राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सचिन पायलट और कांग्रेस के बीच दूरियां इतनी बढ़ती जा रही हैं कि अब यह मायने नहीं रखता कि 2018 में इस पार्टी को सत्ता में लाने में उनकी अहम भूमिका थी। बीजेपी नेताओं के ‘ऑफर’ के बावजूद पायलट भाजपा में शामिल होने का मन नहीं बना पा रहे हैं। क्योंकि उनका लक्ष्य सीएम बनना है और बीजेपी में इस पद के लिए पहले ही नेताओं की लंबी कतार है। ऐसे में नई पार्टी बनाने की ओर कदम बढ़ गए हैं। सचिन कर्नाटक चुनाव के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। यदि 11 जून तक कांग्रेस हाईकमान और गांधी परिवार ने सचिन पायलट की मांग मान ली तो ठीक है, वरना सचिन पायलट की राहें जुदा होने से अब कोई नहीं रोक सकता।
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट(ब्यूरो) राजस्थान – 09 मई :
- सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत
- राजस्थान कांग्रेस में मचा है जबर घमासान
- पायलट ने कहा कि गहलोत के आरोप बेबुनियाद
राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कभी उनके डिप्टी रहे सचिन पायलट की लड़ाई अब खुलकर सामने आई है। गहलोत के आरोपों का जवाब देते हुए पायलट ने कहा है कि उन्हें निकम्मा, नाकारा, गद्दार कहा गया। फिर भी वे चुप रहे, क्योंकि वे पार्टी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहते थे। साथ ही उन्होंने 11 मई से ‘जन संघर्ष यात्रा’ शुरू करने की भी घोषणा की है।
राजधानी जयपुर में अपने आवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पायलट ने अपने साथ सरकार से बगावत करने वाले विधायकों को भी पाक साफ करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पायलट बोले जो विधायक मेरे साथ दिल्ली गये थे वो बरसों से राजनीतिक और सामाजिक जीवन में सक्रिय हैं। उन पर करोड़ों रुपये लेने के आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। इसके साथ ही पायलट ने दो दिन पहले गहलोत की ओर से वसुंधरा राजे को लेकर दिए गए बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं वसुंधरा राजे हैं। एक ओर यह कहा जा रहा है कि बीजेपी कॉन्ग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश कर रही थी। वहीं दूसरी ओर यह कहा जा रहा है कि वसुंधरा राजे सरकार को बचा रहीं थीं। सीएम अशोक गहलोत को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर वह क्या कहना चाहते हैं। उनके इस बयान को वीडियो में 2:20 मिनट के बाद से सुना जा सकता है।
पायलट ने कहा कि उन्हें निकम्मा, नकारा, गद्दार के साथ ही बहुत कुछ कह गया। वह ढाई साल से यह सब सुन रहे थे। वह पार्टी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहते थे, इसलिए चुप थे। लेकिन अब अपने ही सरकार के नेताओं को बेइज्जत किया जा रहा है और भाजपा का गुणगान किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत ने जो आरोप लगाए हैं वह पहली भी कई बार लगाए जा चुके हैं। सीएम ने पार्टी नेताओं का अपमान किया है। उन्होंने ऐसे नेताओं पर आरोप लगाए हैं जो राजनीति में 40-45 साल से काम कर रहे हैं। उनके क्षेत्र के लोग जानते हैं कि वह कैसे नेता हैं, कैसा काम करते हैं। पायलट ने बताया कि वह 11 मई से पद यात्रा निकालेंगे। यह यात्रा अजमेर से जयपुर तक जाएगी। उन्होंने कहा कि 125 किलोमीटर लंबी यह यात्रा सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि युवाओं के लिए होगी।
गहलोत ने पिछले दिनों दावा किया था कि उनकी सरकार को गिराने के लिए पार्टी के कुछ विधायकों ने अमित शाह से पैसे लिए थे। साथ ही कहा था कि सरकार बचाने में बीजेपी नेता वसुंधरा राजे ने उनकी मदद की थी। उन्होंने कहा था, “जब वह कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष थे तो उन्होंने राज्य में भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को गिराने से मना कर दिया था। इसी तरह 2020 की बगावत के वक्त वसुंधरा राजे और मेघवाल ने कहा था कि राजस्थान में धन-बल के बूते चुनी हुई सरकारें गिराने की कोई परंपरा नहीं है।”
वसुंधरा ने गहलोत के इन दावों को झूठ करार दिया था। इसे अपने खिलाफ षड्यंत्र बताया था। उन्होंने कहा था, “अशोक गहलोत ने जितना अपमान मेरा किया है उतना किसी का नहीं किया तो फिर मैं गहलोत की मदद कैसे कर सकती हूँ।” राजे ने कहा कि गहलोत ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह 2023 में मिलने वाली हार से भयभीत हो गए हैं।