सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने पैक्स कर्मचारियों की मांगों का किया समर्थन
- सरकार काम लेते वक्त तो इन्हें कर्मचारी मानती है लेकिन वेतन के समय कर्मचारी नहीं समझती
- प्रजातन्त्र में दमनकारी नीति का कोई स्थान नहीं – दीपेन्द्र हुड्डा
- सरकार की वादाखिलाफी को लेकर पैक्स कर्मचारियों में भारी रोष – दीपेन्द्र हुड्डा
- पैक्स कर्मचारियों बरसी एक-एक लाठी का जवाब आगामी चुनाव में वोट से देंगे पैक्स कर्मचारी – दीपेन्द्र हुड्डा
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 20 दिसम्बर :
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा प्राथमिक कृषि सहकारी समिति (पैक्स) कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुए आज कहा कि उनकी मांगें जायज हैं और उनका पूर्ण समर्थन करते हैं। सरकार इन्हें काम लेते वक्त तो कर्मचारी मानती है लेकिन वेतन आदि देने के समय कर्मचारी नहीं समझती और लाठी की भाषा में बात करने लगती है। सरकार अपने अलावा किसी की सुनने तक को राजी नहीं है। प्रजातन्त्र में ऐसी दमनकारी नीति का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि 2019 में मौजूदा प्रदेश सरकार ने पैक्स कर्मचारियों की वेतनमान खामी दूर करने तथा जिला सहकारी बैंकों में पुरानी पदोन्नति नीति बहाल करने की घोषणा करके एक विभागीय कमेटी भी बनाई थी, परंतु अभी तक न तो वेतनमान खामी को दूर किया गया, न ही पुरानी पदोन्नति नीति को बहाल किया गया। सरकार की इस वादाखिलाफी को लेकर पैक्स कर्मचारियों में भारी रोष है। सरकार ने पैक्स कर्मचारियों पर जो लाठी बरसाई है उस एक-एक लाठी का जवाब आगामी चुनाव में अपने वोट से देंगे पैक्स कर्मचारी। दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि सरकार पैक्स कर्मचारियों की मांगों पर अविलंब विचार कर उनका समाधान करे।
उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में किसान, मजदूर, युवा, कर्मचारी, व्यापारी, आंगनवाड़ी आशा वर्कर, सरपंच और खिलाड़ी अपने हक और अधिकार के लिए सड़कों पर आवाज उठाने को मजबूर हैं। लेकिन इस सरकार ने कौशल रोजगार योजना के तहत सेवारत कर्मचारियों को भी बेरोजगार बना दिया है। आज हरियाणा बेरोजगारी, महंगाई, अपराध, नशे और भ्रष्टाचार में No.1 बन गया है। हर घर में बेरोजगार नौजवान हैं। न प्राईवेट सेक्टर में रोज़गार आया और न ही सरकारी क्षेत्र में कोई नया रोजगार आया। हरियाणा में 2 लाख सरकारी पद खाली पड़े हुए हैं। भर्तियाँ घोटालों की भेंट चढ़ गई या दूसरे प्रदेशों के लोगों को दे दी गई। बीजेपी-जेजेपी सरकार ने पक्की सरकारी नौकरियों को भी कौशल निगम और अग्निवीर जैसी योजना लाकर कच्ची नौकरी में बदल दिया और युवाओं को उत्पीड़न, शोषण के रास्ते पर धकेल दिया।