डायबिटिज व अनियंत्रित ब्लड प्रैशर बनता है स्ट्रोक का कारण : डा. अनुराग लांबा

  • स्ट्रोक से भारत में रोजाना 2000 मौतें, क्योंकि 1 प्रतिशत को ही समय पर मिल पाता है इलाज: डा. अनुराग लांबा
  • समय पर मिले उपचार से बच सकती है स्ट्रोक पीडि़त मरीज की जान: डा. लांबा


डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़28 अक्टूबर :

            प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डाक्टर अनुराग लांबा ने कहा कि भारत में अधरंग के दौरे बढऩे का मुख्य कारण शुगर तथा अनियंत्रित उच्च रक्तचाप है। उन्होंने कहा कि ऐसी गंभीर बीमारियों का समय पर इलाज करवाना बेहद खतरनाक साबित हो रहा है।


            विश्व स्ट्रोक दिवस के अवसर पर इस वर्ष की थीम ‘मिनट बचा सकता है जिंदगी’ संबंधी लोगों को जागरूक करने के मकसद से पारस अस्पताल पंचकूला के सहायक डायरेक्टर न्यूरोलॉजी डा. अनुराग लांबा ने पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि देश में हर दिन दो हजार से ज्यादा लोग मानसिक दौरे (स्ट्रोक) के कारण मौत का शिकार हो रहे या फिर वह अपाहिज हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक प्रतिशत लोग ही उचित समय पर इलाज करवाकर स्वस्थ हो रहे हैं। इस अवसर पर न्यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डा. अनिल ढींगरा तथा न्यूरो सर्जरी के डायरेक्टर डा. वीके बातिश तथा डा. अखिल मोंगा एसोसिएट कंसलटेंट न्यूरो इंटरवेंशन, डा. अबीर गोयल एसोसिएट कंस्लटेंट न्यूरोसर्जरी एवं डा. अमन बातिश एसोसिएट कंस्लटेंट न्यूरो सर्जरी ने भी अपने विचार पेश किए।


            उन्होंने अपील की कि (स्ट्रोक) दिमागी दौरे के संकेतों को कभी भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए, जिनमेें अचानक आई कमजोरी, शरीर के एक हिस्से का सुन्न हो जाने की शिकायत, बोलने या सुनने में परेशानी, अचानक बेसूरत होना आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ब्लड शुगर, कैलोस्ट्रोल तथा ब्लड प्रैशर पर काबू किया जाना बेहद जरूरी है, जिसके लिए निरंतर सैर, व्यायाम आदि बहुत आवश्यक है। न्यूरोलॉजिस्ट ने यह भी कहा कि 80 प्रतिशत से अधिक मामलों में स्ट्रोक रोका जा सकता है और 30 से ऊपर के लोगों में उच्च रक्तचाप, रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल के लिए वार्षिक जांच महत्वपूर्ण है।


            इस अवसर पर बोलते हुए डा. अनुराग ने कहा कि यदि मरीज को चार-पांच घंटे में अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है। उन्होंने कहा कि दौरे का मुख्य कारण नसों में पैदा हुई समस्या है, जिस कारण दिमाग प्रभावित होता है।


            इस अवसर पर पारस अस्पताल के डायरेक्टर डा. जतिन्द्र अरोड़ा ने बताया आम लोगों को इस प्रति जागरूक करके इन बीमारियों से बचाया जा सकता है। पारस सुपर-स्पैशलिटी अस्पताल पंचकूला, हरियाणा सरकार, हिमाचल प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार स्वास्थ्य सेवाओं (सीजीएचएस) तथा अन्य बोर्ड कार्पोरेशन के पैनल पर है तथा इनके कर्मचारी यहां इलाज करवा सकते हैं।