अमृतसर ट्रेन त्रासदी: भीड़ प्रबंधन की नाकामी, सरकारी उदासीनता और संवेदनहीनता बनी दशहरा हादसे की वजह

दशहरे के दिन अमृतसर में रावण दहन देख रहे सैकड़ों लोगों की भीड़ को ट्रेन ने कुचल दिया. इस हादसे में 61 लोगों की मौत हो गई


हादसे से पहले अधिकारियों के एक दल ने आयोजन स्थल का मुआयना किया था लेकिन उन्होंने बस यही देखा-परखा कि मंच पर वीआईपी के बैठने का इंतजाम कैसा है. उनका इस बात पर जरा भी ध्यान नहीं गया कि लोग धोबी घाट की चारदीवारी के बाहर भी जमा होंगे और रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रामलीला देखेंगे


अमृतसर के जोड़ा फाटक से गुजरते हुए उचटती सी नजर भी दौड़ाएं तो जाहिर हो जाता है कि शुक्रवार के रोज दशहरे के जश्न के दौरान 59 लोगों की मौत किसी अचानक हुए हादसे का नतीजा नहीं थी. आपको जान पड़ेगा कि पवित्र शहर के इस इलाके में उत्सवों के आयोजन को लेकर दशकों से उपेक्षा बर्ताव जारी है, इंतजाम में गड़बड़ी चलती आई है और 59 लोगों की मौत इसी बदइंतजामी का नतीजा है.

अधिकारियों ने जुटने वाली भीड़ की परवाह न करते हुए आयोजन करने की इजाजत दे दी

इस साल भी यहां रामलीला का मंचन किसी खुले मैदान में नहीं बल्कि एक बेतरतीब धोबी घाट की चारदीवारी के भीतर हुआ था. बीते 14 वर्षों से ऐसा ही होता आ रहा है. धोबी घाट में चारों तरफ पत्थर की पट्टियां और पानी के गड्ढे हैं. इन्हीं के बीच घास से भरा एक मैदान भी है जिसमें मुश्किल से 2000 लोग समा सकते हैं. इसके बावजूद इस साल के रामलीला के आयोजकों को स्थानीय अधिकारियों ने 20 हजार की तादाद में आ जुटी भीड़ के लिए आयोजन करने की अनुमति दे दी.

पूरे शहर में कम से कम 10 जगहों पर रामलीला का आयोजन था. लेकिन धोबी घाट परिसर में आयोजित होने वाली रामलीला की तरफ लोगों का ध्यान खींचने के लिए आयोजकों ने खूब बढ़-चढ़कर कोशिश की थी. आसपास के इलाके में रंग-बिरंगे, चमकीले पोस्टर लगाकर बताया गया था कि रामलीला का मंचन ठीक-ठीक किस जगह किया जा रहा है और आयोजन के दौरान कौन-कौन से खेल-तमाशे दिखाए जाने हैं. यह पोस्टर अब शुक्रवार को हुए हादसे के गवाह के तौर पर टंगे नजर आ रहे हैं. यह बताते हुए कि रामलीला देखने के लिए आए लोगों के साथ जो कुछ हुआ वो किसी भयानक दु:स्वप्न (बुरा सपने) से कम नहीं था.

जोड़ा फाटक के नजदीक बने घाट के चारों तरफ पक्की दीवार है. चारदीवारी के पूरब में एक ओर बड़ा सा प्रवेश द्वार है. इस प्रवेश द्वार के ठीक सामने भीड़-भाड़ वाली गोल्डेन एवेन्यू स्ट्रीट है. एक मुहाना चारदीवारी के दक्षिण की ओर भी बना है लेकिन यह मुश्किल से 3 फीट चौड़ा, इसलिए इस ओर से गाड़ियों का आना-जाना नहीं हो पाता. घाट के दक्षिण की ओर परिधि की 5 फीट ऊंची दीवार से परे घास से भरी एक मैदानी पट्टी है. इस मैदानी पट्टी से होकर पत्थर की पट्टियों के ऊपर रखकर बनाई गई 3 ट्रैक वाली रेलवे लाइन गुजरती है. हादसे की गवाह बनी इस रेल लाइन से सटी एक बड़ी रिहाइशी बस्ती है. झुग्गी-झोपड़ियों से भरी इस बस्ती में अमृतसर के कामगार तबके के लोग और बिहार-यूपी के कुछ सर्वाधिक गरीब जिलों से आए अप्रवासी मजदूर रहते हैं.

स्थानीय पार्षद इस आयोजन का कर्ता-धर्ता था लेकिन हादसे के बाद वो फरार हो गया 

यह ही अप्रवासी मजदूर रामलीला के इश्तहार के तौर पर लगाए गए रंग-बिरंगे, चमकीले पोस्टर की तरफ आकर्षित हुए थे. रामलीला में स्थानीय कांग्रेस नेता नवजोत कौर सिद्धू को भी आना था. मिट्ठू मदान (स्थानीय पार्षद) इस आयोजन का कर्ता-धर्ता था लेकिन जैसे ही हादसा पेश आया वो मौके से फरार हो गया और अभी तक वार्ड नंबर 29 में बने अपने घर वापस नहीं लौटा है. जबकि हादसे के शिकार हुए लोगों के शोक-संतप्त परिजन इस घर का शनिवार से ही घेराव कर रहे हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हादसे को लेकर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. जांच में पता किया जाएगा कि आखिर रामलीला देखने आए लोग ट्रेन की चपेट में कैसे आए. स्थानीय लोग एक स्वर से आरोप लगा रहे हैं कि हादसे की दोषी नवजोत कौर सिद्धू हैं. इलाके के स्थानीय कार व्यवसायी हेमंत राज का कहना है कि ‘सिद्धू रावण दहन के लिए तकरीबन डेढ़ घंटे की देरी से पहुंची थीं. पुतला दहन गोधूलि वेला में होना चाहिए यानी लगभग 6 बजे शाम को लेकिन सिद्धू आयोजन स्थल पर 7 बजे के बाद पहुंची. उस वक्त तक अंधेरा छा चुका था और यह देख पाना मुश्किल था कि हमारी तरफ कोई ट्रेन आ रही है या नहीं.’ हेमंत राज शुक्रवार को हुए हादसे में मौजूद थे और उन्होंने घायलों को अस्पताल पहुंचाने में मदद की.

हादसे के शिकार ज्यादातर लोग यूपी और बिहार के रहने वाले हैं जो यहां कामकाज के सिलसिले में आए थे

हर साल (2017 को छोड़कर, इस वर्ष स्थानीय नेता की मृत्यु के कारण रामलीला का आयोजन नहीं हुआ था) धोबी घाट पर दशहरा के उत्सव में हजारों लोगों की भीड़ जुटती है. अपना ठेला संभाले दुकानदार बिहार-यूपी की मिठाइयां बेचते हैं. उन्हें पता होता है कि दशहरे के मौके पर ग्राहकों की तादाद अच्छी-खासी रहने वाली है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस साल आयोजकों की ओर से कम से कम एक (शायद दो) बड़ी एलईडी टीवी स्क्रीन लगाया था. टीवी स्क्रीन को कई मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया था और एक टीवी स्क्रीन रेलवे ट्रैक की तरफ मुड़ा हुआ था.

रामलीला आयोजक जानते थे कि धोबी घाट की क्षमता से ज्यादा भीड़ जुटेगी 

यह काम आयोजकों की तरफ से हुआ था. वो जानते थे कि धोबी घाट की क्षमता से ज्यादा भीड़ जुटेगी. मान लिया गया कि लोग रेलवे ट्रैक पर बैठकर या फिर खड़े होकर एलईडी स्क्रीन पर चल रहे जश्न को देखेंगे. रेलवे ट्रैक कुछ ऊंचाई पर बना हुआ है सो वहां खड़े होकर यह भी नजर आ जाता है कि धोबी घाट के भीतर क्या हो रहा है. तांबे-पीतल के काम के सहारे जीविका चलाने वाले रमेश कुमार हादसे में गंभीर रुप से घायल होकर अब अमृतसर के सरकारी अस्पताल में भर्ती हैं. इलाज करवा रहे रमेश कुमार ने बताया कि शुक्रवार शाम 6 बजे ‘रेलवे ट्रैक पर मानो सारा संसार ही आ जुटा था. लोग एलईडी स्क्रीन पर चल रहे पंजाबी गानों को देख रहे थे.’ एलईडी स्क्रीन को देखने के लिए रेलवे ट्रैक पर खड़े होने के अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं था और इसी कारण लोग ट्रैक पर जमा थे.

हादसे से पहले जिले के अधिकारियों के एक दल ने आयोजन स्थल का मुआयना किया था लेकिन मुआयने में इन अधिकारियों ने बस यही देखा-परखा कि मंच पर वीआईपी अतिथियों के बैठने का इंतजाम कैसा है. इन अधिकारियों का इस जाहिर सी बात पर जरा भी ध्यान नहीं गया कि लोग धोबी घाट की चारदीवारी के बाहर भी जमा होंगे और रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रामलीला देखेंगे.

जैसा कि चलन है, बच्चे रावण का पुतला दहन देखने के लिए जिद करते हैं. इसी कारण सिख और अप्रवासी मजदूर दोनों ही परिवारों के मां-बाप अपने बच्चों को लेकर जोड़ा फाटक पर बड़ी तादाद में जमा हुए थे. अप्रवासी मजदूर अपने परिवार से काफी दूर रहते हैं. उनका परिवार देश के किसी दूर-दराज के हिस्से में होता है. इसलिए अप्रवासियों मजदूरों में खास उत्साह था कि चल रहे जश्न की तस्वीर मोबाइल फोन के सहारे उतार ली जाए.

रावण दहन की तस्वीर

इन अप्रवासी मजदूरों का कहना है कि वो पंजाब के अमृतसर में हुए रावण के पुतला दहन और रामलीला का वीडियो दूर बसे अपने परिजनों को भेजना चाहते थे. दूर बसे परिजन के साथ नेह (प्रेम) का नाता जोड़ने की यह सहज सी कोशिश अप्रवासी मजदूरों के सिर पर दुखों का पहाड़ बनकर टूटी. वो यह न देख सके कि खतरा उनकी तरफ तेज रफ्तार से बढ़ता चला आ रहा है. उन्हें पता भी नहीं चला कि 1 घंटे के भीतर धड़धड़ाती हुई ट्रेन उन्हें रौंद डालेगी. यह सभी मजदूर एकदम ठगे से रह गए.

पटाखा फूटने पर लोग ट्रैक पर कुछ और आगे चले गए या फिर वो ट्रैक पर खड़े लोगों के और पास चले आए

शाम को तकरीबन 7:40 बजे के वक्त रावण दहन के फौरन बाद पुतले में भरे हुए पटाखे फूटे, पुतला धू-धू कर जल रहा था और आगे के गोले आकाश में उठ रहे थे. दीवार के बाहर खड़े लोग उड़ते पटाखों और रॉकेट वैगरह से बचने के लिए तनिक दक्षिण की ओर चले गए. यह लोग या तो ट्रैक पर कुछ और आगे की तरफ चले गए या फिर ट्रैक पर खड़े लोगों के और ज्यादा नजदीक चले आए.

ऐसा होने के तुरंत पहले जालंधर (उत्तर की तरफ) की ओर जाने वाली दो ट्रेन एक के बाद एक अलग-अलग पटरियों से गुजरीं. स्थानीय लोगों का कहना है कि दोनों ही ट्रेन के गुजरने की रफ्तार बहुत धीमी थी और ऐसा ही चलन रहा है क्योंकि अधिकारी जानते हैं कि साल के इन दिनों में इलाके में दशहरा का उत्सव मनाया जाता है. रेलवे ट्रैक पर जमा भीड़ ने इन दोनों ही रेलगाड़ियों से अपने को आसानी से बचाया लेकिन बचाव की इस कवायद का एक नतीजा यह हुआ कि तीसरी ट्रैक की ओर लोग ज्यादा तादाद में जमा हो गए: यह तीसरी ट्रैक धोबी घाट से लगती दीवार के सबसे नजदीक थी. इसके बाद एक तीसरी ट्रेन उत्तर की तरफ से आई. इस ट्रेन का रुख अमृतसर सिटी की तरफ था और ट्रैक पर जमा भीड़ आती हुई इस ट्रेन को ना देख पाई.

Amritsar Train Accident

पंजाब सरकार ने हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं जो 4 महीने में इसपर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी

फ्यूल स्टेशन पर काम करने वाले देवेंद्र कुमार धोबी घाट से सटी कृष्णानगर कहलाने वाली एक झुग्गी बस्ती में रहते हैं. देवेंद्र ने बताया कि यह तीसरी ‘ट्रेन बड़ी तेज गति से चली आ रही थी. उस वक्त रावण का पुतला जल रहा था, पटाखे फूट रहे थे और शोर इतना ज्यादा तेज था कि हम लोगों ने कान में उंगलियां डाल ली थीं. इसी कारण ना तो हमलोग ट्रेन के आने की आवाज सुन पाए और ना ही उसे अपनी तरफ आता हुआ देख पाए.’ देवेंद्र का कहना था कि ‘कृष्णानगर की संकरी गलियों से साइकिल दौड़ाते हुए हजारों की तादाद में लोग रावण का पुतला दहन देखने के लिए जमा हुए थे. यह लोग या तो मारे गए या फिर घायल हुए हैं क्योंकि यह लोग हमारी कॉलोनी में साइकिल जमा कराने के लिए फिर कभी नहीं लौटे.’

ट्रेन के ड्राइवर के हॉर्न बजाने की आवाज लोगों को सुनाई ना देने की एक वजह यह भी हो सकती है कि साल-दर-साल उत्सवों के आयोजन में शोर-शराबा बढ़ता जा रहा है और भीड़ भी पहले से ज्यादा तादाद में जुट रही है. ट्रेन की चपेट में आकर घायल हुए और अस्पताल में उपचार करा रहे ज्यादातर लोगों का कहना है कि दशहरा के मेले की चकाचौंध ने उन्हें मोहित कर लिया था. रावण के पुतले के जलने और पटाखों को फूटते देखने का आकर्षण तो था ही, साथ ही आयोजकों ने पंजाबी के मशहूर गायकों को भी बुलाया था. मुख्य अतिथि नवजोत कौर सिद्धू थीं और उनके आने के पहले के वक्त में इन पंजाबी गायकों का कार्यक्रम रखा गया था.

Navjot Kaur Siddhu

नवजोत कौर सिद्धू पर आरोप लगे कि वो भीड़ जुटने तक शाम 7 बजे तक नहीं आयीं और हादसा होने के तुरंत बाद वहां से चली गईं

‘हादसे के बाद हमलोगों से कोई मिलने नहीं आ रहा, सभी राजनेता और प्रशासक हमें भुला बैठे हैं’

स्वर्ण गोरे ने इस हादसे में अपना बेटा खोया है. वो ट्रेन के ड्राइवर को हादसे का जिम्मेवार मानती है. उन्होंने सिद्धू और आयोजकों पर भी आरोप लगाया. स्वर्ण गोरे के लड़के दलबीर ने इस साल रामलीला में रावण का किरदार निभाया था और अब दलबीर के घर को जाने वाली गली नंबर-2 में लोगबाग कह रहे हैं कि उस हादसे में तो ‘रावण भी मारा गया.’ दलबीर की मां स्वर्ण गोरे का कहना है, ‘सबसे ज्यादा दुख की बात यह है कि परिवार की रोजी-रोटी का एकमात्र सहारा मेरा बेटा ही था और रामलीला में बरसों से अलग-अलग किरदार निभाने वाला मेरा बेटा इस हादसे में ना रहा. यह बात भी नहीं समझ आ रही कि हादसे के बाद आखिर हमलोगों से कोई मिलने क्यों नहीं आ रहा. सभी राजनेता और प्रशासक हमें भुला बैठे हैं.’

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह शनिवार की दोपहर घटनास्थल पर पहुंचे. उन्हें भीड़ के गुस्से और विरोध का सामना करना पड़ा. गुस्साई भीड़ पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर स्थिति पर काबू पाया. लोग सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे. लोग कह रहे थे कि ट्रेन रौंदते हुए निकल जायेगी इसका उन्हें यकीन नहीं है. लोगों का कहना था कि दशहरा के समय ट्रेन की रफ्तार इलाके में धीमी हो जाती है और ऐसा वो अपने बरसों के अनुभव के सहारे जानते हैं. अमरिंदर ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश देने के वक्त कहा था कि आयोजन के लिए प्रशासन की मंजूरी थी या नहीं- इस मसले पर वो अभी कुछ नहीं कहेंगे. भारतीय रेलवे का दावा है कि वाकया कोई हादसा नहीं बल्कि ट्रेसपास (अनधिकार प्रवेश) का नतीजा है लेकिन अमरिंदर सिंह ने रेलवे के इस दावे पर भी कुछ कहने से इनकार किया. इन दोनों मसलों और बाकी सवालों पर अमरिंदर सिंह का कहना था कि मजिस्ट्रेट जांच से ही सही जवाब मिल पाएगा.

शुक्रवार की शाम लोग सिर्फ ट्रेन की चपेट में ही नहीं आए. अमृतसर सिविल अस्पताल और गुरु तेग बहादुर अस्पताल में भर्ती मरीज और स्थानीय लोगों का कहना है कि हादसे के बाद भगदड़ मची थी और उनके परिजन इस भगदड़ के भी शिकार हुए. ट्रेन की चपेट में आए लोगों के शरीर छिटककर ट्रैक से दूर खड़े लोगों पर गिर रहे थे और लोग इस क्रम में भगदड़ के बीच घायल हो रहे थे. ऐसे ही घायलों में एक हैं पंजाब की संदीप कौर. संदीप कौर का कहना है कि भगदड़ में उनके बेटे-बेटी और पिता की जान चली गई.

संदीप कौर की मां ने हादसे में अपनी एक बांह गंवा दी है. पूरा परिवार सदमे में है, सांत्वना के शब्द बेअसर साबित हो रहे हैं. दिहाड़ी मजदूर और संदीप कौर के पति जतिंदर ने बताया कि ‘लाऊस्पीकर से कोई चेतावनी जारी नहीं की गई थी, दशहरे के दिन पुलिस का भी कोई इंतजाम नहीं था.’ (शनिवार की शाम अस्पताल पहुंचे अमरिंदर सिंह संदीप कौर की बेड के पास पहुंचे थे और कहा था कि उनकी सभी जरुरतों का ध्यान रखा जाएगा)

Amritsar Train Accident Amrinder Singh

अमरिंदर सिंह अपना विदेश दौरा बीच में छोड़ 17 घंटे बाद 10 मिनट के लिए हादसे में घायल हुए लोगों को देखने अस्पताल पहुंचे 

ट्रेन के ड्राइवर को दोषी नहीं कहा जा सकता 

अमृतसर सिविल अस्पताल में डीएसपी और एसपी रैंक के अधिकारी जसप्रीत सिंह तथा शैलेंद्र सिंह की ड्यूटी लगी है. इन अधिकारियों का कहना है कि ट्रेन के ड्राइवर को दोषी नहीं कहा जा सकता क्योंकि धोबी घाट की दीवार से कुछ सौ मीटर की दूरी पर कायम चेकपोस्ट पर ड्राइवर को ग्रीन सिग्नल मिला था. जसप्रीत का सवाल है कि ‘अगर ग्रीन सिग्नल नहीं भी मिलता तो भी लोगों का यह अधिकार नहीं कि वो रेलवे ट्रैक पर चलें, ऐसा अधिकार है क्या?’

अभी तक हादसे में घायल हुए 113 लोगों को सिविल अस्पताल पहुंचाया गया है. अस्पताल पहुंचे घायलों में से अभी कोई भी डिस्चार्ज नहीं हुआ. 39 लोगों की मौत हुई है जिसमें 3 जन के शव पहचान में नहीं आ रहे. गुरु तेग बहादुर अस्पताल में 27 घायलों को पहुंचाया गया है और 19 लोगों की मौत हुई है. कुछ घायलों को अन्य अस्पतालों में पहुंचाया गया है.

ओमान चांडी पर अप्राकृतिक दुष्कर्म का आरोप, केस दर्ज

10/21/2018, 7:18:08 AM नई दिल्ली:

केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी के खिलाफ अप्राकृतिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया है। पूर्व सीएम चांडी के खिलाफ ये आरोप एक ​महिला ने लगाए हैं। महिला का आरोप है कि चांडी ने ये कुकर्म उसके कारोबार को बढ़ावा देने के बदले में किया था। केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शनिवार देर रात को इस बात की पुष्टि कर दी कि वह चांडी के खिलाफ आपराधिक मामले की जांच कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप है कि उन्होंने सौर ऊर्जा निवेश धोखाधड़ी मामले में आरोपी रही महिला के साथ तिरुवनंतपुरम स्थित अपने आधिकारिक आवास क्लिफ हाउस में साल 2013 में रेप किया था।

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार (20 अक्टूबर) को तिरुवनंतपुरम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल प्राथमिकी में क्राइम ब्रांच ने आरोप लगाया कि पूर्व सीएम चांडी ने महिला के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाए थे। ये संबंध महिला के कारोबार को बढ़ावा देने के बदले बनाए गए थे। हालांकि प्राथमिकी को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। प्राथमिकी के तथ्य भी अभी तक गोपनीय ही हैं।

क्राइम ब्रांच में की गई अपनी शिकायत में पीड़िता महिला का आरोप है कि वह चांडी से निजी तौर पर इसलिए मिलने गई थी ताकि वह उसके सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट को अपना राजनीतिक संरक्षण दें। इससे निजी निवेशक उसके प्रोजेक्ट की तरफ आकर्षित होंगे। महिला ने बताया सीएम के स्टाफ के कुछ लोगों ने उसे सीएम से मिलवाया था। महिला का आरोप है कि उसके कारोबार को बढ़ावा देने के लिए पूर्व सीएम चांडी ने उससे अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए थे।

बता दें कि उच्च स्तरीय शिवरंजन क​मिशन ने हाल ही में केरल की राजनीति में भूचाल ला देने वाले सोलर घोटाले की जांच शुरू की थी। कमिशन ने सितंबर 2017 में पाया कि साल 2013 में केरल में राजनीति के शीर्ष पर बैठे लोगों ने आरोप लगाने वाली महिला के साथ उसके कारोबार को बढ़ावा देने के लिए यौन संबंध बनाए थे। कमिशन ने यह भी पाया कि भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के तहत यौन संबंध के बदले पक्षपात करना भी अनैतिक कृत्य के दायरे में आता है। कमिशन ने सिफारिश की थी कि आरोप लगाने वाली महिला के द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर उसका शोषण करने वाले सभी लोगों के खिलाफ जांच की जाए।

मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने 26 सितंबर को दाखिल की गई जी. शिवरंजन कमिशन की 1073 पेज की रिपोर्ट को विधानसभा का विशेष सत्र बुलवाकर पटल पर रखवाया था। इस मामले में कांग्रेस नीत विपक्ष का बढ़ता दबाव और प्रदर्शन भी इसका एक कारण था। बाद में एक प्रेस वार्ता में उन सभी के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया जिन्होंने पीड़िता का कथित तौर पर यौन शोषण किया था। पीड़िता महिला ने युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के लगभग सभी बड़े नेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।

पुराना पंचकुला युवक पर जानलेवा हमला

फोटो: कपिल नागपाल

कपिल नागपाल, पंचकुला, 21 अक्तूबर 2018:

पंचकूला के पुराना पंचकूला के पास दर्जनभर युवकों ने एक युवक पर किया जानलेवा हमला युवकों ने हमला लोहे की रॉड हॉकी और डंडों से किया यहां तक कि उन युवकों के पास गन थी युवक के सिर पर जैसे ही गन लगाई मारने के लिए युवक जान बचाकर भागा युवक के रिश्तेदारों ने पंचकूला पुलिस के ऊपर गंभीर आरोप लगाए की पुराना पंचकूला में नशे का कारोबार होता है और पंचकूला के पुलिस के कई लोग वहां आते हैं और कोई भी एक्शन नही लिया जाता।

 

फोटो: कपिल नागपाल

पंचकूला सहित पूरे हरियाणा मेंमाइनिंग माफिया राज: योगेश्वर शर्मा

पंचकूला, 21 अक्टूबर:

आम आदमी पार्टी का कहना है कि पंचकूला सहित हरियाणा के विभिन्न इलाकों में माईनिंग माफिया सक्रिय है।पार्टी का कहना हैकि खासकर पंचकूला माइनिंगमाफिया की पहली पसंद बन चुका हैऔर बड़े स्तर पर राजनीतिक और प्रशासनिक मिलीभगतके चलते अवैधरुप से माईनिंग करवायी जा रही है।
यहां जारी एक ब्यान में पार्टी के अंबाला लोकसभा  तथा जिला पंचकूला के अध्यक्ष योगेश्वर शर्मा ने कहा कि एक ओर तो हरियाणा सरकार भ्रष्टाचार मुक्त राज देने की बात करतेहुए किसी भी तरह का अवैध खनन न होने की बात कर रही है मगर दूसरीओर उसके ये सारे दावे फेल हो रहे हैं। आए दिन अवैध खनन होने की बातें सामने आ रहीं हैं।उन्होंने कहा कि यह बात भी सामने आ रही है कि पूरे जिलेमें बड़े स्तर पर माईनिंग माफिया सक्रिय है। और धडड़ले से माईनिंग हो रही है।यह सब प्रशासनिक और राजनीतिक मिलीभगत के चलते हो रहा है। कहीं न कहीं इस माफिया को राजनीतिक सरंक्षण प्राप्त होने की बातें भी कहीं जा रहीं हैं। ऐसे में दिखावे केतौर पर एक दो एक दो गाडियां जब्त कर लोगों की आंखों में धूल झांकी जारही है। उन्होंने कहा कि इस अवैध माईनिंग की पूरी जांच करवा कर जिम्मेवार लेागों के खिलाफ कारवाईकी जानी चाहिए।

अमृतसर रेल हादसा: रेलवे ट्रैक खाली कराने गई पुलिस पर फूटा लोगों का गुस्सा, पत्‍थरबाजी


नई दिल्‍ली, 21अक्टूबर:

रेल हादसे के तीसरे दिन भी अमृतसर में जोड़ा फाटक इलाके में प्रदर्शन जारी है। आज लोगों ने रेलवे ट्रैक पर जमा होकर प्रदर्शन किया। रेल ट्रैक खाली कराने पहुंची पुलिस को लोगों ने दौरा लिया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों के ऊपर पत्थर फेंके हैं। इससे क्षेत्र में तनाव फैल गया है। इस घटना में एक पुलिसकर्मी जख्मी हो गया है। बताया जा रहा है कि स्‍थानीय लोग अपनी मांग पूरा नहीं होने तक ट्रैक खाली नहीं करेंगे। उनका कहना है कि सरकार इस मामले को लेकर प्रभावी जांच बैठाए
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे सरकार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रर्दशनकारी रेल ट्रैक के पास खड़े होकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे है। साथ ही दशहरे के दिन हुई रेल हादसे में मारे गए लोगों के पक्ष में इस घटना जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही मरने वाले लोगों को परिवारजन को सरकारी नौकरी लगाने की मांग लगातार कर रहे हैं। पुलिस वहां पर रेलवे ट्रेक खाली करवानी गई है। आपको बता दें कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच रुक-रुककर झडप जारी है। पुलिस इस मामले में सतर्कता से काम ले रही है और सख्‍त एक्‍शन लेने से बच रही है।
पीडि़तों का प्रोफाइल तैयार करने के आदेश
पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमृतसर के पुलिस कमिश्नर को ट्रेन हादसे के पीड़ितों की विस्तृत सामाजिक और आर्थिक प्रोफाइल तैयार करने के आदेश दिए हैं। बताया जा रहा है कि इसके जरिए पीड़ितों को जरूरत के मुताबिक पुनर्वास संबंधी मदद दी जा सके। ताकि जरूरतमंद लोगों को जरूरी सहायता उनके परिवार के भविष्‍य के लिहाज से उठाया जा सके।
दो दिन पहले हुई थी घटना
आपको बता दें कि अमृतसर के चौड़ा बाजार के नजदीक हुए इस रेल हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई और 57 जख्मी हो गए। उस समय लोग पटरी के पास रावण दहन देख रहे थे। रावण दहन के दौरान पटाखों और आग की लपटों की वजह से लोग पीछे हटे और कुछ लोग पहले से ही पटरी पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे। इसी दौरान तेज रफ्तार ट्रेन लोगों को रौंदते हुए निकल गई। ये दुर्घटना हो गई जो रेलवे के इतिहास में इस तरह की सबसे बड़ी दुर्घटना में दर्ज हो गया है।

Chandigarh Police paid tribute to the Martyrs of Chandigarh Police

Today morning, a Commemoration Parade was organized at the Ground of Police Station, Sector-17 Chandigarh in the memory of the martyred companions. Every year, 21st October is the day of remembrance of the martyred companions who laid down their lives during obligation of their duties. On this occasion, two-minute silence was held to salute the memory of Police Martyrs who sacrificed their lives. Central Police Organizations and State Police celebrate this day in the form of Martyrdom Day.

Sh. Sanjay Baniwal, IPS, Director General of Police, UT, Chandigarh along with other police officers paid homage to their departed colleagues at the Martyrs Memorial Site. Last year from 1st September 2017 to August 2018 total 414 Police Officers and Police Personnel from paramilitary police forces and police organizations have set exemplary example before their colleagues by sacrificing their lives during duty.

This year the number of officers and jawans who laid down their lives during duty is as under:-

Andhra Pradesh (06), A&N Islands (01), Assam (02), Bihar (10), Chattisgarh (25), Delhi (13), Gujarat (01), Haryana (02), J&K (46), Jharkhand (07), Karnataka (15), Kerala (06), Madhya Pardesh (08), Maharastra (03), Manipur (03), Meghalaya (01), Orissa (01), Rajasthan (01), Sikkim (01), Tamil Nadu (02), Telangana (02), Tripura (01), Uttar Pradesh (67), Uttrakhand (02), West Bengal (18); Assam Rifles (08), BSF (42), CISF (09), CRPF (27), Civil Defense F.S. & H.C. (20), ITBP (34), NCB (01), NDRF (03), RPF (25), SSB (01).

 

The history of commemoration day traces back to October 21, 1959, when a police party of the Indian police force was deployed to defend national frontiers in the Ladakh region. The same was attacked by Chinese troops hidden by forming ambush in hills and 10 CRPF jawans were killed. Since then, this day is celebrated as Martyrdom Day at Central Police Organizations and Police Forces in remembrance of countless sacrifice of martyr companions.

Tribute to 6 Martyrs of Chandigarh Police

Chandigarh Police since its inception in the year 1966, is being striving very hard to provide an efficient, law abiding and responsive law enforcement machinery.  In this attempt our 06 fellow policemen Insp. Jagjit Singh, Insp. Sucha Singh, SI Amarjit Singh, ASI Amarjit Singh, ASI Lalu Ram and ASI Amin Chand have laid down their lives while discharging their duties.

Last year Chandigarh Police had pioneered the initiative by showcasing the supreme sacrifice and priceless contribution of Martyrs by organizing ceremonies at native villages of 6 martyrs of Chandigarh Police. This year also Chandigarh Police organized ceremonies at 5 districts of Punjab & 01 of Himachal Pradesh to commemorate the supreme sacrifice made by Martyrs of Chandigarh Police. The functions were held at the schools/colleges in the native home towns of martyrs in which these valiant men studied.

          DSP’s of UT, Chandigarh, paid humble tribute to the six martyrs in the presence of family members of the martyrs, staff and students of the respective schools/colleges and other prominent personalities. DSP’s also addressed the gathering at these functions. Remembering the brave souls on the occasion Chandigarh Police highlighted the sacrifice made by the slain martyrs in the line of duty:

Late Sh. Jagjit Singh, Inspector joined Chandigarh Police as ASI on May 6, 1972.  While posted as SHO/PS-39, on 17 July, 1988, he led a raid at a residence in sector-45, where some terrorists, armed with sophisticated weapons, were taking shelter.  Exhibiting exemplary courage and leadership, he broke open the door and rushed inside the house.  In this encounter three terrorists were killed.  Insp. Jagjit Singh also received fatal bullet injuries and was martyred on the spot.

Late Sh. Sucha Singh, Inspector joined Chandigarh Police as Constable on April 30, 1976.  While posted in the traffic wing of the Chandigarh Police, he was on the night checking duty in the area of sub-division central on the night intervening of June 8/9, 2013.  During checking he questioned one suspicious couple sitting near the district court, sector-17, Chandigarh.  During the process, the accused stabbed him multiple times due to which he was martyred.  Inspector Sucha Singh sacrificed his life valiantly so that others could live safely.

Sh. Amarjit Singh, SI joined Punjab Police as Constable on 25.05.1973 and joined Chandigarh Police on deputation.  On February 25, 1992, SI Amarjit Singh along with other police officials was escorting under trial terrorists to PGI, Chandigarh for their treatment, some unidentified attacked the police party. Late SI Amarjit Singh bravely fought the terrorist till he martyr.

Late Sh. Amarjit Singh, ASI joined Chandigarh Police on July 26, 1976.  On December 8, 1989, while he was posted in the Police Post-36, he was ambushed and martyred on the patrolling duty near village Kajheri by two terrorists riding a motorcycle.

Late Sh. Lalu Ram, ASI joined as a constable in Punjab Police on 29 June, 1976 and joined Chandigarh Police on deputation on 30 May, 1978.  On August 29, 1991, while he was posted as PSO to SSP/Chandigarh, some terrorists laid an explosive trap which blasted the SSP’s car.  ASI Lalu Ram was martyred on the spot.

Late Sh. Amin Chand, ASI joined the Chandigarh Police as constable on June 4th, 1981.  He was martyred on August 29, 1991 in a bomb blast by some terrorists, while he was posted as driver with then SSP, Sh. SS Saini.

Chandigarh Police announced annual scholarship in the name of slain martyrs amounting Rs.11,000/- for the Matric Class toppers of these schools/college. The below toppers/students benefited with this scholarship scheme:-

Sr.No. Name of Martyr School Name Name of toppers/students
1. Inspector Jagjit Singh Govt. High School, Branch Abohar, near Railways Station, Abohar, Distt. Fazilka, Punjab Dheeraj Kumar s/o Vinod Kumar, Class 10th Marks: 481/650
2. Inspector Sucha Singh Munna Lal Puri Senior Secondary School, Mullanpur Garibdas, Distt. S.A.S. Nagar, (Mohali), Punjab Sagar S/ Johny, Class 10th Marks: 446/650
3. SI  Amarjit Singh Govt. Sr. Sec. School Parao, Amargarh Pada, Mehna, Distt. Moga, Punjab Ramanpreet Kaur d/o Sh. Paramjit Singh Class 10th Marks: 516/650
4. ASI Lalu Ram Gandhi Memorial High School, Mall Godown Road, near Railway Station, Kotkapura, Distt. Faridkot, Punjab Brahmjit s/o Phool Chand Class 10th
5. ASI Amarjit Singh Khalsa College, Garhdiwal, Distt. Hoshiarpur, Punjab Kamna Dadwal d/o Sh. Rakesh Kumar, Class 10th Marks: 618/650
6. ASI Amin Chand Govt. Senior Secondary School LUNJ, District-Kangra, HP Nikhil Naryal s/o Sh. Kuldeep Singh Class 10th Marks: 633/700

 

The cheques of Rs. 11,000/- were presented to all the respective toppers in their schools by the DSP’s of Chandigarh Police. The family members of the slain martyrs were present on this occasion. This annual scholarship Scheme of Chandigarh Police will be in continuation and given on annual basis in the name of each martyr for the Matric class topper at their respective native schools. At the end a two minute silence prayer was held in the ceremonies of martyrs of Chandigarh police.

Police File

DATED

21.10.2018

Special drive against consuming liquor at public place was carried out at different parts of the city in which total 14 cases U/S 68-1 (B) Punjab Police Act 2007 & 510 IPC got registered.

 In continuation of a special drive against consuming liquor at public place, yesterday, the drive was carried out at different parts of the city. Under this drive total 14 different cases U/S 68-1(B) Punjab Police Act 2007 & 510 IPC got registered in different police stations of Chandigarh in which total 15 persons were arrested while consuming liquor at public place. All later on bailed out. The detail of police Stations in which cases U/S 68-1 (B) Punjab Police Act 2007 & 510 got registered:- PS-03 = 1 case, PS-11 = 2 cases, PS-17 = 2 cases, PS-SPR = 2 cases,  PS-IA = 1 case, PS-MM = 1 case, PS-ITP = 2 cases,  PS-31 = 2 cases,  PS-36 = 1 case.

This drive will be continuing in future, the general public is requested for not breaking the law.

One arrested for possessing illegal liquor

Chandigarh Police arrested Maya Ram R/o # 213/1, Shastri Nagar, Mani Majra, Chandigarh from near Fish Market, Mani Majra, Chandigarh while illegally possessing 72 quarters of Country made liquor on 20.10.2018. A case FIR No. 276, U/S 61-1-14 Excise Act has been registered in PS-IT Park, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

One arrested under NDPS Act

Crime Branch of Chandigarh Police arrested Atul Sharma R/o Village-Gouharta, Distt-Mandi (HP) near dividing road, Sector 48/49, Chandigarh and recovered 30 gram Heroine and 30 Injections of Buprenorphine & Pheniramine Meleate drugs from his possession. A case FIR No. 204, U/S 21 & 22 NDPS Act has been registered in PS-49, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Hurt

A case FIR No. 311, U/S 324 IPC has been registered in PS-Ind. Area, Chandigarh on the complaint of Amandeep Singh R/o # 221 Village-Daria, Chandigarh who alleged that Manoj @ Pintu R/o # 222 Village-Daria, Chandigarh attacked on complainant with knife near his residence on 20.10.2018. Complainant got injured admitted in Civil Hospital, Manimajra, Chandigarh. Alleged person has been arrested in this case. Investigation of the case is in progress.

A case FIR No. 307, U/S 324, 34 IPC has been registered in PS-Mauli Jagran, Chandigarh on the complaint of Sandeep R/o # 77, Village Raipur Khurd, Chandigarh who alleged that 2/3 unknown persons attacked on complainant with sharp weapon near Gurudwara, Raipur Kalan, Chandigarh on 19.10.2018. Complainant got injured admitted in GMCH-32, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Accident

A case FIR No. 403, U/S 279, 337 IPC has been registered in PS-31, Chandigarh on the complaint of Mohit R/o # 83, Ph-1, Ram Darbar, Chandigarh who alleged that driver of Canter No HR-38S-1085 namely Ajit R/o Vill-Jhandhar, Distt-Manpuri (UP) hit to complainant’s M/Cycle No. CH01AK6953 and another Bullet M/Cycle No. CH-01BR-2307 near Light point Hallo Majra, Chandigarh on 20.10.2018. Complainant got injured and admitted in GMCH-32, Chandigarh. Driver of Canter arrested and later bailed out. Investigation of the case is in progress.

A case FIR No. 372, U/S 279, 337 IPC has been registered in PS-36, Chandigarh on the statement of Amrik Singh R/o # 1591, Sector-22/B, Chandigarh who alleged that driver of car No PB-65AT-3938 namely Manish Jindal R/o # 2697 Ph-7 Mohali (PB) hit to complainant’s car No. PB-06AN-7007 and another Nano car No. HR3L6286 near Light point Sector 34/35, Chandigarh on 19.10.2018. Resultantly, another two car Nos. PB-10EX4621 & CH-01AR1416 got damaged. Alleged driver of car has been arrested and later bailed out. Investigation of the case is in progress.

जानिये और समझिये कि सबरीमला मंदिर क्यों सबकी आंखों में खटक रहा है?

दिनेश पाठक अधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर। विधि प्रमुख विश्व हिन्दु परिषद

केरल में सबरीमला के मशहूर स्वामी अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के नाम पर चल रहे विवाद के बीच लगातार यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इस मंदिर में ऐसा क्या है कि ईसाई और इस्लाम धर्मों को मानने वाले तथाकथित एक्टिविस्ट भी कम से कम एक बार यहां घुसने को बेताब हैं।
इस बात को समझने के लिये हमें केरल के इतिहास और यहां इस्लामी और राज्य में बीते 4-5 दशक से चल रही ईसाई धर्मांतरण की कोशिशों को भी समझना होगा।
मंदिर में प्रवेश पाने के पीछे नीयत धार्मिक नहीं, बल्कि यहां के लोगों की सदियों पुरानी धार्मिक आस्था को तोड़ना है, ताकि इस पूरे इलाके में बसे लाखों हिंदुओं को ईसाई और इस्लाम जैसे अब्राहमिक धर्मों में लाया जा सके।
केरल में चल रहे धर्मांतरण अभियानों में सबरीमला मंदिर बहुत बड़ी रुकावट बनकर खड़ा है।
पिछले कुछ समय से इसकी पवित्रता और इसे लेकर स्थानीय लोगों की आस्था को चोट पहुंचाने का काम चल रहा था।
लेकिन हर कोशिश नाकाम हो रही थी।
लेकिन आखिरकार महिलाओं के मुद्दे पर ईसाई मिशनरियों ने न सिर्फ सबरीमला के अयप्पा मंदिर बल्कि पूरे केरल में हिंदू धर्म के खात्मे के लिए सबसे बड़ी चाल चल दी है।

सबरीमला के इतिहास को समझिये…

1980 से पहले तक सबरीमला के स्वामी अयप्पा मंदिर के बारे में ज्यादा लोगों को नहीं पता था। केरल और कुछ आसपास के इलाकों में बसने वाले लोग यहां के भक्त थे।
70 और 80 के दशक का यही वो समय था जब केरल में ईसाई मिशनरियों ने सबसे मजबूती के साथ पैर जमाने शुरू कर दिये थे।
उन्होंने सबसे पहला निशाना गरीबों और अनुसूचित जाति के लोगों को बनाया।
इस दौरान बड़े पैमाने पर यहां लोगों को ईसाई बनाया गया। इसके बावजूद लोगों की मंदिर में आस्था बनी रही।
इसका बड़ा कारण यह था कि मंदिर में पूजा की एक तय विधि थी जिसके तहत दीक्षा आधारित व्रत रखना जरूरी था।
सबरीमला उन मंदिरों में से है जहां पूजा पर किसी जाति का विशेषाधिकार नहीं है किसी भी जाति का हिंदू पूरे विधि-विधान के साथ व्रत का पालन करके मंदिर में प्रवेश पा सकता है।
सबरीमला में स्वामी अयप्पा को जागृत देवता माना जाता है।
यहां पूजा में जाति विहीन व्यवस्था का नतीजा है कि इलाके के दलितों और आदिवासियों के बीच मंदिर को लेकर अटूट आस्था है।
मान्यता है कि मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजा करने वालों को मकर संक्रांति के दिन एक विशेष चंद्रमा के दर्शन होते हैं जो लोग व्रत को ठीक ढंग से नहीं पूरा करते उन्हें यह दर्शन नहीं होते।
जिसे एक बार इस चंद्रमा के दर्शन हो गए माना जाता है कि उसके पिछले सभी पाप धुल जाते हैं।

सबरीमला से आया सामाजिक बदलाव…

सबरीमला मंदिर की पूजा विधि देश के बाकी मंदिरों से काफी अलग और कठिन है।
यहां दो मुट्ठी चावल के साथ दीक्षा दी जाती है इस दौरान रुद्राक्ष जैसी एक माला पहननी होती है।
साधक को रोज मंत्रों का जाप करना होता है।
इस दौरान वो काले कपड़े पहनता है और जमीन पर सोता है।
जिस किसी को यह दीक्षा दी जाती है उसे स्वामी कहा जाता है।
यानी अगर कोई रिक्शावाला दीक्षा ले तो उसे रिक्शेवाला बुलाना पाप होगा इसके बजाय वो स्वामी कहलायेगा।
इस परंपरा ने एक तरह से सामाजिक क्रांति का रूप ले लिया।
मेहनतकश मजदूरी करने वाले और कमजोर तबकों के लाखों-करोड़ों लोगों ने मंदिर में दीक्षा ली और वो स्वामी कहलाये।
ऐसे लोगों का समाज में बहुत ऊंचा स्थान माना जाता है।
यानी यह मंदिर एक तरह से जाति-पाति को तोड़कर भगवान के हर साधक को वो उच्च स्थान देने का काम कर रहा था जो कोई दूसरी संवैधानिक व्यवस्था कभी नहीं कर सकती है।

ईसाई मिशनरियों के लिये मुश्किल

सबरीमला मंदिर में समाज के कमजोर तबकों की एंट्री और वहां से हो रहे सामाजिक बदलाव ने ईसाई मिशनरियों के कान खड़े कर दिये उन्होंने पाया कि जिन लोगों को उन्होंने धर्मांतरित करके ईसाई बना लिया वो भी स्वामी अयप्पा में आस्था रखते हैं और कई ने ईसाई धर्म को त्यागकर वापस सबरीमला मंदिर में ‘स्वामी’ के तौर पर दीक्षा ले ली।
यही कारण है कि ये मंदिर ईसाई मिशनरियों की आंखों में लंबे समय से खटक रहा था।
अमिताभ बच्चन, येशुदास जैसे कई बड़े लोगों ने भी स्वामी अयप्पा की दीक्षा ली हझ।
इन सभी ने भी मंदिर में रहकर दो मुट्ठी चावल के साथ दीक्षा ली है इस दौरान उन्होंने चप्पल पहनना मना होता था और उन्हें भी उन्हीं रास्तों से गुजरना होता था जहां उनके साथ कोई रिक्शेवाला, कोई जूते-चप्पल बनाने वाला स्वामी चल रहा होता था।
नतीजा यह हुआ कि ईसाई संगठनों ने सबरीमला मंदिर के आसपास चर्च में भी मकर संक्रांति के दिन फर्जी तौर पर ‘चंद्र दर्शन’ कार्यक्रम आयोजित कराए जाने लगे।
ईसाई धर्म के इस फर्जीवाड़े के बावजूद सबरीमला मंदिर की लोकप्रियता दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रही थी।
नतीजा यह हुआ कि उन्होंने मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को मुद्दा बनाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाल दी।
यह याचिका कोर्ट में एक हिंदू नाम वाले कुछ ईसाइयों और एक मुसलमान की तरफ से डलवाई गई।

1980 में सबरीमला मंदिर के बागीचे में ईसाई मिशनरियों ने रातों रात एक क्रॉस गाड़ दिया था।
फिर उन्होंने इलाके में परचे बांट कर दावा किया कि यह 2000 साल पुराना सेंट थॉमस का क्रॉस है इसलिये यहां पर एक चर्च बनाया जाना चाहिये।
उस वक्त आरएसएस के नेता जे शिशुपालन ने इस क्रॉस को हटाने के लिए आंदोलन छेड़ा था और वो इसमें सफल भी हुये थे।
इस आंदोलन के बदले में राज्य सरकार ने उन्हें सरकारी नौकरी से निकाल दिया था।

केरल में हिंदुओं पर सबसे बड़ा हमला

केरल के हिंदुओं के लिए यह इतना बड़ा मसला इसलिये है क्योंकि वो समझ रहे हैं कि इस पूरे विवाद की जड़ में नीयत क्या है।
राज्य में हिंदू धर्म को बचाने का उनके लिये यह आखिरी मौका है।
केरल में गैर-हिंदू आबादी तेज़ी के साथ बढ़ते हुए 35 फीसदी से भी अधिक हो चुकी है।
अगर सबरीमला की पुरानी परंपराओं को तोड़ दिया गया तो ईसाई मिशनरियां प्रचार करेंगी कि भगवान अयप्पा में कोई शक्ति नहीं है और वो अब अशुद्ध हो चुके हैं।
ऐसे में ‘चंद्र दर्शन’ कराने वाली उनकी नकली दुकानों में भीड़ बढ़ेगी।
नतीजा धर्मांतरण के रूप में सामने आएगा।
यह समझना बहुत मुश्किल नहीं है क्योंकि जिन तथाकथित महिला एक्टिविस्टों ने अब तक मंदिर में प्रवेश की कोशिश की है वो सभी ईसाई मिशनरियों की करीबी मानी जाती हैं।
जबकि जिन हिंदू महिलाओं की बराबरी के नाम पर यह अभियान चलाया जा रहा है वो खुद ही उन्हें रोकने के लिये मंदिर के बाहर दीवार बनकर खड़ी हैं।

दिनेश पाठक

हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्करज यूनियन द्वारा आज रात से अनिश्चितकालीन हड़ताल

 

हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्करज यूनियन द्वारा आज रात से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है, हरियाणा के बिजली कर्मी आज रात्रि दस बजे से हड़ताल पर चले जायेंगे तथा हड़ताल को लेकर पूर्व घोषित 23 अक्टूबर के पंचकूला अतिरिक्त मुख्य सचिव पॉवर के प्रदर्शन को स्थगित कर दिया है।प्रान्तीय प्रधान कंवर सिंह यादव की अध्यक्षता में वार्ता समिति के फैसले के अनुसार हरियाणा रोडवेज के आंदोलन को सरकार के द्वारा दमन की नीति से प्रताड़ित करने का प्रयास किया जा रहा है।जिसे लेकर हरियाणा कर्मचारी महासंघ व यूनियन द्वारा रोडवेज के आंदोलन के समर्थन में यह कदम उठाया गया है।जिसे प्रदेश के कर्मचारियों से पूर्ण सफल बनाने का आह्वान भी यूनियन व महासंघ ने किया है।

नेशनल हेराल्ड केस: स्वामी का जवाब- मुझे ट्वीट करने का पूरा अधिकार है


मुझे ट्वीट याद नहीं है. मैंने अनगिनत ट्वीट किए हैं. और यह नहीं पता कि वोरा ने जिन ट्वीट्स का जिक्र किया है वो मेरे ही हैं


बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में नेशनल हेराल्ड मामले में अपने ट्वीट्स के जरिए कार्यवाही को प्रभावित करने की कोशिशों के आरोपों को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही कहा कि कांग्रेस ने जिन ट्वीट्स के बारे में कहा है वैसा कोई भी सोशल मीडिया पोस्ट मुझे याद नहीं आता.

स्वामी, कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा की उस याचिका का जवाब दे रहे थे, जिसमें वोरा ने अदालत से नेशनल हेराल्ड मामले में स्वामी के ट्वीट करने पर रोक लगाने के आदेश की मांग की थी. नेशनल हेराल्ड केस में मोतीलाल वोरा, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के साथ आरोपी हैं.

बीजेपी ने एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल को बताया कि वोरा ने जिन ट्वीट्स के बारे में कहा है उन्हें शक है कि उनके साथ छेड़छाड़ की गई होगी. लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मुझे ट्वीट करने का पूरा अधिकार है. स्वामी ने कहा कि मुझे ट्वीट याद नहीं है. मैंने अनगिनत ट्वीट किए हैं. और यह नहीं पता कि वोरा ने जिन ट्वीट्स का जिक्र किया है वो मेरे ही हैं.

ट्वीट कोई सबूत नहीं:

स्वामी ने आगे कहा कि ‘कानून के तहत ट्वीट स्वीकार्य नहीं है. और न ही किसी आवेदन के लिए उन्हें सबूत के रूप में गिना जा सकता है. अगर मुझे नहीं पता कि सबूत क्या हैं, तो फिर मैं आगे कैसे आगे बढ़ूंगा? मुझे ट्वीट करने का पूरा अधिकार है. लेकिन आप जिस सबूत का दावा कर रहे हैं वो सबूत नहीं हैं क्योंकि वे प्रमाणित नहीं हैं.’

उन्होंने आगे तर्क दिया कि उनके ट्वीट अपमानजनक हैं इसका कोई सबूत नहीं है और इसलिए, वोरा के आवेदन को ‘खारिज’ कर दिया जाना चाहिए. भले ही ट्वीट सही हैं तब भी ये साबित करने के लिए वो ट्वीट अपमानजनक हैं कोई सबूत नहीं है. यह भ्रष्टाचार का मामला है. इसमें सार्वजनिक हित शामिल है.

वही वोरा के वकील आर एस चीमा ने कहा कि स्वामी ने आरोपों से लिखित तौर पर इंकार नहीं किया है. और जब हमने आरोप लिखित तौर पर दिए थे तब भी उन्होंने लिखित तौर पर आरोपों से इंकार नहीं किया था. यह कोर्ट की अवमानना है.

कोर्ट ने मामले में फैसला 17 नवंबर तक के लिए सुरक्षित कर लिया है.