पंचांग, 14 मार्च 2024

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 14 मार्च 2024

नोटः आज चैत्र मास की संक्रांति है। आज याज्ञवल्क्य जयंती है।

याज्ञवल्क्य जयंती : भारत के प्राचीन ऋषियों में से एक महर्षि याज्ञवल्क्य का जन्म फाल्गुन कृष्ण पंचमी को मिथिला नगरी के निवासी ब्रह्मरथ और सुनंदा के घर हुआ था। श्रीमद्भागवत के अनुसार, इनका जन्म देवराज के पुत्र के रूप में हुआ था। सातवें वर्ष में याज्ञवल्क्य ने अपने मामा वैशंपायन से शिक्षा ग्रहण कर वेद की समस्त ऋचाएं कंठस्थ कर ली थीं। याज्ञवल्क्यकपिल, ऋषि कर्दमा और देवहुति के पुत्र थे और उन्हें महाविष्णु का अवतार माना जाता था।

विक्रमी संवत्ः 2080, 

शक संवत्ः 1945, 

मासः फाल्गुन, 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः पंचमी रात्रि काल 11.27 तक है, 

वारः गुरूवार। 

नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः भरणी सांय काल 04.46 तक है, 

योगः वैधृति रात्रि काल  10.00 तक, 

करणः बव, 

सूर्य राशिः मीन, चन्द्र राशिः मेष, 

राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.36, सूर्यास्तः 06.25 बजे।