एससी और ओबीसी विरोधी मानसिकता से पीड़ित है बीजेपी – हुड्डा

  •                  बीजेपी ने ओबीसी क्रीमी लेयर लिमिट को घटाकर लाखों ओबीसी से छीना आरक्षण- हुड्डा
  •                  आरक्षण खत्म होने की वजह से नौकरी व उच्च शिक्षा से वंचित हुए हजारों ओबीसी बच्चे- हुड्डा
  •                  एससी-ओबीसी को शिक्षा, नौकरी व आरक्षण से वंचित करना चाहती है बीजेपी- हुड्डा

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 25 जून :

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि बीजेपी पूरी तरह एससी और ओबीसी विरोधी मानसिकता से पीड़ित है। इसलिए जब से प्रदेश की सत्ता में भाजपा आई है, वो लगातार दलित और पिछड़ों के आरक्षण व अधिकारों पर कुठाराघात कर रही है। इसी कड़ी में बीजेपी ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की क्रिमी लेयर को 8 लाख से घटकर 6 लाख किया था। साथ ही इसमें बीजेपी ने कृषि और वेतन की आय को भी जोड़ दिया। जबकि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान 27.5.2013 को क्रीमी लेयर की आय सीमा को निर्धारित करते हुए इससे कृषि और वेतन की आय को अलग कर दिया गया था।

अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए हुड्डा ने कहा कि आज केंद्र की क्रीमी लेयर लिमिट भी 8 लाख रुपये है। लेकिन हरियाणा की भाजपा सरकार ने इसे घटाकर 6 लाख कर दिया और इसमें कृषि व वेतन की आय भी जोड़ दी। इसके चलते पिछड़ा वर्ग के लाखों लोग आरक्षण के अधिकार से वंचित हो गए। अब पिछड़ा वर्ग के सामने बीजेपी की सच्चाई उजागर हो गई तो बीजेपी की तरफ से ये लिमिट को बढ़ाकर वापस 8 लाख करने की बात कही जा रही है। जबकि इसको लेकर अभी तक कोई सरकारी दस्तावेज सामने नहीं आया है। इसके बारे में सीएमओ की तरफ से की गई सोशल मीडिया पोस्ट को भी डिलीट कर दिया गया है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश की नौकरियों में 2 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। लेकिन बीजेपी जानबूझकर इन पदों को नहीं भर रही। क्योंकि पक्की भर्तियां होंगी तो एससी और ओबीसी को आरक्षण देना पड़ेगा। लेकिन बीजेपी ऐसा नहीं चाहती। इसलिए पिछड़ा वर्ग के हजारों पद खाली पड़े हुए हैं और एक बड़ा बैकलॉग प्रदेश की नौकरियों में इकट्ठा हो गया है। इसके विपरीत कांग्रेस कार्यकाल के दौरान पिछड़ा वर्ग की सभी जातियों को आरक्षण का उचित लाभ देने के लिए कई कदम उठाए गए। ग्रुप-ए और ग्रुप-बी की अलग-अलग कैटेगरी बनाकर उनको आरक्षण को 10 से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया था। ग्रुप-ए को 10% और ग्रुप-बी को 5% आरक्षण दिया था, जबकि उससे पहले कुल मिलाकर ओबीसी आरक्षण सिर्फ 10% था।

हुड्डा ने बीजेपी से निम्नलिखित सवाल पूछे हैं-

1.     किस मानसिकता के तहत बीजेपी ने ओबीसी क्रीमी लेयर की लिमिट घटाकर 6 लाख किया था?

2.     पिछड़ा विरोधी अन्यायपूर्ण फैसले के लिए बीजेपी ने अबतक माफी क्यों नहीं मांगी? 

3.     बीजेपी के इस फैसले ले लाखों ओबीसी को इतने साल में हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा?

4.     पिछड़ा वर्ग समाज के बच्चों के MBBS में एडमिशन कैंसल हुए। हरियाण सरकार के अधीन इंजिनियरिंग, MBBS, नॉन टेक्निकल कोर्सेज में एडमिशन से 7 साल तक ओबीसी बच्चों को वंचित होना पड़ा, उसकी भरपाई कौन करेगा?

5.     पिछले 7 साल से क्रीमी लेयर पर केस हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में किया हुआ है। इसमें ओबीसी समाज की जीत हुई थी। उसमें लाखों रुपये का खर्च आया उसकी भरपाई कौन करेगा ?

6.     क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को ना मानने को लेकर प्रदेश सरकार के विरुद्ध हाई कोर्ट में अवमानना का केस चल रहा है, जिसका फैसला ओबीसी के हक में आना तय था। इसीलिए अपनी खाल बचाने के लिए अब बीजेपी क्रीमी लेयर लिमिट को बढ़ाने का ड्रामा क्यों कर रही है?

7.     ओबीसी बैकलॉग ना भरकर बीजेपी ने लाखों ओबीसी परिवारों से खिलवाड़ किया, इसकी भरपाई कौन करेगा?

8.     HKRN में एससी-ओबीसी को आरक्षण क्यों नहीं दिया गया? कौशल निगम के जरिए पक्की नौकरियों को क्यों खत्म किया गया?

9.     बीजेपी इस बार भी लोकसभा चुनाव में दस सीटों पर एक भी BC (A)  उम्मीद्वार को टिकट क्यों नहीं दिया? 

10.    किसके दबाव में सीएमओ ने ओबीसी क्रीमी लेयर वाला सोशल मीडिया पोस्ट डिलिट किया? 

हुड्डा ने कहा कि बीजेपी कभी भी दलित और पिछड़ा समाज की भलाई के बारे में नहीं सोच सकती। सभी को इस सरकार की नीयत और विचारधारा का पता चल चुका है। इसीलिए दलित-पिछड़ा वर्ग ने मिलकर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाया। उसी का बदला लेने के लिए बीजेपी प्रदेश से सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षा तंत्र को खत्म कर रही है, ताकि वंचित वर्गों को शिक्षा, आरक्षण व नौकरी से वंचित रखा जा सके।