यूपी सरकार ने राज्य के डीजीपी मुकुल गोयल के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया
यूपी सरकार ने राज्य के डीजीपी मुकुल गोयल के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है। डीजीपी मुकुल गोयल को उनके पद से हटा दिया गया है। सरकार ने उनको डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर नियुक्त किया गया है। यूपी का नया डीजीपी बनने की रेस में इस वक्त कई नाम हैं। बता दें कि डीजीपी मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने और अकर्मण्यता के चलते डीजीपी पद से मुक्त कर दिया गया है।
- डीजीपी मुकुल गोयल को पुलिस महानिदेशक पद से हटाया गया है
- मुकुल गोयल को डीजी नागरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई
- शासकीय कार्यों की अवहेलना करने व विभागीय कार्यों में रुचि न लेने पर कार्रवाई
लखनऊ(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :
: योगी सरकार ने एक बार फिर बड़ा फैसला करते हुए यूपी के डीजीपी मुकुल गोयल को हटा दिया गया है। अब उनका कार्यभार एडीजी प्रशांत कुमार को सौंपा गया है। बताया जा रहा है कि मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने और कार्यों में ढिलाई के चलते हटाया गया है. अब मुकुल गोयल को डीजीपी पद से मुक्त करते हुए डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर भेजा गया है।
उल्लेखनीय है कि पुलिस महानिदेशक का पद मुकुल गोयल ने 2 जुलाई 2021 संभाला था। गोयल 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और इससे पहले वे बीएसएफ में अपर पुलिस महानिदेशक आपरेंशस के पद पर थे। इसके बाद ही उन्हें उत्तर प्रदेश का डीजीपी नियुक्त किया गया था।
यह पहली बार हुआ है जब किसी डीजीपी पर अकर्मण्यता का आरोप लगाते हुए सीधे डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर भेजा गया है। इससे पहले कई डीजीपी हटाए गए लेकिन उन्हें सीधे नागरिक सुरक्षा के पद पर नहीं भेजा गया। वह समाजवादी पार्टी की सरकार में भी एडीजी कानून-व्यवस्था रहे थे। उनकी समाजवादी पार्टी से निकटता को भी हटाए जाने की एक वजह माना जा रहा है। पूरे चुनाव के दौरान पुलिस के मुखिया की जो नेतृत्व क्षमता दिखनी चाहिए थी, वह भी न दिखने के कारण शासन नाराज़ चल रहा था।
विभाग में हमेशा ऐसी अकटलें लगाई जाती रहीं कि डीजीपी मुकुल गोयल के शासन के साथ रिश्ते अच्छे नहीं हैं। इन अटकलों को उस समय बल मिला जब पिछले दिनों उन्होंने लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली का निरीक्षण किया। उन्होंने प्रभारी इंस्पेक्टर के कार्यों पर नाराजगी जताते हुए उन्हें हटाने का निर्देश दिया लेकिन अंतत: इंस्पेक्टर को नहीं हटाया गया। इस घटना के कुछ ही दिनों बाद मुख्यमंत्री ने सभी जोन, रेंज व जिलों के पुलिस अधिकारियों को अपने विवेक से काम करने और साफ-सुथरी छवि के पुलिस कर्मियों को ही फील्ड में महत्वपूर्ण तैनाती देने का निर्देश दिया था। तब यह माना गया था कि यह निर्देश डीजीपी पर ही ‘संदेश’ देने के उद्देश्य से दिया गया है। इसी तरह कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री की वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान डीजीपी की अनुपस्थिति भी चर्चा का विषय बनी थी।
इस वीडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री के साथ शासन के आला अफसरों के साथ अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी और एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार मौजूद थे, जबकि डीजीपी लखनऊ में मौजूद होने के बावजूद इसमें शामिल नहीं हुए थे। आईपीएस अफसरों के तबादलों में हो रही देरी को भी डीजीपी से शासन की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा था। विधानसभा चुनाव के बाद से ही पुलिस कमिश्नरेट समेत जोन, रेंज व जिलों में तैनात कई अफसरों का तबादला संभावित है।
वर्ष 1987 बैच के यूपी कैडर के आईपीएस मुकुल गोयल वर्तमान में प्रदेश के वरिष्ठतम पुलिस अफसर हैं। हालांकि 1987 बैच के ही आईपीएस डॉ. राजेन्द्र पाल सिंह डीजी प्रशिक्षण, विश्वजीत महापात्रा डीजी नागरिक सुरक्षा व जीएल मीना डीजी सीबीसीआईडी के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले डीजीपी रहे एचसी अवस्थी 30 जून 2021 को रिटायर हो गए थे।