पंचायत में राईट टू रिकॉल कानून सरपंचो को ब्लैकमेल करने का एक राजनीतिक हथियार : हनुमान वर्मा
- पंचायत मन्त्री देवेन्द्र बबली की मानसिकता दलित विरोधी : हनुमान वर्मा
- राईट टू रिकॉल एम पी , एम एल ए पर भी होना चाहिए लागू : हनुमान वर्मा
डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता – 04 जनवरी :
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हनुमान वर्मा ने प्रैस में जारी बयान में कहा कि पंचायत में राइट टू रिकॉल कानून सरपंचों को ब्लैकमेल करने का एक राजनीतिक हथियार है । जिसके माध्यम से सरकार के मिनिस्टर्स खुलेआम सरपंचों को ब्लैकमेल कर रहे हैं और नैतिक दृष्टि से सरकार के गुलाम बनाने का काम कर रहे हैं । अभी हाल ही में पंचायत मन्त्री देवेंद्र बबली ने नाढोडी गांव में चुने हुए सरपंच को इसी कानून का हवाला देते हुए ब्लैकमेल करने का काम किया । कि वह सिर्फ 1 वोट से जीता है इसलिए दोबारा इलेक्शन में उसे हराया जाएगा यह सिर्फ सिर्फ राजनीतिक ब्लैक मेलिंग है ।
वर्मा ने कहा कि ऐसा महसूस हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी व जजपा सरकार संविधान को खत्म करने के उद्देश्य से एक शेड्यूल कास्ट के चुने हुए सरपंच को उसी गांव के पुर्व सरपंच के घर पर बुलाते हैं । जो उसका विरोधी है के घर पर बुलाकर उसका स्वाभिमान तोड़ना चहाते हैं । और यह दिखाना चाहते हैं कि आपको नैतिक तौर पर इनका गुलाम ही रहना पड़ेगा । जो कि संविधान की मूल भावना के खिलाफ है । यह काम मनुवादी प्रवृत्ति के लोग ही कर सकते हैं । इन बातों से ये कन्फर्म हो जाता है कि भारतीय जनता पार्टी और जजपा संविधान बदलना चाहती है ।
वर्मा ने कहा कि राईट टू रिकॉल कानून एम एल ए ओर एम पी पर लागू होना चाहिए । ताकि ऐसा कहने वाले मन्त्रीयो की भी हेकड़ी निकल जाए ।
वर्मा ने कहा कि हम मन्त्री जी से पुछना चहाते है कि उन्होने ये प्रोग्राम अपने चहेते पुर्व सरपंच के घर क्यों रखा ?? क्यों जाएं सरपंच अपने विरोधी के घर ?? वहीं दादागिरी है मनोहर के मन्त्री की । अब सारी भाजपा व जजपा चुप क्यों ??
वर्मा ने कहा कि हम चुनाव आयोग से भी अपील करते हैं कि ऐसे सिरफिरे मन्त्री देवेन्द्र बबली की सदस्यता भंग करे जो गांव के लोगों द्वारा चुने गए सरपंच का चुनाव दुबारा करने की बात कर गांव उन लोगों की भावना को आहत करने का काम करता जिन्होंने सरपंच को वोटों से चुनाव । मन्त्री पर गांव के लोगों को भड़काने का केस दर्ज कर सलाखों के पिछे डालना चाहिए । मन्त्री ने सारे आम गांव के लोगों को सरपंच के खिलाफ भड़काया है । इस मन्त्री को इस रहने का कोई औचित्य नहीं बनता । ये सरेआम मन्त्री द्वारा की गई गुंडागर्दी है। ये अभिव्यक्ति की आजादी पर सरेआम चोट है ।