कॉंग्रेस छोड़ भाजपा के मंत्री बने यशपाल पुन:कॉंग्रेस में और अब चाहते हैं विपक्षी नेता का पद
यशपाल आर्य की कांग्रेस में वापसी हुई है। भाजपा का दामन छोड़ कर यशपाल आर्य ने कांग्रेस का दामन थामा और चुनावों से कुछ देर पहले मंत्री पद से इस्तीफा दिया। इस बार चुनावों पर पूर्व नतीजे हिल गए। पहले उत्तरखण्ड में एक बार भाजपा तथा दूसरी बार कॉंग्रेस जीतती आई। यशपाल और उनके बेटे ने 2017 में कॉंग्रेस छोड़ कर भाजपा का ‘कमल’ थामा और अब उन्हे कॉंग्रेस पर विश्वास था अत: भाजपा छोड़ कॉंग्रेस में शामिल हुए। यशपाल के साथ ही उनके बेटे ने भी कांग्रेस का हाथ थामा है। 2017 में कांग्रेस को छोड़ भाजपा में गए पिता-बेटे ने 2021 में फिर से कॉंग्रेस में वापसी की है। इस बार कॉंग्रेस के हारने के बाद उन्हे फिर से कोई मंत्री पद नहीं मिलेगा इसीलिए वह एक विपक्षी नेता का पद चाहते हैं।
देहरादून ब्यूरो, डेमोक्रेटिक फ्रंट:
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस हाईकमान के सख्त रुख से उत्तराखंड में पार्टी नेताओं में खलबली मची है। चुनाव परिणाम के हफ्तेभर के भीतर ही प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से इस्तीफा लेने के बाद पार्टी संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट है। अध्यक्ष के इस्तीफे के साथ ही प्रदेश कार्यकारिणी को जारी रखे जाने को लेकर असमंजस गहरा गया है। वहीं, नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर पार्टी हाईकमान का क्या रुख अपनाता है, नजरें अब इस पर टिक गई हैं। माना ये भी जा रहा है कि आने वाले समय में कुछ बड़े चेहरों पर भी गाज गिर सकती है।
फिलहाल राज्य कांग्रेस में विपक्ष के नए नेता को लेकर राजनीति गर्माने लगी है और कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं। राज्य में निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, धारचूला विधायक हरीश धामी के बाद अब बदरीनाथ के विधायक राजेंद्र भंडारी का नाम तेजी से उभर रहा है। बहरहाल भंडारी के समर्थकों ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए पैरवी शुरू कर दी और इसके लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया है। हालांकि माना जा रहा है कि आलाकमान की सहमति के बाद से ही नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर लगेगी। निर्वतमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं और वह फिर से इस पद के लिए दावा कर रहे हैं। प्रीतम सिंह को कई केन्द्रीय नेताओं का समर्थन प्राप्त है।
सदन में विपक्ष की ओर से सरकार के सामने खड़ा होने के लिए नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी है। इस वक्त निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का नाम सबसे आगे हैं। लेकिन, इस बार धारचूला विधायक हरीश धामी खुलकर अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं। उनके साथ ही पूर्व काबीना मंत्री यशपाल आर्य, बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी, मदन बिष्ट का नाम भी चर्चा में है।
सूत्रों के अनुसार शीर्ष नेतृत्व इनमें ऐसे सर्वमान्य चेहरे को तलाश रहा है जिनके झंडे के नीचे सभी 19 विधायक सहजता से रह सके। दूसरी तरफ, पिछले नौ दिन से उत्तराखंड कांग्रेस बिना मुखिया के ही चल रही है। 15 मार्च को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस्तीफा दे दिया था।
उनके साथ ही कार्यकारिणी भी निष्प्रभावी हो गई है। नौ दिन से कांग्रेस में असमंजस की स्थिति है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए खटीमा विधायक भुवन कापड़ी, यशपाल आर्य, मनोज तिवारी के नाम की चर्चा भी की जा रही है। कुमाऊं के ब्राह्मण नेताओं में फिलहाल भुवन का नाम आगे हैं।
हालांकि कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को ही दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में है। इसके पीछे गोदियाल के अल्प कार्यकाल और इस चुनाव में वर्ष 2017 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन को वजह बताया जा रहा है। विधानसभा चुनाव 2022 में श्रीनगर विधानसभा सीट से भाजपा के डॉ. धन सिंह रावत ने गोदियाल को हराया है।
नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का विषय हाईकमान के विचाराधीन है। मैंने अपनी पूरी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष को दे दी है। उम्मीद है जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी।