Sunday, December 22


राहुल गांधी गुरुवार को राजस्थान दौरे पर थे. मेवाड़ संभाग के गुजरात से लगते डूंगरपुर-बांसवाड़ा इलाके पर उनका फोकस था.


राहुल गांधी गुरुवार को राजस्थान दौरे पर थे. मेवाड़ संभाग के गुजरात से लगते डूंगरपुर-बांसवाड़ा इलाके पर उनका फोकस था. इसकी वजह हम आगे बताएंगे. लेकिन उनका भाषण एक बार फिर किसी नई बात या आगे के रोड मैप की बजाय मौजूदा बीजेपी सरकारों की नकारात्मक आलोचना तक ही सीमित रह गया.

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. राफेल को उछाला तो बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को भी अमीरों के लिए काम करने का सबूत बताया. उत्तर प्रदेश की तरह अब यहां भी फोन के पीछे ‘मेड इन डूंगरपुर’ लिखे होने का सपना देखने की बात कही. साथ ही, सचिन पायलट की एक फोटो को देखते ही कांग्रेस की जीत का सपना आने का रहस्य भी उजागर किया.

‘एक फोटो देखी और बस कांग्रेस जीत गई’

राहुल गांधी ने केंद्र से लेकर राज्य की बीजेपी सरकारों पर जमकर निशाना साधा. पिछले दिनों मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा के खर्च को लेकर काफी बवाल मचा था और हाई कोर्ट ने सख्त दिशानिर्देश जारी किए थे. राहुल ने गुरुवार को सबसे ज्यादा इसी को मुद्दा बनाया.

राहुल ने जनता की ओर इशारा करते हुए कहा कि वसुंधरा राजे अपनी गौरव यात्रा की एक-एक गाड़ी के पेट्रोल का खर्च आप लोगों की जेब से वसूल रही हैं. राहुल ने मुख्यमंत्री और उनके सांसद बेटे दुष्यंत सिंह के भगोड़े व्यवसायी ललित मोदी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया. राहुल के मुताबिक दुष्यंत ने मोदी से रिश्वत ली.

हालांकि राहुल गांधी ने विपक्षी पार्टी की महिला मुख्यमंत्री पर जमकर निशाना साधा. लेकिन अपने प्रदेशाध्यक्ष को संबोधित कर उन्होंने चुनाव में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को उम्मीदवार बनाने का आह्वान जरूर किया. राहुल के मुताबिक उनके बिना भारत मे कुछ भी नहीं हो सकता.

राहुल ने पिछले दिनों कांग्रेस द्वारा प्रसारित किए गए फोटोग्राफ्स का भी जिक्र किया. उन्होंने कांग्रेस में एकता होने का दावा करते हुए कहा कि पिछले दिनों उन्होंने अखबार में एक फोटो देखी जिसमे प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट बाइक चला रहे थे और राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत पीछे बैठे थे. इसे देखते ही उनके मन से एक ही बात निकली कि बस कांग्रेस अब जीत गई.

राफेल मुद्दा और मोदी के मन की बात

कांग्रेस और अध्यक्ष राहुल गांधी की पूरी कोशिश है कि कैसे भी राफेल को उसी तरह मुद्दा बनाकर मोदी को पटखनी दी जाए जिस तरह वी.पी. सिंह ने बोफोर्स का इस्तेमाल किया था. लिहाजा राजस्थान के इस दूर दराज और आदिवासी इलाके में भी उन्होंने राफेल का जिक्र नहीं छोड़ा. हालांकि उन्हे सुनने वाले आधे से ज्यादा लोगों को निश्चित रूप से राफेल से कोई मतलब नहीं रहा होगा लेकिन राहुल का टारगेट तो बाकी देश था.

अपने पुराने आरोपों को दोहराते हुए राहुल ने कहा कि जिस तरह राफेल विमानों की कीमत तीन गुना की गई, जिस तरह उनकी संख्या 126 से घटा कर सिर्फ 36 कर दी गई और जिस तरह सरकारी कंपनी एचएएल की बजाय नौसिखिया कंपनी को ठेका दिया गया, उसकी पूरी जांच होनी चाहिए. इस संबंध में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने कैग से भी मुलाकात की है. हालांकि जेपीसी जांच की मांग केंद्रीय कानून मंत्री पहले ही खारिज कर चुके हैं.

हमेशा की तरह राहुल ने मोदी के मन की बात कार्यक्रम का भी मजाक उड़ाया. राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री किसी और की सुनने के बजाय सिर्फ अपने मन की बात ही सबको सुनाना चाहते हैं. जबकि कांग्रेस लोकतांत्रिक तरीके से सबकी सुनकर और सबको साथ लेकर चलने में यकीन रखती है.

कांग्रेस का मेवाड़-वागड़ पर, बीजेपी का ब्रज पर फोकस

कांग्रेस की ये रैली डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा कस्बे में आयोजित की गई थी. ये आदिवासी बहुल इलाका है. 2013 चुनाव से पहले भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस इलाके में सोनिया गांधी की रैली करवाई थी. तब सोनिया ने आजादी के बाद पहली बार इस इलाके को रेल लाइन का सपना दिखाया था. अब कांग्रेस बुलेट ट्रेन के लिए उस प्रोजेक्ट को शहीद कर देने का आरोप लगाती है.

खैर, ये इलाका इसलिए अहम है क्योंकि जब-जब कांग्रेस ने यहां बढ़त बनाई है, तब-तब उसे सत्ता मिली है. इस इलाके में विधानसभा की 28 सीटें आती हैं और 2013 में यहां कांग्रेस को सिर्फ 2 सीट मिली जबकि बीजेपी को 25 सीटें मिली थीं. यही वजह है कि कांग्रेस ने अपनी संभागवार संकल्प रैलियों की शुरुआत भी चित्तौड़गढ़ के सांवलिया सेठ मंदिर से की थी. बीजेपी भी इस इलाके का महत्व अच्छी तरह जानती है. इसीलिए गौरव यात्रा की शुरुआत चारभुजा नाथ मंदिर से की गई थी.

वैसे, बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती भरतपुर संभाग बना हुआ है. खुद अमित शाह इसे जीतने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. भरतपुर-धौलपुर और करौली-सवाई माधोपुर का इलाका उत्तर प्रदेश के ब्रज और मध्य प्रदेश के चंबल इलाके से जुड़ा हुआ है. 2013 की मोदी लहर के बावजूद बीजेपी को यहां 19 में से सिर्फ 12 ही सीट मिली थी. करौली जिले में तो 4 में से एक ही सीट पर संतोष करना पड़ा.

बताया जा रहा है कि जयपुर जैसे बीजेपी के मजबूत इलाकों में सीटें कम होने की खुफिया रिपोर्ट के बाद नई रणनीति बनाई गई है. दूसरे इलाकों में कम होने वाली सीटों की भरपाई भरतपुर संभाग से करने की कोशिश में ही 22 सितंबर को अमित शाह गंगापुर सिटी में रैली कर रहे हैं. यहां जाट, गुर्जर और मीना जातियों का बाहुल्य है. डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की बीजेपी में वापसी के बाद अब बीजेपी की उम्मीदें बढ़ भी गई हैं.