कैप्टन – शाह की मुलाक़ात, लगने लगे राजनैतिक कयास
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए उनके आवास पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच करीब 45 मिनट तक बात हुई। आपको बता दें कि कैप्टन दो दिवसीय दौरे पर कल दिल्ली पहुंचे है। सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं। उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं।
- कैप्टन अमरिंदर सिंह और अमित शाह के बीच 50 मिनट तक हुई बातचीत
- बीजेपी के लिए हमेशा सॉफ्ट कार्नर रहे हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह
- अमित शाह से मीटिंग के बाद कयासों का बाजार गर्म, बीजेपी में शामिल होने की अटकलें
सारिका तिवारी, नयी दिल्ली/चंडीगढ़:
कैप्टन अमरिंदर सिंह की दोस्ती पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से पुरानी मानी जाती है। राष्ट्रीय मुद्दे पर कैप्टन कई बार पार्टी लाइन से हटकर बोल चुके हैं। कई मौके पर बीजेपी नेता भी उन्हें राष्ट्रवादी भी बता चुके हैं। ऐसे में उनके भाजपा में शामिल होने के कयासों ने जोर पकड़ लिया है।
पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस पार्टी के भीतर अंर्तकलह जारी है। पार्टी में चल रहे सियासी घमासान के बीच पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार (29 सितंबर 2021) शाम को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। गृहमंत्री के आवास पर यह बैठक लगभग 45 मिनट चली।
इस बैठक को लेकर मीडिया में कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही कोई बड़ा कॉन्ग्रेसी नेता भाजपा में शामिल हो सकता है। चर्चा है कि भाजपा अमरिंदर को राज्यसभा के रास्ते सरकार में ला सकती है। या फिर उन्हें कृषि मंत्री का पद दिया जा सकता है।
दूसरी ओर कैप्टन के करीबी सूत्रों ने मीडिया में बताया कि दोनों नेताओं की मुलाकात में किसानों के मुद्दे को लेकर बातचीत हुई है। दरअसल, मंगलवार (28 सितंबर 2021) को दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए अमरिंदर सिंह ने दावा किया था कि उनका कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी कैप्टन को सही तरीके से इस्तेमाल करने की रणनीति पर विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि उन्हें पार्टी में शामिल कराकर एक चेहरे के रूप में पेश करना उचित रहेगा, या कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में एक नए राजनीतिक दल का गठन हो और भाजपा उसका बाहर से सपोर्ट करे, इस संभावना पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
आपको याद दिला दें कि अमरिंदर सिंह को हाल ही में अपमानित होकर मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। उन्होंने कॉन्ग्रेस आलाकमान से कहा था कि वो अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके बाद उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू पर बड़ा हमला किया था। सिद्धू को एंटी नेशनल बताते हुए उन्होंने एलान किया था कि वो उन्हें पंजाब का CM नहीं बनने देंगे। सिद्धू को जीतने से रोकने के लिए मजबूत कैंडिडेट उतारेंगे। वहीं, उन्होंने राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी को अनुभवहीन तक बता दिया था। इसके अलावा कैप्टन ने कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेताओं अजय माकन और केसी वेणुगोपाल पर भी हमला किया था।
अमरिंदर सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था, ”प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी मेरे बच्चे जैसे हैं। कोई चीज ऐसे नहीं खत्म होनी चाहिए। मैं आहत हूँ।” उन्होंने कहा था कि राहुल और प्रियंका अनुभवी नहीं हैं। उनके सलाहकार उन्हें गुमराह कर रहे हैं। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि वो सियासत में नई पारी शुरू सकते हैं।
बता दें कि कैप्टन का इससे पहले साल 2017 में कॉन्ग्रेस हाईकमान से टकराव हुआ था। तब कैप्टन ने जाट महासभा बनाकर कॉन्ग्रेस काे चुनौती दी थी। कैप्टन ने बाद में इसका खुलासा किया था कि वो भाजपा में जाने का मन बना चुके थे।