पंचांग, 29 अप्रैल 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
नोटः आज पंचक समाप्त सांय 18.43 से। पंचक हिन्दू पंचाक में ऐसा नक्षत्र को कहा जाता है जिसमें शुभ कार्य नहीं करे जाते हैं। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है तथा पंचक को हानिकार नक्षत्रों का योग माना जाता है। नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है। जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। पांच नक्षत्र घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती जब ये नक्षत्र पर चन्द्रमा गोचर करता है तो उस काल को पंचक कहा जाता है। प्राचीन ज्योतिष में आमतौर पर माना जाता है कि पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः वैशाख़,
पक्षः कृष्ण,
तिथिः चतुर्दशी 24.58 तक है,
वारः शुक्रवार,
नक्षत्रः रेवती सांय 06.43 तक है।
विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।
योगः विष्कुम्भक अपराहन् 03.42 तक,
करणः विष्टि,
सूर्य राशिः मेष, चंद्र राशिः मीन,
राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.46, सूर्यास्तः 06.51 बजे।