श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षाबंधन की कोटी कोटी बधाई

GGSCW-26 FRESHERS’ PARTY 2018

Photo: Rakesh Shah

Joyful exuberance and high spirits marked the Freshers’ Party organized by the students and staff of Guru Gobind Singh College for Women, Sector 26 on August 24, 2018. The purpose of the event was to make the new students feel like an integral part of the college family. The young girls looked radiant in their best attires.

 The event was set on course by a spectrum of items with foot-tapping music, including Manipuri, Classical, Western and Punjabi dance performances, and modelling. The audience was kept enthralled with the pomp on stage. The young performers were encouraged and supported by their seniors and teachers.

The following titles were awarded to the freshers:

TITLES WINNERS
MISS FRESHER Ankita Trehan (M.Com. I)
1ST RUNNER UP Jasleen Kaur (B.Com. I)
2ND RUNNER UP Shivani Maan (M.Com. I)
MISS ELEGANT Sanskriti Chandel (B.C.A. I)
MISS CHARMING Reeta Bhatt (M.Com. I)

Dr. Jatinder Kaur, the Principal welcomed the “daughters” of GGSCW and highlighted that such programmes generate a feeling of fraternity among the students. The Principal admired the whole-hearted effort made by them and at the same time reminded them to remain focused on their academic goals.

ह्यूमन लाइफ स्कूल के बेघर घुमंतू बच्चों ने धूमधाम के साथ मनाया स्वतंत्रता दिवस, मिला जनसहयोग

15 अगस्त , जयपुर . अनाथ, बेघर, घुमंतू एवं झुग्गी बस्तियों में रहने वाले अत्यंत निर्धन एवं सुविधाहीन गरीब परिवारों के शिक्षा से वञ्चित बच्चों को शिक्षित बनने एवं नशामुक्ति के क्षेत्र में कार्य करने वाली प्रमुख समाज सेवी संस्था “ह्यूमन लाइफ फाउंडेशन” द्वारा स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया . इस कार्यक्रम में फाउंडेशन द्वारा प्रतापनगर एवं महल रोड (जगतपुरा) जयपुर क्षेत्र में स्थित झुग्गी बस्तियों में निःशुल्क संचालित “ह्यूमन लाइफ स्कूल” (चैरिटी स्कूल) की दोनों शाखाओं में पढने वाले कुल ७५ गरीब बच्चों ने भाग लिया.
कार्यक्रम की शुरुआत धजारोहण फिर राष्ट्रगान और पुनश्च कार्यक्रम अध्यक्ष रेणु सिंह द्वारा भारतमाता के चित्र पर माल्यार्पण करने के साथ हुए के साथ हुई. इस अवसर बच्चों की सत्प्रेरणा एवं सहयोग के लिए मुख्य अतिथि सरदार श्री के .पी. सिंह (गारमेंट एक्सपोर्टर), कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमति रेणु सिंह, विशिष्ट अतिथि लोयंस क्लब के श्री बी.पी मूंदड़ा (सी.ए) एवं श्रीमति सीमा दया सहित श्रीमति सीमा चौधरी, श्रीमति बगडा, श्रीमति सुधा मूंदड़ा, श्री प्रदीप जैन सी.ए., श्री ओमप्रकाश गुप्ता, श्री अशोक अग्रवाल जैसे समाज के कई गणमान्य नागरिक व्यक्ति उपस्थित थे. ध्वजारोहण के बाद संस्था के सक्रिय सदस्य श्री ललित जैन, हेमराज चतुर्वेदी एवं रेखा मैडम द्वारा समस्त अतिथियों का माल्यार्पण करके स्वागत किया गया.
इस कार्यक्रम में बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और कविता, देशभक्ति गाने, भारतमाता के भजन एवं देशभक्ति गीतों पर नृत्य परफॉरमेंस करके माहौल को देशक्तिमय बना दिया. छोटे छोटे की परफॉरमेंस देखकर समस्त अतिथि, स्रोता एवं उपस्थित बच्चे, देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत हो गए. जब बच्चों ने जब ‘जागो तो इक बार जागो जागो रे’… गाने का संयुक्तगायन किया तो सभी बच्चो में देशभक्ति और देश पर मर मिटने जज्बा पैदा हो गया. घूमर .., लहरियों सतरंगी…. देश रंगीला रंगीला…. सुनो गौर से दुनिया वालो…. जैसे मधुर गीतों पर बच्चों की डांस परफॉरमेंस को देखकर सभी अतिथियों ने बहुत तारीफ की, इस अवसर पर बच्चों ने प्राणायाम एवं कठिन कठिन योगासन करके भारतमाता की जय और वन्देमातरम् के नारे लगाये. जिन बच्चों ने कार्यक्रम में भाग लिया उन सभी बच्चों को मुख्यातिथि की ओर से पानी की बोतलें गिफ्ट की गई.
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि श्री के पी सिंह जी ने बच्चो को संवोधित करते हुए कहा की पढ़ लिखकर ही तुम आगे बढ़ सकते हो इसलिए पढाई को जीवन का नित्य हिस्सा बनाना. विशिष्ट अतिथि लोयंस क्लब के श्रीमति मूंदड़ा ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उदाहारण देकर गरीब श्री बच्चों को भांति भांति से बच्चों को आगे बढ़ने एवं हर समय चहरे पर खुशी बनाये रखने के लिए प्रेरित किया..और घुमंतू एवं गरीव तबके के लिए ट्रस्ट द्वारा किये जारहे सेवाकार्यों को महान एवं राष्ट्रनिर्माण का कार्य बताकर ट्रस्ट के फाउंडर हेमराज चतुर्वेदी एवं सम्पूर्ण टीम की बहुत तारीफ की. , इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि श्रीमति सीमा दया ने सेवा कार्य को प्रसंसनीय बताया और बच्चो के की शिक्षा , स्वस्थ एवं स्वच्छता पर बल देने हुए बच्चो को निरोग रहने एवं बड़े होकर देश सेवाका सन्देश दिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमति रेनू सिंह ने बच्चो को अशिक्षा ,कुपोषण जैसी समस्याओं पर बल देते हुए शिक्षा लेने वाले एवं इन बच्चों को दोपहर के भोजन की उपलब्धता पर बल दिया और इस हेतु संस्था की स्वयं की किचिन सेटअप करने के लिए उन्होंने कुछ बर्तन भी भेंट किये. जिससे की फ़ूड रिलीफ कार्य को गति मिलसके किया जा सके.
राष्ट्रीय पर्व पर खुसी के इस अवसर पर कार्यक्रम के अंत में सभी बच्चो को मुख्य अतिथि जी के आर्थिक सहयोग से मिठाई, फल, फ्रूटी जूस, श्री मूंदड़ा की ओर से पानी की बोतलें, स्कूल गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष श्री रमेश कुमार की ओरे से सभी बच्चों को पेंसिल बॉक्स वितरित किये गए. इन सबको पाकर बच्चे बहुत ही खुश और आनंदित हुए. आज उनके अन्दर भी हमने देश के के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा आसानी से देखा जा सकता था. और भारतीय समाज में वैचारिक परिवर्तन हो रहा है , हिन्दू समाज के हृदय में सेवाकार्यो के प्रति सकारात्मकता आने लगी है इसका उदहारण तब देखने को मिला जब हमारे एक पडौसी ने जगदीश की प्रसादी के नातेसभी बच्चों को खाना भी खिलाया… तो फिर बात ही क्या है ? बच्चे भी खुश….. और बाँटने बाले भगत भी खुश … और भगवान भी खुश… और हम भी खुश !
ह्यूमन लाइफ फाउंडेशन के फाउंडर हेमराज चतुर्वेदी ने बताया कि ट्रस्ट के सेवा कार्यों से प्रभावित होकर अतिथियों ने स्कूल को आर्थिक सहयोग भी दिया. श्री प्रदीप जैन सी.ए., श्री ओमप्रकाश गुप्ता एस .ई. एवं श्री अशोक अग्रवाल जी तीनों सहयोगियों ने मिलकर ११,०००/- रूपये का सहयोग प्रदान किया. इसी तरह श्रीमति बगडा ने भी ५०००/- का सहयोग देकर दूसरों सक्षम लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं.
हेमराज चतुर्वेदी ने कार्यक्रम के अंत में सभी सहयोगियों, अतिथियों , बच्चों, शिक्षिकों एवं वोलुन्टीयरस को धन्यवाद् एवं स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी.

जन्मदिन मुबारक


Purnoor, Page 3 Editor, www.demokraticfront.com

 

आपको, आपके जन्मदिन पर बहुत बहुत बधाईयाँ, आपकी शुभ जन्म तिथि पर मैं आपका हृदय के अंतः स्थल की गहराईयों से अभिनन्दन और वंदन करता हूँ।

जीवेम शरद: शतम,

आप सुखी रहें, मन में शांति हो, जीवन समृद्धिवान हो, आपका व्यक्तित्व कीर्तिवान हो , यशवान हो, आयुष्मान हो, आप स्वस्थ रहें, दीर्घायु रहें, आपकी कीर्ति की पताका निरंतर फहराती रहे, आने वाला प्रत्येक नया दिन, आपके जीवन में अनेकानेक सफलताएँ एवं अपार खुशियाँ लेकर आये ! इस अवसर पर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह, वैभव, ऐश्वर्य, उन्नति, प्रगति, आदर्श, स्वस्थ तन और स्वच्छ मन, प्रसिद्धि और समृद्धि के साथ आजीवन आपको जीवन पथ पर गतिमान रखे।

दिनं सुदिनं जन्मदिनम तव,
भवतु मंगलम जन्मदिनम।।
विजयी भव सर्वत्र सर्वदा,
भवतु मंगलम जन्मदिनम।।

चंहु और आपकी मानवता के यशोगान गूंजे इन्हीं दुआओं के साथ।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ तथा मंगलकामनांएँ…………………….

लक्ष्य प्राप्ति हेतु कर्तव्य पथ पर परम पिता परमेश्वर और माँ भारती का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे ऐसी प्रार्थना है।

Many Happy Returns of the Day…..
Wish You a Very Happy Birthday…..
May God bless you..

Dinesh Pathak
Advocate
Rajasthan High Court Jaipur,
Vidhi Pramukh, Vishav Hindu Parishad,
Legal Advisor to www.demokraticfront.com

राष्ट्र आराधना का सर्वोत्तम समय

Glorious Independence Day

Let’s pray together for our Matribhumi

 

Cultural bonanza on the eve of Independence Day

pic for representational purposes only

Education Department of Chandigarh administration is organising a colourful cultural program on the eve of Independence day at Tagore Theater sector 18. This bonanza is scheduled at 3:00 pm onwards on 14th August,2018

 

Noble laureate V S Naipaul passes away at 85


In an extraordinary career, Naipaul traveled as a self-described “barefoot colonial” from his rural Trinidad childhood to upper class England


V.S. Naipaul, the Trinidad-born Nobel laureate whose precise and lyrical writing in such novels as A Bend in the River and A House for Mr. Biswas and brittle, misanthropic personality made him one of the world’s most admired and contentious writers, died on Saturday at his London home, his family said. He was 85.

Naipaul’s work reflected his personal journey from Trinidad to London and various stops in developing countries. He was awarded the Nobel Prize for Literature in 2001 “for having united perceptive narrative and incorruptible scrutiny in works that compel us to see the presence of suppressed histories.”

In an extraordinary career spanning half a century, Naipaul traveled as a self-described “barefoot colonial” from his rural childhood to upper class England, and was hailed as one of the greatest writers of the 20th century. From A Bend in the River to The Enigma of Arrival to Finding the Centre, Naipaul’s books explored colonialism and decolonization, exile and the struggles of the everyman in the developing world.

 “If you come from the New World, as I in large measure do, you see all the absurd fantasies people have taken there and the troubles they have wrought as a result,” Naipaul told The Associated Press in 2000. “We were not given a proper history of the New World itself. This was not out of wickedness. It was out of ignorance, out of indifference, out of the feelings that the history of this very small island was not important. These aspects one had to learn and writing took me there. One didn’t begin with knowledge. One wrote oneself into knowledge.”

Naipaul prided himself on his candor, but he had a long history of offensive remarks. Among his widely quoted comments- He called India a “slave society,” quipped that Africa has no future, and explained that Indian women wear a colored dot on their foreheads to say “my head is empty.” He laughed off the 1989 fatwa by Iran’s Ayatollah Khomeini against Salman Rushdie as “an extreme form of literary criticism.”

The critic Terry Eagleton once said of Naipaul- “Great art, dreadful politics.” Caribbean Nobel Laureate Derek Walcott complained that the author’s prose was tainted by his “repulsion towards Negroes.”

C. L. R. James, a fellow Trinidadian writer, put it differently- Naipaul’s views, he wrote, simply reflected “what the whites want to say but dare not.”

Early struggles

Vidiadhar Surajprasad Naipaul Vidia, to those who knew him, was born on Aug. 17, 1932 in Trinidad, a descendant of impoverished Indians shipped to the West Indies as bonded laborers.

“I was born there, yes,” he said of Trinidad to an interviewer in 1983. “I thought it was a great mistake.”

In 1950, Naipaul was awarded one of a few available government scholarships to study in England, and he left his family to begin his studies in English literature at University College, Oxford.

There he met his first wife, Patricia Hale, whom he married in 1955 without telling his family.

After graduation, Naipaul suffered a period of poverty and unemployment- he was asthmatic, starving and depending on his wife for income. Despite his Oxford education, he found himself surrounded by a hostile, xenophobic London.

“These people want to break my spirit … They want me to know my place,” he wrote bitterly to his wife.

Naipaul eventually landed a radio job working for BBC World Service, where he discussed West Indian literature and found his footing as a writer. His breakthrough came in 1957 with his first published novel The Mystic Masseur, a humorous book about the lives of powerless people in a Trinidad ghetto.

Breakthrough novel

Naipaul caught the eye of book reviewers, and in 1959 he won the Somerset Maugham Award with the story collection Miguel Street. In 1961, Naipaul published the celebrated A House for Mr. Biswas. That novel, about how one man’s life was restricted by the limits of colonial society, was a tribute to Naipaul’s father.

“If he had been born in another culture, not a colonial agricultural society, his talent would have given him a reasonable chance somewhere and he would have flourished,” Naipaul told the AP in 2000. “Part of his pathos was that he was born in the wrong place.”

In the years that followed, Naipaul was to travel for extensive periods to pen journalistic essays and travel books. He flew three times to India, his ancestral home, to write about its culture and politics. He spent time in Buenos Aires, Argentina to write about its former First Lady Eva Peron, and went to Iran, Pakistan and Indonesia for books about Islam.

Years before the Sept. 11, 2001 attacks, Naipaul devoted attention to Islamic radicalism in books including Among the Believers and Beyond Belief.

In its Nobel citation, the Swedish Academy called him “a literary circumnavigator, only ever really at home in himself.”

Naipaul’s nonfiction often provoked much anger, and many were offended by his views about Islam and India. Rushdie, for example, thought Naipaul was promoting Hindu nationalism.

Africa also provided the setting for his 1979 novel “A Bend in the River.” His life of travel and transitions was reflected in the 1987 novel The Enigma of Arrival, which some considered his masterpiece.

Knighthood

Naipaul received a knighthood in 1990, and in 2001 was awarded the Nobel Prize in Literature.

As his literary stature grew, so did his reputation as a difficult, irascible personality. Naipaul was a private man and did not have many friends, but his personal life entered the public domain when the American writer Paul Theroux, a one-time friend whose relationship with Naipaul turned sour, published a stinging memoir about Naipaul in 1998.

Sir Vidia’s Shadow described Naipaul as a racist, sexist miser who threw terrifying tantrums and beat up women.

Naipaul ignored Theroux’s book, but he did authorise a candid biography that confirmed some of Theroux’s claims. The biography, published in 2008, devoted chapters to how Naipaul met and callously treated his mistress, an Anglo-Argentine woman who was married and about a decade younger than he was. It recalled Naipaul’s confession to The New Yorker that he bought sex and was a “great prostitute man,” and recorded Naipaul’s frank and disturbing comments on how that destroyed his wife, Hale, who died of breast cancer in 1996.

“It could be said that I had killed her,” he told biographer Patrick French. “I feel a little bit that way.”

Two months after Hale died, Naipaul married his second wife, Pakistani newspaper columnist Nadira Khannum Alvi. Naipaul’s later books lost their playful humor, and some say much of their appeal.

नमस्कार यह संयुक्त राष्ट्र का हिन्दी बुलेट्न है …


भारत के लिए इस पल को ऐतिहासिक माना जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने 22 जुलाई से साप्ताहिक आधार पर हिंदी समाचार बुलेटिन का प्रसारण शुरू किया है. फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर प्रसारण किया जा रहा है. प्रयोग सफल रहने पर इसके नियमित किया जाएगा.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ख़ुद यह जानकारी सार्वजनिक की है. मीडिया के प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत भाषा का दर्ज़ा दिलाने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं. उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रसारित हिंदी समाचार बुलेटिन 10 मिनट का है. इस बुलेटिन के प्रसारण की ज़िम्मेदारी भारत सरकार उठा रही है. इस पर आने वाला ख़र्च भी वही वहन कर रही है.

उन्हाेंने बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत भाषा बनाने का जहां तक सवाल है तो इस वैश्विक संस्था के 193 में 129 सदस्य देशों ने इसका समर्थन किया है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र को यह भरोसा भी दिया है कि हिंदी को अधिकृत भाषा का दर्ज़ा देने पर आने वाला पूरा खर्च भारत सरकार उठाने के लिए तैयार है. भारत की तरह जर्मनी और जापान भी जर्मन और जापानी भाषाओं को संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत भाषा का दर्ज़ा दिलाने और उस पर आने वाला खर्च उठाने को तैयार हैं.

ऊर्जा डांसवर्क्स का डांस परफॉर्मेंस“स्पॉटलाइट-2018” 10 अगस्त को बाल भवन में

फोटो राकेश शाह

चंडीगढ़:(           )कला और संस्कृति को स्ट्रीट और स्टेज स्तर पर प्रमोट करने के उद्देशय से  चंडीगढ़ के सेक्टर 40 स्थित ऊर्जा डांसवर्क्स की ओर से 10 अगस्त को बाल भवन सेक्टर 23 में अपना पहला वार्षिक स्पॉटलाइट-2018 एक डांस परफॉरमेंस का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे अकेडमी के नए व पुराने स्टूडेंट्स अपनी अपनी डांस कला प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। यह जानकारी अकेडमी की निदेशक दिवांशी मिश्रा ने दी।

दिवांशी मिश्रा ख्यातिप्राप्त कत्थक डांसर, यू एस ए से बैचलर इन डांस एंड बिज़नेस, कत्थक में नेशनल स्कालरशिप होल्डर, मारुती सुजुकी कलर्स ऑफ़ युथ सीजन 6-7 की डांस मेंटर, आदित्य बिरला व् चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस कि कोरियोग्राफर और डांस की क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए गवर्नर अवार्डी भी रही है ।

फोटो राकेश शाह

चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में दिवांशी मिश्रा ने बताया कि इस कार्यक्रम में विख्यात भजन गायक कन्हैया मित्तल मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित होंगे और विख्यात टीचर और कोरियोग्राफर कौशल प्रधान बतौर स्पेशल गेस्ट मौजूद रहेंगे। इवेंट के सभी प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा सर्टिफिकेट्स बांटे जायेंगे। यह कार्यक्रम 04 साल की छोटी उम्र के बच्चों से लेकर 40 वर्ष तक के स्टूडेंट्स का है। दिवांशी ने बताया कि कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देशय अकेडमी में डांस सीख चुके और सीख रहे स्टूडेंट्स तथा फैकल्टी कि डांस कला को आगे लाना है। कार्यक्रम की विशेषता अकेडमी की फैकल्टी द्वारा डांस की प्रस्तुति रहेगी। दिवांशी ने आगे बताया कि उनकी डांस अकेडमी डांस कि लगभग सभी विधाओं को सिखाया जाता है।