कब्र खोद निकाले थे 28 शव, हाई कोर्ट ने कहा – तीस्ता सीतलवाड़ का रिकॉर्ड रहम के लायक नहींकब्र खोद निकाले थे 28 शव,

2006 में गुजरात पुलिस ने झूठे सबूत बनाने, सबूत नष्ट करने, कब्रगाह पर अतिक्रमण करने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ FIR दर्ज की थी। सोमवार को जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो जस्टिस संदीप भट्ट ने सीतलवाड़ के वकील योगेश रवानी से कहा कि रिकॉर्ड देखने के बाद, मैं इच्छुक नहीं हूं। आपको (अदालत को) संतुष्ट करना होगा।

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को हाईकोर्ट से झटका
  • सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को हाईकोर्ट से झटका
  • पंडरवाड़ा सामूहिक कब्र खुदाई मामले में सीतलवाड़ को राहत नहीं
  • मामले की सुनवाई 9 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई
  • गुजरात हाई कोर्ट ने पंडरवाड़ा कब्र खुदाई मामले राहत देने से किया मना
  • हाईकोर्ट की टिप्पणी, तीस्ता सीतलवाड़ का रिकॉर्ड रहम के लायक नहीं
  • इसी सवाल जुलाई-अगस्त में भी गुजरात हाई कोर्ट ने रखा था सख्त रुख
  • एक बार जांच में सहयोग नहीं करने पर शीर्ष कोर्ट ने दी थी कड़ी चेतावनी

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 02 जनवरी   :

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात हाईकोर्ट से किसी तरह की राहत मिलने की कम ही उम्मीद  है। गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को संकेत दिया कि तीस्ता सीतलवाड़ के रिकॉर्ड को देखते हुए वह पंडरवाड़ा सामूहिक कब्र खुदाई मामले में कोई राहत देने के मूड में नहीं है। दरअसल गोधरा हिंसा के बाद दिसंबर 2005 में पंचमहल जिले के पंडरवाड़ा के पास एक सामूहिक दफन स्थल से कब्र खोदने और 28 शवों को निकालने के मामले में सीतलवाड़ पर केस दर्ज । 2011 में दर्ज एफआईआर में अपना नाम शामिल होने के बाद सीतलवाड ने 2017 में अदालत में एक याचिका दायर की थी। 2006 में गुजरात पुलिस ने झूठे सबूत बनाने, सबूत नष्ट करने, कब्रगाह पर अतिक्रमण करने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ केस दर्ज किया था। सोमवार को जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो जस्टिस संदीप भट्ट ने सीतलवाड़ के वकील योगेश रवानी से कहा कि रिकॉर्ड देखने के बाद, मैं इच्छुक नहीं हूं। आपको (अदालत को) संतुष्ट करना होगा।

वकील ने कहा कि यह आधिपत्य का विशेषाधिकार है। हम अदालत को समझाने की कोशिश करेंगे क्योंकि कोई अपराध नहीं बनता है। आखिरकार यह राजनीतिक उत्पीड़न है। इस पर जज ने जवाब दिया कि यह आजकल इस्तेमाल किया जाने वाला एक बहुत व्यापक शब्द है। मामले की सुनवाई 9 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई।

गौरतलब है कि साल 2005 के इस मामले में लूनावाड़ा नगर पालिका ने सीतलवाड़ की एनजीओ ‘सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस’ के पूर्व कोऑर्डिनेटर रईस खान सहित 7 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। हाईकोर्ट ने सीबीआई जाँच का आदेश दिया था। इस मामले में रईस खान ने तीस्ता से अलग होने के बाद उनका नाम अपने बयान में लिया था और उसी के आधार पर उनका नाम एफआईआर में शामिल किया गया।

दूसरी ओर राज्य सरकार ने दावा किया कि उस स्थान को कब्रिस्तान के रूप में उचित रूप से अधिसूचित करने के बाद ही दफन किया गया था। खान और सीतलवाड़ के अलग होने के बाद सीतलवाड़ का नाम खान के बयान के आधार पर शामिल किया गया था। खान ने बताया था कि शवों को निकालने का काम उनके आदेश पर हुआ था।