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पंचांग 23 फरवरी 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

नोटः आज श्री नाथ उत्सव है। पुष्टि पुरुषोत्तम लीला विग्रह ब्रजराज श्रीकृष्ण की सेवा में तन्मय होकर आनन्द विभोर होने वाली गोपियों के स्वकीय उत्साह एवं उल्लास द्वारा नित्य नूतन मनोरथों से प्रभु को सानन्द रिझाना तथा नानाविधि से प्रेम-प्रदर्शित करना ही “उत्सव’ कहलाता है। दसी गोपीभाव भावित परिपाटी से महाप्रभु श्री वल्लवाचार्यजी, श्री गुसाईजी, श्रीगोपीनाथजी तथा श्री गोकुलनाथजी ने उत्सवों की परम्परा को चलाया। बाद में उनके वंशजों ने उसमें स्वेच्छानुसार समयानुसार नवीनता का पुट देकर उत्सवों का विस्तार किया। वर्ष के बारह वर्षो में महोत्सवों की प्रधानतः चार अधिनायिकाएँ मानी जाती है।

विक्रमी संवत्ः 2078, 

शक संवत्ः 1943, 

मासः फाल्गुऩ, 

पक्षः कृष्ण पक्ष, 

तिथिः सप्तमी सांय 04.57 तक है, 

वारः बुधवार, 

नक्षत्रः विशाखा दोपहर 02.41 तक है, 

योगः धु्रव प्रातः काल 08.25 तक।

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।

करणः बव, 

सूर्य राशिः कुम्भ  चंद्र राशिः तुला, 

राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.57,  सूर्यास्तः 06.12 बजे।