एसडी कॉलेज में ट्रांसलेशनल रिसर्च की आवश्यकता विषय पर हुआ अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार

  • एसडी कॉलेज में ट्रांसलेशनल रिसर्च की आवश्यकता विषय पर हुआ अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
  • सेमिनार में वक्ताओं ने ट्रांसलेशनल रिसर्च के महत्व पर प्रकाश डाला, पीजीआई के डॉक्टरों ने भी प्रस्तुत किए विचार

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला, 10 जनवरी

सेक्टर-32 स्थित गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज की ओर से ‘लैब से फील्ड: ट्रांसलेशनल रिसर्च की आवश्यकता’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन जीजीडीएसडी कॉलेज सोसायटी के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. सिद्धार्थ शर्मा की अध्यक्षता में किया गया। सेमिनार का उद्देश्य ट्रांसलेशनल रिसर्च के सार को समझाना था जो कि एक इंटरडिसिप्लनरी प्रयास है जो कि प्रयोगशाला में होने वाली खोजों और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के बीच अंतर को कम करता है। जीजीडीएसडी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अजय शर्मा ने अपने स्वागत भाषण में ट्रांसलेशनल रिसर्च के महत्व पर प्रकाश डाला। वहीं, जीजीडीएसडी कॉलेज सोसायटी के महासचिव डॉ. अनिरुद्ध जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ और बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर यूनवर्सिटी, लखनऊ के पूर्व वाइस-चांसलर डॉ. आरसी सोबती ने प्रतिभागियों को विभिन्न अनुसंधान उन्मुख प्रयोगशाला से लेकर क्षेत्रीय अनुप्रयोगों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की एबस्ट्रेक्ट बुक का विमोचन भी किया गया। नाइपर, मोहाली के डॉयरेक्टर डॉ.दुलाल पांडा सेमिनार में मुख्य वक्ता थे। उन्होंने गंभीर समस्या से निपटने के लिए जीवाणुरोधी प्रतिरोध पर काबू पाने के लिए बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए विभिन्न तरीकों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने विशेष रूप से गैर-मानवीय उद्देश्यों के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग के परिणामस्वरूप जीवाणुरोधी प्रतिरोध के बारे में भी बात की।

सेमिनार के दो सत्रों को दो अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने वर्चुअली संबोधित किया, जिनमें ओक्लाहोमा मेडिकल स्कूल, यूएसए की डॉ.रश्मि कौल ने जहां यूरिनिरी ट्रैक्ट इंफेक्शन पैथोजेनिसिस और और नैनोडायमंड्स आधारित इन-विवो नॉवेल स्ट्रैटेजिस के उपयोग पर बात की। वहीं, वेस्टर्न यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, कैलिफोर्निया के ट्रांसलेशनल रिसर्च क्षेत्र में प्रसिद्ध डॉ. देवेन्द्र कुमार अग्रवाल ने रोटेटर कफ टेंडन इंज्युरी के उपचार की प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी रणनीतियों के बारे में बात की। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के पूर्व वाइस-चांसलर डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों ने सतत कृषि: बदलती जलवायु में स्थिरता प्राप्त करने के लिए लैब से लैंड ट्रांसफर पर विचार व्यक्त किए।

वहीं, सेमिनार में पीजीआई के यूरोलॉजी विभाग के डॉ.संतोष कुमार ने ट्रांसलेशनल रिसर्च- विचारों से वास्तविकता तक पर लेक्चर दिया। उन्होंने संतोष पीजीआई-पीओयूसीएच सहित यूरोजेनिटल सर्जरी के क्षेत्र में नए नवाचारों के बारे में बात की। पंजाब यूनिवर्सिटी के बॉटनी विभाग के प्रोफेसर डॉ. हर्ष नय्यर ने विशेष रूप से पौधों पर हीट स्ट्रेस के प्रभाव का आकलन करते हुए स्ट्रेस प्रतिरोधी खाद्य फसलों के विकास पर अपनी शानदार अंतर्दृष्टि साझा की। दोपहर का सत्र प्रतिभागियों द्वारा ओरल और पोस्टर प्रस्तुतियों के साथ शुरू हुआ। पीजीआई के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के डॉ. एसएस राणा ने क्रोनिक पैंक्रिआईटिस: चुनौतियाँ और समाधान विषय पर लेक्चर दिया।

पीजीआई के फार्माक्लॉजी विभाग के डॉ.बिकास मेधी ने दवाओं की गुणवत्ता और उनके दृष्टिकोण के मूल्यांकन के एक बहुत ही प्रासंगिक विषय पर चर्चा की। पंजाब यूनिवर्सिटी स्थित यूआईईटी के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर प्रवीण गोयल ने बोरवेल घटनाओं में बच्चों के बचाव के लिए आटोमेटेड रीट्रिवल मैकेनिज्म के कार्यान्वयन के बारे में बात की। पीजीआई के नेत्र रोग विभाग के हेड डॉ. एसएस पांडव ने लैब से ऑपरेटिंग रूम तक संक्रमण के बारे में दिलचस्प पहलुओं पर चर्चा की। पीजीआई के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. धीरज खुराना ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। सेमिनार की आयोजन सचिव डॉ. आशिमा पाठक ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।