दिल्ली के उपराज्यपाल ने केजरीवाल सरकार से 97 करोड़ रुपए वसूलने का दिया निर्देश

            उपराज्यपाल वी. के सक्सेना ने बकाया राशि का भुगतान करने के साथ ही एक और आदेश जारी किया है। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को दिए गए इस आदेश में कहा गया है कि सितंबर, 2016 के बाद से सभी विज्ञापनों की जांच की जाए। ये भी जांचा जाए कि ये विज्ञापनों के प्रकाशन में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन तो नहीं किया गया है। उपराज्यपालने कहा है कि अगर कहीं भी अवैध तरीके से सरकारी पैसा खर्च किया गया है तो उसे भी वसूला जाए। उपराज्यपालने ‘शब्दार्थ’ के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं। ‘शब्दार्थ’, केजरीवाल सरकार द्वारा गठित सार्वजनिक एजेंसी है। फिलहाल यहां 35 लोग कॉन्ट्रैक्ट (निजी) आधार पर काम करते हैं। इस संस्था में काम करने के लिए 38 कर्मचारियों को स्वीकृति दी गई थी। LG ने कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट और प्राइवेट लोगों को नौकरी देने के बजाए इस संस्था को सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जाए। पार्टी प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज का कहना है कि दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश देने का एलजी विनय सक्सेना के पास कोई कानूनी शक्ति नहीं है।

lg instructed to recover rs 97 crore from kejriwal government
  • उपराज्यपालने ‘शब्दार्थ’ के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं
  • दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश देने का एलजी विनय सक्सेना के पास कोई कानूनी शक्ति नहीं है : सौरभ भारद्वाज

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

            दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के सक्सेना ने मुख्य सचिव को सरकारी विज्ञापनों की आड़ में राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित करने के मामले में आम आदमी पार्टी (आआपा) से 97 करोड़ रुपए वसूलने का निर्देश दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार निदेशालय (DIP) ने 2016 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित सरकारी विज्ञापनों में सामग्री के नियमन से संबंधित समिति (CCRGA) के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए बताया कि ऐसे विज्ञापनों पर 97.14 करोड़ रुपए (97,14,69,137 रुपए) खर्च किए गए जो नियम के अनुरूप नहीं थे।

            दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार निदेशालय (DIP) ने 30 मार्च, 2017 को आआपा के संयोजक (अरविंद केजरीवाल) को एक पत्र लिखा था। इस चिट्ठी में निर्देश दिया गया था कि वह राज्य के खजाने को 42 करोड़ 26 लाख 81 हजार 265 रुपये तुरंत भुगतान करें। साथ ही बकाया 54 करोड़ 87 लाख 87 हजार 872 रुपये का भुगतान संबंधित विज्ञापन एजेंसियों या प्रकाशक को 30 दिनों के भीतर करें। पत्र में कहा गया कि ये पैसे आम आदमी पार्टी के विज्ञापनों पर खर्च किए गए थे, जिनका भुगतान सरकारी खजाने से किया गया था। DIP के पत्र में इस बात पर जोर दिया गया था कि सरकार द्वारा इन विज्ञापनों का भुगतान सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन है।

            लेकिन DIP के पत्र के 5 साल 8 महीने बीत जाने के बाद भी आआपा ने इस आदेश का पालन नहीं किया. यानी पैसों का भुगतान नहीं किया गया। इस पत्र में जिन 97 करोड़ से ज्यादा राशि का जिक्र किया गया है उसी पर अब उपराज्यपाल ने आदेश जारी किया है। भुगतान के लिए अरविंद केजरीवाल की पार्टी को 15 दिन का समय दिया गया है।

            उपराज्यपालने बकाया राशि का भुगतान करने के साथ ही एक और आदेश जारी किया है। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को दिए गए इस आदेश में कहा गया है कि सितंबर, 2016 के बाद से सभी विज्ञापनों की जांच की जाए। ये भी जांचा जाए कि ये विज्ञापनों के प्रकाशन में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन तो नहीं किया गया है। उपराज्यपालने कहा है कि अगर कहीं भी अवैध तरीके से सरकारी पैसा खर्च किया गया है तो उसे भी वसूला जाए।

Delhi Political Advertisements AAP Leader Saurabh Bhardwaj Said LG Vinay Saxena no legal power to give instructions Delhi Political Advertisements: AAP से 97 करोड़ रुपये वसूलने के LG के आदेश पर बोले सौरभ भारद्वाज- 'यह उनका नया लव लेटर'

            आआपा प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने इस मसले पर मीडिया से बातचीत में एलजी के निर्देश को नया प्रेम पत्र करार दिया है। उन्होंने कहा कि एमसीडी में हार के बाद से बीजेपी बौखलाई हुई है। आम आदमी पार्टी अब एक राष्ट्रीय पार्टी है। आआपा ने एमसीडी में उससे सत्ता छीन ली है। उपराज्यपाल सब कुछ बीजेपी के इशारे पर कर रहे हैं। यही दिल्ली की जनता को परेशान कर रहा है। भारद्वाज ने दावा किया कि दिल्ली के लोग जितने चिंतित हैं, बीजेपी उतनी ही खुश है।

            सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के मुख्य सचिव को जारी उपराज्यपाल का निर्देश कानून की नजर में टिक नहीं पाएगा। दिल्ली एलजी के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है। वह इस तरह के निर्देश जारी नहीं कर सकते। अन्य राज्य सरकारें भी विज्ञापन जारी करती हैं। भाजपा की विभिन्न राज्य सरकारों ने विज्ञापन जारी किए, जो यहां प्रकाशित हुए हैं। हम पूछना चाहते हैं कि विज्ञापनों पर खर्च किए गए 22 हजार करोड़ रुपये बीजेपी से कब वसूल किए जाएंगे? जिस दिन पैसा वसूल हो जाएगा, हम भी 97 करोड़ रुपये देंगे।