जब भगवान हमारी मदद करने आते हैं, तो विरोधी भी पक्ष में हो जाते हैं : पंडित विजय शंकर

जब भगवान हमारी मदद करने आते हैं, तो विरोधी भी पक्ष में हो जाते हैं : गुरु पंडित विजय शंकर मेहता

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला, 23 जनवरी

श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा दिवस के उपलक्ष में माता मनसा देवी गोधाम में यज्ञ किया गया। शाम को11000 दीपों से देव दीपावली मनाई गई। इस देव दीपावली में हजारों लोगों ने भाग लिया। जीवन प्रबंधन गुरु पंडित विजय शंकर मेहता उज्जैन वालों द्वारा श्री राम कथा सुनाई गई। इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, एडीजीपी आलोक मित्तल, पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल, उनकी धर्मपत्नी अंजू गोयल,चंडीगढ़ के मेयर अनूप गुप्ता, चेयरमैन संजीव गोयल, महासचिव डा. नरेश मित्तल, उपप्रधान केवल गर्ग एवं कोषाध्यक्ष राजकुमार भौजिया, भूपिंद्र गोयल, अग्रवाल सभा के सदस्य कुसुम कुमार गुप्ता, शारदा गुप्ता सहित अन्य उपस्थित रहे।

पंडित विजय शंकर मेहता ने बताया कि राम कथा हमें जीना सिखाती है। भगवान जब हमारी मदद करने आते हैं, तो उसका ढंग निराला होता है। हमारे विरोधी भी हमारे पक्ष में बोलने लगते हैं। अशोक वाटिका में जब रावण मां सीता को मारने दौड़ता है, तो उसकी पत्नी मंदोदरी कहती है – ठहरिये, ये क्या कर रहे हैं। आप एक विश्वविजेता हैं, एक निरीह स्त्री पर वार करना उचित नहीं है। ऐसा कहकर वो सीताजी को बचा लेती है। हनुमानजी यह दृश्य देख रहे थे। वे समझ गए कि यह सब भगवान की माया है। उपरोक्त उद्गार जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजयशंकर मेहता ने माता मनसा देवी गोधाम श्रीराम कथा सुनाते हुए कहे। उन्होंने किष्किंधा काण्ड, सुंदरकाण्ड के विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या सुमधुर भजनों के साथ की। उन्होंने कहा कि राम जहां रहते हैं उस निवास स्थान को रामायण (वाल्मीकि ) कहा गया।

तुलसीदास ने जिस राम कथा को हमारे जीवन में सौंपा, जिस रूप में रामचरितमानस में प्रस्तुत किया उससे राम हमारे रग-रग में बस गए। तुलसी की चौपाई हम लोगों की नस नस में बस गईं हैं अवधि भाषा के स्पर्श के साथ लिखा गया यह ग्रंथ वे लोग भी समझ लेते हैं जो पढऩा लिखना नहीं जानते।  मानस की एक-एक पंक्ति में तुलसी की भक्ति के माध्यम से भगवान् खुद प्रकट हुए हैं।

महत्वपूर्ण यह नहीं है संसार से आपको क्या मिला, महत्वपूर्ण यह है आप संसार को क्या लौटा रहें हैं। तुलसी यही सिखाते हैं। आत्मा राम दुबे के यहां तुलसीदास का जन्म हुआ जन्म के  बाद इस बालक की मां मर गई। इस बालक को अपशकुनी मनहूस जानकार  छोड़ दिया गया। जमाने ने तुलसी को विष दिया, लेकिन तुलसी ने रामचरितमानस के रूप में अमृत लौटाया। तुलसी दास चित्रकूट में नदी के किनारे राम कथा सुना रहे हैं। भगवान् उनकी भक्ति से खुश होकर सोचते हैं आज इसे दर्शन करा ही दें। भगवान् साधारण भेष में आते हैं तुलसीदास पहचान नहीं पाते, तब पेड़ पर बैठे हनुमान एक दोहा पढ़ते हैं और तुलसीदास अपने ईष्ट भगवान राम को पहचान जाते हैं संकेत मिलते ही। कहतें हैं इसी के बाद तुलसी ने रामायण लिखनी शुरू की, जिसका एक- एक  दृश्य हनुमान ने ऐसे दिखलाया जैसे तुलसी ने स्वयं भी अपनी आंखों देखा हो। परमात्मा जीवन में संकेत रूप में समझ आता है गुरु देता है यह संकेत। ऐसा ही संकेत हनुमान जी ने तुलसी को इस दोहे के माफऱ्त किया।

 इस अवसर पर महापौर कुलभूषण गोयल के साथ पार्षद सुनीत सिंगल, भूपिंद्र गोयल, दीपक बंसल, तेजपाल गुप्ता, सुरिंदर सिंगला, संजय जैन, सुरेंद्र गोयल, विनीत जैन, रुपाली जैन, राकेश गोयल, डीपी सिंगला, तरसेम लाल, अजय जैन, अमित गुप्ता, राकेश कुमार, मेघराज, परमिंदर ढींगरा, दीपक गुप्ता, वृषभान गर्ग उपस्थित रहे।