मौसम की मार और सरकार की अनदेखी के चलते हजारों एकड़ फसल जलमग्न- हुड्डा

  • ·       किसानों को उचित मुआवजा और जल निकासी का प्रबंध करे सरकार- हुड्डा
  • ·       सरकार ने समाधान नहीं किया तो धान उत्पादन पर पड़ेगा असर, बढ़ेगी महंगाई- हुड्डा
  • ·       किसानों को नहीं मिल रहा फसल बीमा योजना का लाभ, कंपनियां कूट रही मुनाफा- हुड्डा
  • ·       मुआवजे के लिए भटक रहे किसान, बीमा कंपनियों ने कमाए 40 हजार करोड़ रुपये- हुड्डा

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ – 28 जुलाई :  

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खेतों में जलभराव की समस्या के समाधान की मांग उठाई है। हुड्डा का कहना है कि कैथल, हिसार,भिवानी,अंबाला,सिरसा, रोहतक, जींद, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, करनाल, और फतेहाबाद समेत प्रदेश के कई इलाकों में किसान जलभराव की समस्या का सामना कर रहे हैं। किसानों की हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो गई है। हफ्तेभर से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद सरकार ने जल निकासी के लिए कोई कदम नहीं उठाए। पिछले कुछ दिनों की बारिश के चलते धान,कपास और ज्वार की हजारों एकड़ फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। आने वाले दिनों में तेज बारिश का अनुमान है। ऐसे में किसानों को डर है कि यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।

हुड्डा ने कहा कि हालात इसी तरह बने रहे तो मौसम की मार और सरकार की अनदेखी के चलते किसान की फसल का बड़ा हिस्सा पानी की भेंट चढ़ जाएगा। इससे धान,कपास, गन्ना व ज्वार समेत अन्य फसलों के उत्पादन पर बड़ा असर पड़ेगा। पहले ही किसान भारी नुकसान में है।  

भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि सरकार को तुरंत गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवजा देना चाहिए। साथ ही जल्द से जल्द जल निकासी का प्रबंध किया जाना चाहिए ताकि किसानों को और नुकसान से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि पिछले कई फसली सीजन से किसान प्रकृति की मार झेल रहा है। लेकिन सरकार के ऐलान और फसल बीमा योजना के बावजूद किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया। इससे एक बार फिर स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए लाभकारी साबित नहीं हो रही है।

पिछले दिनों सामने आए आंकड़ों से पता चला कि सिर्फ 5 साल में बीमा कंपनियों ने 40,000 करोड़ों पर का मोटा मुनाफा कमाया है। जबकि किसानों को लगातार घाटे का सामना करना पड़ रहा है। ऊपर से जले पर नमक छिड़कते हुए सरकार ने कई फसलों के बीमा की प्रीमियम राशि भी बढ़ा दी है। धान के लिए प्रति एकड़ 713.99 से बढ़ाकर 749.69 रुपये, कपास के लिए 1731.50 से बढ़ाकर 1819.12 रुपये, बाजरा के लिए 335.99 से बढ़ाकर 352.79 रुपये और मक्का के लिए 356.99 से बढ़ाकर 374.85 रुपये प्रीमियम राशि कर दी गई है। हर सीजन में किसान की मर्जी के बिना उनके खाते से प्रीमियम काट लिया जाता है। लेकिन मुआवजा देने के लिए ना सरकार आगे आती और ना ही कंपनी।

कांग्रेस के उदयपुर में हुए नवसंकल्प मंथन शिविर के दौरान कृषि मामलों को लेकर बनाई गई कमेटी ने अपनी सिफारिशों में फसल बीमा योजना का भी जिक्र किया था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में बनी कमेटी ने सिफारिश की थी कि फसल बीमा का कार्य सरकार को अपने अधीन लेना चाहिए। निजी कंपनियों की बजाय सरकारी कंपनियों को बीमा करना चाहिए। क्योंकि निजी कंपनियां सिर्फ अपने मुनाफे के बारे में सोचती हैं, ना कि किसानों के कल्याण बारे। यही वजह है कि आज किसान मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहे हैं और कंपनियां करोड़ों के वारे न्यारे कर रही हैं।