पंचांग, 11 अक्टूबर 2021
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं ।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धाकारापाहां ॥
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम ।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदां ॥
नोटः आज सरस्वती आवाहन्
चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है, मान्यता है कि यह माता भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। इन्हें मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। स्कंदमाता का स्वरुप मन को मोह लेने वाला होता है। इनकी चार भुजाएं होती हैं, जिससे वो दो हाथों में कमल का फूल थामे दिखती हैं। एक हाथ में स्कंदजी बालरूप में बैठे होते हैं और दूसरे से माता तीर को संभाले दिखती हैं। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना देवी के नाम मान से भी जाना जाता है, सिंह इनका वाहन है। शेर पर सवार होकर माता दुर्गा अपने पांचवें स्वरुप स्कन्दमाता के रुप में भक्तजनों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।
विक्रमी संवत्ः 2078,
शक संवत्ः 1943,
मासः आश्विनी़,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः षष्ठी रात्रिः 11.51 तक है।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
वारः सोमवार,
नक्षत्रः ज्येष्ठा
रात्रि कालः 12.56 तक हैं,
योगः सौभाग्य प्रातः काल 11.49 तक,
करणः कौलव,
सूर्य राशिः कन्या, चंद्र राशिः वृश्चिक
राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः06.24, सूर्यास्तः05.52 बजे।