द्वादशी पर आज मंदिरों या गौशालाओं में फहराएं ध्वज : महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद जी
- श्री राम भवन में कार्तिक महोत्सव मनाई गई एकादशी
- महाराज जी ने द्वादशी पर प्रकाश डालते हुए मंदिरों में ध्वज लहराने की दी प्रेरणा
रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 23 नवम्बर :
श्री राम भवन में आयोजित कार्तिक महोत्सव दौरान प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए देवभूमि हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने जहां एकादशी व्रत पर प्रकाश डाला। वहीं द्वादशी पर चर्चा करते हुए शुक्रवार को द्वादशी मौके मंदिरों व गौशालाओँ में ध्वज फहराने की प्रेरणा दी।स्वामी कमलानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को भीष्म पंचक व्रत की कथा भी सुनाई। भीष्म पंचक की शुक्ल द्वादशी की कथा सुनाते हुए स्वामी जी ने कहा कि सनातन हिंदू धर्म में नित्य नए-नए पर्व आते हैं। यह पर्व सभी को आपसी सौहार्द, भाईचारा और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन’ का कल्याणकारी मार्गदर्शन देते रहते हैं। कार्तिक महात्म्य ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, अमीर, गरीब, भिक्षु या फिर चक्रवर्ती राजा ही क्यों न हो सभी को एक सूत्र में बांधने का काम करता है। द्वादशी का महात्म्य सुनाते हुए उन्होंने बताया की द्वादशी को ध्वजारोहण का विधान है। भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और भगवान राम या किसी शक्ति के मंदिर में अथवा गौशाला आदि धार्मिक स्थानों में ध्वज बांधा जाता है। हवा के झोंके से जितनी बार ध्वज लहराएगा, ध्वज बांधने वाले की जिंदगी में उतरी अधिक खुशियां आएंगी तथा ध्वज बांधने वाली की कीर्ति उतनी ही ज्यादा बढ़ेगी। श्रद्धा और भक्ति युक्त होकर ध्वज बांधने से जितनी धार्मिक स्थल की शोभा बढ़ती है उससे कहीं अधिक अपने मन को सुकून मिलता है। तुलसी पूजा, गंगा जी का स्नान, शिवलिंग पूजन और ध्वजारोहण यह सभी कार्तिक के शुभ कार्य कल्याणकारी हैं।
कलियुग में भगवान मधुसूदन नारायण की भक्ति महत्वपूर्ण
महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने कार्तिक माह में किए जाने वाले सद्कर्मों का महत्व बताते हुए कहा कि इस माह चाहे जितने भी सद्कर्म करो, उसका अनंत गुणा फल मिलता है। भगवान मधूसुदन नारायण जी की भक्ति कलियुग में बड़ी ही महत्वपूर्ण है। कलियुग में भगवान विष्णु की आराधना बेहद कठिन है। बद्रीनाथ नारायण तीर्थ के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ तीर्थ, कार्तिक माह में महात्म्य श्रवण करना और भगवान विष्णु की आराधना करना ये तीनों इस कलियुग में महत्वपूर्ण हैं। कलियुग में अगर बद्रीनाथ जा सकें तो बहुत अच्छा है। वर्ना कार्तिक माह में महात्म्य श्रवण कर एवं भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर मनुष्य जीवन सफल बना सकता है। महाराज जी ने कहा कि कार्तिक समान कोई महीना नहीँ है। सतियुग के समान कोई युग नहीं है। वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है। गंगा समान कोई तीर्थ नहीं है। अगर मनुष्य इन चारों तत्वों को समझ जाए तो उसका जीवन धन्य हो जाएगा।