मोक्षदा एकादशी को मनाई जाएगी गीता जयंती भी : पंडित पूरन जोशी

मोक्षदा एकादशी व्रत आ रहा 22  को ,इस एकादशी को मनाई जाएगी गीता जयंती भीः पंडित पूरन जोशी 

मोक्षदा एकादशी के दिन ऐसे करें पूजा। एकादशी के एक दिन पहले तामसिक भोजन बंद कर दें। इसके बाद एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर सूर्य देव की उपासना कर व्रत का संकल्प लें। ब्रह्मचर्य रखकर एकादशी व्रत का पालन करें। वहीं, संध्या के समय पीला वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु के सामने पीला पुष्प, पीला फल, धूप, दीप आदि से पूजन करें। फिर विष्णु भगवान के सामने ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। इसके बाद आरती के साथ पूजा संपन्न करें।

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 19 दिसम्बर  :

मोक्षदा एकादशी व्रत 22 दिसंबर (शुक्रवार) को आ रहा है। साल में कुल 24 एकादशी आती है। मगर इस साल अधिक मास होने के कारण कुल 26 एकादशी आ रही है। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष को एकादशी पड़ती है। हर एक एकादशी का विशेष महत्व है। इन्हीं एकादशी में से एक है मोक्षदा एकादशी। यह एकादशी काफी शुभ मानी जाती है।ये जानकारी सनातन धर्म प्रचारक प्रसिद्ध विद्वान ब्रह्मऋषि पंडित पूरन चंद्र जोशी ने मोक्षदा एकादशी पर प्रकाश डालते हुए दी। उन्होंने बताया कि  मार्ग शीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत को रखने से व्यक्ति को हर कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का पालन करके अपने पितरों को मुक्ति और मोक्ष प्रदान किया जा सकता है।

एकादशी के दिन ही गीता जयंती भी मनाई जाती है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।  मगर इस साल मोक्षदा एकादशी की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है। साल की आखिरी एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 22  दिसंबर  शुक्रवार को  रखा जाएगा।  इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सभी तरह के कष्ट समाप्त हो जाते हैं। मृत्यु के पश्चात जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन पितरों को मोक्ष के लिए भी व्रत रखा जाता है। मोक्षदा एकादशी के व्रत के साथ-साथ उसके पारण का भी महत्व है।

इस व्रत के प्रभाव से बढ़ता है यश और कीर्ति —

मोक्षदा एकादशी के व्रत से यश-कीर्ति में भी बढ़ोतरी होती है और जीवन खुशियों से भर जाता है। मोक्षदा एकादशी या किसी भी एकादशी पर चावल न खाएं। चावल के साथ ही मोक्षदा एकादशी पर मांस,मदिरा, प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली भी खाने से बचें। मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़े और न ही तुलसी को स्पर्श करें। एकादशी पर किसी भी पेड़-पौधे के फल-फूल नहीं तोड़ने चाहिए। इसलिए भगवान को चढ़ाने वाले फल, फूल, पत्ते आदि एक दिन पहले ही तोड़ लें। इस दिन किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा दिया गया अन्न भी ग्रहण न करें। इससे पुण्य फल में कमी आती है। मोक्षदा एकादशी पर वाद-विवाद से दूर रहें, क्रोध न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। एकादशी व्रत में पारण का बड़ा महत्वा होता है। अगर जातक मुहूर्त में पारण नहीं करता है तो उसका व्रत निष्फल माना जाता है। वहीं जो लोग 22 दिसंबर को व्रत रखते हैं तो वह 23 दिसंबर को सुबह 07ः49 मिनट पर पारण करें। वही जो (वैष्णव लोग) 23 दिसंबर को व्रत रखेंगे, वे पारण अगले दिन यानी 24 दिसंबर को सुबह 06ः49 मिनट तक कर लें। (पूजा का शुभ मुहूर्त) एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित रहती है। इस दिन  भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है।  वहीं संध्या काल में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त संध्या 04 बजे से लेकर 05 बजे तक का है।

पंडित जोशी के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की मोक्षदा एकादशी तिथि की शुरुआत 22 दिसंबर दिन (शुक्रवार) को सुबह 07ः35 मिनट से हो रही है। मोक्षदा एकादशी  तिथि की समाप्ति अगले दिन यानी 23 दिसंबर दिन (शनिवार) सुबह 07ः56 मिनट  पर होगी ।*शास्त्रों के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजन करने से पितर प्रसन्न होते हैं। क्योंकि इस व्रत के प्रभाव से पितर नीच योनि से मुक्त जाते हैं और बैकुंठधाम चले जाते हैं। ऐसे में पितर अपने परिवार को  धान्य-धान्य और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।