600 students across Panjab Universty participated in march with 37m long tringa. 

Photo by Rakesh Shah

Today ABVP organised tringa march in Panjab Universty. 600 students across Panjab Universty participated in march with 37m long tringa.

Photo by Rakesh Shah

March started from VC office and ended at student centre via science departments.

While addressing students Harmanjot Singh said “tringa is only thing which unites us, we are organising tringa march to show that campus are still standing for unity of country whereas some organisations are trying to defame country, this march is answer to those organisations.

Photo by Rakesh Shah

Saurbh kapoor state secretary said, “this time students from all departments participated in march, and to make this effort successful I thanks the students of PU

विश्व की पहिली हिन्दू अदाला स्थापित

अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने कथित रूप से हिंदू धर्म को खतरे में बताते हुए भारत की पहली हिंदू अदालत स्थापित करने का ऐलान किया है. साथ ही अदालत की पहली न्यायाधीश के रूप में एक महिला को नामित करने की घोषणा भी की है. महासभा का कहना है कि 15 नवंबर को नाथूराम गोडसे को फांसी दिए जाने के दिन अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, फिरोजाबाद और शिकोहाबाद में भी हिंदू अदालत की स्थापना कर दी जाएगी. जल्द 15 अदालतें स्थापित करने का लक्ष्य है.

क्या कहना है हिंदू महासभा का

मेरठ में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक शर्मा ने देश की पहली हिंदू अदालत की स्थापना की जानकारी दी. अशोक शर्मा के अनुसार, अलीगढ़ निवासी डॉक्टर पूजा शकुन पांडे को सोमवार को स्थापित हिंदू अदालत की पहली हिंदू जज भी घोषित कर दिया गया है. हिंदू महासभा का कहना है कि हिंदू अदालत का लाभ परेशान लोगों को मिलेगा. जमीन, मकान, दुकान, विवाह, पारिवारिक विवाद आदि मामले आपसी सहमति से सुलझाए जाएंगे. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से की गई उपेक्षा की वजह से भी अदालत गठित करनी पड़ी है.

पीएम मोदी और सीएम योगी को लिखा गया पत्र

महासभा ने कहा कि पीएम और सीएम को पत्र लिखकर कहा गया था कि भारत में एक ही संविधान माना जा सकता है. देश में खुली और खुलने वाली शरई अदालतों को तत्काल बंद कराया जाए नहीं तो हिंदू महासभा 15 अगस्त को हिंदू अदालत खोल देगी. महासभा का कहना है कि पत्र का जवाब नहीं आने पर बुधवार को अदालत की स्थापना का ऐलान कर दिया गया.

हिंदू अदालत की पहली न्यायाधीश के तौर पर नामित डॉक्टर पूजा शकुन पांडे का कहना है कि उनकी अदालत को उसी तरह किसी की मान्यता की जरूरत नहीं है जिस तरीके से बिना मान्यता के खुद के कानून पर शरिया अदालतें चल रही हैं.

मोदी संग ‘गरम दल – नरम दल’ खेलेगी कॉंग्रेस


मणिशंकर अय्यर की बहाली कांग्रेस की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है, शनिवार को हुई वर्किंग कमेटी में करप्शन पर सरकार को घेरने की योजना बनाई गई है


आठ दिन पहले एक एनजीओ का सेमिनार इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हो रहा था. इस सेमिनार में मणिशंकर अय्यर भी थे. आखिरी वक्ता होने के कारण मणिशंकर भूमिका बना रहे थे. तभी पूर्व आप नेता आशुतोष ने मणिशंकर को हिंदी में गलती ना करने के लिए आगाह किया. मणिशंकर ने तपाक से जवाब दिया कि मुझे लगता है कि यहां कोई नीच व्यक्ति मौजूद नहीं हैं. मणिशंकर अय्यर के बारे में चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि राहुल गांधी ने उनकी कांग्रेस की सदस्यता बहाल कर दी है.

इस वाकये के मायने ये हैं कि मणिशंकर अय्यर बदलने वाले नहीं है. ये सेमिनार कांग्रेस में बहाली से पहले का है. जिसमें मणिशंकर अय्यर ने कहा कि वो समझते हैं कि वो कांग्रेस में हैं. जाहिर है कि मणिशंकर का आत्मविश्वास बता रहा था कि कांग्रेस से उनका निलंबन कुछ समय के लिए था. कांग्रेस के भीतर मणिशंकर वामपंथी विचारधारा के सृजक हैं. राहुल गांधी की भी नजदीकी आजकल लेफ्ट के नेताओं से ज्यादा है.

कार्यसमिति में चर्चा

मणिशंकर अय्यर की बहाली कांग्रेस की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है. शनिवार को हुई वर्किंग कमेटी में करप्शन पर सरकार को घेरने की योजना बनाई गई है. इस बैठक में प्रधानमंत्री को कैसे घेरना है, इस पर विस्तार से चर्चा हुई. इस बैठक में मौजूद सूत्र के मुताबिक ये कहा गया है कि बीजेपी के पास नरेन्द्र मोदी का चेहरा है. इसके अलावा सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है.

इसलिए चुनाव के आखिरी साल कांग्रेस के निशाने पर सीधे प्रधानमंत्री रहेंगे. कांग्रेस को लग रहा है कि मोदी को निशाना बनाने का ही फायदा है. क्योंकि एक बार प्रधानमंत्री के बारे में जनता के बीच संशय बन गया तो बाजी हाथ में आ सकती है. जिस तरह से अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा है. वो इसका उदाहरण है.

नरम और गरम दल का संगम

कांग्रेस की नई राजनीति गरम दल और नरम दल के तर्ज पर चलने वाली है. मणिशंकर अय्यर जैसे नेता पार्टी में गरम दल की नुमाइंदगी करेंगें, जो विभिन्न मसलों पर पार्टी के इतर राय रख सकते है. जिसका जरूरत पड़ने पर पार्टी इस्तेमाल कर सकती है. अगर पार्टी को पंसद नहीं आता तो किनाराकशी अख्तियार कर सकती है.

हालांकि मकसद साफ है, सरकार और प्रधानमंत्री पर निशाना साधना. वहीं राहुल गांधी और उनकी टीम गांधीगिरी का रास्ता अपनाएगी. जिस तरह की झप्पी राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को दी है.

उस तरह का अभियान राहुल गांधी जारी रख सकते है. इससे राहुल गांधी की इमेज बनाने में पार्टी को आसानी होगी. राहुल गांधी सहिष्णुता और प्यार मुहब्बत की बात करके प्रधानमंत्री के इमेज को डेंट लगाएंगें. जिस तरह अटलजी के अंतिम संस्कार में कांग्रेस अध्यक्ष ने तत्परता दिखाई है. वो एक बानगी है.

वहीं गरम दल वक्त-वक्त पर पीएम के खिलाफ ऐसी बात कह सकता है, जो पार्टी का वफादार सुनना चाहता है.खासकर ऐसे लोग जिनको लग रहा है कि पार्टी बचाव की मुद्रा में ज्यादा है. कांग्रेस का गरम दल इस धारा के लोगों को खुश रख सकता है.

प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलने से परहेज नहीं

कांग्रेस में पहले ये तय नहीं हो पा रहा था कि प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलना चाहिए कि नहीं, लेकिन अब तय हो गया है कि इससे कोई परहेज नहीं है. कांग्रेस को लग रहा है कि जनता प्रधानमंत्री और सरकार के खिलाफ सुनना चाहती है. इसलिए ऐसे मुद्दे उठाने की शुरुआत हो गयी है. जिससे ये साबित हो जाए कि कुछ ना कुछ गड़बड़ चल रहा है.

जैसे नीरव मोदी का मसला है. इस तरह के मुद्दे से पीएम की साख पर बट्टा लगाया जा सकता है. करप्शन पर जनजागरण अभियान की तैयारी है. जिसे पार्टी गांव-गांव तक ले जा रही है. इसमें सभी बड़े नेताओं को शामिल होने का फरमान दिया गया है.

सीधे निशाना लगाने का मकसद

कांग्रेस 1989 के वी पी सिंह का फार्मूला अपनाने में लगी है. जिस तरह वी पी सिंह ने 403 लोकसभा सदस्य वाली पार्टी कांग्रेस को घेरा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर बोफोर्स तोप को लेकर आरोप लगे.

वी पी सिंह ने राजीव गांधी के खिलाफ अभियान चलाया और मजबूत गठबंधन के जरिए कांग्रेस के विकल्प के तौर पर खड़े हुए, नतीजा सबको पता है. राजीव गांधी की पार्टी चुनाव हार गई. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी इस फार्मूले पर हैं. एक तो मजबूत गठबंधन बनाने की कवायद कर रहें हैं. वहीं सीधे प्रधानमंत्री को निशाना बना रहे हैं.

इस तरह से मोदी का विकल्प कौन वाले सवाल का जवाब दिया जा रहा है. जिस तरह से 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी का विकल्प कौन है, इस सवाल पर कांग्रेस चुप रही, सोनिया गांधी और कांग्रेस ने ये नहीं बताया कि अटल जी का विकल्प कौन है.

राहुल गांधी भी यही करना चाहते हैं. एक तरफ गठबंधन दूसरी तरफ प्रधानमंत्री को डिस्क्रेडिट करने की योजना, जिससे जनता का मोह बीजेपी से भंग हो जाए.

राहुल गांधी की उम्मीद

राहुल गांधी कई बार ये दोहरा चुके हैं कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री नहीं बनने जा रहें हैं. कांग्रेस का भरोसा बन रहे गठबंधन पर है. लेकिन ये बात भूल रहे हैं कि मोदी-शाह की जोड़ी लगभग अजेय जैसी हो रही है.

बीजेपी का काम चुनाव की मशीन की तरह है. जहां हर वक्त चुनाव और समीकरण पर ध्यान दिया जाता है. कांग्रेस को बीजेपी से मैच करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी.

आज का पांचांग

🌷🌷🌷पंचांग🌷🌷🌷
21 अगस्त 2018, मंगलवार

विक्रम संवत – 2075
अयन – दक्षिणायन
गोलार्ध – उत्तर
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – एकादशी
नक्षत्र – मूल
योग – विष्कुम्भ
करण – वणिज

राहुकाल –
3:00 PM – 4:30 PM

🌞सूर्योदय – 05:56 (चण्डीगढ)
🌞सूर्यास्त – 18:55 (चण्डीगढ)
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चोघड़िया मुहूर्त- एक दिन में सात प्रकार के चोघड़िया मुहूर्त आते हैं, जिनमें से तीन शुभ और तीन अशुभ व एक तटस्थ माने जाते हैं। इनकी गुजरात में अधिक मान्यता है। नए कार्य शुभ चोघड़िया मुहूर्त में प्रारंभ करने चाहिएः-
दिन का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
लाभ 10:46 12:24 शुभ
अमृत 12:24 14:01 शुभ
शुभ 15:39 17:16 शुभ
रात्रि का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
लाभ 20:17 21:40 शुभ
शुभ 23:03 00:22 शुभ
अमृत 00:22 01:45 शुभ

इंडिया टुडे के सर्वे अनुसार, अभी चुनाव हुए तो एनडीए सत्ता प्राप्त कर लेगा

 

नई दिल्ली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में अभी चुनाव हुए तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 2019 में सत्ता को बनाए रखने में कामयाब होगी। इस बार यह बहुमत के आंकड़े से बहुत ज्यादा दूर नहीं रहेंगे। यह सब आंकडे इंडिया टुडे के मूड ऑफ द नेशन जुलाई 2018 चुनाव पूर्व ओपनियन पोल के अनुसार बताया गया है। इस सर्वे के अनुसार कांग्रेस की अगुवाई वाली यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलाइंस (यूपीए) मोदी और शाह की जोड़ी को नई दिल्ली से दूर कर करने में कामयाब करती हुई नहीं लग रही है।

इन आंकडों के आधार पर मोदी सत्ता पर फिर से काबिज होते नजर आ रहे हैं। लेकिन इन आंकडों के अनुसार विपक्षी गठबंधन मजबूत बनकर उभरेगा। यह सर्वे 97 संसद क्षेत्र और 197 विधानसभा क्षेत्रों के 12,100 लोगों के बीच किया गया है। यह सर्वे 18 जुलाई, 2018 से लेकर 29 जुलाई 2018 के बीच कराया गया था। जुलाई 2018 सर्वे के अनुसार, यूपीए को जनवरी 2018 सर्वे की तुलना में सीट-साझा करने के पूर्व अनुमान के आधार पर 20 सीटों की पर बढत होती नजर आ रही है। चुनावी ओपनियन पोल के अनुसार, एनडीए लोकसभा चुनाव में 543 सदस्यीय लोकसभा में 281 सीटों के करीब पहुंच जाएंगे। दूसरी ओर यूपीए के खाते में 122 सीटें जाने का दावा कर रही हैं। अन्य सहयोगी दलों के खाते में शेष 140 सीटें आने की उम्मीद जताई जा रही है।

इस आंकडे के अनुसार वोट शेयर के आधार पर एनडीए के खाते में 36 प्रतिशत और यूपीए के खाते में 31 प्रतिशत वोट आने की संभावना बताई जा रही है। हालांकि इस बार इसमें 4 फीसदी वोटों की गिरावट दिख रही है जो कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए के पक्ष में जाता दिखाई दे रहा है।यह सर्वेक्षण वर्तमान राजनीतिक हालात पर आधारित बताए जा रहे हैं। एनडीए के आंकडों को बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) को अपने साथ बनाए रखना जरूरी होगा। इस सर्वे में सबसे बडी बात निकलकर आ रही है कि भाजपा लोकसभा में अपनी स्थिति मजबूत बनाए हुए है।

राजनीति के रास्ते आगे बढ़ रही है वाजपेयी की विरासत


अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी के नेता उससे होने वाले फायदों को भी खूब भुना रहे हैं


हरिद्वार में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलश को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हरकी पैड़ी पहुंचे. इस मौके पर कई और नेता-मंत्री भी मौजूद रहे. उनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भी परिवार समेत मौजूद थी. अटल जी की अस्थियां मोक्षदायिनी गंगा में विसर्जित कर दी गईं.

इस मौके पर भी बीजेपी के सभी दिग्गजों की मौजूदगी यह बताने के लिए काफी था कि कैसे बीजेपी आलाकमान ने अपने सबसे प्रिय नेता की विरासत को संजोने, संभालने और उसको आगे बढ़ाने के लिए अपने-आप को अटल जी के प्रति समर्पित कर दिया है.

राजनीति के एक युग का अंत

16 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी ने जब दिल्ली में एम्स में अंतिम सांसे लीं. उस दिन सुबह से लेकर रात तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, मोदी सरकार के सभी मंत्रियों के अलावा बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक सबने एम्स से लेकर बाद में उनके सरकारी आवास तक अपने-आप को सीमित कर दिया. पल-पल उनकी सेहत का समाचार लेने के लिए सभी तत्पर रहे.

अगले दिन सुबह जब उनके पार्थिव शरीर को बीजेपी के केंद्रीय कार्यालय में लाया गया तो वहां भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह लगातार पार्टी दफ्तर में वहां मौजूद रहे, जहां बीजेपी के सभी नेता और कार्यकर्ताओं के अलावा अटल जी को चाहने वालों का श्रद्धांजलि देने के लिए तांता लगा था. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस मौके पर लगातार मोदी-शाह के साथ बैठे दिखे. इसके बाद अंतिम यात्रा में स्मृति स्थल तक बीजेपी के सभी नेता अंतिम यात्रा में पैदल ही गए.

उनके अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थि यात्रा को विसर्जित करने की बात हो या फिर बीजेपी शासित राज्यों में उनकी विचारों और उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाने की बात हो, बीजेपी की तरफ से प्रयास जारी है.

अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि यूपी रही है. यूपी के बलरामपुर से ही अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार 1957 में सांसद चुने गए. बाद में उन्होंने प्रधानमंत्री रहते लखनऊ का भी प्रतिनिधित्व किया. कानपुर में उन्होंने पढ़ाई की थी. इस लिहाज से यूपी से उनका काफी गहरा नाता रहा है.

कर्मभूमि है यूपी 

अटल जी के पंचतत्व में विलीन होने के बाद अब उनकी यादों को संजोने के लिए यूपी सरकार ने कई बड़े फैसले किए हैं. यूपी में चार स्थलों लखनऊ, कानपुर, बलरामपुर और आगरा में अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक बनाने का फैसला किया गया है जहां से उनकी यादें जुड़ी हुई हैं. इसके अलावा यूपी सरकार ने तय किया है कि प्रदेश की हर छोटी-बड़ी नदियों में अटल अस्थि कलश को विसर्जित किया जाएगा. हालाकि सबसे पहले हरिद्वार में अस्थि कलश यात्रा के बाद उनका अस्थि विसर्जन किया गया है.

यूपी के अलावा बिहार समेत देश के लगभग हर राज्य में उनका अस्थि विसर्जन किया जा रहा है. लेकिन, इस वक्त मध्य प्रदेश में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरफ से अटल जी के सम्मान में नई-नई घोषणाओं का अंबार लग रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के सात शहर भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर और सतना को अटल स्मार्ट सिटी का नाम दिया है. ये सभी शहर अब अटल स्मार्ट सिटी कहे जाएंगे.

इसके अलावा उनके नाम पर और भी कई योजनाओं का नामकरण किया जा रहा है. अगले साल से मध्य प्रदेश के स्कूलों में अटल जी की जीवनी भी पढ़ाई जाएगी. भोपाल में बन रहे विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन का नाम भी अटल जी के नाम पर करने का फैसला किया गया है.

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्यप्रदेश में ही हुआ था. प्रारंभिक शिक्षा भी उनकी वहीं हुई थी. यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने प्रदेश की मिट्टी मैं पैदा हुए इस महान शख्स की यादों को अनंत काल के लिए यादगार बनाने में लगे हैं.

वाजपेयी, शिवराज और विधानसभा चुनाव

दरअसल, मध्यप्रदेश में इसी साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. पिछले पंद्रह साल से प्रदेश की सत्ता में बीजेपी है. इस वक्त राज्य भर में अलग-अलग जगहों पर दौरा करके शिवराज सिंह चौहान अपनी सरकार बनाने की कवायद कर रहे हैं. लिहाजा वह पार्टी के भीष्म पितामह के नाम और काम के दम पर लोगों को जोड़ने में जुटे हैं.

बात अटल जी के सम्मान की कही जा रही है. लेकिन, उनकी जिंदगी से जुड़े हर उस स्थल को विकसित करने, उनके नाम पर सात स्मार्ट शहर का नाम रखने और उनके नाम पर हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने जैसी तमाम कोशिशों से लगता है कि मुख्यमंत्री चौहान  विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता, उनके चाहने वालों का प्यार और उनके प्रति समर्पण को अपने लिए भुनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें कुछ गलत भी नहीं है, क्योंकि अटल जी बीजेपी के सबसे बड़े और कद्दावर नेता थे.

दरअसल बीजेपी अटल जी के नाम और उनके काम का फायदा आगे भी लेना चाह रही है. उनके आदर्शों और उनके विचारों की पोटली को अपना विरासत बनाकर उसे सहेजने की उसकी कोशिश से इस बात की झलक मिल रही है कि पार्टी उनकी विरासत को लेकर कितनी सजग है.

यूपी भी पीछे नहीं

मध्यप्रदेश भले ही अटल जी की जन्मभूमि रही हो, लेकिन, उनकी कर्मभूमि यूपी को ही माना जाता है. उनकी कर्मभूमि यूपी में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उनकी यादों को संजोने-संवारने के प्रति दिखाया गया उत्साह, इतिहास में शामिल हो चुके इस अजातशत्रु के सम्मान में स्मारक का निर्माण कराना और सर्वजन के लोकप्रिय अपनी मधुर वाणी से सबको मंत्रमुग्ध करने वाले जननेता की अस्थियों को पूरे प्रदेश की नदियों में प्रवाहित करना यह दिखाता है कि योगी भी अटल जी के प्रति सम्मान के साथ-साथ उनके प्रति अपने समर्पण और लगाव को दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

भले ही मध्यप्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. लेकिन, आने वाले दिनों में यूपी के भीतर भी अटल जी के नाम, काम और उनके सपने को साकार करने को लेकर योगी सरकार अपनी वचनबद्धता और प्रतिबद्धता दिखा रही है. उनके नाम का सियासी फायदा लेने से बीजेपी यूपी में भी नहीं हिचकेगी.

बीजेपी की तरफ से देश भर में अटल बिहारी वाजपेयी के काम को लेकर जिस तरह से दिखाने और आगे बढ़ाने की कोशिश हो रही है, उससे साफ है कि वो अटल जी की विरासत पर पूरी तरह से अपना हक जता रही है. अटल जी की उदार छवि के नाम पर उन्हें नेहरुवादी बताने वालों के लिए पार्टी कोई स्पेस नहीं छोड़ना चाहती.

भाजपा विधानसभा के आम चुनाव को अटल जी के नाम पर लड़ने की रणनीति बना रही है


प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह को लगता है कि यदि कांग्रेसी अटल जी की श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लेंगे तो बीजेपी को वाजपेयी के निधन पर राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा


16 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के साथ ही मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति में जबरदस्त बदलाव किया है. स्वर्गीय वाजपेयी का मध्यप्रदेश से गहरा रिश्ता रहा है. भारतीय जनता पार्टी नवंबर में होने वाले विधानसभा के आम चुनाव को अटल जी के नाम पर लड़ने की रणनीति बना रही है. उनके भाषणों और कविताओं के जरिए लोगों को जोड़ने की योजना है. स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर कई स्थानों का नामकरण किया जा रहा है. सरकारी योजनाओं का नामकरण भी अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने की योजना है. अब तक बीजेपी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर योजनाओं का नामकरण करती रही है.

गांव-गांव में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

चुनावी रणनीति के पहले चरण में 22 से 25 अगस्त के बीच सभी जिला मुख्यालय में और आगामी 25 से 30 अगस्त के बीच सभी विकासखंड और ग्राम पंचायतों में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी. अटल जी की अस्थियों को नर्मदा-क्षिप्रा सहित प्रदेश की सभी प्रमुख नदियों में प्रवाहित किया जाएगा.

मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने बताया कि पार्टी की सभी इकाईयों को श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने के लिए कहा गया है. मुख्य आयोजन 21 अगस्त को भोपाल में और 22 अगस्त को ग्वालियर में होगा. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अस्थि कलश वितरण के कार्यक्रम में कुछ बदलाव किए जाने के कारण कलश के भोपाल पहुंचने की संभावनाएं बहुत कम हो गईं हैं. मीडिया प्रभारी पाराशर ने कहा कि कलश ग्वालियर पहुंच सकता है. इसके बाद राज्य की नदियों में अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी.

मध्यप्रदेश, अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों ही रही है. ग्वालियर और विदिशा से वाजपेयी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था. ग्वालियर में वे माधवराव सिंधिया से हुए मुकाबले में चुनाव हार गए थे. विदिशा से वे 1991 का लोकसभा चुनाव लड़े थे. बाद में उन्होंने विदिशा सीट से त्यागपत्र दे दिया था. शिवराज सिंह चौहान पहली बार लोकसभा में वाजपेयी द्वारा खाली की गई सीट से उप चुनाव जीतकर पहुंचे थे. इस कारण वाजपेयी का शिवराज सिंह चौहान से लगाव भी काफी था. उमा भारती के भारी विरोध के बाद भी वाजपेयी ने ही शिवराज सिंह चौहान को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था.

जब अटल जी जीवित थे तब उनके नाम पर था सुशासन संस्थान

साल 2004 तक केंद्र की सत्ता में रही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के कामकाज को भारतीय जनता पार्टी सुशासन के उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत करती रही है. मध्यप्रदेश सरकार के कामकाज में सुशासन लाने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2007 में सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान की स्थापना की थी. यह संस्थान सरकार की फ्लैगशिप स्कीम का लगातार विश्लेषण करता रहता है. नीति और नियमों में भी बदलाव के सुझाव सरकार को दिए जाते हैं. इसी संस्थान ने राज्य के सभी 51 जिलों में सीएम यंग प्रोफेशनल्स फॉर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 51 युवाओं को नियुक्त किया है. वे जिले की राजनीतिक और प्रशासनिक घटनाओं की जानकारी सीधे मुख्यमंत्री को भेजते हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रेलवे स्टेशन से लेकर स्मार्ट सिटी तक का नामकरण वाजपेयी के नाम पर करने का ऐलान किया है. ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में भव्य स्मारक और स्मृति भवन भी बनाया जाएगा. स्मारक भोपाल में भी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है.

ग्वालियर के गोरखी के जिस विद्यालय में वाजपेयी कक्षा छह से आठ तक पढ़े थे उसे उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा. इसमें स्मार्ट क्लास, प्लेनेटोरियम और म्यूजियम बनाया जाएगा, साथ ही अटल जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी.

भोपाल में 600 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे ग्लोबल स्किल पार्क का नाम स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर रखा जाएगा. प्रदेश के स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किए जा रहे सात शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और सतना में वाजपेयी के नाम पर विश्वस्तरीय पुस्तकालय स्थापित किए जाएंगे. इन पुस्तकालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में युवाओं के लिए कोचिंग, शोध और सामाजिक चिंतन के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा.

इसी तरह सात स्मार्ट सिटी में बन रहे इनक्यूबेशन सेंटर्स का नाम भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के नाम पर होगा. इन सेंटर्स पर मध्यप्रदेश के युवाओं को स्टार्टअप स्थापित करने की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अटल जी की प्रतिमा के साथ उनके कार्यों को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा ताकि भावी पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके. प्रदेश में श्रमिकों के बच्चों के लिए बनाए जा रहे चार श्रमोदय विद्यालयों के नाम भी स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर रखे जाएंगे. विदिशा में शुरू हो रहे मेडिकल कॉलेज का नाम भी अटल जी के नाम पर रखा जाएगा. भोपाल के अत्याधुनिक हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है.

मुख्य धारा में आ सकते हैं वाजपेयी के परिजन

मध्यप्रदेश सरकार स्कूली पाठ्यक्रम में भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की जीवनी अगले सत्र से शामिल करने जा रही है. वाजपेयी के प्रति पार्टी नेतृत्व,अति सक्रियता दिखाकर राज्य के ब्राह्मण वोटरों को साधने की कोशिश कर रहा है. मध्यप्रदेश में वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा मुरैना से सांसद हैं. वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य के साथ अनूप मिश्रा भी हर संस्कार को पूरा कराने में लगातार सक्रिय हैं. स्वर्गीय वाजपेयी का भी अनूप मिश्रा से काफी लगाव था.

एक समय राज्य के सबसे ताकतवर मंत्री रहे अनूप मिश्रा इन दिनों पार्टी में उपेक्षित चल रहे हैं. वाजपेयी के निधन के बाद यह माना जा रहा है कि पार्टी अनूप मिश्रा को वापस राज्य में सक्रिय कर सकती है. ग्वालियर-चंबल संभाग में मिश्रा का काफी असर है. राज्य में पार्टी की आंतरिक राजनीति के कारण अनूप मिश्रा सक्रिय दिखाई नहीं देते हैं. मिश्रा के अलावा वाजपेयी परिवार का कोई अन्य सदस्य राजनीति में नहीं है.

श्रद्धांजलि सभा में कांग्रेसी भी हिस्सा ले सकते हैं?

हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा को पूरी तरह अराजनीतिक रखने की कोशिश कर रहे हैं. पार्टी के सूत्रों ने दावा किया है कि श्रद्धाजंलि सभा में पार्टी के झंडे नहीं लगाए जाएंगे. इसके बाद भी कांग्रेस को लग रहा है कि वाजपेयी के निधन को बीजेपी चुनाव में भुनाना चाहती है. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि जिस तरह से प्रदेश भर में होर्डिंग लगाए गए हैं, उससे लग रहा है कि वाजपेयी की मौत को बीजेपी इवेंट के रूप में प्रस्तुत कर रही है. प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह ने सभी कांग्रेस नेताओं से अपील की है कि वे श्रद्धांजलि सभा में जरूर हिस्सा लें. प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह को लगता है कि यदि कांग्रेसी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे तो बीजेपी को वाजपेयी के निधन पर राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा.

अटल जी की जीवनी स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में होगी

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अटल जी की जीवनी अगले वर्ष से स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी. स्वर्गीय अटल जी के नाम से तीन राष्ट्रीय पुरस्कार स्थापित किए जाएंगे. पांच-पांच लाख रुपए के यह पुरस्कार कविता, पत्रकारिता और सुशासन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को दिए जाएंगे.

Farhan is portrayed as milkha singh in west bengal text book


Later in a tweet, Derek O’Brien replied the education minister told him that the book was not for a goverment schools neither it is published by the government.


Hindi film actor Farhan Akthar has asked the state government to make changes in a textbook which has used his photograph in place of Olympian Milkha Singh. The photograph is from the 2013 movie “Bhaag Milkha Bhaag”, where the actor played the athlete.

Posting a picture of the textbook which has his photograph, Akthar tweeted, “To the Minister of School Education, West Bengal. There is a glaring error with the image used in one of the school text books to depict Milkha Singh-ji. Could you please request the publisher to recall and replace this book? Sincerely”.


Farhan Akhtar

@FarOutAkhtar

To the Minister of School Education, West Bengal.
There is a glaring error with the image used in one of the school text books to depict Milkha Singh-ji. Could you please request the publisher to recall and replace this book?
Sincerely. @derekobrienmp

Lyfe Ghosh@Lyfeghosh


image of @FarOutAkhtar is portrayed as milkha singh in west bengal text book. not at all shocked. its became regular incident here @ShefVaidya @ShankhNaad


Speaking to reporters on the matter, the Education Minister Partha Chatterjee said he would personally look into it. “We will look into it and rectify the mistake. It should not have happened,” he said. He also tagged Trinamool Congress spokesperson Derek O’Brien in his tweet.

Later in a tweet, Derek O’Brien replied the education minister told him that the book was not for a goverment schools neither it is published by the government. “… Checked with Education Min of State. He tells me it isn’t a text book for government schools. Nor is it published by government. Trying to track the private publishing company. They ought to correct the mistake in future editions,” he tweeted.

Vajpayee never buckled under pressure, he was ‘Atal’ after all: Modi


Right from his adolescence till the end of his life, Vajpayee lived for the aspirations of the people of the country, PM Narendra Modi said at the prayer meeting.


Addressing an all-party prayer meeting on Monday to remember Atal Bihari Vajpayee, Prime Minister Narendra Modi said the former prime minister was true to his name while taking tough decisions and never buckled under pressure. Right from his adolescence till the end of his life, Vajpayee lived for the aspirations of the people of the country, Modi said at the prayer meeting.

“Vajpayee-ji has set an example for all, he dedicated his life to the nation right from adolescence till the end of his life. In his youth itself he had decided that he wanted to serve his fellow Indians,” Modi said.

Saying that Vajpayee entered politics when only one party dominated the political discourse, Modi said that despite spending several years in the opposition, the 93-year-old leader never compromised on his ideology.

“He spent several years in opposition, but never compromised his ideology. His efforts ensured that India became a nuclear power and attributed the tests to the brilliance of our scientists. He never buckled under pressure. He was Atal after all,” Modi said.

Narendra Modi visits Atal Bihari Vajpayee in new delhi after becoming chief minister of Gujarat  

The meeting was held a day after the former PM’s ashes were immersed in the river Ganga. The prayer meeting was attended by Union Minister Rajnath Singh, Congress leader Ghulam Nabi Azad, RSS chief Mohan Bhagwat, BJP veteran LK Advani and former Jammu and Kashmir Chief Minister Mehbooba Mufti among others.

The prayer meeting started with a short documentary on the life of the former PM. UPA chairperson Sonia Gandhi and Congress chief Rahul Gandhi did not attend the meeting due to functions linked to the birth anniversary of former prime minister Rajiv Gandhi.

Modi further said it was Vajpayee who changed the narrative when some countries were cornering India on the Kashmir issue. “Due to Vajpayee ji, terrorism became an important issue on the world stage,” he said. No party was willing to support Vajpayee when he formed the government for 13 days, Modi said, referring to the short-lived NDA government in 1996.

“The government fell. He did not lose hope and remained committed to serving the people,” he told the gathering and added that Vajpayee showed the way when it came to coalition politics. He distinguished himself as a parliamentarian and was proud of parliamentary traditions, Modi said.

Delhi court allows Tharoor to travel abroad


He is going to the Swiss city also to seek international aid for the floods-hit Kerala.


A Delhi court on Monday allowed Congress leader Shashi Tharoor to travel to Geneva to express condolences to the family of former United Nations Secretary-General Kofi Annan and also to seek international aid for Kerela,which is reeling under unprecedented floods.

Additional Chief Metropolitan Magistrate Samar Vishal allowed Mr. Tharoor to travel on Monday after his counsel said the politician worked under Annan for 10 years and he was his mentor at the United Nations.

Annan died on August 18, 2018.

Senior advocate Vikas Pahwa and advocate Gaurav Gupta, appearing for Mr. Tharoor, also told the court that the politician was going to seek international assistance through the United Nations for the victims of Kerala floods.

The Thiruvananthapuram MP is on regular bail in a case relating to his wife Sunanda Pushkar’s death almost four years ago in a luxury hotel in New Delhi.

“I am allowing the application. Inform the investigating officer about your schedule,” the Judge said.

Counsel said Mr. Tharoor was scheduled to leave on August 20 evening and return the next day.

Sunanda Pushkar was found dead in a suite of a luxury hotel in the city on the night of January 17, 2014. The couple was staying in the hotel, as the official bungalow of Shashi Tharoor was being renovated at that time.