वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं व विद्यार्थियों को क्रिएटिव इंडिया-इनोवेटिव इंडिया के स्लोग्न पर काम करने की जरूरत : डॉ. मंजू मेहता

– एचएयू में 10 दिवसीय बौद्धिक संपदा अधिकार व कृषि से संबंधित क्षेत्र में प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण विषय पर आयोजित प्रशिक्षण का हुआ समापन

डेमोक्रेटिक फ्रंट

 हिसार/पवन सैनी

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय के सभागार में ‘उच्च शिक्षण संस्थानों में बौद्धिक संपदा अधिकारों, प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण की उपयोगिता, विकास व अन्य विषयों’ पर 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसमें मुख्यातिथि के तौर पर मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय की निदेशक व कोर्स डायरेक्टर डॉ. मंजू मेहता उपस्थित हुई। यह प्रशिक्षण कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा प्रबंधन एकेडमी व मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय के आईपीआर प्रकोष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से 2 से 11 मई तक हुई। प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत में आईपीआर सैल इंचार्ज एवं सहायक निदेशक डॉ. विनोद ने सभी का स्वागत किया।मुख्यातिथि डॉ. मंजू मेहता ने बताया कि ‘उच्च शिक्षण संस्थानों में बौद्धिक संपदा अधिकारों, प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण की उपयोगिता, विकास व अन्य विषयों’ पर 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में अलग-अलग शिक्षण संस्थानों से आए विशेषज्ञों ने विभिन्न सत्र के माध्यम से प्रतिभागियों को विषयानुसार कई अहम जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर अत्यधिक प्रतिस्पर्धी व्यापार और आईपी परिदृश्य में मौजूदा चुनौतियों का सामना करने के लिए क्रिएटिव इंडिया-इनोवेटिव इंडिया के स्लोग्न पर वैज्ञानिकों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं व विद्यार्थियों को काम करने की जरूरत है। तभी देश आईपी के क्षेत्र में आगे बढ़ सकेगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय आईपीआर नीति के अनुसार बौद्धिक संपदा (आईपी) के निर्माण में उच्च शिक्षा संस्थानों की क्षमता को देखते हुए विश्वविद्यालय के संकाय के लिए इस प्रकार के प्रशिक्षण का बहुत महत्व है। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में दो प्रमुख पहलुओं यानी आईपीआर और प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण विषय को विभिन्न विशेषज्ञों के माध्यम से कवर किया। ट्रेनिंग में शामिल प्रतिभागियों को आईपी और संबंधित अधिकारों से भी अवगत करवाया गया ताकि वे आईपीआर की विभिन्न श्रेणियों और प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण के तहत सुरक्षा के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों की समय पर पहचान कर सकें। साथ ही प्रतिभागी अपने-अपने शिक्षण संस्थानों में जाकर ट्रेनिंग में सीखी बातों को लागू कर विद्यार्थियों को भी इससे अवगत करा सकें। उन्होंने बताया कि हकृवि को 20 पेटेंट, 11 कॉपीराइट, 7 डिजाइन और एक ट्रेडमार्क सहित 39 आईपीआर प्रदान किए गए हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे आईपी विषय पर अच्छे ज्ञान, अधिकारों के अनुदान के लिए अधिक आईपी आवेदन दायर करने, जागरूकता फैलाने और दूसरों को भी इस विषय पर प्रेरित करेंगे। इसके बाद मुख्यातिथि ने सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति प्रमाण-पत्र वितरित कर उत्साहवर्धन किया।आईपीआर सैल इंचार्ज एवं सहायक निदेशक डॉ. विनोद ने 10 दिवसीय प्रशिक्षण की विस्तृत रिपोर्ट पेश की। इस प्रशिक्षण में ट्रेडमार्क रजिस्ट्री दिल्ली, एनआईपीईआर मोहाली, दिल्ली विश्वविद्यालय, लुवास हिसार, सीआर लॉ कॉलेज हिसार, कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर, कानूनी फर्म सीआईपीएलजीटी गुरुग्राम सहित बाहरी संस्थानों के विशेषज्ञों द्वारा 13 व्याख्यान दिए गए थे। विशेषज्ञों में डॉ. विक्रम सिंह, डॉ. चंदन चंदना, अधिवक्ता राजन, डॉ. विकास, डॉ. आर.बी श्रीवास्तव, डॉ. नरेश ने पेटेंट अधिनियम 1970, डिजाइन जैसे विभिन्न आईपीआर विषयों पर व्याख्यान दिए। साथ ही प्रतिभागियों का आंकलन करने के लिए एक प्री टेस्ट भी लिया गया। उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों को एबिक, मशरूम लैब व बायो-फोर्टिलाइजर लैब का भी भ्रमण करवाकर कई अहम जानकारियां दी गई।कार्यक्रम के दौरान डॉ. वीरेंद्र हुड्डा ने अपने अनुभवों को कविता के माध्यम से बेहतरीन प्रस्तुति दी व प्रतिभागी डॉ. सरोज यादव ने अनुभवों को साझा किया। डॉ. योगेंद्र यादव ने भी अनुभवों को शेयर कर सभी का आभार जताया। मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय के संयुक्त निदेशक डॉ. अर्पणा भी मौजूद रही। पाठ्यक्रम समन्यवक डॉ. जयंती टोकस ने मंच का संचालन किया। अंत में डॉ. अमोघवर्शा ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया।