सूरतगढ़ में स्वच्छ भारत अभियान ऐसा गंद का पैसा न जाने कौन खा रहा है?

करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ 15 जुलाई 22 :

नगरपालिका में न जाने गंद का पैसा कौन खा रहा है? सार्वजनिक टॉयलेट भयानक गंदगी भरे हुए। सफाई के लिए मिलने वाली सामग्री और दुर्गंध नाशक कौन खा रहा है जिससे शहर के सभी सार्वजनिक टॉयलेट गंदगी भरे सड़ांध मार रहे हैं। सभी पर कर्मचारी लगाए हुए हैं।

इलाके में जमादार हैं। सफाई निरीक्षक हैं। 

उसके बाद इलाके के पार्षद हैं। ईओ है। बोर्ड के अध्यक्ष हैं। ऐसा लगता है कि सार्वजनिक टॉयलेट साफ किए कई महीने बीत चुके हैं और इनका निरीक्षण भी नहीं होता। ईओ चैयरमेन की ड्युटी तो बनती है कि वे भी देखें और जांच करें कि गंद सफाई का पैसा सामग्री कौन खा रहा है। इसका मासिक खर्च कितना हो रहा है?

हालात देखेंगे तो बोर्ड से ही घृणा होने लगेगी।

पुराना बस स्टैंड के पास का टॉयलेट पर ताले लगे हैं। वहां के दुकानदारों का कहना है कि 7 दिन से बंद है। सभी इधर उधर दीवारों सड़कों का ही इस्तेमाल करते हैं। लोगों की मजबूरी है। 

टॉयलेट खुला होता है तब भी गंदा दुर्गंध भरा होता है। कभी फिनायल गोलियां आदि डाली हुई नहीं देखी।

थोक सब्जी फल मंडी का टॉयलेट भयानक गंदा टूटा हुआ। आवश्यकता के समय अंदर घुस ही नहीं सकता। हरेक दुखी।

बीकानेर रोड पर पटेल चौक का टॉयलेट भी भयानक गंदा। 

पुरानी धान मंडी,सुभाष चौक,फार्म दुकानों के पीछे का टॉयलेट भी भयानक गंदे। यहां एक 

टॉयलेट पर शाम को ताले लग जाते हैं। बाजार दस बजे तक खुले और टॉयलेट पर शाम सात बजे ताले। फार्म की एक हजार फुट लंबी चारदीवारी का इस्तेमाल होता है। 

स्वच्छ भारत अभियान की यह दुर्गति कांंग्रेस बोर्ड के शासन में हो रही है और संपूर्ण भाजपा भी इतनी जोर लगाकर आंखें मीचे हैं कि कोई माई का लाल खुलवा नहीं सकता। 

👍 सबसे बड़ा सवाल शर्मिंदा करता है कि पालिका की इस व्यवस्था में महिलाएं कहां जाएं? चैयरमेन ओमप्रकाश कालवा से है यह सवाल क्योंकि उनके सिर पर है ताज।०0०