गठन करेगी, जो परिवहन क्षेत्र में सुविधाओं पर ध्‍यान देगी ।

ओपन राष्ट्रीय स्कूल कुश्ती प्रतियोगिता में 7 मैडल प्राप्त करके लौटे छात्रों का सम्मान

रोहतक, 27 जुलाई:

जुलाई में जालन्धर में आयोजित विद्यार्थी ओपन राष्ट्रीय स्कूल कुश्ती प्रतियोगिता में 7 मैडल प्राप्त करके लौटने पर लखीराम अनाथालय की तरफ से उत्साहवर्धन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि जिला सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवाओं के अध्यक्ष संत प्रकाश थे। विशिष्ठ अतिथि के रूप में वरिष्ठ सिविल जज श्री हरीश गोयल, सिविल सर्जन डा. अनिल बिरला, डिप्टी सिविल सर्जन केएल मलिक तथा डीसीपीओ नरेंद्र रहे। मुख्य अतिथि ने कहा कि मुझे यहां आकर बहुत प्रसन्नता होती है और उन्होंने बालको के उज्जवल भविष्य के टिप्स भी दिए। मैडल प्राप्त करने वाले पहलवान शिवा व हिमांशु ने गोल्ड, पंकज व साहिल ने सिल्वर तथा अरूण, दिपांशु तथा अभिषेक ने ब्रांज मैडल प्राप्त किए। 10वीं व बारहवीं में मैरिट प्राप्त करने वाले साहिल व सागर को भी सम्मानित किया। प्रधान राजबीर आर्य, युवराज सुनील राठी, उपप्रधान बिजेंद्र राठी, कुलदीप सिंधु, सुभाष सांगवान, कर्णसिंह मोर, हवा सिंह राठी आदि उपस्थित रहे। दयानंद शर्मा, संदीप आर्य, शास्त्री जी व पारूल स्टाफ को भी अच्छा कार्य करने पर बधाई दी।

हरियाणा में पशुगणना का कार्य टैब्लैटस के माध्यम से इलैक्ट्रॉनिकली किया जाएगा

चित्र केवल संदर्भ हेतु

चण्डीगढ़, 27 जुलाई-देश भर में चलाए जा रहे डिजिटल इण्डिया अभियान को और सफल बनाने के लिए हरियाणा में पशुगणना का कार्य टैब्लैटस के माध्यम से इलैक्ट्रॉनिकली किया जाएगा।
पशु पालन एवं डेयरी विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि पशुगणकों को इलैक्ट्रॉनिक्स माध्यम से पशुगणना की जानकारी प्रदान करने के लिए आज पंचकुला एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया जिसमें विभाग के सभी जिला अधिकारियों और प्रत्येक जिले से दो मास्टर ट्रेनर्स पशु चिकित्सकों ने भाग लिया।
उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को केन्द्र सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में विकसित किए गए साफ्टवेयर का आनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। इसके अतिरिक्त, उन्हें टैब्लैटस में डाटा दर्ज करने के अतिरिक्त निरीक्षक व पशुगणक की नियुक्ति और उनके गणना क्षेत्र को निर्धारित करने बारे जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया कि पशुगणना एक महत्वपूर्ण कार्य है और इस गणना के आधार पर ही पशुपालकों के उत्थान सम्बन्धित विभिन्न योजनाएं तैयार की जाती है। पशुगणना पशुओं के विकास एवं उनके लिए सुविधाएं मुहैया करवाने का आधार है।
उन्होंने बताया कि पशुगणना कार्य के सुचारु संचालन के लिए देश के सभी राज्यों में टैब्लैटस की व्यवस्था की गई है ताकि पशुगणक गणना के दौरान ही डाटा अपलोड कर सकें।

सनातन गौरव दिवस के रूप में मनाया गया

जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के जन्मोत्सव को पिछले दिनों 11 जुलाई 2018 को आयोजित किया गया जिसे देश में सनातन गौरव दिवस के रूप में मनाया गया। इसकी सफलता को लेकर सनातन गौरव दिवस के संयोजक शैलेश तिवारी ने महाराज जी के जन्म भूमि हरिपुर बख्ति टोल के लोगों सहित संपूर्ण मिथिला वासियों एवं बिहारवासियों को इस कार्यक्रम में बड़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए धन्यवाद दिया है।

अगले वर्ष महाराज जी के जन्म महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय पटल पर भव्य रुप से मनाया जाएगा जिसके लिए विश्व के संपूर्ण सनातन धर्म के लोग, सादर आमंत्रित रहेंगे। शैलेश तिवारी ने आगे बताया कि पूरी पीठ के शिष्यों की ओर से बिहार सरकार से आग्रह हैं कि जगतगुरु शंकराचार्य बिहार की धरती मधुबनी जिला के बख्ति टोल गांव से आते हैं जो हम बिहारियों के लिए गर्व की बात है, इन बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार इनके पैतृक स्थान को पर्यटक स्थल में शामिल करें और शंकराचार्य धाम घोषित करें एवं महाराज जी के जन्मदिन को बिहार गौरव दिवस घोषित करे। उन्होंने आगे बताया कि महाराज जी के जन्म भूमि को पर्यटन स्थान का दर्जा दिलाने के लिए व्यापक रुप से उनके शिष्यों के द्वारा जनसंपर्क अभियान भी चलाया जाएगा और अगले वर्ष होने वाले जन्म महोत्सव में शामिल होने के लिए सनातन धर्म के प्रेमियों एवं गुरु महाराज जी के भक्तों से विनम्र रूपी आग्रह किया जाएगा कि उनके पैतृक स्थान पर चलकर महराज जी के जन्मदिन को देश सनातन गौरव दिवस के रूप में मनाने का काम करें।

Modi meets South African President Cyril Ramaphosa, discusses ways to boost bilateral ties

 

Prime Minister Narendra Modi on Thursday met South African President Cyril Ramaphosa and the two leaders discussed ways to expand the bilateral ties in a number of sectors, including trade and investment, information technology and defence.

After the delegation-level talks between Mr. Modi and Mr. Ramaphosa, three memorandums of understandinds (MoUs) were signed on cooperation in exploration and use of outer space for peaceful purposes, the setting up of a Gandhi-Mandela Centre of specialisation for artisan skills, and agricultural research and education.

Mr. Modi, who arrived in Johannesburg on July 25, met Mr. Ramaphosa on the sidelines of the two-day BRICS (Brazil, Russia, India, China and South Africa summit whose theme this year is ‘BRICS in Africa’.

“Kicking off a series of bilateral meetings on the sidelines of BRICS! PM Narendra Modi meets the host South African President Cyril Ramaphosa,” External Affairs Ministry spokesperson Raveesh Kumar said in a tweet.

“Saluting the enduring legacy of Mahatma and Mandela! Prime Minister Narendra Modi and South African President Cyril Ramaphosa jointly released a stamp commemorating the two iconic personalities,” he tweeted.

Strategic partnership

India and South Africa are celebrating 21 years of strategic partnership.

“India and South Africa are proud inheritors of legacies of Mahatma Gandhi and Nelson Mandela,” Mr. Kumar said.

“Prime Minister Narendra Modi and President Cyril Ramaphosa discussed expansion of our relationship in trade and investment, agriculture and food processing, IT, defence and people-to-people contacts,” he said.

Later, Foreign Secretary Vijay Gokhale said both the nations expressed satisfaction at the growth in trade and investment, besides improvement in the people-to-people relation.

“President Ramaphosa actually said India-South Africa relations may be new in terms of re-establishment of diplomatic relations but are in fact very deep-rooted in history. Now what it requires is nurturing, it needs to be watered time to time and such meetings help in that process,” he said.

Mr. Gokhale said Mr. Modi entirely agreed with the South African leader on this, and noted a “very positive” trend on investments and trade.

Long-standing issues

The Prime Minister said Indian companies would respond positively to investing in South Africa, as he welcomed the India-South African business summit, held in April, for which the Commerce and Industries Minister had come here.

Mr. Modi also took up the issue of Indian business persons facing some obstacles in terms of general work permits and inter-company transfer permits in South Africa.

“These are long-standing issues that the Prime Minister took up,” Mr. Gokhale said, adding that the South African President assured Mr. Modi that he would look into the matter.

The Prime Minister, he said, informed Mr. Ramaphosa that India had liberalised the visa regime “very greatly” for South Africans.

On trade, Mr. Modi said among the areas which the South African companies should be exploring in India were defence, food processing and health insurance, according to Mr. Gokhale.

During the “very productive, very good and very warm” meeting, Mr. Modi also mentioned about the visit of Indian Naval Ship INS Tarini with an all-female crew to South Africa.

“The President of South Africa in fact remarked that this [INS Tarini visit] had got very good publicity in the South African press and was seen as a sign of gender empowerment, women empowerment,” the Foreign Secretary said.

Modi meets Putin

Mr. Modi on Thursday also held bilateral talks with Russian President Vladimir Putin on the sidelines of the BRICS summit and said the friendship between India and Russia was deep-rooted.

Mr. Modi was meeting Mr. Putin after their informal meeting in May in the Black Sea coastal city of Sochi in Russia in May.

The two leaders then met on the sidelines of the Shanghai Cooperation Organisation Summit in Qingdao, China, in June.

“Wide-ranging and productive talks with President Putin. India’s friendship with Russia is deep-rooted and our countries will continue working together in multiple sectors. @KremlinRussia,” Mr. Modi said in a tweet.

The two leaders had a comprehensive discussion on bilateral issues of mutual interest, especially in trade, investment, energy, defence and tourism, Mr. Raveesh Kumar said in a tweet.

The Modi-Putin meeting got over at midnight local time, he said.

During their meeting in Sochi in May, India and Russia elevated their strategic partnership to a “special privileged strategic partnership”.

Anti-apartheid movement

India’s relations with South Africa date back to several centuries. India was at the forefront of the international community in its support to the anti-apartheid movement.

This year also marks 25 years since the resumption of India’s diplomatic relations with South Africa in 1993. This year also marks the 125th year of the Pietermaritzburg railway station ‘incident’ involving Gandhiji.

“2018 is a historical year for our relations, as it marks the commemoration of twenty-five years of diplomatic relations between South Africa and India,” the South African Presidency tweeted.

The South African Indian-origin community numbers around 1.5 million and constitutes about three per cent of South Africa’s total population.

US India working together ahead of 2+2 talks


Alice Wells, principal deputy assistant secretary of state for South and Central Asia, says US is looking forward to the “two-plus-two” dialogue with India in New Delhi in September


The US and India are working together “hand in glove” diplomatically and militarily to build dimensions of the critical bilateral relationship ahead of the “2+2 dialogue”, a State Department official has told American lawmakers.

During a Congressional hearing, Alice Wells, principal deputy assistant secretary of state for South and Central Asia, said the US is looking forward to the “2+2” dialogue with India in New Delhi in September.

She said she expects substantial progress will be made in the bilateral relationship during the dialogue.

“On India, we’re looking ahead to the September 6th two plus two and the joining of forces between Secretary (of State Mike) Pompeo and (Defence) Secretary (James) Mattis to help define what (is) major defense partnership,” Wells said, responding to a question from Indian-American Congressman Ami Bera.

“We’re working together hand in glove diplomatically and militarily to build out the dimensions of what Secretary Pompeo said is one of our most critical relationships,” she said.

The September meet will be the first “two-plus-two” dialogue between India and the United States. Last month, the US had postponed the dialogue due to “unavoidable reasons”.

The dialogue, a vehicle to elevate the strategic ties between the two countries, was announced last year during Prime Minister Narendra Modi’s meeting with President Donald Trump. It has been reschedule at least twice since then.

Indication that the two countries are closer to signing the long-pending foundational agreements, Wells said, “We’re going to be able to demonstrate both in terms of the progress we make on the agreements we can reach that will make it easier for US to share classified information and undertake logistical activities together.”

The dialogue is expected to give meaning and definition to how major purchases and on-the-ground activities such as the Malabar Exercise can work together to secure the Indo-Pacific region, Wells said.

Congressman Bera said it was important for the US to continue sending the message that it sees India as a major defence ally and “incredibly important” in helping the US stabilize the strategic region.

सोशल मीडिया का यह कहना कि वह सिर्फ एक प्लेटफॉर्म है, स्वीकार्य नहीं है : रविशंकर प्रसाद


सूचना एवं तकनीकी मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार सोशल मीडिया पर शेयर की जाने वाली गलत और झूठी खबरों की वजह से फैल रही हिंसा पर रोक लगाने लगातार काम कर रही है


केंद्र सरकार सोशल मीडिया पर शेयर की जाने वाली गलत और झूठी खबरों की वजह से फैल रही हिंसा पर रोक लगाने के लिए लामबंद और इसके लिए वो वॉट्सऐप और फेसबुक को लगातार निर्देश दे रही है और इस दिशा में काम कर रही है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ये बातें गुरुवार को संसद के मॉनसून सत्र में कहीं.

राज्यसभा में बोल रहे सूचना एवं तकनीकी मंत्री ने कहा कि ‘सरकार को इस बात का अहसास है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल भारत के रणनीतिक हित और आर्थिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है और भारत सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है.’

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने व्हाट्सएप को नोटिस जारी किया है क्योंकि सोशल मीडिया कंपनियां अपने प्लेटफॉर्मो के दुरुपयोग के लिए जवाबदेह हैं। गुरुवार को राज्यसभा में सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर चर्चा में प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया पर फैलाई गईं अफवाहों से सबसे ज्यादा हिंसा की वारदातें होने के कारण सरकार ने व्हाट्सएप को नोटिस जारी किया है।

उन्होंने कहा कि इसके जवाब में व्हाट्सएप ने एक संदेश को फॉरवार्ड करने की अधिकतम सीमा सुनिश्चित कर पांच कर दी है।

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया का यह कहना कि वह सिर्फ एक प्लेटफॉर्म है, स्वीकार्य नहीं है। ठीक वैसे ही जैसे कोई भड़काऊ समाचार प्रकाशित होने पर कोई समाचार पत्र यह नहीं कह सकता कि यह उसकी जिम्मेदारी नहीं है, उसी तरह सोशल मीडिया पर झूठी खबर फैलने पर अगर लोगों की मौत होती है या इसमें किसी की हत्या के लिए उकसावा होता है तो यह जिम्मेदारी उसकी है।”

हाफ़ीज़ का हाफ़िज़ खुदा


आतंकी हाफिज सईद का दावा था कि उसके सभी प्रत्‍याशी इन चुनावों में जीतेंगे, लेकिन पाकिस्‍तान की जनता ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया

जब पाकिस्तान में चुनाव आईएसआई ओर आर्मी करवाती है तो आतंकी हाफिज़ की वास्तविक स्थिति विचारणीय है

आतंकी हाफ़ीज़ को पाकिस्तानी आवाम ने नकार दिया है तो फिर वह कौन हैं जो इसकी मजलिसों में जा कर अल्लाह – ओ – अकबर के नारे लगाते हैं 


साल 2008 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा चीफ हाफिज सईद को पाकिस्तान आम चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. आतंकी हाफिज सईद की पार्टी अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक (एएटी) के सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए हैं. हाफिज सईद ने 260 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे.

इस चुनाव में हाफिज का बेटा और दामाद भी किस्मत आजमा रहा था. लेकिन दोनों अपनी-अपनी सीट बुरी तरह से हार गए. बेटा हाफिज तल्हा सईद लाहौर से 200 किलोमीटर दूर सरगोधा सीट से चुनाव लड़ रहा था. हाफिज सईद यही का रहने वाला है.

आतंकी हाफिज सईद का दावा था कि उसके सभी प्रत्‍याशी इन चुनावों में जीतेंगे. लेकिन पाकिस्‍तान की जनता ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया. हाफिज सईद ने लोगों से अपील कि थी कि वो ‘पाकिस्तान की विचारधारा’ के लिए मतदान करे.

हाफिज सईद ने मिल्‍ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) के बैनर तले अपने प्रत्‍याशियों को मैदन में उतारा था. लेकिन बाद में चुनाव आयोग की ओर से मान्‍यता देने से इनकार कर दिया गया था. इसके बाद हाफिज सईद ने अल्‍लाह-ओ-अकबर के बैनर तले अपने प्रत्‍याशियों को मैदान में उतारा.

जमात-उद-दावा को अमेरिका ने जून 2014 में आतंकी संगठन घोषित किया था. ये संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था जिसने साल 2008 में मुंबई हमले को अंजाम दिया था. अमेरिका ने सईद पर एक करोड़ डॉलर का इनाम भी घोषित कर रखा है.

डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि की हालत बिगड़ी


डीएमके अध्यक्ष एम करुणानिधि के मूत्र मार्ग में संक्रमण की वजह से उन्हें बुखार आ गया है.


डीएमके अध्यक्ष एम करुणानिधि के स्वास्थ्य में गिरावट आई है. मूत्र मार्ग में संक्रमण की वजह से उन्हें बुखार आ गया है और उन्हें घर पर ही हॉस्पिटल स्तर का इलाज दिया जा रहा है. यह जानकारी कावेरी हॉस्पिटल ने दी है.

बुधवार को करुणानिधि को एक छोटी सर्जरी के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था और ट्रेकोस्टोमी ट्यूब के लिए उनका ऑपरेशन किया गया था. हॉस्पिटल के एक बयान में बताया गया, ‘डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि को कावेरी हॉस्पिटल, अलवरपेट, चेन्नई में ट्रेकोस्टोमी ट्यूब में बदलाव के लिए भर्ती कराया गया है.’

हालांकि बाद में उन्हें छुट्टी दे दी गई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डीएमके प्रमुख फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित हैं.

उपेंद्र कुशवाह अभी पर्दा उठाना बाकी है


कुशवाहा की ना-नुकूर और सख्त और साफ लहजे में नीतीश कुमार के प्रति दिखाई गई तल्खी से सवाल खड़ा होने लगता है कि क्या एनडीए को छोड़ कर कुशवाहा अब दूसरे गठबंधन की तरफ तो हाथ नहीं बढ़ाने वाले हैं.


राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का न्यूज 18 के साथ साक्षात्कार में दिया बयान बिहार की सियासी उथल-पुथल को बयां करने वाला है. अपने साक्षात्कार के दौरान आरएलएसपी अध्यक्ष ने कहा ‘नीतीश कुमार 15 सालों से बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर हैं और अब समय आ गया है कि वो किसी और को मौका देने पर विचार करें.’

कुशवाहा ने कहा है ‘15 साल का वक्त किसी नेता को अपनी क्षमता साबित करने का लंबा वक्त होता है, लिहाजा अब समय आ गया है उन्हें अब एक और कार्यकाल की दावेदारी छोड़ देनी चाहिए.’

कुशवाहा ने क्यों दिया नीतीश के खिलाफ बयान ?

उपेंद्र कुशवाहा मौजूदा वक्त में बिहार में एनडीए के सहयोगी हैं. केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं. लिहाजा उनकी तरफ से नीतीश कुमार के खिलाफ इस तरह का बयान आना एनडीए की सेहत के लिहाज से माकूल नहीं लग रहा है. आईए समझने की कोशिश करते हैं आखिरकार कुशवाहा ने ऐसा बयान क्यों दिया और इस बयान की टाइमिंग कितनी सटीक है ?

अभी इसी महीने की बारह तारीख को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पटना में थे. उस दिन पटना में नीतीश कुमार के साथ उनकी मुलाकात के बाद जो संकेत मिला उसमें साफ हो गया कि बिहार में लोकसभा चुनाव में बीजेपी नीतीश कुमार को पूरा सम्मान भी देगी और सीट शेयरिंग में भी उचित स्थान देगी.

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की जेडीयू अलग होकर चुनाव लड़ी थीं, जिसके चलते रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की एनडीए में एंट्री हो गई थी. एलजेपी ने सात जबकि कुशवाहा की उस वक्त नई-नवेली पार्टी आरएलएसपी ने भी तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था. एलजेपी ने छह और कुशवाहा की पार्टी ने सभी तीन सीटों पर चुनाव जीता था.

लेकिन, अब हालात बदल गए हैं. नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद उपेंद्र कुशवाहा को लग रहा है कि उनकी हैसियत अब पहले की तुलना में घट रही है. बल्कि बीजेपी की तरफ से आ रहे संकेतों से भी एहसास होता रहा है कि नीतीश की घर वापसी के बाद बीजेपी के साथ-साथ उसके पुराने सहयोगियों को भी कुछ सीटों पर ‘त्याग’ करना होगा. बस यही बात कुशवाहा को अखर रही है.

उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से आ रहे बयानों में बार-बार बीजेपी के बजाए नीतीश कुमार पर निशाना ज्यादा रहता है. कुशवाहा को लगता है कि नीतीश कुमार के एनडीए में इंट्री के चलते ही उनके बढ़ते कद पर विराम लगाने की कोशिश की जा रही है.

उनकी पार्टी के नेताओं की तरफ से आ रहे बयान से भी यह साफ हो जाता है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने पहले ही साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी आरएलएसपी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से बड़ी पार्टी है.

पिछले लोकसभा चुनाव में आरएलएसपी को तीन जबकि जेडीयू को महज दो सीटों पर ही जीत मिली थी. इसके अलावा नागमणि हर बार वोट बैंक और जातीय समीकरण के लिहाज से भी यह बताने की कोशिश करते रहते हैं कि नीतीश कुमार की तुलना में कुशवाहा की ताकत कहीं ज्यादा बड़ी है.

आरएलएसपी का दावा है कि नीतीश कुमार के पास महज एक से डेढ़ फीसदी का ही वोट बैंक बचा है, जबकि आरएलएसपी का वोट प्रतिशत दस फीसदी से भी ज्यादा है. ऐसा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जातीय समीकरण के हिसाब से आरएलएसपी दावा करती है.

नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण की हवा निकाल पाएंगे कुशवाहा ?

नीतीश कुमार ने बिहार में विकास के साथ-साथ सामाजिक समीकरण को भी ठीक तरीके से साधा है. लव-कुश समीकरण के सहारे नीतीश कुमार ने बिहार के वड़े वोट बैंक को साध कर रखा है. लव मतलब कूर्मी समुदाय का वोट और कुश मतलब कुशवाहा यानी कोईरी समुदाय का वोट.

अब उपेंद्र कुशवाहा इसी समीकरण में बिखराव कर अपने लिए जमीन तलाश रहे हैं. कुशवाहा और उनकी पार्टी के लोगों की भी यही दलील है कि कुशवाहा समुदाय का वोट बैंक नीतीश कुमार के लव यानी कूर्मी समुदाय के वोट बैंक से ज्यादा है. हालाकि अभी भी नीतीश कुमार के पास दोनों समुदायों में अच्छी पकड़ है.

लेकिन, उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी के लोगों का दावा है कि इस बार उनकी पार्टी जिधर होगी उधर ही कुशवाहा समुदाय होगा. इसी वोट बैंक को मुद्दा बनाकर उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी पर दबाव बनाने में लगे हैं.

लेकिन, बीजेपी इस बात को समझ रही है कि अभी भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रदेश में बड़े नेता हैं और उनको साथ लेकर आरजेडी को मात दी जा सकती है. लिहाजा बीजेपी ने नीतीश कुमार को बाकी सहयोगी दलों की तुलना में ज्यादा महत्व दिया है.

क्या होगा कुशवाहा का अगला कदम ?

ऐसे में गठबंधन के भीतर कुशवाहा की तरफ से अपने ही सहयोगी दल के मुख्यमंत्री को कुर्सी छोड़ने की नसीहत उनके अगले कदम को लेकर भी इशारा कर रही है. उपेंद्र कुशवाहा के दिल में मुख्यमंत्री पद पर बैठने की चाहत है. इसको लेकर उनकी पार्टी के लोग खुलकर बोलते भी रहे हैं. लेकिन, नीतीश कुमार के एनडीए में आने से कुशवाहा की यह चाहत आगे परवान चढ़ पाएगी ऐसा मुमकिन नहीं लग रहा है.

यही वजह है कि अब कुशवाहा की तरफ से खुलकर नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोला जा रहा है. ऐसे वक्त में उपेंद्र कुशवाहा के अगले कदम को लेकर भी अटकलें लगती रहती हैं.

कुशवाहा की ना-नुकूर और सख्त और साफ लहजे में नीतीश कुमार के प्रति दिखाई गई तल्खी से सवाल खड़ा होने लगता है कि क्या एनडीए को छोड़ कर कुशवाहा अब दूसरे गठबंधन की तरफ तो हाथ नहीं बढ़ाने वाले हैं. आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन में इस तरह की संभावना दिख भी जाती है, क्योंकि कुशवाहा को ज्यादा सीटें मिलने पर वो नीतीश के बजाए लालू के साथ रहना ज्यादा पसंद करेंगे.