शहर की प्रत्यूषा  घोष भट्टाचार्य ने राष्ट्रीय स्तर की प्लस साइज प्रतियोगिता जीती

  •         प्रतियोगिता जीतने पर प्रत्यूषा ने कहा कि ‘‘अगर लड़कियों को परिवार से सपोर्ट मिले, तो वे कुछ भी और सब कुछ हासिल कर सकती हैं
  •         उनके अनुसार खूबसूरती से जुड़े सामाजिक स्टैंडर्ड्स को चुनौती देने और शरीर की सकारात्मकता और आत्म-स्वीकृति को बढ़ावा देने की जरूरत है
  •         उनका मानना है कि इन्फ्लुएंसर कल्चर और सोशल मीडिया पर अत्यधिक बॉडी शेमिंग चिंताजनक है

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 23 नवम्बर  :

चंडीगढ़ में पली-बढ़ी प्रत्यूषा घोष भट्टाचार्य ने मेवन मिस प्लस साइज इंडिया 2023 का प्रतिष्ठित खिताब जीता है। यह प्रतियोगिता हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित की गई थी। प्रत्यूषा ने कहा कि वह हमेशा से एक सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती थीं और मिस प्लस साइज इंडिया 2023 का खिताब जीतना उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा था।

गौरतलब है कि प्रत्युषा ने अपनी स्कूली पढ़ाई शहर के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल से की और फिर चितकारा यूनिवर्सिटी से बीटेक किया। बाद में वह एमबीए के लिए नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, हैदराबाद चली गईं।

प्रत्यूषा  ने कहा कि ‘‘मेरी मां एक फाइटर रही हैं और उन्होंने ही मुझे इस प्रतियोगिता के लिए साइन अप करने का साहस दिया। मैंने उनकी कभी न हार मानने वाली प्रवृत्ति को आत्मसात कर लिया है, जिसने मुझे प्रतियोगिता में अच्छी स्थिति में पहुंचा दिया। मेरा भाई भारतीय सेना में मेजर है और हमेशा से ही मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है।’’

प्रत्यूषा ने कहा कि वह अपने माता-पिता और ससुराल वालों से विरासत में मिली आंतरिक आस्था और अटूट ताकत के गुणों के कारण प्रतियोगिता में शीर्ष पर आने में सक्षम रही। लेकिन प्रत्यूषा के लिए जीवन आसान नहीं रहा । प्रत्यूषा ने कुछ साल पहले अपने पिता को खो दिया था। यह उनकी मां, एक कैंसर सर्वाइवर, उनके पति और ससुराल वाले थे जिन्होंने प्रतियोगिता जीतने के अपने सपनों को हासिल करने में प्रत्यूषा को बहुत सहायता प्रदान की।

अपने पति और ससुराल वालों के बारे में बात करते हुए प्रत्यूषा ने कहा कि ‘‘अगर लड़कियों को उनके परिवार से सहायता प्रणाली प्रदान की जाए, तो वे कुछ भी और सब कुछ हासिल कर सकती हैं। मेरे पति और ससुराल वालों ने मुझे हर कदम पर प्रोत्साहित किया है। मेरे माता-पिता (ससुराल वाले) मेरे सबसे बड़े चीयरलीडर्स रहे हैं। उन्होंने एक विजेता के रूप में मेरी सफलता को बहुत खूबसूरती से संजोया है।’’

प्रत्यूषा ने आगे कहा कि ‘‘अगर कोई लड़की अपनी आकांक्षाओं को पूरा करना चाहती है तो शारीरिकआकार एक पैरामीटर नहीं होना चाहिए। हमें वास्तव में सुंदरता से जुड़े सामाजिक मानकों को चुनौती देनी चाहिए और शरीर की सकारात्मकता और आत्म-स्वीकृति को बढ़ावा देना चाहिए।’’

प्रत्यूषा का कहना है कि ‘‘इस दिन और उम्र में आत्म-प्रेम वास्तव में महत्वपूर्ण है, खासकर युवा महिलाओं के लिए जो इन्फ्लुएंसर कल्चर और सोशल मीडिया पर अत्यधिक बॉडी शेमिंग के कारण दैनिक आधार पर शारीरिक चेतना से जूझती हैं। जब किसी को उसके आकार , रंग, या अन्य शारीरिक विशेषता, के लिए उपहास किया जाता है यह जरूरी है कि पूरा समुदाय आगे बढ़े और प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक वेलफेयर का सम्मान करे। मेरी आवाज सिर्फ ‘प्लस साइज’ के लिए नहीं है, यह हर प्रकार के शरीर के लिए है जिनको सामाजिक तौर पर लोग ताने मारकर शर्मिंदा करते हैं ।सोशल मीडिया कई व्यक्तियों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।’’

प्रत्यूषा ने कहा  ‘‘अपनी जीत से मैं अन्य महिलाओं को प्रेरित करना चाहती हूं, भले ही उनका साइज कुछ भी हो। किसी भी लड़की को ‘प्लस साइज़’ या ‘ज़ीरो साइज़’ आदि के रूप में टैग नहीं करना चाहिए, बल्कि हमें साइज़ इनक्लूसिव होना चाहिए जहां सभी प्रकार के शरीर, त्वचा के प्रकार और अन्य शारीरिक विशेषताओं का सम्मान किया जाता है।’’

वह एक प्लस साइज़ मॉडल के रूप में अपनी प्राकृतिक फिगर और शैली के ज़रिये अन्य लड़कियों को प्रेरित करने की उम्मीद करती है। उनका मानना है कि अपने शरीर के संबंध में सभी खामियों और असुरक्षाओं को स्वीकार करने से बेहतर कोई भावना नहीं है क्योंकि यही उन्हें अद्वितीय बनाती है। सभी युवा लड़कियों के लिए उनका संदेश है कि वे अपने सपनों को कभी न छोड़ें ।

वर्तमान में बेंगलुरु में ई-कॉमर्स मैनेजर के पद पर कार्यरत प्रत्यूषा भी अपनी जीत का श्रेय अपने गुरु और मार्गदर्शक हरदीप अरोड़ा को देती हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘यह उनके प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के तहत था कि मुझे प्लेटफॉर्म पर चमकने का आत्मविश्वास और साहस मिला।’’