Monday, December 23

संजय शर्मा ‘राज’, डेमोक्रेटिक फ्रंट :

आजकल ज्यादातर बैंक जनता को विभिन्न तरीकों से लूट रही है और जनता को पता ही नहीं चलता है। ज्यादातर बैंकों के फाइन का अलग से एसएमएस नहीं आता है, आखिर क्यों?यदि 3 बार से ज्यादा दूसरी बैंकों के एटीएम से निकालते है तो जो चार्ज लगता है, उसका अलग से मैसेज नहीं आता है। यदि आपके बैंक में 1000 है और चौथी बार निकाल रहे है तो जब तक उसके ऊपर फाइन के रुपये नहीं होंगे तब तक पैसे नहीं निकलते है। आखिर क्यों?फाइन तो बाद में लगना चाहिए,जब पैसे निकलेंगे, लेकिन चौथी बार निकालते वक्त ही फाइन का पैसा क्यों होना चाहिए? आज भी ज्यादातर एटीएम में केवल 500 के ही नोट होते है, जबकि 100 के नोट जरूरी है, यदि रात में किसी को रिक्शा इत्यादि को छुट्टा देना है तो बड़ी दिक्कत लोगो को होती है।और एटीएम कार्ड तो एक ही बार कई वर्षों के लिए देते है लेकिन हर साल कार्ड का पैसा लेते है, आखिर क्यों? बैंकें आजकल मिनिमम बैलेंस के नाम पर हर महीने मनमाना पैसा वसूल रही है, जबकि जितना फाइन लेती है, उसका नाममात्र भी ब्याज नहीं देती है। जबकि उनकी बैंक तो जनता के पैसे से ही चल रही है। मिनिमम बैलेंस के फाइन को आरबीआई को तय कर देना चाहिए, जिससे वे जनता को ज्यादा लूट ना सके।एसएमएस, मिनिमम बैलेंस, कॉर्ड का चार्ज कभी भी काट लेती है, जिससे कभी भी लोगो के चेक बाउंस हो जाते है। इसका एक फिक्स्ड डेट होना चाहिए कि यह कब कटेगा और कौन सी तारीख को कटेगा।कई बार बैंकों की मिलीभगत की वजह से बैंक के स्टालमेंट के ठीक दिन ही यह फाइन काटा जाता है, जिससे दोनों बैंकों को फाइन मिलता है।आजकल इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग के नाम पर जनता को सबसे ज्यादा लुटा जा रहा है। आज जब किसी लोन या स्टालमेंट का चेक इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग के जरिए बैंक में आता है तो दो दिन में तीन बार चेक बाउंस करा लिया जाता है और दोनों तरफ की बैंक या फाइनेंस कंपनी तीन तीन बार चेक बाउंस का चार्ज लगा लेती है। जितने का चेक नहीं होता है, उससे ज्यादा फाइन हो जाता है। यदि बैंक में किसी कारण पैसा नहीं है तो तीन बार दो दिन में बाउंस कराने का क्या फायदा है? यह कमाने का तरीका बैंकों ने बना रक्खा है।यह बंद होना चाहिए। एक बार बाउंस होने के बाद बिना पार्टी से पूछे दूबारा क्लेरेंस के लिए चेक नहीं भेजना चाहिए।

            आजकल कई बैंक, फाइनेंस कंपनी ऑनलाइन एप्प्स के जरिए लोंगो को ठग रही है।ज्यादातर 10 हज़ार,25 हज़ार या 50 हज़ार देकर 24%से 50 %व्याज साल का वसूल रही है और ऊपर से प्रोसेसिंग फीस अलग से और ज्यादातर जनता इनके जाल में फंसती जा रही है। जो कि आगे चलकर बहुत बड़ा जी का जंजाल सरकार व लोगों के लिए बन सकता है।इसे  सरकार व आरबीआई को रोकना चाहिए या व्याज दर तय करना चाहिए। आज जनता महँगाई व बेरोजगारी से परेशान है और कर्ज ले रही है।लेकिन यह बहुत बड़ा खतरा देश की जनता के लिए बन सकता है। और लोगो के आत्महत्या का कारण बन सकता है। समय रहते सरकार व आरबीआई को जाग जाना चाहिए।