सुक्षाव देने का मतलब पार्टी से मतभेद नहीं: आनंद शर्मा
कांग्रेस में मजबूत नेतृत्व के गठन को लेकर लिखी गई चिट्ठी से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को इसी मुद्दे पर चर्चा के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी. सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने आनंद शर्मा पर पत्र लिखने का आरोप लगाया और खेद व्यक्त किया कि आजाद, मुकुल वासनिक और आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता उस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में शामिल थे. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट करके कहा कि बीजेपी से मुकाबला करने के लिए भारत को एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है. ईमानदारी से सुझाव देने का मतलब पार्टी से मतभेद नहीं है. काश सभी साथियों ने इसे पढ़ा होता.
चंडीगढ़(ब्यूरो):
कांग्रेस में अंतर्कलह का दौर अभी थमा नहीं है। ट्वीट का सिलसिला अभी भी जारी है। पार्टी नेताओं के ट्वीट से मनभेद व मतभेद साफ झलकते हैं। इसी बीच मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने चिठ्ठी विवाद पर पहली बार चु्प्पी तोड़ी है। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर कहा है कि भाजपा का सामना करने के लिए देश को एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है। उन्होंने ये भी कहा कि सुक्षाव देने का मतलब पार्टी से मतभेद नहीं। ईमानदारी से पार्टी के नवीनीकरण के सुझाव असहमति नहीं हैं। काश, सभी साथियों ने इसे पढ़ा होता।
दरअसल, शर्मा ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के ट्वीट का जवाब देते हुए आनंद शर्मा ने लिखा कि पत्र हमारे दिलों में पार्टी के सर्वोत्तम हित के साथ लिखा गया था और उसमें देश में वर्तमान माहौल पर साझा चिंताओं को व्यक्त किया। ऐसे समय में जब संविधान के मूलभूत मूल्यों पर निरंतर हमला किया जा रहा है। बता दें कि तनखा ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘पत्र नेतृत्व के लिए चुनौती नहीं है, लेकिन पार्टी को मजबूत करने के लिए कार्रवाई की एक बानगी है।’
पटेल ने लगाया था आनंद शर्मा पर पत्र लिखने का आरोप
बता दें कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने आनंद शर्मा पर पत्र लिखने का आरोप लगाया था और खेद व्यक्त किया था कि गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक और आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता उस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में शामिल थे। कांग्रेस कार्यसमिति में सर्वसम्मत से निर्णय लिया गया था कि सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बनी रहेंगी। अध्यक्ष पद के लिए चुनाव अगले चार पांच महीने में होगें। वहीं, बैठक में यह भी तय किया गया कि अब कांग्रेस का सदस्यता अभियान भी शुरू किया जाना चाहिए। इससे पहले बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने पत्र को दुर्भाग्यपूर्ण बताया जबकि एके एंटनी ने पत्र को क्रूर कहा।
गुलाम नबी आजाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने लिखी थी चिट्ठी
बता दें कि गुलाम नबी आजाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया को संगठन में बदलाव के लिए एक पत्र लिखा था। इसमें सीडब्ल्यूसी के सदस्य, यूपीए सरकार में मंत्री रहे नेता और सांसद शामिल थे।