Thursday, July 10

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम संवाददाता : राजकीय उच्चतर आदर्श माध्यमिक विद्यालय 35, चंडीगढ़ में स्कूल केमूख्याध्यापक देवेंद्र गोसाईं द्वारा लक्ष्मी तरु का पौधा लगाकर वन…

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Chandigarh July 7, 2021 University School of Open Learning, Panjab University, Chandigarh, today organized its sixth annual cultural event Hunar, a…

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Chandigarh June 19, 2021 उपकुलपति पंजाब विश्वविधालय, प्रो राज कुमार ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए प्रो° अशोक सिंह का वेबिनार ‘महाराणा प्रताप के जीवन पर एक नजर और हल्दीघाटी के युद्ध की सच्चाई’ में स्वागत किया। महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व के बारे में बताते प्रो राज कुमार ने बताया की हल्दी घाटी युद्ध की कहानियों से हर व्यक्ति में एक अलग सी ऊर्जा का संचार होता है । त्याग की मूरत महाराणा प्रताप ने सृष्टि मात्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण उदहारण पेश की है। वे कष्ट की जिंदगी जीते हुए भी मातृ भूमि की रक्षा करते रहे। आज के विद्यार्थियों को भी महाराणा प्रताप से प्रेरणा लेनी चाहिए, मात्र भूमि से प्रेम करना चाहिए। वाणी को विराम देते हुए उन्होंने प्रो अशोक जी का पुनः स्वागत किया।  कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रो एस. के. तोमर जी , डीन छात्र कल्याण पंजाब विश्वविद्यालय ने बताया कि हल्दी घाटी की गाथा और महाराणा प्रताप की जीवनी समाज को भविष्य का रास्ता दिखाता है। महाराणा प्रताप जी ने प्रजा और मातृ भूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान दीया। उनका यह बलिदान आगे आने वाली पीढ़ियां याद रखेगी। किताबो में लिखी बातें पूर्णतः सच नही है, महाराणा प्रताप ने हल्दी घाटी युद्ध जीता है। महाराणा प्रताप जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए प्रो दिवेंदर जी, सेक्रेटरी कुलपति पंजाब विश्वविद्यालय ने कई कथाकथित बहुत सी बाते बताई और प्रो अशोक का स्वागत भी किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो अशोक सिंह जी ने विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महाराणा प्रताप जी के जीवन के बारे में शोध संकलन के लिए यूनिटाइड नेशन और भारत सरकार ने एक के कार्य शुरू किया जिसने उन्हें काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इतिहास में बताया गया है की मुगलों को धूल खिलाने में महाराणा प्रताप ने कोई कमी नही छोड़ी। हल्दी घाटी का युद्ध उदयपुर के पास राजसमद नमक जगह पर लड़ा गया। अकबर और महाराणा प्रताप के बीच में लड़ा गया युद्ध इतिहास में एक बड़ा हिस्सा रखता है। प्रताप को मेवाड़ का राज सिंहासन बचपन में ही मिल गया थी। भारत के लोगो ने मुगलों की हिंसा को देखते हुए जोहर शुरू किया। महाराणा ने अपने शासन को मजबूत किया और सम्पूर्ण मेवाड़ पर जीत प्राप्त की। महाराणा ने कभी भी अधीनता स्वीकार न की। मान सिंह ने अकबर की सेना छोड़ कर प्रताप का साथ दिया। मानसिंह ने मित्रता को बढ़ने के लिए प्रताप को एक ही थाली में खाना खाने का आग्रह किया पर महाराणा ने इंकार कर बोला कि अपने अपने घर की बेटी किसी ओर के घर ब्याही है राजपूतों को यह बात शोभा नही देती इसलिए हम मित्र नही हो सकते। प्रो अशोक ने बताया कि महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की सेना पहाड़ों और मैदानों दोनो मे लड़ने<

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