अहमद पटेल की बेटी ने खड़गे को दी सलाह – सोच – समझकर बोलें

गुजरात में आज पहले चरण की 89 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ है। इस चरण में कुल 788 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर है। युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक बढ़चढ़ कर वोटिंग के लिए मतदान केंद्रों तक पहुंचे। इतना ही नहीं भाजपा-कांग्रेस और विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के कई दिग्गज नेताओं ने भी अपना वोट डाला। इसी क्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे अहमद पटेल की बेटी मुमताज पटेल ने भी लोकतंत्र के इस पर्व में अपनी हिस्सेदारी दर्ज कराई। 

अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/ नयी दिल्ली :

            प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रावण जैसा बताने वाले बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का विरोध पार्टी के अंदर ही शुरू हो गया है। गुजरात में पार्टी की नेता मुमताज पटेल ने खड़गे के बयान का विरोध किया और लगे हाथ सलाह भी दे डाली।

मुमताज ने कहा – नेता अपनी बात कहते समय शब्द सावधानी से चुनें, क्योंकि उनका गलत इस्तेमाल हो सकता है। इस तरह की टिप्पणियों से बचने में ही समझदारी है। बता दें कि मुमताज सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे दिवंगत अहमद पटेल की बेटी हैं। दो साल पहले कोविड से अहमद का निधन हो गया था।

           कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 28 अक्टूबर को गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। अहमदाबाद में जनसभा के दौरान खड़गे ने कहा- प्रधानमंत्री बोलते हैं कि कहीं और मत देखो। मोदी को देखकर वोट दो। कितनी बार तुम्हारी सूरत देखें? हमने कॉर्पोरेशन चुनाव में तुम्हारी सूरत देखी। MLA चुनाव में, MP इलेक्शन में सूरत देखी। हर जगह पर। क्या रावण की तरह आपके 100 मुख हैं। मुझे समझ नहीं आता।

            बयान के ठीक दो दिन बाद यानी 1 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को जवाब दिया। उन्होंने इशारों-इशारों में कहा- कांग्रेस पार्टी को तो राम सेतु से भी नफरत है। कांग्रेस में PM पद को नीचा दिखाने और गाली देने की कॉम्पिटिशन चल रही है। मुझे गाली देने के लिए रामायण से रावण को ले आए। एक रामभक्त को रावण कहना गलत है। लोग जितना कीचड़ उछालेंगे, कमल उतना ही खिलेगा।

            अब अहमद की राजनीतिक विरासत उनकी बेटी मुमताज ही संभाल रही हैं। अहमद पटेल 2001 से सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे। जनवरी 1986 में वे गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। 1977 से 1982 तक यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे। सितंबर 1983 से दिसंबर 1984 तक वे कांग्रेस के जॉइंट सेक्रेटरी रहे। बाद में उन्हें कांग्रेस का कोषाध्यक्ष बनाया गया था।