स्वाभिमान मंच पंजाब की ओर से ऑनलाईन काव्य गोष्ठी का आयोजन
विजय, डेमोक्रेटिक फ्रंट, भवानीगढ़ – 25 जुलाई :
स्वाभिमान मंच पंजाब हिंदी साहित्य के प्रचार – प्रसार में कार्यरत है। इसी श्रृंखला में मंच पर राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से साहित्यकारों ने भाग लिया। नरेश कुमार आष्टा के द्वारा आयोजित गोष्ठी में मंच की संस्थापिका जसप्रीत कौर ‘प्रीत’ ने स्वयं संचालन की भूमिका निभाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखंड श्रीनगर से वरिष्ठ रचनाकार शम्भु प्रसाद भट्ट स्नेहिल जी ने की। गोष्ठी का आगाज जसप्रीत कौर ‘प्रीत’ के द्वारा माँ सरस्वती वंदना से हुआ।इसके बाद ‘प्रीत’ जी ने स्वाभिमान मंच पंजाब की गतिविधियों जैसे विषय प्रतियोगिता, ई पत्रिका,गोष्ठी एवं साहित्य के क्षेत्र में मंच के द्वारा किये जा रहे कार्यों से सभी को रु-ब-रु करवाया। गोष्ठी में नये रचनाकारों के साथ वरिष्ठ साहित्यकारों का साथ देना ही इस गोष्ठी की खासियत थी। कार्यक्रम की शुरुआत मध्यप्रदेश इंदौर से शीतल शैलेंद्र देवयानी जी की रचना-
दीप ज्योति से पावन घर आंगन। जिस दिन हुआ प्रभु राम का अवध आगमन।। प्रकृति हर्षाई कुमुद खिल खिल आए।जब मेरे राम प्रभु अवध पुरी में आए।। से हुई। राम महिमा सुनाकर उन्होंने वाह वाही लूटी।
इसके बाद पंजाब पठानकोट से पीढ़ियों से साहित्य से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बांका बहादुर अरोड़ा जी ने
हर रोज़ यहां,, दानव,, मानव को, निगलता है,, टूटा हुआ पहिया,, क्यों,, अब तक,, न,, उठाया है,, रचना सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड से अंकित रावत जी ने अपनी रचना गोरो की गुलामी देख दहाडता सिंह जगा, ईश्वरीय अवतार सुभाष चन्द्र बोस के रुप में सुनाकर सभी में देशभक्ति का जोश भर दिया। इसके बाद चौनकद्वार उड़िसा से शेफाली सहासमल जी ने सावन माह पर अपनी विशेष रचना
अब की सावन..चारों ओर भर दे तू खुशियाँ अपार I कुछ अपने ही अंदाज में झूमकर आ इस बार I सुनाई ।
गोण्डा उत्तरप्रदेश से संपादक, एवं वरिष्ठ रचनाक सुधीर श्रीवास्तव जी ने देश की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की बधाई देते हुए उन्ही को समर्पित रचना
दीए का प्रकाश आज फिर दैदीप्यमान हो गया अंतस में छिपा प्रकाश पुंज चतुर्दिश छा गया, द्रौपदी मुर्मू नाम का एक सामान्य सा सितारा हिमालय की चोटी पर आभा बनकर छा गया। सुनाकर देशप्रेम की ज्वाला जगाई। सभी ने इसका भरपूर आनंद उठाया।
बक्सर बिहार से मीरा सिंह “मीरा” ने सावन पर बादलो की रचना आओ बादल आओ बादल उमड़ घुमड़ कर आओ बादल । पीठ पर लिए पानी के थैले दौड़े दौड़े आओ बादल। प्रस्तुत कर सभी का दिल लूट लिया।
कविताओं की उड़ान उड़ाने वाली कुरुक्षेत्र हरियाणा से मीनाक्षी शर्मा जी ने सावन पर अपनी कविता सावन आए जब घुमड- घुमड मन अति पुलकित हो जाता है, बरसे बदरिया, गरजे बिजरिया मन को सकून बड़ा आता है। सुनाकर खूब वाह वाही लूटी।
इसके बाद सुमन किमोठी जी चिमोली उत्तराखंड से अपना शिव भजन लेकर आये जिसके बोल थे शिव का शिवाला सजे, डमरु भोले का बजे, कांवड़ियां टोली चले, झूमते-नाचे मगन। कार्यक्रम अपनी चरम सीमा था सभी रचनाकार एक दूसरे को प्रोसाहित कर रहे थे।
संचालिका जसप्रीत कौर प्रीत जी का रचनाकारो का संक्षेप में परिचय देना और सभी रचनाकारों को अपने शायराना अंदाज में मंच पर बुलाना क़ाबिले तारीफ़ था।
गोष्ठी में सावन और प्रेमरस की रचना कुरुक्षेत्र हरियाणा से दीपिका अग्रवाल के द्वारा कविता जब- जब आए सावन का महीना तब -तब प्रियतम तुम जाना कहीं ना।। सुना कर सब का दिल जीत लिया।
अब बारी थी बिलासपुर छत्तीसगढ़ से सरला कमलेश अनंत की। उन्होंने आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हुए अपनी रचना रास्ता खुद ब खुद बनेगा, ऐ बंदे तू चल तो सही। मंज़िल एक दिन मिल ही जाएगी, तू आगे बढ़ तो सही। सुना कर सभी का हौंसला बढ़ाया।
इनके बाद मध्यप्रदेश से युवा कवि अभिषेक श्रीवास्तव शिवा ने रचना बूंद बूंद करके बारिश जब धरा पर आती है, सूखी सूखी यह धरा थोड़ी सी अकुलाती है, आषाढ़ सावन की वर्षा मन प्रफुल्लित करती, बारिश के बाद धरा और भी पावन हो जाती है। सुनाई।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए भागलपुर बिहार से मधुकर तिवारी जी ने हरियाली तीज पर अपना एक गीत प्रस्तुत किया।जिसके बोल थे नभ मे घटा छाई । देख रे सखी सावन मास है आई । भगवान शंकर से पति की लम्बी उम्र मांगने की त्योहार है आई । देख रे सखी हरियाली तीज है आई ।। सभी बहनों को अपने मायके, श्रृंगार,आदि की याद दिला दी।
कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ रचनाकार शम्भु प्रसाद भट्ट स्नेहिल जी श्रीनगर उत्तराखंड से ने देश भक्ति से ओतप्रोत अपना गीत मधुर आवाज में सुनाया । गीत के बोल थे सुधार राष्ट्र का करना, तो सबको प्रेम से रहना। इसी प्रेम से दुनिया, तो सभी का मानती कहना।। सभी ने स्नेहिल जी की प्रशंसा की।
सागर मघ्यप्रदेश से दिव्याजलि सोनी दिव्या जी ने बाढ़ प्रकोप पर रचना रौद्र रूप में आ गई , नदियां रही कुलीन भ्रष्टाचार से मैली हो गई , हुआ मामला संगीन बचत कर स्वच्छ कद्र कर नीर ‘ दिव्य’मोल , बर्फ पिघल बादल गिर बाढ़ प्रकोपस्त जमीन ।। सुनाकर उसके दुषपरिणाम बताये।
उत्तर प्रदेश से हरिनारायण सिंह शायक जी ने बारिश पर अपनी रचना रिमझिम पडती सावन की फुहार हसीन बागों में खिले फुल सुकुमार सुनाकर कर सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया।
अंत मे संस्थापिका एवं संचालिका जसप्रीत कौर प्रीत ने प्रेमरस में डूबी अपनी रचना हाँ बदलने लगी हूँ मैं सुनाकर सभी का दिल जीत लिया। संचालन के माध्यम से प्रीत जी ने सभी रचनाकारों को बाँधे रखा। इस आनन्दमयी शाम में समय कितना हो रहा था ये सभी भूल चुके थे। सभी साहित्य के सागर में डुबकियां लगा रहे थे। विषय प्रतियोगिता में सर्वोत्तम रचनाकार दिव्याजलि सोनी दिव्या जी को सम्मान चिन्ह भेंट किया गया।
सभी प्रतिभागियों को सम्मान पत्र से नवाजा गया। प्रीत जी ने सभी कलमकारों का धन्यवाद किया।