4-2 से फ्रांस ने फिफा 2018 अपने नाम किया
फ्रांस ने फाइनल में क्रोएशिया को 4-2 से पराजित किया. वो 1998 में पहली बार विश्व कप में फाइनल खेली थी और जीतने में सफल रही थी
रेफरी की अंतिम सीटी बजते ही फ्रांस जश्न में डूब गया. मैच के अंतिम पलों में ही बेंच पर बैठे उसके खिलाड़ी, कोच, सपोर्ट स्टाफ और फैंस जश्न में मूड में आ गए थे. फ्रांस ने रविवार को मास्को के लुज्निकी स्टेडियम में फीफा विश्व कप के 21वें संस्करण में एक बार फिर अपनी बादशाहत साबित कर दी. महत्वपूर्ण मौकों पर स्कोर करने की अपनी काबिलियत और भाग्य के दम पर उसने रोमांचक फाइनल में दमदार क्रोएशिया को 4-2 से हराकर दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया.
फ्रांस ने इससे पहले 1998 में विश्व कप जीता था. तब उसके कप्तान डिडियर डेस्चैम्प्स थे जो अब टीम के कोच हैं. इस तरह से डेस्चैम्प्स खिलाड़ी और कोच के रूप में विश्व कप जीतने वाले तीसरे व्यक्ति बन गए हैं. उनसे पहले ब्राजील के मारियो जगालो और जर्मनी फ्रैंज बेकनबॉर ने यह उपलब्धि हासिल की थी.
फ्रांस ने 18वें मिनट में मारियो मांजुकिच के आत्मघाती गोल से बढ़त बनाई, लेकिन इवान पेरिसिच ने 28वें मिनट में बराबरी का गोल दाग दिया. फ्रांस को हालांकि जल्द ही पेनल्टी मिली जिसे एंटोनी ग्रीजमैन ने 38वें मिनट में गोल में बदला जिससे फ्रांस मध्यांतर तक 2-1 से आगे रहा.
पॉल पोग्बा ने 59वें मिनट में तीसरा गोल दागा, जबकि किलियन एम्बाप्पे ने 65वें मिनट में फ्रांस की बढ़त 4-1 कर दी. जब लग रहा था कि अब क्रोएशिया के हाथ से मौका निकल चुका है तब मांजुकिच ने 69वें मिनट में गोल करके उसकी उम्मीद जगाई. क्रोएशिया पहली बार फाइनल में पहुंचा था. उसने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किए और अपने कौशल और चपलता से दर्शकों का दिल भी जीता, लेकिन आखिर में ज्लाटको डॉलिच की टीम को उप विजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा. निसंदेह क्रोएशिया ने बेहतर फुटबॉल खेली लेकिन फ्रांस ने अधिक प्रभावी और चतुराईपूर्ण खेल दिखाया. यही उसकी असली ताकत है जिसके दम पर वह 20 साल बाद फिर चैंपियन बनने में सफल रहा.
दोनों टीमें 4-2-3-1 के संयोजन के साथ मैदान पर उतरी. क्रोएशिया ने इंग्लैंड की खिलाफ जीत दर्ज करने वाली शुरुआती एकादश में बदलाव नहीं किया तो फ्रांसीसी कोच डेस्चैम्प्स ने अपनी रक्षापंक्ति को मजबूत करने पर ध्यान दिया. क्रोएशिया ने अच्छी शुरुआत और पहले हाफ में न सिर्फ गेंद पर अधिक कब्जा जमाए रखा, बल्कि इस बीच आक्रामक रणनीति भी अपनाए रखी. उसने दर्शकों में रोमांच भरा, जबकि फ्रांस ने अपने खेल से निराश किया. यह अलग बात है कि भाग्य फ्रांस के साथ था और वह बिना किसी खास प्रयास के दो गोल करने में सफल रहा.
मैच की महत्वपूर्ण बातें
फ्रांस के पास पहला मौका 18वें मिनट में मिला और वह इसी पर बढ़त बनाने में कामयाब रहा. फ्रांस को दायीं तरफ बॉक्स के करीब फ्री किक मिली. ग्रीजमैन का क्रास शॉट गोलकीपर डेनियल सुबासिच की तरफ बढ़ रहा था. लेकिन तभी मांजुकिच ने उस पर हेडर लगा दिया और गेंद गोल में घुस गई. इस तरह से मांजुकिच विश्व कप फाइनल में आत्मघाती गोल करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए. यह वर्तमान विश्व कप का रिकॉर्ड 12वां आत्मघाती गोल है.
पेरिसिच ने हालांकि जल्द ही बराबरी का गोल करके क्रोएशियाई प्रशंसकों और मांजुकिच में जोश भरा. पेरिसिच का यह गोल दर्शनीय था जिसने लुज्निकी स्टेडियम में बैठे दर्शकों को रोमांचित करने में कसर नहीं छोड़ी. क्रोएशिया को फ्री किक मिली और फ्रांस इसके खतरे को नहीं टाल पाया. मांजुकिच और डोमागोज विडा के प्रयास से गेंद विंगर पेरिसिच को मिली. उन्होंने थोड़ा समय लिया और फिर बाएं पांव से शॉट जमाकर गेंद को गोल के हवाले कर दिया. फ्रांसीसी गोलकीपरी ह्यूगो लॉरिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था.
लेकिन इसके तुरंत बाद पेरिसिच की गलती से फ्रांस को पेनल्टी मिल गई. बॉक्स के अंदर गेंद पेरिसिच के हाथ से लग गई. रेफरी ने वीएआर की मदद ली और फ्रांस को पेनल्टी दे दी. अनुभवी ग्रीजमैन ने उस पर गोल करने में कोई गलती नहीं की. यह 1974 के बाद विश्व कप में पहला अवसर है जबकि फाइनल में मध्यांतर से पहले तीन गोल हुए.
क्रोएशिया ने दूसरे हाफ में भी आक्रमण की रणनीति अपनाई और फ्रांस को दबाव में रखा. खेल के 48वें मिनट में लुका मोड्रिच ने एंटे रेबिच का गेंद थमाई, जिन्होंने गोल पर अच्छा शॉट जमाया. लेकिन लॉरिस ने बड़ी खूबसूरती से उसे बचा दिया.
लेकिन गोल करना महत्वपूर्ण होता है और इसमें फ्रांस ने फिर से बाजी मारी. दूसरे हाफ में वैसे भी उसकी टीम बदली हुई लग रही थी. खेल के 59वें मिनट में किलियन एम्बाप्पे ने दाएं छोर से गेंद लेकर आगे बढ़े. उन्होंने पोग्बा तक गेंद पहुंचाई जिनका शॉट विडा ने रोक दिया. रिबाउंड पर गेंद फिर से पोग्बा के पास पहुंची जिन्होंने उस पर गोल दाग दिया.
इसके छह मिनट बाद एम्बाप्पे ने ने स्कोर 4-1 कर दिया. उन्होंने बाएं छोर से लुकास हर्नाडेज से मिली गेंद पर नियंत्रण बनाया और फिर 25 गज की दूरी से शॉट जमाकर गोल दाग दिया जिसका विडा और सुबासिच के पास कोई जवाब नहीं था. एम्बाप्पे ने 19 साल, 207 दिन की उम्र में गोल दागा और वह विश्व कप फाइनल में गोल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए. पेले ने 1958 में 17 साल की उम्र में गोल दागा था.
क्रोएशिया लेकिन हार मानने वाला नहीं था. तीन गोल से पिछड़ने के बावजूद उसका जज्बा देखने लायक था. लेकिन उसने दूसरा गोल फ्रांसीसी गोलकीपर लॉरिस की गलती से किया. उन्होंने तब गेंद को ड्रिबल किया जबकि मांजुकिच पास में थे. क्रोएशियाई फारवर्ड ने उनसे गेंद छीनकर आसानी से उसे गोल में डाल दिया. इसके बाद भी क्रोएशिया ने हार नहीं मानी. उसने कुछ अच्छे प्रयास किए, लेकिन उसके शॉट बाहर चले गए. इस बीच इंजरी टाइम में पोग्बा को अपना दूसरा गोल करने का मौका मिला, लेकिन वह चूक गए.