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कोरल ‘पुरनूर’, चंडीगढ़ – 10 अक्तूबर: आज 10 अक्टूबर 2020 को पंजाब विश्वविद्यालय ने 2020 ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: कार्यान्वयन के लिए…
Chandigarh September 22, 2020 Dr. Ranjana Bhandari currently working as Assistant Professor (Temporary) at University Institute of Pharmaceutical Sciences, Panjab University, Chandigarhhas…
प्रयागराज में केंद्रीय विश्वविद्यालय के इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के बाद प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय की तर्ज पर अब अलीगढ़ को…
दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद से 11 घंटे लंबी पूछताछ की।…
जब भी हिन्दी दिवस आता है, हिन्दी के अस्तित्व पर खतरे को लेकर बहस और विमर्श शुरू हो जाता है। चंद गोष्ठियां…
राष्ट्र भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। हिन्दी अपनी ताकत से बढ़ेगी। हिन्दी का प्रचार राष्ट्रीयता का प्रचार है। हिन्दी को राष्ट्र…
Chandigarh – 10 Sept: Department of Biotechnology, Panjab University Chandigarh organized a Webinar on National Education Policy 2020 which was inaugurated by…
Chandigarh – 08 Sept. Department of Zoology, Panjab University organized a national webinar on “Prospects of National Education Policy-2020 in higher education”which…
Chandigarh September 4, 2020 हिंदी को ज्ञान की भाषा बनाना जरूरीसूचना प्रौद्योगिकी को अपनाना ही रास्ता चंडीगढ़,4 सितंबर: पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी माह उत्सव के तहत विशेष व्याख्यानपरिचर्चा श्रृंखला की चौथी कड़ी में आज ‘सूचना प्रौद्योगिकी की दुनिया में हिंदी’ विषय पर परिचर्चा हुई, इस परिचर्चा में विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के डॉ. गंगा सहाय मीणा मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। डॉ. मीणा ने कहा कि सूचनाओं और मनोरंजन की भाषा से अब हिंदी को ज्ञान की भाषा बनाना जरूरी है और इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाना ही एक मात्र विकल्प है। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रयोग की जा रही हिंदी में अभी भले ही एकरूपता नहीं है लेकिन फिर भी इसके माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर हिंदी जन जन तक पहुंची है। सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न आयामों को लेकर हिंदी समाज में जागरूकता की कमी है। इसलिए इस दिशा में विशेष प्रयास करने की जरूरत है। एक दशक पहले हिंदी में भी विण्डोज़ आने लगे हैं और लिनक्स ऑपरेटिंग में शुरू से हिंदी आपको मिलेगी। हिंदी की उन्नति के बारे में उन्होंने कहा कि एटीएम में हम खुद ही हिंदी नहीं चुनते, फ़ोन में भी हम हिंदी नहीं चुनते हैं और दिल्ली के नेहरू प्लेस जैसे स्थान जहाँ ऑपरेटिंग सिस्टम ख़ूब मिलते हैं वहां भी अगर हिंदी ऑपरेटिंग सिस्टम मांगेंगे तो वो कहेंगे की ऐसा ग्राहक साल भर में एक दो ही आते हैं। व्याख्यान के बाद प्रश्न उत्तर का सत्र भी हुआ जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से शोधार्थी एवं प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया। विभागाध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि इस वर्ष हिंदी माह उत्सव में विशेष तौर पर ऑनलाइन माध्यम का लाभ उठाकर के देश के विभिन्न हिस्सों के विद्वानों को जोड़ने की कोशिश की गई है ताकि हमारे विद्यार्थी हिंदी की व्यापक पहुंच से अवगत हो सकें। इस कड़ी में अगला व्याख्यान 4 सितंबर को ‘अनुवाद का संसार और हिंदी’ विषय पर होगा। इस व्याख्यान में केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, नई दिल्ली के संयुक्त निदशक विनोद संदलेश मुख्य वक्ता होंगे। 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर इस एक माह के उत्सव का समापन कार्यक्रम होगा जिसमें प्रसिद्ध गीतकार और हिंदी विभाग के पूर्व छात्र डॉ. इरशाद कामिल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। वे ‘हिंदी-उर्दू-पंजाबी की साझा विरासत’ पर अपनी बात रखेंगे। आज के कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से 50 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें विभाग के प्रो. सत्यपाल सहगल, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से डॉ. मंजू पुरी, प्रयागराज से डॉ. ज्ञानेन्द्र शुक्ल और श्री प्रशांत मिश्रा शामिल रहे। इस हिंदी माह उत्सव में 6 विशेष व्याख्यानों के अलावा ‘हिंदी हैं हम’ नाम से कविता लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें अंतिम तिथि तक 115 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं हैं। इस प्रतियोगिता के नतीजे 14 सितंबर के कार्यक्रम में घोषित होंगे। इसके साथ ही विभाग के फेसबुक अकाउंट के माध्यम से कविता वाचन श्रृंखला भी शुरू की गई है।
Chandigarh September 4, 2020 A Webinar on New Education Policy: A roadmap for Engineering Education was organized by UIET, Panjab University, Chandigarh…
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